Download Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 5 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 9 Hindi A board exam and Score More marks. Here we have given Hindi A Sample Paper for Class 9 Solved Set 5.
Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 9 Hindi A
Year of Examination – 2019.

 Solved Hindi A Sample Paper 2019 Set 1 Solved Hindi A Sample Paper 2019 Set 2
 Solved Hindi A Sample Paper 2019 Set 3  Solved Hindi A Sample Paper 2019 Set 4
 Solved Hindi A Sample Paper 2019 Set 5  CBSE Sample Papers for Class 9 Hindhi B

Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 5

हल सहित
सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ |
  • चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |

खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
सत्संग से हमारा अभिप्राय उत्तम प्रकृति के व्यक्तियों की संगति से है। मानव मन में श्रेष्ठ एवं गहिंत भावनाएँ मिश्रित रूप से विद्यमान होती हैं। कुछ व्यक्ति सहज । सुलभ सदगुणों की उपेक्षा करके कुमार्ग का अनुगमन करते हैं। वे न केवल अपना ही विनाश करते हैं, अपितु अपने साथ रहने तथा वार्तालाप करने वालों के जीवन और चरित्र को भी पतन अथवा विनाश के गर्त की ओर उन्मुख करते हैं। विश्व में प्राय: ऐसे मनुष्य ही अधिक हैं जो उत्कृष्ट और निकृष्ट दोनों प्रकार की मनोवृत्तियों से युक्त होते हैं। उनका साथ यदि किसी के लिए लाभप्रद नहीं होता तो हानिकारक भी नहीं होता। इसके अतिरिक्त तृतीय प्रकार के मनुष्य वे हैं जो गहिंत भावनाओं का । दमन करके केवल उत्कृष्ट गुणों का विकास करते हैं। ऐसे व्यक्ति निश्चय ही महान प्रतिभा-सम्पन्न होते हैं। उनकी संगति प्रत्येक व्यक्ति में उत्कृष्ट गुणों का संचार करती है। उन्हीं की संगति को सत्संग के नाम से पुकारा जाता है।
(क) सत्संग से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(ख) मानव मन में कौन सी भावनाएँ विद्यमान रहती हैं?
(ग) कुमार्ग का अनुगमन करने वाले व्यक्ति किस प्रकार हानिकारक होते हैं?
(घ) महान प्रतिभा-सम्पन्न व्यक्ति आप किन्हे कहेगें?
(इ.) विश्व में किस प्रकार के व्यक्ति अधिक हैं?
उत्तर-
(क) सत्संग से लेखक का अभिप्राय है- उत्तम प्रकृति के व्यक्तियों की संगती।
(ख) मानव मन में श्रेष्ठ एवं गहिंत भावनाएँ मिश्रित रूप से विद्यमान रहतीहैं।
(ग) कुमार्गगामी लोग अपना विनाश करने के साथ-साथ अपनी संगति में रहने वाले तथा वार्तालाप करने वालों के जीवन और चरित्र को भी विनाश के गर्त की ओर उन्मुख कर देते हैं।
(घ) जो व्यक्ति गर्हित भावनाओं का दमन कर उत्कृष्ट भावनाओं का विकास करते हैं, उन्हें हम महान प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति कहेंगे।
(इ.) विश्व में उत्कृष्ट और निकृष्ट दोनों वृत्तियों से युक्त व्यक्ति अधिक हैं।

2. निम्नलिखित पद्यांश पर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए-
जय बोली उस धीरव्रती की जिसने सोता देश-जगाया।
कहीं बेड़ियाँ औ’ हथकड़ियाँ, हर्ष मनाओ, मंगल गाओ
जिसने मिट्टी के पुतलों को वीरों का बाना पहनाया
किन्तु यहाँ पर लक्ष्य नहीं है, आगे पथ पर पाँव बढ़ाओ।
जिसने आजादी लेने की एक निराली राह निकाली
आजादी वह मूर्ति नहीं है जो बैठी रहती मन्दिर में,
और स्वयं उस पर चलने में जिसने अपना शीश चढ़ाया।
उसकी पूजा करनी है तो नक्षत्रों से होड़ लगाओ।
घृणा मिटाने को दुनिया से लिखा लहू से जिसने अपने
हल्का फूल नहीं आजादी, वह है भारी जिम्मेदारी
‘जो कि तुम्हारे हित विष घोले, तुम उसके हित अमृत घोलो।
उसे उठाने को कधों के, भुजदंडों के, बल को तोलो।
(क) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किसे धीरव्रती कहकर सम्बोधित किया है?
(ख) आजादी की पूजा किस प्रकार करनी होगी?
(ग) बाना, लहू शब्द के अर्थ लिखिए।
(घ) आजादी में कौन सा प्रत्यय जुड़ा है?
(ड.) इस पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक चुनिए।
उत्तर-
(क) धीरव्रती कहकर महात्मा गांधी को सम्बोधित किया गया है।
(ख) आजादी की पूजा नक्षत्रों से होड़ लगाने वाले अकल्पनीय पौरुष से करनी होगी।
(ग) बाना = वस्त्र, लहू= रक्त (खून)
(घ) आजादी में ई प्रत्यय है जो मूल शब्द आजाद से जुड़ा है।
(इ.) इस पद्यांश का उचित शीर्षक है-आजादी की प्रेरणा।

खण्ड ‘ख’: व्याकरण
3. (i) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए–
(क) ‘परिभ्रमण’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग एवं मूल शब्द लिखिए।
(ख) ‘उत्’ उपसर्ग लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ग) ‘खतरनाक’ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय एवं मूल शब्द लिखिए।
(घ) ‘आना’ प्रत्यय लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ii) निम्नलिखित शब्दों में विग्रह सहित समास बताइए-
(क) सप्ताह
(ख) त्रिवेणी
(ग) यथाशक्ति
उत्तर-
(i)
(क) परिभ्रमण में परि उपसर्ग है और भ्रमण मूल शब्द है।
(ख) उत् उपसर्ग से बना एक शब्द है-उत्कर्ष
(ग) खतरनाक में खतरा मूल शब्द है और नाक प्रत्यय है।
(घ) आना प्रत्यय से बना एक शब्द है-नजराना
(ii)
(क) सप्ताह = सात दिनों का समूह-विगु समास
(ख) त्रिवेणी = तीन नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम-विगु समास
(ग) यथाशक्ति–शक्ति के अनुसार–अव्ययीभाव समास

4. (i) अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों को पहचान कर उनके भेद लिखिए
(क) अध्यापक जी पढ़ा रहे हैं।
(ख) तुम क्या लाए हो? ।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए
(क) छात्र शोर मचा रहे हैं। (प्रश्नवाचक)
(ख) तुम अच्छे इंसान बन सकते हो। (इच्छावाचक)
उत्तर-
(i) (क) विधानार्थक वाक्य
(ख) प्रश्नवाचक वाक्य
(ii)
(क) क्या छात्र शोर मचा रहे हैं? (प्रश्नवाचक वाक्य)
(ख) भगवान तुम्हें अच्छा इंसान बनाए। (इच्छावाचक वाक्य)

5. निम्न पंक्तियों में अलंकार बताइए-
(क)

मैंने उसको जब-जब देखा
लोहा देखा
लोहे जैसा तपते देखा
गलते देखा, ढलते देखा

(ख) कोलाहल बैठा सुस्ताने
(ग) किसबी किसान – कुल बनिक भिखारी भाट
(घ) सपनों के गुब्बारे फोड़ती सुबह
उत्तर-
(क) उपमा अलंकार
(ख) मानवीकरण अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार

खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक
6. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का बेवकूफ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, ब्याई हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है, किन्तु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। बैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा।
(क) गाय और कुत्ते में क्या समानता है? गधा अलग क्यों है?
(ख) आदमी को वेवकूफ कहने के लिए गधा क्यों कहते हैं?
(ग) सहिष्णुता का क्या अर्थ है?
उत्तर-
(क) गाय व कुत्ता दोनों को ही क्रोध आता है। यही दोनों में समानता है। जबकि गधे को कभी क्रोध नहीं आता है। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है।
(ख) गधा जानवरों में बुद्धिहीन समझा जाता है। इसलिए आदमी को वेबकूफ कहने के लिए गधा कहते हैं। गधे की विशेषता है कि स्थायी विषाद उसे घेरे रहता है।
(ग) सहिष्णुता का अर्थ सहनशीलता है।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे है?
(ख) लंदन के मंत्रिमण्डल में नाना के सारे स्मृति चिन्ह तक मिटा देने के संकल्प के कारणों का उल्लेख पठित पाठ के आधार पर कीजिए।
(ग) लेखक के लिए ‘दर्शनार्थियों से जुड़ी दुःख की बात क्या थी? लिखिए।
(घ) लेखिका महादेवी वर्मा की जन्म के समय और बाद में इतनी खातिरदारी क्यों हुई? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
(क) आज उपभोक्ता संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण हमारे चित्त में बदलाव आ रहा है। आकर्षक विज्ञापनों के प्रभाव से हम उत्पादों पर समर्पित होते जा रहे हैं। विज्ञापन में दिखायी गई वस्तुओं से आकर्षित होकर हम उन्हें खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। उत्पादों की अंधी दौड़ में शामिल होकर हम उनके दास बनते जा रहे हैं।

(ख) नाना साहब के पुत्र, कन्या अथवा संबंधी को मार दिया जा।
उनके महल, संपत्ति अथवा नामो-निशान को भी नष्ट कर दिया जाए। व्याख्यात्मक हल :
लंदन में अंग्रेजी सरकार के मंत्रिमण्डल ने यह निश्चित किया कि कानपुर में नाना साहब के पुत्र, कन्या एवं अन्य संबंधियों को मार दिया जाए तथा उनके महल, सम्पति आदि को भी तहस-नहस कर दिया जाए। नाना साहब के सभी स्मृति चिहनों को समाप्त कर दिया जाए-यही अंग्रेजी सरकार का उद्देश्य था।

(ग) दर्शनार्थियों में गुरुदेव से मिलने की तीव्र इच्छा होना, समय असमय, स्थान, आस्था, अवस्था या अनवस्था पर ध्यान न देना। रोकते रहने पर भी दर्शन हेतु पहुँच जाना इससे गुरुदेव भयभीत रहते थे। व्याख्यात्मक हल : | दर्शनार्थी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर से मिलने की तीव्र इच्छा रखते थे। वे इसके लिए न तो समय का न स्थान का कोई ध्यान रखते थे। वे दर्शनार्थी रोकते-रोकते भी दर्शन हेतु पहुँच जाते थे। इससे गुरुदेव भयभीत रहते थे।

(घ) लगभग 200 वर्षों के बाद महादेवी जी ने परिवार में जन्म लिया। महादेवी जी के बाबा ने दुर्गा पूजा करके कन्या माँगी भी थी इसलिए उनके जन्म के समय सब उत्साहित थे क्योंकि कई पीड़ियों के पश्चात् कन्या ने जन्म लिया था। बाद में उन्हें सभी लाड़-प्यार से रखते थे।

8. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

बूढे पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं-
बोली अकुलाई लता ओट ही किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

(क) बूढ़े पीपल ने ही सबसे पहले जुहार क्यों की?
(ख) ‘हरसाया ताल लाया पानी परात भर के’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(ग) बरस बाद सुधि लीन्हीं के अर्थ बताइए।
उत्तर-
(क) बूढ़ा पीपल घर के बड़े बुजुर्ग का प्रतीक है। मेहमान (विशेषकर दामाद) के आने पर सबसे पहले घर के बड़े ही उसका स्वागत करते हैं।
(ख) तालाब में लहरें उठ रही हैं, उसका पानी चमक उठा है। मानों मेहमान के पैर धोने के लिए परात में भरकर पानी लाया गया है। वर्षा के आगमन पर छोटे-छोटे तालाब जल से भरे हुए सुन्दर दिख रहे हैं।
(ग) नायिका उपालंभ देती हुई कहती है-‘पूरे एक साल बाद आपने हमें याद किया है।

9. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है?
(ख) ‘चद्र’ गहना से लौटती बेर’ कविता के आधार पर काले माथे वाली चिड़िया की विशेषताएँ बताइए
(ग) ग्रामश्री कविता में कवि को वसुधा कैसी लग रही है और क्यों?
(घ) कवयित्री ललयद द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे
उत्तर-
(क) पीपल का पेड़ बड़ा और दीर्घजीवी होता है। वह हजारों पक्षियों, जीवजन्तुओं को आश्रय देता है। बड़े बुजुर्ग की भाँति उसकी शाखाएँ (जड़ें) दाढ़ी सी लटकती हैं, इसलिए कवि ने उसे बड़ा बुजुर्ग कहा है।
(ख) चिड़िया का मस्तक काला तथा पंख सफेद हैं। वह आसमान में उड़ते हुए भी पानी पर नजर रखती है। और मछली के उछलते ही उस पर चोट करती है। अतएव वह बहुत चतुर है।
(ग) ग्रामश्री कविता में कवि ने वसुधा (पृथ्वी) को रोमांचित नायिका के समान बताया है। खुशी के कारण गेहूँ और जौ में जो बालियाँ आई हैं वही इस नायिका का
रोमांच है। अरहर और सनई की सुनहरी फलियाँ धुंघराले बालों सी घनी हैं।
(घ) क्योंकि कवयित्री का जीवन घटता जा रहा है। लेकिन परमात्मा ने उनकी पुकार अब तक नहीं सुनी है। परमात्मा से मिलन की कोई आस उसे नजर नहीं आ रही है, अत: उसे लगता है कि उसकी सारी भक्ति का कोई फल उसे प्राप्त नहीं हो पाया और मुक्ति के लिए किए जाने वाले सारे प्रयास व्यर्थ हो रहे हैं।

10. लेखिका मृदुला गर्ग के बागलकोट में स्कूल खोलने के प्रयास का वर्णन कीजिए तथा बताइए कि आपको इससे क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर
कर्नाटक जाने पर लेखिका मृदुला गर्ग ने बागलकोट कस्बे में एक प्राइमरी स्कूल खोलने की कैथोलिक बिशप से प्रार्थना की परन्तु क्रिश्चयन जनसंख्या कम होने के कारण वे स्कूल खोलने में असमर्थ थे। लेखिका ने अनेक परिश्रमी लोगों की मदद से वहाँ अंग्रेजी, कन्नड़, हिन्दी तीन भाषाएँ पढ़ाने वाला स्कूल खोलकर उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलाई। लेखिका के इस कार्य से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ठान लेने पर कोई भी कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।

खण्ड ‘घ’ : लेखन
11. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 200-250 शब्दों का निबंध दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लिखिए- 10
(क)                                                                                भारत के गाँव
[संकेत बिंदु- 1. भारत की जनसंख्या 2. गाँव का मनोरम वातावरण 3. सामाजिक जीवन 4. परिश्रमी जीवन 5. प्रगति से पिछड़े 5. निष्कर्ष]

अथवा

(ख)                                                                          राजनीति और भ्रष्टाचार
[संकेत बिंदु-1. भूमिका 2. राजनीतिक में भ्रष्टाचार 3. राजनीतिक भ्रष्टाचार के दुष्परिणाम 4.उपसंहारा]

अथवा

(ग)                                                                            मेरी प्रिय पुस्तक सिंकेत
[संकेत बिंदु- 1. भूमिका 2.पुस्तक का नाम 4. पुस्तक की विशेषता 5. उपसंहार
उत्तर-
(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा प्रस्तुति
व्याख्यात्मक हल:
भारत की 70% जनसंख्या जनता गाँवों में रहती है। भारत की सच्ची तस्वीर गाँवों में ही देखी जा सकती है। हमारे कवियों ने गाँवों के अत्यन्त लुभावने चित्र खींचे हैं। किसी ने उन्हें भारत की आत्मा कहा तो किसी ने देश का हृदय-स्पंदन।

भारत के गाँव प्रकृति के झूले हैं। हरे-भरे खेत, झूमती सरसों, बरसता सावन, खुली हवा, सुगंधित हवा के झोंके, निर्दोष वातावरण, प्रदूषण से मुक्त रहन-सहन, शांत मनोरम, ऋतु-चक्र, कुकती कोयल, नाचते मोर, धन-धान्य से भरे खेत-खलिहान-यह है गाँव का मनोरम दृश्य। इन बातों को देखकर प्रत्येक व्यक्ति का मन गाँवों में बसने को करता

गाँवों का सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन भी अत्यन्त मनोहारी है। यहाँ के निवासी स्वभाव से सरल-हृदय, भोले और मधुर होते हैं। यही कारण है कि वे प्रकृति की हर लय पर नाचते-गाते और गुनगुनाते हैं। होली, दीपावली, तीज और त्योहारों पर ग्रामवासियों की मस्ती देखने योग्य होती है।

ग्रामवासी भाई-चारे के अटूट बंधन से बँधे होते हैं। इसलिए वे एक-दूसरे के सुखदुःख में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यहाँ की सामाजिक परम्पराएँ भी बहुत गीली हैंविवाह की रस्में, विदा के क्षण ग्रामवासियों की भावुकता को प्रकट करते हैं।

ग्रामीण जीवन परिश्रम का प्रतीक है। यहाँ निकम्मे, निठल्ले, व्यक्ति का क्या काम? यहाँ के परिश्रमी किसान सारे देश के लिए अन्न उपजाते हैं और मजदूर लोग बड़े-बड़े भवन, बाँध, सड़क, वस्त्र-उद्योग आदि को चलाने में अपनी सारी ताकत लगा देते हैं।

भारत के गाँव बहुत सुन्दर होते हुए भी प्रगति की दृष्टि से पिछड़े हुए हैं। यहाँ सड़कें, स्वच्छ जल, वैज्ञानिक सुख-साधन, संचार व्यवस्था, विकसित बाजार, शिक्षालय और चिकित्सालय नहीं हैं। यही कारण है कि सारी सुन्दरता के होते हुए भी वे उपेक्षित हैं। गाँवों को शहरों जैसा सुन्दर बनाने की चिन्ता किसी को नहीं है।
सौभाग्य से आज ग्रामीण जनता जाग उठी है। ग्रामीण प्रजा ने यह आवाज उठा दी है कि देश की प्रगति का केन्द्र अब गाँव होना चाहिए। केन्द्रीय सरकार ने गाँवों की समृद्धि पर पर्याप्त राशि लगाने का निर्णय लिया है। यह शुभ चिहन है। आशा है, शीघ्र ही गाँवों की धरती वैज्ञानिक सुख-साधन और उन्नत सुविधाओं से सम्पन्न होकर स्वर्गिक बन जाएगी।

अथवा

(ख)                                                                           राजनीति और भ्रष्टाचार
(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु ।
(3) भाषा प्रस्तुति
व्याख्यात्मक हल:
नैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक मूल्यों के विपरीत किया जाने वाला आचरण ही भ्रष्टाचार है। आज कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रहा है यहाँ तक कि हमारी राजनीति भी। इसकी (भ्रष्टाचार) सबसे गहरी जड़ें तो हमारी राजनीति में ही हैं। आज के नेता अपने स्वार्थ के लिए सामाजिक और राष्ट्रीय हितों की उपेक्षा कर रहे हैं। उनकी यह मनोवृत्ति देश के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध हो रही है।

प्राचीन काल में राजनीति शुद्ध एवं परिष्कृत थी। उसमें भ्रष्टाचार व संकुचित मानसिकता नहीं थी। नेता लोग अपने स्थान पर पूरे देश के विषय में सोचते थे। उनके लिए अपने सुख के साधन जुटाने के स्थान पर देश की जनता का सुख सर्वोपरि था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारा स्वतंत्र देश है। |

आज के समय में नेताओं में सत्ता को पाने की होड़ लगी हुई है। वे उसे प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसके लिए वे जनता को धर्म, साम्प्रदायिकता, जाति के नाम पर बाँटने से भी नहीं चूकते हैं। वे सत्ता को पाने के लिए जनता के हितों का भी ख्याल नहीं करते हैं।

आजकल सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। चाहे वह सरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र। प्रत्येक क्षेत्र का उच्च से निम्न अधिकारी इसमें लिप्त है। आज के समय में छोटे से छोटा काम भी इसी कारण होने से रुकता भी है और होता भी है।

राजनीति में भ्रष्टाचार के कारण देश की प्रगति अवरुद्ध हो रही है। जिससे देश का भविष्य संकट में आ गया है। इस दिशा में तत्काल प्रयास की आवश्यकता है। हमें भ्रष्टाचार को दूर करने के उपायों पर समवेत रूप से ध्यान देना होगा।

अथवा

(ग)                                                                                  मेरी प्रिय पुस्तक
(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा प्रस्तुति
व्याख्यात्मक हल:
पुस्तकें हमारे जीवन की मूल्यवान धरोहर हैं। ये हमें जीवन के मार्ग पर चलने की दिशा प्रदान करती हैं। ये एक अच्छे मित्र की भाँति सदा हमारे साथ रहकर हमारा मार्गदर्शन करती हैं। उन्हीं में से बहुमूल्य एवं ज्ञान वृद्धि में बहुत सहायक पुस्तक रामचरितमानस है जो स्वामी तुलसीदास जी की गरिमामयी कृति है। रामचरितमानस मेरी प्रिय पुस्तक है। यह ग्रन्थ अद्भुत और अद्वितीय है।

साधारण लोग इसे रामायण के नाम से जानते हैं। इस ग्रन्थ में स्थान-स्थान पर तुलसीदास जी के सहज नाटकीय रचना कौशल और सूझ-बूझ के दिग्दर्शन होते हैं।

रामचरितमानस का आरम्भ और अन्त संवाद से होता है। इसके मुख्य संवाद तीन हैं (1) उमा-शंभु संवाद, (2) गरुण काकभुशुण्डि संवाद तथा (3) याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद।

रामचरितमानस हिन्दी का ही नहीं अपितु समस्त विश्व साहित्य का गौरव ग्रन्थ है। यह सात काण्डों में विभक्त ग्रन्थ है (1) बालकाण्ड, (2) अयोध्या काण्ड, (3) अरण्य काण्ड, (4) किष्किन्धा काण्ड, (5) सुन्दर काण्ड, (6) लंका काण्ड और (7) उत्तर काण्ड ।।

काव्यात्मक सौन्दर्य की दृष्टि से यह अनुपम ग्रन्थ है। रामचरितमानस में मुख्यतः श्रृंगार, वीर और शान्त रसों का समावेश है। इसमें ज्ञान, भक्ति, शैव, वैष्णव, गृहस्थ और संन्यास का पूर्ण समन्वय मिलता है। इसके अतिरिक्त साहित्यिक दृष्टि से यह कृति हिन्दी साहित्य उपवन का वह कुसुमित फूल है जिसे सुंघते ही तन-मन में एक अनोखी सुगन्ध का संचार हो जाता है। यह ग्रन्थ दोहा चौपाई में लिखा महाकाव्य है। इस महाकाव्य का हर काण्ड भाषा, भाव आदि की दृष्टि से पुष्ट और उत्कृष्ट है और प्रत्येक काण्ड का आरम्भ और अन्त संस्कृत के श्लोकों से होता है। तत्पश्चात कथा फलागम की ओर बढ़ती है।

निश्चय ही ‘रामचरितमानस’ अपने कथासूत्र, नैतिक उद्देश्यों एवं राम जैसे आदर्श नायक के कारण पाठकों पर अपना अमिट प्रभाव डालने वाली पुस्तक है।

12. वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधे सूखते जा रहे है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए किसी समाचारपत्र के सम्पादक को पत्र लिखाइए।
उत्तर-
विषय-वन महोत्सव पर लगाये पौधों का सूखना
महोदय,
वृक्षारोपण समय की माँग है किन्तु सरकारी विभाग इसमें भी खानापूरी कर रहे हैं। इस वर्ष वन विभाग द्वारा जुलाई मास में वन महोत्सव मनाया गया और स्कूल, कॉलेजों के परिसरों में लगभग 10,000 पौधों को रोपण किया गया। खेद का विषय है। कि इन पौधों को रोपने के बाद उनकी देखभाल न तो वन विभाग ने की और न स्कूल-कॉलेजों ने, फलत: ये पौधे सूखने लगे हैं। यह सरकारी धन की बरबादी है।

मैं इस पत्र के माध्यम से सम्बन्धित अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करके यह अनुरोध करूंगा कि भविष्य में जहाँ भी पौधे लगाए जाएँ, उनमें पानी आदि देने की जिम्मेदारी का निर्वहन भी विभागीय स्तर पर किया जाए अथवा जिस परिसर में पौधारोपण किया गया है वहाँ के अधिकारियों को इनकी देखभाल का उत्तरदायित्व सौंपा जाय तभी वृक्षारोपण और वन महोत्सव का कार्यक्रम सफल
हो सकेगा।
आशा है सम्बन्धित अधिकारी इस ओर ध्यान देने का कष्ट करेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
अनिमेष
23, आनंद कुंज, सरिता विहार
आगरा
दिनांक: 12.10.20XX

13. सचिन के रिटायरमेंट को लेकर आपके और आपके दोस्त के बीच हुये संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिये।
शरद : अरे अमित! तू इस समय यहाँ, मुझे तो आश्चर्य हो रहा है?
अमित : क्यों में यहाँ आ नहीं सकता क्या ?
शरद : आ क्यों नहीं सकता, आ सकता है पर इस समय तो भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच चल रहा है। उसे छोड़कर तू यहाँ ? तू तो क्रिकेट मैच का दीवाना है।
अमित : सही कहा पर अब तो मजा नहीं आता क्योंकि टीम में सचिन तेंदुलकर नहीं है न।
शरद : हाँ यार ठीक कहा, सचिन आखिर सचिन है कल की सी बात है कपिल देव कप्तान था और 15-16 साल का स्कूल का छात्र सचिन पाकिस्तान के खिलाफ खेलने आया था।
अमित : हाँ और उसने क्रिकेट के लिये अपनी दसवीं की परीक्षा भी छोड़ दी थी, समय जाते देर नहीं लगती।
शरद : सही कहा। उसके रिटायर होने की घोषणा पर तू कितना रोया था। |
अमित : हाँ मित्र, मुझे बहुत दुःख हुआ था उसके जैसा महान क्रिकेटर सदियों में आता है। उसके रिटायरमेंट के बाद मेरा मन भी क्रिकेट से हट गया है। इसलिये मैं अब मैच नहीं देखता।

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