Download Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 3 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 9 Hindi A board exam and Score More marks. Here we have given Hindi A Sample Paper for Class 9 Solved Set 3.
Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 9 Hindi A
Year of Examination – 2019.

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Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 3

हल सहित
सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ |
  • चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |

खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
हम सब पथ के राही हैं। चलते चले जाते हैं-कुछ पथ छोटे और कुछ बड़े-ऊँचे और नीचे भी, ऊबड़-खाबड़ भी, लेकिन चलने से रुक नहीं पाते। एक साहसी वीर की तरह चले जाते हैं। अरे! यह क्या ? कोई हम पर पत्थर फेंक रहा है, कुछ ऐसे हैं जो उसको देखते भी नहीं। चैतन्य की तरह, अपने में मस्त, हरे कृष्ण हरे राम की ध्वनि उनमें रमी रहती है। चोट का अनुभव होता ही नहीं। जीवन इतनी गहराइयों में उतर जाता है-बाहर की अवस्था का भास नहीं होता। सोची, यह भी तो जीवन है ! दूसरे वे हैं जो हल्की सी चोट को सह नहीं पाते, बौखला जाते हैं। अगर इन चोटों को पुष्पवर्षा की तरह अनुभव करें तो जीवन दूसरा रस लेने लगेगा।
(क) गद्यांश में जीवन को क्या माना गया है?
(ख) गद्यांश में किसकी भांति रहने का संदेश दिया गया है?
(ग) चैतन्य की तरह रहने वाले को क्या अनुभव नहीं होता?
(घ) पुष्प वर्षा में समास बताइए।
(इ) साहसी वीर की तरह चले जाते हैं-में अलंकार बताइए।
उत्तर-
(क) गद्यांश में जीवन को पथ के राही माना गया है।
(ख) गद्यांश में चैतन्य की तरह रहने का संदेश दिया गया है।
(ग) चैतन्य (महाप्रभु) की तरह रहने वाले को चोट का अनुभव नहीं होता।
(घ) पुष्पवर्षा में तत्पुरुष समास है।
(ङ) दी गई पंक्ति में उपमा अलंकार है।

2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
सर्वत्र ही कीर्ति-ध्वजा उड़ती रही जिनकी सदा,
जिनके गुणों पर मुग्ध थी सुख-शान्ति-सयुत सम्पदा।
अब हम वही ससार में सबसे गए बीते हुए,
हैं हाय ! मृतकों से बुरे अब हम यहाँ जीते हुए।।

संसार भर में जो कभी ज्ञान-प्रभा भरते रहे,
अजन्म औरों का सदा उपकार जो करते रहे।
निज सिद्धि-साधन में जिन्हें कोई न बाधा थी कहीं,
कसे कहें, होकर वही हम हाय! अब वे हैं नहीं।।

सर्वोच्च भारतवर्ष की जो योग्यतम सन्तान थे,
सब दुष्कृतों से दूर थे, गुण और ज्ञान-निधान थे।।
होती रही उपकृत सदा जिनसे कभी सारी मही,
अब तक बनी है कीति जिनकी, हाय हम क्या हैं वही।।

(क) कवि को किस बात का अफसोस है?
(ख) हम अतीत में कैसे थे?
(ग) दुस्कृत में उपसर्ग बताइए
(घ) आजन्म में कौन-सा समास है?
(इ.) है हाय! मृतकों से बुरे अब हम यहाँ जीते हुए। अर्थ की दृष्टि से वाक्य को बताइए।
उत्तर-
(क) कवि को इस बात का अफसोस है कि हम संसार में सबसे गए-बीते तथा मृतक समान हो गए हैं।
(ख) हम अतीत में दुष्कृतों से दूर थे।
(ग) दुस्कृत में दुस् उपसर्ग है।
(घ) आजन्म में अव्ययीभाव समास है।
(इ.) दिया गया वाक्य विस्मयादिबोधक है।

खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
3. (i) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) ‘त्व’ प्रत्यय से एक शब्द बनाइए।
(ख) ‘परा’ उपसर्ग से एक शब्द बनाइए।
(ग) ‘प्राक्कथन’ में कौन सा ‘उपसर्ग’ है तथा कौन सा मूल शब्द है।
(घ) ‘विकसित’ में प्रयुक्त मूल शब्द और प्रत्यय लिखिए।
(ii) निम्न शब्दों का विग्रह करते हुए समास का नाम बताइए-
(क) वीणापाणि
(ख) प्रतिमाह
(ग) मनोरंजनार्थ
उत्तर-
(i)
(क) त्व प्रत्यय से बना शब्द-गुरुत्व
(ख) परा उपसर्ग से बना शब्द-पराधीन
(ग) प्राक्कथन में प्राक उपसर्ग है तथा कथन मूल शब्द है।
(घ) विकसित में इत प्रत्यय है तथा विकास मूल शब्द है।
(ii)
(क) वीणा पाणि-वीणा है पाणि में जिसके वह अर्थात् सरस्वती-बहुव्रीहि समास
(ख) प्रतिमाह–प्रत्येक माह–अव्ययीभाव समास
(ग) मनोरंजनार्थ-मनोरंजन के लिए-तत्पुरुष समास

4. (i) अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की पहचान करके उसके भेद लिखिए
(क) यदि तुम रहते तो मैं जरूर चलता।
(ख) अरे! वह पास हो गया।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए
(क) वह रो रहा है। (प्रश्नवाचक)
(ख) कल तुम मेरे घर आना। (निषेधवाचक)
उत्तर-
(i) (क) संकेतवाचक वाक्य
(ख) विस्मयादिबोधक वाक्य
(ii)
(क) क्या वह रो रहा है? (प्रश्नवाचक वाक्य)
(ख) कल तुम मेरे घर मत आना (निषेधवाचक वाक्य)

5. निम्नलिखित पद्यांशों में प्रयुक्त अलंकारों को पहचानकर लिखिए-
(क) राम घनस्याम हित चालक तुलसीदास।
(ख) निपट निरंकुस निछुर निसंक्।
(ग) मजबूत शिला-सी दृढ़ छाती।
(घ) ले चला साथ में तुझे कनक।
ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण-झनक।
उत्तर-
(i)
(क) रूपक अलंकार
(ख) अनुप्रास अलंकार
(ii) (ग) उपमा अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार

खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक
6. निम्नलिखित अवतरण पर पूछे गए प्रश्नों के सटीक उत्तर दीजिए-
तुम फोटो का महत्व नहीं समझते। समझते होते, तो किसी से फोटो खिचाने के लिए जूते माँग लेते। लोग तो माँगे के कोट से वर-दिखाई करते हैं और माँगे की मोटर से बारात निकालते हैं। फोटो खिचाने के लिए बीवी तक माँग ली जाती है, तुमसे जूते ही माँगते नहीं बने! तुम फोटो का महत्व नहीं जानते। लोग तो इत्र चुपड़ कर फोटो खिचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए! गंदे से गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है।
(क) प्रेमचंद के द्वारा फोटो का महत्व न समझने का क्या कारण लेखक को प्रतीत हुआ होगा।
(ख) लेखक के अनुसार लोग जूते क्यों मांगते है?
(ग) यहाँ ‘तुम’ सर्वनाम किस व्यक्ति के लिए प्रयुक्त है।
उत्तर-
(क) प्रेमचंद एक सीधे-सादे, सरल तथा आडम्बरहीन व्यक्ति थे। उनके इसी व्यक्तित्व के कारण लेखक को लगा कि वे फोटो का महत्व नहीं समझते हैं।
(ख) लेखक के अनुसार लोग अपनी वास्तविक स्थिति को छिपाने के लिए जूते मांगकर पहनते हैं।
(ग) यहाँ ‘तुम’ सर्वनाम का प्रयोग प्रेमचंद के लिए किया गया है।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) लेखक ने कितनी बार तिब्बत की यात्रा की और कैसा अनुभव प्राप्त किया?
(ख) हम भारतीय लोग लक्ष्य भ्रम से कैसे पीड़ित हैं। उपभोक्ता वाद की संस्कृति पाठ के आधार पर बताइए।
(ग) सलिम अली के अनुसार लोगों का प्रकृति के प्रति क्या नजरिया है? हमें प्रकृति को किस नजरिए से देखना चाहिए?
(घ) लंदन के मंत्रिमंडल में नाना के प्रकृति चिन्ह तक मिटा देने के संकल्प के कारणों का उल्लेख पठित पाठ के आधार पर कीजिए।
उत्तर-
(क) लेखक ने दो बार तिब्बत की यात्रा की और वहाँ के समाज, भौगोलिक स्थितियों एवं समस्याओं को जाना-समझा।

(ख) हम भारतीय लोग आधुनिक चकाचौंध के कारण अपने संस्कार भूल चुके हैं, अत: लक्ष्यभ्रम से पीड़ित हैं। वस्तुतः हम बाहरी चमक-दमक को ही जीवन का लक्ष्य मान बैठे हैं।

(ग) लोगों का प्रकृति के प्रति उदासीन नजरिया है। सालिम अली प्रकृति तथा पक्षी विज्ञानी थे। साथ ही वे सरल तथा सहृदय व्यक्ति थे। उनके अनुसार प्रकृति तथा हरियाली की रक्षा प्राणी मात्र के लिए आवश्यक है अत: हमें अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए प्रकृति के प्रति पूर्ण सकारात्मक नजरिया रखना चाहिए।

(घ) नाना साहब के पुत्र, कन्या अथवा संबंधी को मार दिया जाए। उनके महल, संपत्ति अथवा नामो-निशान को भी नष्ट कर दिया जाए।
व्याख्यात्मक हल
लंदन में अंग्रेजी सरकार के मंत्रिमण्डल ने यह निश्चय किया कि कानपुर में नाना साहब के पुत्र, कन्या एवं अन्य संबंधियों को मार दिया जाए तथा उनके महल, सम्पत्ति आदि को भी तहस-नहस कर दिया जाए। नाना साहब के सभी स्मृति चिहनों को समाप्त कर दिया जाए-यही अंग्रेजी सरकार का उद्देश्य था।

8. निम्नलिखित पद्यांश पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
माँ ने एक बार मुझसे कहा था-
तब मैं छोटा था।
दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
वह मृत्यु की दिशा है।
उसने बताया था
और यमराज को क्रूद्ध करना
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में…
बुद्धिमानी की बात नहीं
(क) मां दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से क्यों मना करती है?
(ख) मां किसे बुद्धिमानी की बात नहीं मानती और क्यों?
(ग) मां के अनुसार दक्षिण में क्या होता है?
उत्तर-
(क) माँ ने मुझसे कहा था कि दक्षिण की ओर पैर करके मत सोना, वह यमराज की दिशा है। ऐसा करने से यमराज नाराज हो जाएंगे और उन्हें नाराज करना ठीक नहीं है क्योंकि वे मृत्यु के देवता हैं।
(ख) यमराज को कृद्ध करना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि वे मृत्यु के देवता हैं। उनसे भयभीत रहना चाहिए।
(ग) माँ के अनुसार तुम जहाँ हो वहँ से दक्षिण की ओर हमेशा यमराज का घर होता है।

9. निम्नलिखित पद्यांश पर पूछे गए प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) ‘बच्चे काम पर जा रहे है’ कविता में कवि ने अपनी किस पीड़ा को चिन्ता के रूप में व्यक्त किया है।
(ख) मेघ रूपी मेहमान आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए हैं? कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
(ग) कवि अपने और कोयल के जीवन में क्या विषमता अनुभव करता है?
(घ) गोपी कृष्ण के सारे स्वांग करने को तैयार है पर वह मुरली को नहीं अपनाना चाहती, क्यों।
उत्तर-
(क) इस कविता में कवि ने काम पर जाते बच्चों को देखकर अपने मन की पीड़ा और चिन्ता व्यक्त की है। यह स्थिति भयानक है जब छोटे बच्चे जिन्हें पढ़नेलिखने के लिए विद्यालय जाना चाहिए, परन्तु वे रोजी-रोटी के लिए काम पर जा रहे हैं। कवि का तात्पर्य है कि सरकार और समाज को इस ओर ध्यान देना चाहिए तथा बालश्रम को रोकना चाहिए।
(ख) मेघों के आने पर सनसनाती हवा चलने लगी, हवा के झोंके से दरवाजे, खिड़कियाँ खुलने लगीं। पेड़ों का झुकना प्रारम्भ हो गया, आँधी चलने लगी, धूल उड़ने लगी। पीपल के पत्ते हवा में बोलने लगे और तालाब में लहरें उठने लगीं। क्षितिज पर बिजली चमकने लगी और धारासार जल बरसने से जगह-जगह बाँध टूटने लगे।
(ग) कवि का निजी अनुभव है कि कोयल उन्मुक्त और स्वच्छंद है तथा मनपसंद उड़ान का आनंद ले सकती है, गा सकती है जबकि मैं जेल में बंद स्वतंत्रता संग्राम का कैदी हूँ। कैदियों की व्यथा पर दुखभरी आहें भी सुन सकती है। कवि परतंत्र है, कैदी है, उसकी व्यथा कोई नहीं सुनता। उसके सभी कार्यकलाप प्रतिबन्धित हैं।
(घ) गोपी अपनी सखी के कहने पर श्रीकृष्ण के सारे क्रिया-कलाप करने को तैयार है परन्तु वह अपने अधरों पर मुरली नहीं रखेगी। इससे उसे परहेज है क्योंकि मुरली के प्रति उसे सौतिया डाह है। साथ ही यह मुरली कृष्ण के द्वारा अधरों पर रखकर जूठी कर दी गई है, अत: वह उसे अपने होठों पर नहीं रख सकेगी।

10. एकांकी रीढ़ की हड्डी में नारीपात्र उमा के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
कथावस्तु के आधार पर रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की प्रमुख पात्र है-उमा। उमा इस एकांकी के केन्द्र में है एवं सम्पूर्ण कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूमती है। एकांकी की प्रमुख घटना उमा के विवाह से ही सम्बन्धित है। उसे देखने लड़के वाले आते हैं। परन्तु वह अपनी उच्च शिक्षा एवं लड़के शंकर की चरित्रहीनता की बात दृढ़तापूर्वक प्रकट कर देती है। अपने सद्गुणों, आदशों एवं स्पष्टवादिता के आधार पर उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्र सिद्ध होती है। वह एक सच्चरित्र, उच्च शिक्षा प्राप्त, आकर्षक व्यक्तित्व वाली युवती है।

एकांकी में उमा के व्यक्तित्व को ही सर्वोत्कृष्ट चित्रित गया है। वह नारी को उचित सम्मान न दिए जाने की बात को दृढ़तापूर्वक उठाती है जो एकांकी के उद्देश्य को स्पष्ट करती है।

खण्ड ‘घ’ : लेखन
11. दिए गए विषयों में से किसी एक पर संकेत बिंदुओं के आधार पर निबंध लिखिए-
(क)                                                                     आज के संदर्भ में अतिथि-देवता या राक्षस।
[संकेत बिंदु-1. भूमिका 2. अतिथि देवो भव का तात्पर्य 3. आज के अतिथि 4. उपसंहार]]
(ख)                                                                               प्रदूषण-एक समस्या
[संकेत बिंदु-1. प्रस्तावना, 2. प्रदूषण के स्वरूप 3. हानियाँ 4. प्रदूषण को रोकने के उपाय 5. उपसंहार]

अथवा

(ग)                                                                               महँगाई एक समस्या
[संकेत बिंदु- 1. प्रस्तावना 2. महँगाई बढ़ने के कारण 3. महँगाई के प्रभाव 4. उपसंहार]
उत्तर-
(क) आज के सन्दर्भ में ‘अतिथि देवता या राक्षस’
(1) भूमिका + उपसंहार 2 अंक
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा-प्रस्तुति
व्याख्यात्मक हल
अ + तिथि अर्थात् जिसके आने की कोई तिथि न हो। भारतवर्ष में अतिथि को सदैव ईश्वर का स्थान दिया गया है और उसे ईश्वर स्वरूप मानते हुए कहा है। अतिथि देवता होता है। अतिथि को पूर्ण स्वागत सत्कार व आदर सम्मान दिया जाता है जिससे वह जहाँ भी जाए यजमान की बढ़ाई करे।

अतिथि = अ = न हो, तिथि = आने का निश्चित समय अर्थात् जिसके आने का कोई समय निश्चित न हो; वह किसी भी समय और कभी भी बिना बताए आए, अतिथि कहलाता है। |

भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता का स्थान दिया गया है। प्राचीन समय में अतिथि को खूब मान-सम्मान और आदर-सत्कार दिया जाता था। किसी एक व्यक्ति का अतिथि सिर्फ उसका ही अतिथि न होकर पूरे समाज का हुआ करता था और उसे पूरे समाज में वही आदर-सम्मान प्राप्त हुआ करता था जो उसे अपने यजमान के यहाँ प्राप्त होता था।

परन्तु आज के समय में अतिथि को न वह आदर-सत्कार मिलता और न ही वह मान-सम्मान। आज के समय में यदि किसी के घर अतिथि आता है तो उसे हर समय यह चिन्ता सताती रहती है कि यह कितनी देर में जाएगा कहीं वह रुकने के लिए तो नहीं आया है। यदि किसी के यहाँ अतिथि आए और वह यजमान घर पर न हो तो पड़ोसी उसे बाहर से ही मना कर देते हैं कि उन्हें पता नहीं है वे कहाँ गए हैं ना कि पहले के समान उसे घर पर बुलाकर खाना तो दूर की बात एक गिलास पानी भी नहीं पूछता है।

आधुनिक समय में अतिथि केवल एक व्यक्ति मात्र रह गया है। जो केवल उनके घर पर कुछ समय के लिए आएगा और फिर चला जाएगा किन्तु यदि कहीं गलती से वह अतिथि कुछ समय के लिए रुकने के लिए आए हैं तो वह अपना देवत्व छोड़कर यजमान के लिए राक्षस का रूप धारण कर लेता है। वह यजमान उसे किसी न किसी तरह से घर से भगाने के उपाय सोचता रहता है। आज अतिथि का स्वरूप बदलता जा रहा है। वह अपना देवत्व खोता जा रहा है और ‘अतिथि: देवो भव’ की भावना धूमिल होती जा रही है।

आज फिर अतिथि के महत्व को समझना होगा, उसे उचित आदर-सम्मान देना होगा और साथ ही अतिथि को भी यजमान को उतना ही मान-सम्मान देना चाहिए। अतिथि को यजमान की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखना चाहिए। तभी यह उक्ति अपना उचित मंतव्य प्राप्त कर सकेगी किञ्-अतिथिः देवो भव ।
(ग)                                                                        प्रदूषण एक समस्या
(1) भूमिका + उपसंहार (2) विषयवस्तु (3) भाषा-प्रस्तुति

अथवा

समस्त जीवधारियों का जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जीव का जीवन, उसकी शक्ति एवं उसका विकास पर्यावरण की गोद में ही विकसित होता है। प्रकृति और पर्यावरण हमें विरासत में मिला है।

मूल रूप में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण प्रदूषण की मुख्य समस्या है। पर्यावरण प्रदूषण आज विभिन्न रूपों में सामने आ रहा है। जिनमें प्रमुख हैं-भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। भूमि प्रदूषण के मुख्य कारण बाँध और हमारे अत्यधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग है। बाँधों के कारण भूमि का अपक्षय होता है। कल कारखाने, मोटर-स्कूटर, रेलें, बसें दिन-रात धुएँ के बादलों के रूप में वायु प्रदूषण करते हैं। कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, कार्बन मोनो ऑक्साइड का प्रभाव मनुष्य ही नहीं वरन् पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है। पराबैंगनी किरणें कैंसर जैसे भयंकर रोगों को जन्म दे रही हैं। शुद्ध वायु अशुद्ध होती जा रही है।

औद्योगीकरण ने जल-प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चीनी, कपड़ा, जूट, रसायन आदि उद्योगों का सारा कचरा नदियों और जलाशयों के जल को निरन्तर प्रदूषित कर रहा है। प्रदूषित जल पीने के कारण बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है। ध्वनि प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। औद्योगीकरण एवं मशीनीकरण ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। धार्मिक संस्कार, त्यौहार एवं लाउडस्पीकर आदि भी ध्वनि प्रदूषण के विस्तार में सहायक हैं। 40 से 50 डेसीबल तक की सामान्य ध्वनि सीमा 110 डेसीबल तक पहुँच गई है।

भूमि प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अनावश्यक बाँधों के निर्माण, वनों की कटाई तथा रासायनिक उर्वरकों के अतिशय प्रयोगों पर रोक लगानी चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि उद्योगों में प्रयुक्त दूषित जल को सीधे नदियों, जलाशयों में न छोड़ा जाए। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि उद्योगों की चिमनियों पर ऐसे फिल्टर लगाए जाएँ जो धुएँ आदि प्रदूषणकारी तत्वों को वायुमण्डल में न मिलने दें। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण-बढ़ती हुई जनसंख्या पर शीघ्र अंकुश लगाया जाए।
यदि समय रहते हम पर्यावरण संरक्षण के लिए सजग नहीं हुए तो निश्चित ही मानव का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।
(ग) महँगाई एक समस्या
(1) भूमिका + उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा-प्रस्तुति
व्याख्यात्मक हल :
वर्तमान समय में निम्न मध्य वर्ग महँगाई की समस्या से त्रस्त है। महँगाई भी ऐसी, जो रुकने का नाम नहीं लेती, यह तो सुरसा के मुख की तरह बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का महँगाई पर कोई नियंत्रण रह ही नहीं गया है।

महँगाई अथवा मूल्यवृद्धि का सीधा संबंध अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। विकासशील देशों के पास धन का अभाव है और जनता अपनी आय में वृद्धि चाहती है। इसके परिणामस्वरूप मुद्रा का फैलाव बढ़ता है। दाम सूचक सिक्के की कीमत घट जाती है और महँगाई उसी अनुपात में बढ़ जाती है। जब महँगाई या मूल्यवृद्धि नियंत्रण से बाहर हो जाती है, तब यह समस्या का रूप धारण कर लेती है।

महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं-उत्पादन में कमी तथा माँग में वृद्धि महँगाई का प्रमुख कारण है। कभी-कभी सूखा, बाढ़ तथा अतिवृष्टि जैसे प्राकृतिक प्रकोप भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं। वस्तुओं की जमाखोरी भी महँगाई बढ़ने का प्रमुख कारण है। काला बाजारी, दोषपूर्ण वितरण प्रणाली तथा अंधाधुध मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति भी महँगाई तथा भ्रष्टाचार के प्रमुख कारक हैं। सरकारी अंकुश का अप्रभावी होना भी महँगाई और जमाखोरी को बढ़ावा देता है। |

इस जानलेवा महँगाई ने आम नागरिकों की कमर तोड़कर रख दी है। अब उसे दो जून की रोटी जुटाना तक कठिन हो गया है। पौष्टिक आहार का मिलना तो और भी कठिन हो गया है। आवास समस्या पर भी महँगाई की मार पड़ी है। महँगाई बढ़ने का एक कारण यह भी है कि हमारी आवश्यकताएँ तेजी से बढ़ती चली जा रही हैं, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम किसी भी दाम पर वस्तु खरीद लेते हैं। इससे जमाखोरी और महँगाई को बढ़ावा मिलता है। महँगाई को सामान्य व्यक्ति की आय के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। महँगाई के लिए अंधाधुंध बढ़ती जनसंख्या भी उत्तरदायी है। इस पर भी नियंत्रण करना होगा। तथा सरकारी अधिकारियों को उन दुकानों पर छापे मारने होंगे जो वस्तुओं के दाम ज्यादा लेते हैं। ऐसी जानकारी होने पर हमें सख्ती दिखानी होगी तभी महँगाई रुक सकेगी।

इस बढ़ती हुई महँगाई को रोककर ही हमारे देश का कल्याण हो सकता है।

12. आपके इलाके में बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण आपकी परीक्षा तैयारी प्रभावित हो रही है। बिजली व्यवस्था में सुधार हेतु वी.एस.ई.एस, राजधानी पावर लिमिटेड करनाल को एक शिकायती पत्र लिखिए।
उत्तर-
(1) प्रारंभ व अंत की औपचारिकताएँ
(2) प्रस्तुतिः एवं विषयवस्तु
(3) भाषा-विन्यास
व्याख्यात्मक हल
सेवा में,
मुख्य अभियन्ता
वि. एस. ई. एस.
राजधानी पावर लिमिटेड
करनाल ।
दिनांक : 20 अप्रैल, XXXX
विषय-बिजली की अनियमित आपूर्ति के सम्बन्ध में।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने इलाके में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों की ओर दिलाना चाहता हूँ। आजकल हमारी सी.बी.एस.ई. बोर्ड की दसवीं की परीक्षाएँ चल रही हैं। ऐसी स्थिति में बार-बार बिजली चले जाने से हम छात्रों को पढ़ाई करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिजली की इस आँख-मिचोली से हम छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान पड़ता है। इसका हमारे परीक्षा परिणाम पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। बिजली जाने का कोई निश्चित समय भी नहीं है, जब भी हम छात्रों के पढ़ने का समय होता है तो बिजली चली जाती है या बहुत कम वोल्टेज आते हैं। आपसे अनुरोध है कि हम छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए इस इलाके में बिजली की नियमित आपूर्ति की व्यवस्था करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को देने का कष्ट करें। सधन्यवाद!
भवदीय
क, ख, ग

13. ‘धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’ विषय पर दो मित्रों के बीच हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
मुकुल : अरे मित्र सोहन! इतने परेशान क्यों दिखाई दे रहे हो ?
सोहन : क्या बताऊँ मित्र मुकुल! मेरे चाचा जी की तबियत बहुत खराब है और वह अस्पताल में भर्ती हैं।
मुकुल : क्या हुआ उन्हें ? ।
सोहन : अत्यधिक धूम्रपान करने के कारण उन्हें दमा के साथ-साथ, फेफड़ों में भी संक्रमण हो गया है।
मुकुल : यह तो बहुत बुरा हुआ, मित्र धूम्रपान अत्यधिक हानिकारक है इससे अनेक रोग हो जाते हैं कभी-कभी मृत्यु तक भी हो जाती है।
सोहन : हाँ मित्र, धूम्रपान के पैकेटों पर चेतावनी होने के बावजूद लोग इन्हें खरीदते हैं और साथ ही अपने लिए बीमारी भी खरीदते हैं।
मुकुल : हाँ और अपने पीछे परिवार को रोता छोड़ जाते हैं।
सोहन : ठीक कहा मित्र।
मुकुल : धूम्रपान का निषेध करके व लोगों में जागरूकता पैदा करके ही इसे रोका जा सकता है।

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