Download Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 5 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 10 Hindi board exam and Score More marks. Here we have given Hindi B Sample Paper for Class 10 Solved Set 5.

Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 10 Hindi B
Year of Examination – 2019.

Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 5

हल सहित सामान्य
निर्देश :

• इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ ।।
• चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
• यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |

खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
बचपन की मिठास और यौवन की मादकता हम सब चाहते हैं, पर बुढ़ापे के निविड़ अंधकार की भयावहता कोई नहीं चाहता। दुःख बड़ा हो या छोटा, । अच्छा नहीं लगता, पर सहना पड़ता है। जीवन का यह एक ऐसा कटु सत्य है। कि आज तक दुःख से कोई बचा नहीं। दुःख बिन बुलाए आ जाता है और सुख आग्रह करने पर भी रहता नहीं, चला जाता है। हम गए हुए सुख के लिए। तरसते हैं, आये हुए दुःख से घबड़ाकर बिलखते हैं और सुख पुन: आएगा, इस तृष्णा में जीते हैं। ऐसी दयनीय दशा है हमारी। सोचने की बात यह है कि दुःख वस्तुत: बुरा होता तो जीवन में आता क्यों? हमारी दैनिक अनुभूति के अनुसार तो दुःख जीवन का अभिशाप मालूम होता है। इसलिए कि अब तक हमने केवल दुःख को भोगा है, इसका कभी सदुपयोग नहीं किया, अन्यथा जीवन में क्रान्ति आ गई होती। दुःख स्वयं में न तो प्रशंसनीय है और न निंदनीय है। यदि हम दुःख के प्रभाव से प्रभावित होकर सचेत होते हैं तो दुःख भी वरदान है। कामना-पूर्ति में सुख का और कामना आपूर्ति में दुःख का भास होता है। आया हुआ दुःख सुख में भी दुःख का दर्शन करा दे, तो यह दुःख का प्रभाव है। दुःख का प्रभाव हमें सुख-दुःख के बन्धन से मुक्त करता है। दुःख के प्रभाव से चेतना जागती है, जिससे दुःख के कारण का पता चलता है। सुख के भोगी को दुःख भोगना ही पड़ता है। कामनापूर्ति को जीवन मान लेने पर कामना-आपूर्ति का घोर संताप भोगना पड़ता है। दुःख का भोगी दूसरों को दुःख देता है। जिस पर दुःख का प्रभाव हो जाता है, वह किसी को दुःख नहीं देता। वह तो पर-पीड़ा से करुणित ही होता है। दुःख से घबड़ाकर हम करणीय एवं अकरणीय कर्म कर बैठते हैं, परिणाम में कई गुना दुःख पाते हैं।
(क) जिस पर दुःख का प्रभाव हो जाता है, वह किसी को दुःख न देकर क्या करता है?
(ख) कौन बिन बुलाए आ जाता है?
(ग) जो व्यक्ति अपना सुख देकर दूसरों के दुःख को अपनाता है उसके जीवन में क्या बदलाव आता है?
(घ) कामनापूर्ति का अर्थ क्या है?
(इ.) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या है? 1
उत्तर-
(क) जिस पर दुःख का प्रभाव हो जाता है, वह किसी को दुःख न देकर दूसरों के दुःख से दुःखी हो जाता है।
(ख) दुःख बिन बुलाए आ जाता है।
(ग) जो व्यक्ति अपना सुख देकर दूसरों के दुःख को अपनाता है, उसके जीवन में ऐश्वर्य व माधुर्य आता है।
(घ) कामनापूर्ति का अर्थ इच्छा पूरी होना है।
(इ.) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘दुःख का सदुपयोग’ है।

2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
दर्द की परछाइयों के दानवी बंधन हटाना।
छटपटाती जिन्दगी की चेतना संगीत देना ।
विश्व को नवपंथ देना, हारने को जीत देना।।
आदमी हो, बुझ रहे ईमान को विश्वास देना।
मुसकराकर वाटिका में मधुभरा मधुमास देना।
शूल के बदले जगत को फूल की सौगात देना।
जो पिछड़ता हो उसे नवशक्ति देना, साथ देना।।
आदमी हो, डूबते मैंझधार में पतवार देना।
थक चला विश्वास साथी, आस्था आधार देना।
क्रांति का संदेश देकर राह युग की मोड़ देना।
फिर नया मानव बनाना, रूढ़ियों को तोड़ देना।।
आदमी हो, द्वेष के तूफान को हँसकर मिटाना।
कठ-भर विषपान करना, किन्तु सबको प्यार देना।
मेटना मजबूरियों को, दीन को आधार देना।
खाइयों को पाटना, बिछुड़े दिलों को जोड़ देना।।
(क) काव्यांश में बार-बार ‘आदमी हो’ क्यों कहा गया है?
(ख) ‘शूल के बदले फूल देना’ का क्या तात्पर्य है ?
(ग) जो पिछड़ रहा हो उसके साथ क्या करना उचित है?
उत्तर-
(क) काव्यांश में बार-बार ‘आदमी हो।’ यह मानवोचित काम करने का आग्रह करने के लिए कहा गया है।
(ख) ‘शूल के बदले फूल देना’ का तात्पर्य-दुःखों के बदले सुख देना है।
(ग) जो पिछड़ रहा हो उसके साथ नई शक्ति साथ लेकर चलना उचित है।

खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
3. शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण देकर शब्द और पद को समझाइए।
उत्तर-
ध्वनियों की स्वतंत्र, सार्थक इकाई शब्द कहलाती है।
उदाहरण – स्वतंत्रता (शब्द)
हमें स्वतंत्रता का मान रखना चाहिए। (पद)
व्याख्यात्मक हल :
शब्द वर्गों के मेल से बने स्वतंत्र सार्थक वर्ण समूह को शब्द कहते हैं। जैसे रमा
पद-वाक्य में प्रयुक्त होने पर शब्द ही पद कहलाता है। जैसे-रमा ने खाना खाया।

4. निर्देशानुसार वाक्य रूपातंरण कीजिए:
(क) वह फल खरीदने बाजार गया। वहाँ से फल लेकर आ गया। ( संयुक्त वाक्य में )
(ख) चाय पीने की यह एक विधि है। जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं। ( मिश्र वाक्य में )
(ग) भारतीय सैनिक ऐसे हैं कि कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता। ( सरल वाक्य में )
उत्तर-
(क) वह फल खरीदने बाजार गया और वहाँ से फल लेकर आ गया।

(ख) चाय पीने की यह एक विधि है जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।

अथवा

चाय पीने की जो यह एक विधि है जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं।

(ग) भारतीय सैनिकों की कोई बराबरी नहीं कर सकता।

5. (क) निम्नलिखित शब्दों का विग्रह करके हुए समास का नाम लिखिए :
(i) नीलकमल
(ii) घुड़साल :
(ख) निम्नलिखित शब्दों को समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए :
(i) नया जो आभूषण
(ii) गगन में विचरण करने वाले
उत्तर-
(क)
(i) नीला है जो कमल – कर्मधारय समास
(ii) घोड़े की साल / घोड़े के लिए शाला – तत्पुरुष
(ख)
(i) नवाभूषण – कर्मधारय समास
(ii) गगनचर – कर्मधारय समासः

6. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए :
(क) सावित्री सत्यवान की पत्नी रहीं।
(ख) प्रधानाचार्य छात्र को बुलाए।
(ग) वह अनुत्तीर्ण होकर परीक्षा में फेल हो गया।
(घ) मोहन ने सोया ।
उत्तर-
(क) सावित्री सत्यावान की पत्नी थीं / थी।
(ख) प्रधानाचार्य ने छात्र को बुलाया।
(ग) वह परीक्षा में अनुत्तीर्ण / फेल हो गया।

7. निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो:
मुठभेड़ होना, एक-एक शब्द को चाट जाना।
उत्तर-
अर्थ स्पष्ट करने वाले कार्यों पर पूरे अंक दिए जाएँ।
व्याख्यात्मक हल :
मुठभेड़ होना-पुलिस और डकैतों के बीच लगभग तीन घंटे मुठभेड़ हुई। एक-एक शब्द को चाट जाना-राधा परीक्षा के दिनों में पूरी किताब के एक-एक शब्द को चाट जाती है।

खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) शैलेन्द्र किस प्रकार के गीतकार थे?
(ख) ‘गिन्नी का सोना’ पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
(ग) सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
(क)
• जिंदगी के कवि थे, लोकगीत की आत्मा पहचानते थे।
• करुणा ही नहीं, जूझने की प्रेरणा भी।
(ख)
• शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने की भाँति खरे और मूल्यवान होते हैं।
• जिस प्रकार ताँबे के मेल से सोने की कीमत कम हो जाती है, उसी
प्रकार व्यवहारवादी लोग समाज के आदशों को गिराते हैं।
(ग)
• अवध की धन-संपत्ति पर अधिकार करना तथा अवध पर अपना
आधिपत्य बनाए रखना।
व्याख्यात्मक हल :
(क) शैलेन्द्र जिन्दगी के कवि व गीतकार थे। वे लोकगीतों की आत्मा को पहचानते थे, इसीलिए उनके गीतों में करुणा ही नहीं, बल्कि जूझने की प्रेरणा भी होती थी।

(ख) शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने के समान होते हैं क्योंकि इसमें मिलावट नहीं होती। व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई हैं, क्योंकि ताँबे के मिश्रण से सोने में चमक और मजबूती आती है। तथा उसकी उपयोगिता बढ़ती है। इसी प्रकार व्यावहारिकता के समावेश से आदर्श भी सुन्दर, मजबूत और व्यावहारिक रूप ले लेते हैं। जीवन में आदर्श के साथ-साथ व्यावहारिकता भी आवश्यक होती है।

(ग) सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का यह उद्देश्य था कि वह अवध की धन-संपत्ति पर अधिकार करना चाहता था तथा अवध पर अपना आधिपत्य बनाए रखना चाहता था।

9. ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या कुप्रभाव बताया गया है? अपने शब्दों में विस्तार से लिखिए।
उत्तर-
पर्यावरण पर कुप्रभाव
• पर्यावरण के संतुलन का बिगड़ना
• पशु-पक्षियों का आवास छिनना,
• मौसम-चक्र में असंतुलन – गर्मी में अधिक गर्मी, सर्दी में अधिक सर्दी, बेवक्त बरसातें।
• बाढ़, तूफान, जूलजला
• समुद्र का स्मिटनी ।
(उपर्युक्त विस्तार अपेक्षितं)
व्याख्यात्मक हल :
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा, जो आज हमारे सामने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के रूप में दिखाई दे रहा है। आबादी के बढ़ने पर मनुष्यों के आवास के लिए जंगलों का विनाश करके आवास बनाए गये जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया। बढ़ती हुई आबादी ने समुद्र को पीछे सरकाना शुरू कर दिया, पेड़ों को रास्तों से हटाना शुरू कर दिया है, फैलते हुए प्रदूषण ने पक्षियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया। बारूदों की विनाशलीलाओं ने वातावरण को सताना शुरू कर दिया। अब गरमी में ज्यादा गरमी, बेवक्त की बरसाते, तूफान, बाढ़, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाएँ और नये-नये रोग बीमारियों के रूप में मनुष्य को प्राप्त हो रहे हैं। बढ़ती आबादी के कारण प्रकृति का दोहन होने से वस्तुओं, पदार्थों की गुणवत्ता समाप्त हो चुकी है और महँगाई समस्या के रूप में खड़ी हुई है।

10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) सच्चे मन में ‘ईश्वर बसते है। इस भाव के संदर्भ में बिहारी के दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल’ में कवयित्री के दीपक से ज्वाला-कण कौन माँग रहे हैं और क्यों ?
(ग) ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि किससे और क्या प्रार्थना करता है? 1
उत्तर-
(क) • जैसे तपोवन में सभी तपस्वी आपसी प्रेम और आपसी सद्भाव से रहते है वैसे ही भयंकर गर्मी से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु आपसी शत्रुता भुलाकर प्रेम व सद्भाव से रहते हैं। |
• संदेश-पारस्परिक प्रेम व सद्भाव बढ़ाना।।
(ख) • ऐसे व्यक्ति जिनमें भक्तिभाव की ज्वाला जगी नहीं है।
• उनके भीतर ईश्वर से मिलने की तड़प और समर्पण का भाव जगाना चाहते हैं।
(ग) • ईश्वर से
• भयमुक्त होकर बाधाओं को दूर करने की शक्ति माँगता है। आत्मबल व पुरुषार्थ की कामना करता है।

(क) माला जपना, तिलक लगाना बाह्य आडंबर / दिखावा है। इससे ईश्वर प्राप्त नहीं होता। ईश्वर सच्चे मन, सच्ची श्रद्धा तथा निष्ठा और लगन से प्राप्त होता है।
व्याख्यात्मक हल :
बिहारी का मानना है कि बाहरी आडम्बरों से ईश्वर नहीं मिलते। माला फेरने, हल्दी चंदन का तिलक लगाने या छापै लगाने से एक भी काम नहीं बनता। कच्चे मन वालों का हृदय डोलता रहता है। वे ही ऐसा करते हैं। राम तो सच्चे मन से याद करने वाले के हृदय में रहते है। अत: हमें चाहिए कि सारे आडम्बर छोड़कर सच्चे मन से राम का नाम लें।

(ख) कवयित्री के दीपक से ज्वाला-कण ऐसे व्यक्ति माँग रहे हैं जिनमें भक्ति भाव की ज्वाला अभी जगी नहीं है। और ऐसे व्यक्तियों के अंदर कवयित्री ईश्वर से मिलने की तड़प और उनके भीतर समर्पण का भाव जगाना चाहती हैं।

(ग) ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने करुणामय ईश्वर से। प्रार्थना की है कि हे करुणामय मुझे विपदाओं से बचाओ, संकट के समय मैं कभी भयभीत न होऊँ। दुःखों पर मैं विजय प्राप्त कर सकें, बल और पुरुषार्थ नहीं हिले, हानि उठाने की क्षमता प्रदान करो। दुःख आने पर भी मैं आप पर कोई संशय नहीं करूं तथा सुखों में मेरा कल्याण करो।

11. ‘कर चले हम फिदा’ कविता में किस प्रकार की मृत्यु को अच्छा कहा गया है और क्यों? इससे कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर-
• देश की रक्षा करते समय होने वाली मृत्यु को अच्छा कहा गया है।
• देशभक्ति और बलिदान की भावना जगाने के लिए।
संदेश-देश के लिए समर्पण एवं बलिदान का।
(उपयुक्त विस्तार अपेक्षित)
व्याख्यात्मक हल :
कविता में युद्ध भूमि में लड़ते समय सैनिक की देश की रक्षा करते समय होने वाली मृत्यु को अच्छा कहा गया है। इससे कवि यह संर्देश देना चाहता है कि जब देश पर कोई विदेशी आक्रमणकारी चढ़ आया हो, तब हमें जी जान लगाकर देश की रक्षा करनी चाहिए। युद्ध में चाहे कितने भी संकट आएँ, मौत सामने आ जाए, तो भी हमें बलिदान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। और हमारे अन्दर देश के लिए समर्पण और बलिदान की भावना होनी चाहिए।

12. जीवन मूल्यों के आधार पर इफ्फन और टोपी शुक्ला के संबंधों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
• धार्मिक सदभावना
• आत्मीयता व सच्ची मित्रता का भाव
• सुख-दुख में सहभागी होना
• मनोभावों की समझना
• समस्याओं का मिलजुलकर समाधान करना।
(विस्तारपूर्वक उपयुक्त समीक्षा पर अंक दिए जाएँ)
व्याख्यात्मक हल :
राही मासूम रजा की कहानी टोपी शुक्ला में टोपी का एक मित्र है-इफ्फन। वह टोपी का जिगरी दोस्त था। टोपी की कहानी समझने के लिए इफ्फन के बारे में जानना आवश्यक है। राही मासूम रजा लिखते हैं कि-टोपी, इफ्फन की परछाई है। दोनों ही आजाद प्रवृत्ति के हैं। दोनों ही अपनेपन की तलाश में भटकते नजर आते हैं। दोनों का विचार है कि प्रेम न जाने जात-पाँत, प्रेम न जाने खिचड़ीभात। दोनों ही जिसके आँचल में बैठकर स्नेह पाते हैं, उसके रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज के बारे में कभी कुछ नहीं सोचते हैं। सामाजिक हैसियत को अपने प्रेम में आड़े नहीं आने देना चाहते, यद्यपि टोपी के पिता जाने-माने डाक्टर हैं उसका भरा-पूरा परिवार है, घर में किसी चीज की कमी नहीं है फिर वह इफ्फन की हवेली की ओर बरबस खिंचा चला जाता है।

खण्ड ‘घ’ : लेखन
13. दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
(क) मेट्रो रेल : महानगरीय जीवन का सुःखद सपना
• महानगर की भीड़ और यातायात समस्या
• मेट्रो रेल से लाभ
• विस्तार की आगामी योजनाएँ
(ख) अपनी भाषा प्यारी भाषा
• अपनी भाषा का परिचय
• प्यारी क्यों है?
• अन्य भाषाओं से मेल
(ग) कमर तोड मॅहगाई या मॅहगाई : एक विकट समस्या
• मॅहगाई का कारण
• माँग और आपूर्ति में अन्तर
• सरकारी नीति
• बढ़ती मैंहगाई के दुष्परिणाम
उत्तर-
(क)                                       मेट्रो रेल : महानगरीय जीवन का सुखद सपना
महानगरों का जीवन बहुत कठिन होता है। इसके निवासियों को रोज लम्बी दूरियाँ तय करनी पड़ती हैं। भारत के महानगर इतने घने, संकुल और भीड़-भरे हैं कि सड़क को पार करना भी पहाड़ हो जाता है। ऐसे में हर व्यक्ति आवागमन के तीव्रतम और सुविधाजनक साधन को अपनाना चाहता है। रेलवे चाहकर भी इस समस्या का समाधान नहीं कर सकता।

रेलवे एक नगर को दूसरे नगर से तो जोड़ सकता है किन्तु हर दो मिनट में हर दो किलोमीटर के बाद यात्रियों को उतारना-चढ़ाना उसके वश की बात नहीं है। उसके लिए मेट्रो रेल का आविष्कार हुआ। मेट्रो रेल महानगरों के यातायात का तीव्रतम साधन है। इसके मार्ग सुरक्षित तथा अबाधित हैं। इनके मार्ग में कहीं कोई रेलवे फाटक या अन्य अवरोध नहीं आता। इसलिए मेट्रो रेल हर दो-तीन मिनट बाद आती है और यात्रियों को अपने गंतव्य तक ले जाती है। यह आधुनिक तकनीक और साज-सज्जा से युक्त है। इसके सभी डिब्बे वातानुकूलित हैं और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। बैठने तथा खड़े होने की व्यवस्था अत्यंत स्वच्छ और सुन्दर है। इसमें यदि खड़े-खड़े यात्रा करनी पड़े तो भी बुरा नहीं लगता। दिल्ली जैसे भीड़-भाड़ भरे क्षेत्र में, जहाँ आदमी का पैदल चलना भी कठिन है, मेट्रो रेल का होना एक
सपने जैसा है। परन्तु यह सपना अब वास्तविकता बन चुका है।

(ग) अपनी भाषा प्यारी भाषा
• विचारों की मौलिकता
• प्रस्तुति
• विषयानुकूल भाषा
व्याख्यात्मक हल :
भाषा के द्वारा मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है। अपनी बात को कहने के लिए और दूसरे की बात को समझने के लिए भाषा एक सशक्त साधन है।

जब मनुष्य इसी पृथ्वी पर आकर होश सम्भालता है, तब उसके मातापिता उसे अपनी भाषा में बोलना सिखाते हैं। इस तरह भाषा सिखाने का यह काम लगातार चलता रहता है। प्रत्येक राष्ट्र की अपनी अलग-अलग भाषाएँ होती हैं, लेकिन उनका राजकार्य जिस भाषा में होता है और जनसम्पक की भाषा होती है उसे ही राष्ट्र-भाषा का दर्जा प्राप्त होता है।

हर भाषा की अपनी अहमियत होती है, फिर भी मातृभाषा हमें सबसे प्यारी है, क्योंकि उसी जुबान में हम बोलना सीचाते हैं, बच्चा सबसे पहले माँ ही बोलता है। इसलिए भी मातृभाषा हमें सबसे ज्यादा प्रिय होती है।

भारत में अनेक राज्य हैं। उन राज्यों की अपनी अलग-अलग भाषाएँ हैं। इस प्रकार भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है, लेकिन उसकी अपनी एक राष्ट्र भाषा है-हिन्दी। 14 सितम्बर, 1949 को हिन्दी को यह गौरव प्राप्त हुआ। 26 जनवरी, 1950 को भारत का अपना सविधान बना। हिन्दी को । राजभाषा का दर्जा दिया गया। यह माना कि धीरे-धीरे हिन्दी अंग्रेजी का स्थान ले लेगी और अंग्रेजी पर हिन्दी का प्रभुत्व होगा।
(ग)                                                    महँगाई : एक विकट समस्या
वर्तमान समय में निम्न-मध्यम वर्ग महँगाई की समस्या से त्रस्त है। महँगाई भी ऐसी, जो रुकने का नाम ही नहीं लेती, यह तो सुरसा के मुख तरह बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का महँगाई पर कोई नियन्त्रण रह ही नहीं गया है। महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं। उत्पादन में कमी तथा माँग में वृद्धि होना महँगाई का प्रमुख कारण है। कभी-कभी सूखा, बाढ़ तथा अतिवृष्टि जैसे प्राकृतिक प्रकोप भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं। वस्तुओं की जमाखोरी भी महँगाई बढ़ने का प्रमुख कारण है।

जमाखोरी से शुरू होती है कालाबाजारी, दोषपूर्ण वितरण प्रणाली तथा अंधाधुन्ध मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति। सरकारी अंकुश का अप्रभावी होना भी महँगाई तथा जमाखोरी को बढ़ावा देता है। सरकार अखबारों में तो महँगाई कम करने की बात करती है पर वह भी महँगाई बढ़ाने में किसी से कम नहीं है। सरकारी उपक्रम भी अपने उत्पादों के दाम बढ़ाते रहते हूँ|

मैंहगाई रोकने के लिए सरकार को कड़े प्रयास करने होंगे। बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगानी होगी। कल-कारखानों में उत्पादन बढ़ाना होगा। पूँजीपतियों का लाभ निर्धारित करना होगा। मुनाफाखारों के विरुद्ध कड़े कदम उठाने होंगे।

इस जानलेवा महँगाई ने आम नागरिकों की कमर तोड़कर रख दी है। अब उसे दो जून की रोटी जुटाना तक कठिन हो गया है। पौष्टिक आहार का मिलना तो और भी कठिन हो गया है। महँगाई बढ़ने का एक कारण यह भी है कि हमारी आवश्यकताएँ तेजी से बढ़ती चली जा रही हैं, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम किसी भी दाम पर वस्तु खरीद लेते हैं इससे जमाखोरी और महँगाई को बढ़ावा मिलता है।

महँगाई को सामान्य व्यक्ति की आय के सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए। महँगाई के लिए अंधाधुन्ध बढ़ती जनसंख्या भी उत्तरदायी है। इस पर
भी नियन्त्रण करना होगा।

14. पोस्ट मास्टर जनरल को पत्र लिखकर अपने मुहल्ले में डाक संबंधी सुविधा के लिए एक पोस्ट ऑफिस खुलवाने का अनुरोध कीजिए।

अथवा

आपके क्षेत्र का पोस्टमैन समय पर डाक नहीं पहुँचाता है, इसकी शिकायत करते हएअधीक्षक को पत्र लिखिए।
उत्तर-
• प्रारूप
• विषय-वस्तु
• विषयानुकूल भाषा
व्याख्यात्मक हल :
ग्राम खदौली
आगरा
सेवा में,
पोस्टमास्टर जनरल महोदय
प्रधान डाकघर
आगरा,
विषय-मुहल्ले में डाक संबंधी सुविधा के लिए पोस्ट ऑफिस खुलवाने के लिए पत्र
होदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र में डाक संबंधी सुविधा के लिए आकर्षित करना चाहता हूँ। मैं खंदौली क्षेत्र का निवासी हूँ यहाँ निवदेन क्षेत्र से दूर रामबाग में पोस्ट ऑफिस है जो कि हमारे क्षेत्र से बहुत दूर हैं। जिससे लोगों को बहुत परेशानी होती है। अतः आपसे है कि आप इस क्षेत्र में एक पोस्ट ऑफिस खुलवाने की कृपा करें।
मैं इस सराहनीय कार्य के लिए हमेशा आपका आभारी रहूँगा। भवदीय
अ.ज.स.
दिनांक- 20.5..

अथवा

सेवा में
अधीक्षक महोदय
प्रधान डाकघर
आगरा
विषय : अनियमित डाक वितरण में सुधार हेतु
मान्यवर,
प्रार्थना है कि मैं कैलाश मोड़, सी, जनकपुरी का निवासी हूँ। मैं अपने इस पत्र के माध्यम से अपने क्षेत्र की डाक-वितरण की अनियमितताओं की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ।

श्रीमानजी, गत दो सप्ताह से हमारे इस क्षेत्र में डाक का वितरण सुचारु रूप से नहीं हो पा रहा है। इस कॉलोनी में चार मंजिले मकान हैं। पोस्टमैन डाक को नीचे जीने में ही फेंक देता है या जीने के सामने खड़े बच्चों के हाथ में पकड़ा देता है जिससे अनेक बार महत्वपूर्ण पत्र भी सम्बन्धित व्यक्तियों को नहीं मिल पाते।।

पत्रों के वितरण में विलम्ब की शिकायत भी देखी गई है। डाक वितरण की व्यवस्था दिन में दो बार की है लेकिन इस क्षेत्र में दिन में एक बार ही यदि पोस्टमैन के दर्शन हो जाएँ तो बड़ी बात है। कभी-कभी तो पूरे सप्ताह पोस्टमैन के दर्शन नहीं होते।

यह भी देखा गया है कि हर त्यौहार में पोस्टमैन लोगों को पुरस्कार देने को बाध्य करता है, ऐसा न करने पर पुरस्कार न देने वालों के पत्र गड़बड़ कर देता है। डाक वितरण की शिकायत केवल मेरी ही नहीं, अपितु इस क्षेत्र के सभी निवासियों की है। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि सम्बन्धित पोस्टमैन को उचित निर्देश देकर इस क्षेत्र में डाक-वितरण को सुचारु बनाने का कष्ट करें। आपकी बड़ी कृपा होगी।
सधन्यवाद।
भवदीय
अ.ब.स.
सचिव,
जनकपुरी, कल्याण समिति, 6-सी, जनकपुरी।
दिनांक- 20.5……

15. विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में साहित्यिक क्लब के सचिव की ओर से विद्यालय सूचना पट के लिए लिखिए। 5
उत्तर-
• प्रारूप एवं प्रस्तुति
• विचारों की मौलिकता
• विषयानुकूल भाषा

विकास आरती स्क्कूल, आगरा
सूचना

दिनांक 15नबम्बर, 20XX

व्याख्यात्मक हल :
सभी छात्र-छात्राओं को सूचित किया जाता है कि सोमवार दिनांक 15 नबम्बर, 20XX को विद्यालय में साहित्यिक क्लब की ओर से वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। इच्छुक विद्यार्थी जो इस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं, वे अपनी कक्षाध्यापिका के पास नाम लिखवा दें ।
संजय मोहन                                                                                                      रामप्रकाश
प्रधानाचार्य                                                                                                         सचिव
विकास भारती स्कूल, आगरा                                                                            साहित्यिक कलब, आगरा

16. पुस्तक मेले में जाने के लिए उत्सुक पुत्री और माँ के बीच संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
• प्रस्तुति
• विचारों की मौलिकता
• विषयानुकूल भाषा
व्याख्यात्मक हल

पुत्री और माँ के बीच संवाद

पुत्री – माँ, कोठी मीना बाजार में पुस्तक मेला लगा है।
माता – कया करू? ।।
पुत्री – आप मेला मेरे साथ चलें, वहाँ बहुत ही भीड़ होती है।
माता – कितने दिन तक मेला लगा है?
पुत्री – एक सप्ताह के लिए लगा है।
माता – कौन-सी पुस्तकें तुम्हें खरीदनी हैं?
पुत्री – माँ, मुझे ज्ञानवर्धक पुस्तकें, सामान्य ज्ञान, विज्ञान आदि की पुस्तकें लेनी हैं।
माता – अब तो शाम हो गयी हैं, कल चलेंगे।
पुत्री – ठीक है माँ, कल अवश्य चलेंगे। ऐसी पुस्तकें पढ़ने से ज्ञान मिलता है।
माता – ठीक है।

17. विद्यालय के ‘रंगायन’ द्वारा प्रस्तुत नाटक के बारे में नाम, पात्र, दिन, समय, टिकट-दर आदि की सूचना देते हुए एक विज्ञापन का आलेख लगभग 25 शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
• प्रस्तुति
• विचारों की मौलिकता
• विषयानुकूल भाषा
व्याख्यात्मक हल :

विद्यालय में गंगायन द्वारा प्रस्तुत नाटक के बारे विज्ञापन
रंगायन द्वारा प्रस्तुति

जीवन के रंग

हास्य नाटक                                                                                               10:00 बजे
टिकट उपलब्ध है : XXXX.Com                                                               10 मार्च
टिकट के लिए यहाँ कॉल कीजिए,                                                               रामदयाल
निर्देशित                                                                                                    ऑडिटोरियम
विमल कुमार
मुख्य कलाकार : नजीर, हाँजा, सुशील, राम
टिकट दर : 100, 200, 500, 1000,

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