NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Chapter 5 अहो! राजते कीदृशीयं हिमानी (अहा! कैसी सुशोभित है यह हिम-घाटी)

पाठपरिचयः सारांशः च

पाठ परिचय
विद्यालय की वार्षिक परीक्षा में पर्वतारोही छात्रों के चित्र दिखाए गए, जिन्हें देखकर सभी छात्र आश्चर्यचकित होकर शिक्षकों के पास आकर उनसे उस यात्रा का वृत्तान्त जानने हेतु अनुरोध करने लगे। शिक्षकों ने उनके आग्रह को स्वीकार करके लेह-लद्दाख यात्रा का रोमांचकारी वर्णन प्रस्तुत किया। उस अनुभव को सुनकर सबको यह लगने लगा कि दृढ़ संकल्प करनेवाले व्यक्तियों के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है। लेह-लद्दाख का प्रदेश एक हिमानी के रूप में है अर्थात् वह एक बर्फ का ढेर है और बहुत ही सुन्दर है। इसीलिए इस पाठ को नाम दिया गया है-‘अहो, राजते कीदृशीयं हिमानी’ अर्थात् यह बर्फ की घाटी कैसी सुन्दर लगती है।

‘लद्दाख’ यह शब्द ‘ला डैग्स’ इन दो शब्दों के मेल से बना है, जिसका अर्थ है-उच्चतम पर्वतीय घाटी (अर्थात् दर्रा)। जम्मू तथा कश्मीर प्रदेश में पूर्व के भाग में समुद्रतट से 11000 फुट की ऊँचाई पर यह भाग है। मनाली-लेहमार्ग विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा मार्ग है। यह 480 किलोमीटर विस्तृत हे तथा साल में आठ महीने तक बर्फ से ढका रहता है। ऑक्सीजन की मात्रा भी लेहमार्ग में कम हो जाती है। लेह तथा रूपश क्षेत्र प्रसिद्ध हैं। 17वीं शताब्दी में नांग्याल साम्राज्य की राजधानी लेह में थी। लेह स्थित शान्तिस्तूप की स्थापना 1985 ईसवीय वर्ष में महाभाग दलाईलामा महोदय ने किया था। यहाँ पर ही ‘स्वास्तिक’ नाम का सबसे प्राचीन बौद्धमठ स्थित है। नरांपा गुफा का मुख काँच की दीवार से बन्द रहता है। यहीं काश्मीरी योगी निरोपा ध्यान लगाया करते थे। रूपश क्षेत्र 14432 फुट ऊँचा है। यहाँ त्सो मोरीरि सर नामक तालाब 15×5 मील विस्तृत है। जंगली गधा तथा नीले रंग का बकरा यहाँ पर ही देखा जा सकता है।

पाठ-सन्दर्भ
स्वाभाविक ही विद्यालय के उन शिक्षकों द्वारा छात्रों के साथ बातचीत में जो प्रसंग आए वही यहाँ संस्कृत भाषा में प्रस्तुत हैं। निश्चय ही ये वर्णन हमारे हृदय में कष्टसहिष्णुता तथा त्याग की भावना को दृढ़ करनेवाले हैं।

पाठ-सार
छात्र विद्यालय की पत्रिका में चित्र देखते है। कविता के पूछने पर शिक्षिका उत्तर देती है कि गत वर्ष बारहवीं कक्षा के छात्र-छात्राएँ मेरे ही संरक्षण में लेह-लद्दाख नगर गए थे। उनके ये चित्र हैं। ममता को लगता है कि यह अभियान बहुत रोचक व साहसिक था। शिक्षिका प्रक्षेपक यन्त्र (Projecter) के माध्यम से सभी छात्रों के सम्मुख इसका प्रदर्शन करती है। सभी छात्र यथास्थान बैठ जाते हैं। विपुल हिमराशि से सफेद पर्वत की सुन्दरता का वर्णन विजय करने लगता है। शिक्षिका बताती है कि यह लद्दाख पर्वत है। वन्दना लद्दाख का अर्थ पूछती है तो शिक्षिका कहती है-लद्दाख का अर्थ है-उच्चस्तरीय पर्वतीय घाटी (उपत्यकाभूमि)। श्यामा ने सुना था कि इसी लद्दाख मार्ग से तिब्बत में बौद्ध धर्म का प्रवेश हुआ। शिक्षिका कहती है कि लद्दाख में फैला नीला आकाश छत्र जैसा लग रहा है।

एक रेखा उस घाटी को बाँट रही है, वह वस्तुतः सिन्धु नदी है। गर्मी के मौसम में यह नीले रंग की भूमि बालुका (रेत) के उड़ने के कारण धूसर वर्ण की हो जाती है। प्रकृति के पूछने पर शिक्षिका उन्हें सेंग्ये नामक राजमहल, लेहनाटक पर्यटनस्थल बताती है। वहाँ स्थित बौद्धधर्म का प्रसिद्ध व प्राचीन श्वेत स्तूप है जो रात में दीपों की ज्वाला से शान्ति का सन्देश बिखेरता है। अनुपम के पूछने पर शिक्षिका बड़े-बड़े मठ दिखाती है जो सिन्धु नदी के पूर्व में तथा लेह के दक्षिण-पूर्व में है। शे, थिक्शे हेमिस तथा स्तावना नाम के मठ दिखाकर शिक्षिका स्टाकपैलेस नामक महल भी दिखाती है। मठों की विशालता व भव्यता हमें आकर्षित करती है।

यहाँ भगवान् बुद्ध की सत्रहवीं शताब्दी की विशालकाय मूर्ति तथा पुरातत्व सम्बन्धी चित्र पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं। लद्दाख के राजमहल के अन्दरूनी भाग में एक ‘स्टाकपैलेस संग्रहालय’ नामक संग्रहालय है जिसमें 77 कमरे हैं। विशाल के पूछने पर शिक्षिका बौद्धों के सामाजिक जीवन के बारे में बताती है। बौद्ध बड़े उत्सव प्रिय होते हैं। उनका गम्पा नाम का वार्षिक उत्सव तथा लामायारू फियांग व ताह थोक नामक ग्रीष्मऋतु के उत्सव दर्शनीय हैं। मठों पर उत्कीर्ण लेख व भित्तिलेख तिब्बती शैली के परिचायक हैं।

अन्त में शिक्षिका प्रणव के पूछने पर वहाँ के प्राकृतिक स्थलों का उल्लेख भी करती है। कारगिल में आक्रमणकारियों को हटाने हेतु भारतीयों द्वारा जो वीरता प्रकट की गई थी वह प्रदेश भी यहीं पर है। द्रास, जान्सकार तथा सुरू इसी घाटी में हैं। सर्दियों में तो बहुत बर्फ पड़ती है जो पिघलकर गर्मियों में भूमि सींचने में सहायक होती है। पर्वतारोहण के लिए लिकिर व स्टाक नामक स्थल हैं। ग्रीष्म में पर्वतारोही यहाँ प्रायः दिखाई देते हैं। जमी हुई बर्फ की शोभा निहारते हैं। महाकवि कालिदास द्वारा इसकी सुन्दरता की महिमा का वर्णन निम्न रूप में है –

अनन्तरत्नप्रभवस्य यस्य,
हिमं न सौभाग्यविलोपि जातम्।
एको हि दोषो गुणसन्निपाते
निमज्जतीन्दोः किरणेष्विवाङ्कः।।

काव्यार्थ –
अनन्त रत्नों का प्रभव हिमालय
हिम से न जिसका सौभाग्य घटता।
गुण समूह में इक दोष न दिखता,
ज्यों चन्द्रकिरणों में कलंक छिपता।

उद्देश्य-प्रस्तुत पाठ का उद्देश्य छात्रों में यात्रावर्णन के माध्यम से हिमालय के सौन्दर्य के प्रति आकर्षण पैदा करना है ताकि वे लेह-लद्दाख की दुर्गम घाटियों में यात्रा करने का साहस जुटा पाएँ।

मूलपाठः, शब्दार्थः, सरलार्थश्च

1. (छात्राः विद्यालयस्य पत्रिकायां चित्राणि पश्यन्ति)
कविता – मान्ये, किम् एतानि चित्राणि पर्वतारोहणस्य सन्ति?
शिक्षिका – आम्! गतवर्षे द्वादशकक्षायाः छात्राः मम संरक्षकत्वे लेह-लद्दाखनगरं प्रयाताः।
ममता – चित्राणि वीक्ष्य प्रतिभाति यत् इदम् अभियानम् अतीव रोचकम् साहसिकं चासीत्।
शिक्षिका – नास्ति संदेहः। किं प्रक्षेपकमाध्यमेन तत् सर्वं यात्रावृतं द्रष्टुं वाञ्छथ?
उभे – आम्, अस्माकं कक्षायाः सर्वे छात्राः द्रष्टुम् उत्सुकाः।
शिक्षिका – शोभनम्। उपविशत। अहं प्रक्षेपकेण दर्शयामि।

शब्दार्थः, पर्यायवाचिशब्दाः टिप्पण्यश्चः- मान्ये-मान्या, सम्बोधन, एकवचन, हे माननीया। पर्वतारोहणस्य-पर्वतस्य आरोहणम्-पर्वतारोहणम् तस्य, पर्वत पर आरोहण के। द्वादशकक्षायाः-बारहवीं कक्षा के। संरक्षकत्वे-संरक्षण में। प्रयाता:प्र + या + क्त, प्रथमा, बहुवचनम्, पर्यटन हेतु गये थे। वीक्ष्य-वि + ईक्ष् + ल्यप्, अवलोक्य, देखकर। प्रतिभाति-प्रतीयते, प्रतीत होता है। अभियानम्-अभि + या + ल्युट, अभियान। साहसिकम्-साहस + ठक्, साहसपूर्णम्य, हिम्मत से भरा। चासीत्-च + आसीत्, था। प्रक्षेपकमाध्यमेन-प्रक्षेपक की सहायता से। दर्शयामि-दृश् + णिच् + लट् + प्रथम पु०+ ए० व०, अवलोकयामि, दिखाती हूँ।

सरलार्थ –
(छात्र-छात्राएँ विद्यालय की पत्रिका में चित्र देखते हैं/देखती हैं।)
कविता – हे माननीया, क्या ये चित्र पर्वतारोहण के हैं?
शिक्षिका – हाँ, गत वर्ष बारहवीं कक्षा की छात्राएँ मेरे संरक्षण में लेह-लद्दाख नगर में गई थीं।
ममता – चित्रों को देखकर प्रतीत होता है कि यह अभियान अति रोचक एवं साहसपूर्ण था।
शिक्षिका – (इसमें) संशय नहीं है। क्या प्रक्षेपक के माध्यम से वह सब यात्रा वृत्तान्त आप सब देखना चाहती हैं।
दोनों (कविता – हाँ, हमारी कक्षा की सब छात्राएँ देखने को उत्सुक हैं। व ममता)
शिक्षिका – अच्छा। बैठो। मैं प्रक्षेपक से दिखाती हूँ।

2. (सर्वे कक्षायां यथास्थानम् उपविशन्ति, प्रक्षेपकं संचलति)
विजयः – अहो। विपुलहिमराशिना धवला एते लद्दाखप्रदेशीया गिरयः अतीव शोभन्ते।
वन्दना – आचार्ये, किं लद्दाख-शब्दस्य कश्चिद् विशिष्टोऽर्थः?
शिक्षिका – शोभनः प्रश्नः। शृणुत, उत्तुङ्गपर्वतानाम् उपत्यकाभूमिम् लद्दाख इति वदन्ति।
श्यामा – एवम्। श्रूयते यत् लद्दाखमार्गेणैव तिब्बतक्षेत्रे बौद्ध-धर्मस्य प्रवेशः अभवत्।
शिक्षिका – सत्यम्। पश्यन्तु कथं लद्दाखे आस्तृतः नीलाकाशः छत्रवत् प्रतीयते। अपरं पश्यत-उपत्यकायां चित्रेऽस्मिन् या रेखा प्रतिभाति, सा उपत्यकां विभजन्ती सिन्धुनदी अस्ति। ग्रीष्मे नीलवर्णा भूमिः धूसरवर्णा जायते, यतः बालुका उड्डीय सर्वां भूमिम् आवृणोति।

शब्दार्थः, पर्यायवाचिशब्दाः टिप्पण्यश्चः- यथास्थानम्-स्थानम् अनतिक्रम्य, अव्ययीभाव समासः, स्थानानुसारम्, अपने-अपने स्थान पर। गिरयः-गिरि, प्रथमा, बहुवचनम्, पर्वताः, पर्वत। उपत्यका-घाटिका, पर्वतचरणे शृंखलामध्ये भूमिः, घाटी। आस्तृतः-आ + स्तृ + क्त, पुं० प्र०, ए०व०, विस्तृतः, फैला हुआ। विभजन्ती-वि + भज् + शतृ, स्त्री० प्र०, ए०व०, विभागं कुर्वती, विभाजित करती हुई। उड्डीय-उत् + डी + ल्यप्, उड्डयनं कृत्वा, उड़कर करती हुई। आवृणोति-आ + √वृ + लट्, प्र०, ए० व० ढक लेती है।

सरलार्थ –
सब कक्षा में अपने-अपने स्थान पर बैठ जाते हैं, शिक्षिका प्रक्षेपक को चलाती है।
विजय – अरे, विशाल बर्फ के समूह से सफेद बने ये लद्दाख प्रदेश के पर्वत अत्यन्त शोभादायक हैं।
वन्दना – आगार्या जी, क्या लद्दाख शब्द का कोई विशेष अर्थ है?
शिक्षिका – अच्छा प्रश्न है। सुनो, ऊँचे पर्वतों की घाटी को लद्दाख कहते हैं।
श्यामा – ऐसा ही है। सुना जाता है कि लद्दाख के रास्ते से ही तिब्बत के क्षेत्र में बौद्धधर्म का प्रवेश हुआ था।
शिक्षिका – सच है। आप देखिए, कैसा लद्दाख में फैला हुआ नीला आकाश छतरी के समान प्रतीत हो रहा है। और देखो-घाटी में इस चित्र में जो रेखा दिखाई दे रही है वह उपत्यका (घाटी) को बाँटती हुई सिन्धु नदी है। ग्रीष्म में नीले रंग की भूमि धूसर वर्ण की (धूमिल) हो जाती है क्योंकि बालू रेत उड़कर सब भूमि पर छा जाता है।

3. प्रकृतिः – महोदये। चित्रे दृश्यमानानि कानि एतानि स्थलानि?
शिक्षिका – एषः ‘सेंग्ये’ नाम राजप्रासादः। इदं ‘लेह’ इत्यभिधानेन प्रसिद्ध पर्यटनस्थलम्। एषः बौद्धधर्मस्य प्रसिद्धः प्राचीनश्च श्वेतस्तूपः। अयं स्तूपः रात्रौ दीपेषु प्रज्वलितेषु भव्यम् आलोक वितरति शान्तिं च संदिशति।
अनुपमः – मान्ये! दीर्घ-दीर्घाणि एतानि स्थानानि किं मठाः सन्ति?
शिक्षिका – समीचीनम् उक्तम्। सिन्धुनद्याः पूर्वतः लेहनगरस्य दक्षिणपूर्वभागे “शे, थिक्शे, हेमिस, स्ताक्ना, माठो” नामानः एते प्रख्याता बौद्धमठाः सन्ति। “स्टाकपैलेस” इत्याख्यः प्रासादोऽपि अत्रैव वर्तते।

शब्दार्थः, पर्यायवाचिशब्दाः टिप्पण्यश्चः- दृश्यमानानि-दृश् + शानच् नपुं०, प्र०, ब० व०, प्रदर्शितानि, दिखाए जा रहे हैं। प्रख्याता-प्र + √ख्या + क्त, पुं०, प्र०, ब०व०, प्रसिद्धाः, प्रसिद्ध। संदिशति-सम् + दिश्, लट्, प्र०पु०, ए०व०, प्रयच्छति, देती है। समीचीनम्-उचितम्, सत्यम्, ठीक। वितरति-वि + √तृ, लट् प्र० पु०, ए० व०।

सरलार्थ –
प्रकृति – हे महोदये! चित्र में दिखाए जा रहे ये कौन से स्थान हैं?
शिक्षिका – यह सेंग्ये नाम का राजमहल है। यह लेह नाम से प्रसिद्ध पर्यटनस्थल है। यह बौद्धधर्म का प्रसिद्ध तथा प्राचीन श्वेतस्तूप है। यह स्तूप रात में जलते दीपों में सुन्दर प्रकाश बिखेरता है और शान्ति का सन्देश देता है।
अनुपमा – हे मान्ये! बड़े लम्बे-चौड़े ये स्थान क्या मठ हैं?
शिक्षिका – ठीक कहा। सिन्धु नदी के पूर्व में लेह नगर के दक्षिण-पूर्व भाग में ‘शे, थिक्शे, हेमिस, स्ताक्ना, माठो’ नाम के ये प्रसिद्ध बौद्ध मठ हैं। स्टाकपैलेस नाम का महल भी यहीं है।

4. अनामिका – महोदये! बौद्धमठेषु किं किम् अवलोकितं भवत्या? ज्ञातुमिच्छामः।
शिक्षिका – मठानां विशालता भव्यता च प्रेक्षकान् प्रसभम् आकर्षतः। भगवतो बुद्धस्य सप्तदशशताब्द्याः विशालकाया मूर्तिः पुरातत्त्वसम्बन्धीनि चित्राणि पर्यटकानाम् आकर्षणकेन्द्रम्। लद्दाखस्थितराजप्रासादस्य आन्तरिके भागे एको विशालः ‘स्टाकपैलेस संग्रहालयो वर्तते, यस्मिन् सप्तसप्ततिः कक्षाः सन्ति।
विशालः – आचार्य। बौद्धानां सामाजिकजीवनं कीदृशम्? किं तेऽपि उत्सवप्रिया:?
शिक्षिका – मानवः स्वभावाद् एव उत्सवप्रियः। बौद्धानां ‘गम्पा’ नाम वार्षिकोत्सवः शीते आयाति। ‘लामायारु’ ‘फियांग’, ‘ताहथोक’ आदीनि ग्रीष्मपर्वाणि भगवन्तं बुद्ध प्रति भक्तिभावं दर्शयन्ति। मठेषु उत्कीर्णा लेखा भित्तिलेखाश्च तिब्बत-शैल्याः परिचायकाः।

शब्दार्थः, पर्यायवाचिशब्दाः टिप्पण्यश्चः- आकर्षतः – आ + कृष्, लट्, प्रथम, द्विवचनम्। सप्तसप्ततिः – 771 कक्षा:- भागाः, कमरे।

सरलार्थ –
अनामिका – महोदया! बौद्धमठों में आपके द्वारा क्या-क्या देखा गया, हम यह जानना चाहते हैं।
शिक्षिका – मठों की विशालता और भव्यता दर्शकों को बलात् आकर्षित करती हैं। भगवान् बुद्ध की सत्रहवीं शताब्दी की विशालकाय प्रतिमा व पुरातत्त्व संबंधी चित्र पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं। लद्दाख में स्थित राजमहल के अन्दरूनी भाग में एक विशाल स्टाकपैलेस म्यूजियम है जिसमें सतहत्तर कमरे (भाग) हैं।
विशाल – आचार्या जी, बौद्धों का सामाजिक जीवन कैसा था। क्या वे भी उत्सवप्रिय थे?
शिक्षिका – मानव स्वभाव से ही उत्सवप्रिय है। बौद्धों का गम्पा नाम का वार्षिक उत्सव सर्दी की ऋतु में आता है। लामायारु, फियांग, ताहथोक आदि ग्रीष्म ऋतु के उत्सव भगवान् बुद्ध के प्रति भक्तिभाव को दिखाते हैं। मठों में खुदे हुए लेख तथा दीवारों के लेख भी तिब्बती शैली का परिचय देत हैं।

5. प्रणवः – आचार्ये! लद्दाखस्य प्राकृतिकस्थलानां विषये किमपि ब्रवीतु भवती।
शिक्षिका – कारगिले आक्रमणकारिणाम् अपसारणाय भारतीयैः वीरैः यत् शौर्यं प्रदर्शितं, यूयं जानीथ एव। सः प्रदेशः अत्रैव अस्ति। ट्रास, जान्सकारः, सुरु:-इति उपत्यकाभूमिषु शीते ऋतौ महान् हिमराशिः निपतति। ग्रीष्मे समागते सः द्रवीभूय कृषकाणां भूमिसेचने भूयिष्ठम् उपकरोति।
पर्वतारोहणाय ‘लिकिर’ ‘स्टाक’ नाम्नी स्थले उपयुक्ते स्तः। ग्रीष्मे ऋतौ पर्वतारोहिणोऽत्र प्रायः दृश्यन्ते। घनीभूतं हिमं गिरिराजस्य शोभा सततं प्रवर्धयति। महाकवेः कालिदासस्य पद्यमिदम् अस्य सौन्दर्य महिमानं च सततं वर्णयति –

अनन्तरत्नप्रभवस्य यस्य,
हिमं न सौभाग्यविलोपि जातम्।
एको हि दोषो गुणसन्निपाते,
निमज्जतीन्दोः किरणेष्विवाङ्कः।।

अन्वयः – अनन्तरत्न-प्रभवस्य यस्य हिमम् सौभाग्य-विलोपि न जातम्। एकः हि दोषः गुणसन्निपाते इन्दोः किरणेषु अङ्कः इव निमज्जति।
(अन्तहीन रत्नों को पैदा करनेवाले जिस हिमालय पर्वत की बर्फ उस पर्वत की सुन्दरता को नष्ट करनेवाली न बन पाई। मात्र एक दोष गुणों के समूह में, चन्द्रमा की किरणों में कलंक के समान तिरोहित हो जाता है (छिप जाता है)।

शब्दार्थः,
पर्यायवाचिशब्दाः टिप्पण्यश्चः- भूयिष्ठम् – √भू + इष्ठन्, नपुं., प्र., ए.व., अत्यधिकम्, बहुत अधिक। प्रवर्धयति – प्र + √वृध् + णिच्, लट्, प्र.पु., ए.व., वृद्धिं करोति, बढ़ाती है। महिमानम्- महिमन्, द्वि., ए.व., महिमा को। अनन्तरत्नप्रभवस्य-अनन्तरत्नानां प्रभवः उत्पत्तिः यस्मात् तस्य, अनन्त रत्नों के उत्पादक के। सौभाग्यविलोपि-सौभाग्यस्य विलोपिन्, नपुं., प्र., ए.व., सौन्दर्यनाशकम्, सुन्दरता को नष्ट करने वाला। गुणसन्निपाते- गुणानां सन्निपाते, गुणसमूहे, गुणों के समूह में। निमज्जति-नि + √मज्ज, लट्, प्रथम पु., ए.व., निमान् भवति, डूब जाता है।

सरलार्थ –
प्रणव – आचार्या जी। आप लद्दाख के प्राकृतिक स्थानों के विषय में कुछ बताइए।
शिक्षिका – कारगिल में आक्रमणकारियों को हटाने (खदेड़ने) के लिए भारतीय वीरों ने जो पराक्रम दिखाया था, तुम सब उसे जानते ही हो। वह प्रदेश यहाँ पर ही है। द्रास, जान्सकार तथा सुरु-घाटी में शीत ऋतु में बहुत बर्फ पड़ती है। गर्मी के आने पर वह पिघलकर किसानों की भूमि सींचने में बहुत उपकार करती है। पर्वतारोहण के लिए लिकिर तथा स्टाक नाम के दो स्थल उपयुक्त हैं। ग्रीष्म ऋतु में पर्वतारोही यहाँ प्रायः देखे जाते हैं। जमी हुई बर्फ गिरिराज हिमालय की शोभा को सदैव बढ़ाती है। महाकवि कालिदास का यह पद्य इसकी सुन्दरता और महिमा का सदा वर्णन करता रहता हैअनन्त रत्नों को उत्पन्न करने वाले हिमालय का सौभाग्य हिम (बर्फ) से कभी नहीं घटता है। जैसे चन्द्रमा की किरणों के बीच में थोड़ी सी कालिमा (दोष) छिप जाती है उसी प्रकार हिमालय के गुणों के समूह में उसका दोष भी छिप जाता है।

अनुप्रयोगः

प्रश्न: 1.
अधोलिखितशब्दानां शुद्धम् उच्चारणं कुरुत सञ्चिकायां च लिखत
ईदृशी, दृढ़सङ्कल्पः, सहिष्णुता, पर्वतारोहणम्, वीक्ष्य, द्रष्टुम्, उत्तुङ्गः, चित्राणि, आक्रमणकारिणाम् किरणेष्विवाङ्कः।
उत्तर:
सभी शब्दों को छात्र कॉपी पर लिखें तथा उनका शुद्ध उच्चारण भी करें।

प्रश्न: 2.
समस्तपदानि रचयत
(i) पर्वते आरोहणम् ……………….
(ii) विशालः कायः यस्याः सा ……………….
(iii) यात्रायाः वृत्तम् ……………….
(iv) उत्तुङ्गाः ये पर्वताः ते ……………….
(v) नीलः वर्णः यस्याः सा ……………….
(vi) महान् च असौ कविः ……………….
उत्तर:
(i) पर्वते आरोहणम् – पर्वतारोहणम्
(ii) विशालः कायः यस्याः सा – विशालकाया
(iii) यात्रायाः वृत्तम् – यात्रावृत्तम्
(iv) उत्तुङ्गाः ये पर्वताः ते – उत्तुङ्ग पर्वताः
(v) नीलः वर्णः यस्याः सा – नीलवर्णा
(vi) महान् च असौ कविः – महाकविः।

प्रश्न: 3.
अधोलिखितानां वाक्यानां रिक्तस्थानेषु कोष्ठकदत्तैः शब्दैः सह विभक्तिं प्रयुज्य वाक्यपूर्तिं कुरुत –
(क) ………….. (अस्मद्) कक्षायाः सर्वे छात्राः द्रष्टुमुत्सुकाः सन्ति।
(ख) पुरातत्त्वसम्बन्धीनि (चित्र) ………….. पर्यटकानाम् आकर्षणकेन्द्रम्।
(ग) ग्रीष्मपर्वाणि (भगवत्) ………… बुद्ध प्रति भक्तिभावं दर्शयन्ति।
(घ) घनीभूतं हिमं (गिरिराज) ………… शोभा सततं प्रवर्धयति।
(ङ) गुणसन्निपाते एकः (दोष) ………… निमज्जति।
उत्तर:
(क) मम कक्षायाः सर्वे छात्राः द्रष्टुमुत्सुकाः सन्ति।
(ख) पुरातत्त्वसम्बन्धीनि चित्राणि पर्यटकानाम् आकर्षणकेन्द्रम्।
(ग) ग्रीष्मपर्वाणि भगवन्तं बुद्ध प्रति भक्तिभावं दर्शयन्ति।
(घ) घनीभूतं हिमं गिरिराजस्य शोभां सततं प्रवर्धयति।
(ङ) गुणसन्निपाते एकः दोषः निमज्जति।

प्रश्न: 4.
अधोलिखितवाक्यानां रिक्तस्थानेषु कोष्ठकदत्तैः धातुभिः उचितरूपं निर्माय क्रियापदानि पूरयत
(क) इदम् अभियानं रोचकं साहसिकं च (अस् – लङ) ………….. ।
(ख) लद्दाखप्रदेशीयाः गिरयः अतीव (शोभ-लट) ……….. ।
(ग) भवती लद्दाखप्रदेशस्य प्राकृतिकस्थलानां विषये किमपि (ब्रू-लोट) ……….. ।
(घ) वार्षिकोत्सवः शीते ऋतौ (आ + या लट्) ………….. ।
(ङ) ग्रीष्मे समागते हिमराशिः द्रवीभूय कृषकाणां भूमिसेचने भूयिष्ठं (उप + कृ-लट्)।
उत्तर:
(क) इदम् अभियानं रोचकं साहसिकं च आसीत्।
(ख) लद्दाखप्रदेशीयाः गिरयः अतीव शोभन्ते।
(ग) भवती लद्दाखप्रदेशस्य प्राकृतिकस्थलानां विषये किमपि ब्रवीतु।
(घ) वार्षिकोत्सवः शीते ऋतौ आयाति।
(ङ) ग्रीष्मे समागते हिमराशिः द्रवीभूय कृषकाणां भूमिसेचने भूयिष्ठं उपकरोति।

प्रश्नः 5.
अधोलिखितेषु वाक्येषु वाच्यपरिवर्तनं कुरुत –
(क) ईदृशीं दुर्गमा यात्रा विद्यालयस्य ………………….
छात्राः सम्पादितवन्तः। ………………….
(ख) अस्माभिः प्रक्षेपकमाध्यमेन ………………….
यात्रावृत्तं दृश्यते। ………………….
(ग) उत्तुंगपर्वतानाम् उपत्यकाभूमि ………………….
लद्दाख इति कथयन्ति। ………………….
(घ) मठानां भव्यता प्रेक्षकान् ………………….
प्रसभम् आकर्षति। ………………….
(ङ) कारगिले आक्रमणकारिणाम् ………………….
अपसारणाय भारतीयैः वीरैः ………………….
शौर्यं प्रदर्शितम्। ………………….
उत्तर:
(क) ईदृशी दुर्गमा यात्रा विद्यालयस्य छात्रैः सम्पादिता।
(ख) वयं प्रक्षेपकमाध्यमेन यात्रावृत्तं पश्यामः।
(ग) उत्तुंगपर्वतानाम् उपत्यकाभूमिः ‘लद्दाख’ इति कथ्यते।
(घ) मठानां भव्यतया प्रेक्षकाः प्रसभम् आकृष्यन्ते।
(ङ) कारगिले आक्रमणकारिणाम् अपसारणाय भारतीयाः वीराः शौर्य प्रदर्शितवन्तः। .

प्रश्न: 6.
अधोलिखिते ‘अ’ स्तम्भे लिखितानां विशेषणैः सह ‘ब’ स्तम्भस्थानां विशेष्यपदानां संयोजनं कुरुत’अ’ स्तम्भः
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Chapter 5 अहो! राजते कीदृशीयं हिमानी Q6
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Chapter 5 अहो! राजते कीदृशीयं हिमानी Q6.1

प्रश्नः 7.
निर्देशानुसारम् उत्तरत
(i) ‘नीलवर्णा भूमिः’ अनयोः पदयोः किं विशेषणपदम्?
(ii) ‘विस्तृतः’ अस्य स्थाने किं पदं संवादे प्रयुक्तम्?
(iii) ‘प्रवेशः’ इति अस्य विलोमपदं किम्?
(iv) ‘आवृणोति’ इति पदे उपसर्गः कः, कः च धातुः?
(v) ‘नीलाकाशः छत्रवत् प्रतीयते’ अत्र क्रियापदं चिनुत।
(vi) ‘तिब्बतक्षेत्रे बौद्धधर्मस्य प्रवेशः अभवत्’ अत्र कर्तृपदं चिनुत।
उत्तर:
(i) नीलवर्णा,
(ii) आस्तृतः,
(iii) निष्क्रमः,
(iv) आ उपसर्गः, वृ धातुः,
(v) प्रतीयते,
(vi) प्रवेशः।

प्रश्नः 8.
एकपदेन उत्तरत
(i) केन मार्गेण छात्रैः पर्वतारोहणं कृतं स्यात्?
(ii) विद्या वित्तं च कथं प्राप्यते?
(iii) शिक्षिकया यात्रावृत्तं केन प्रदर्शितम्?
(iv) स्टाकपैलेससंग्रहालये कति कक्षाः सन्ति?
(v) बौद्धानां वार्षिकोत्सवः कस्मिन् ऋतौ आयाति?
उत्तर:
(i) लद्दाखमार्गेण,
(ii) उद्यमेन,
(iii) प्रक्षेपकेण,
(iv) सप्तसप्तति,
(v) शीते।

प्रश्नः 9.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(i) पर्वतारोहणस्य अभियान कीदृशम् आसीत्?
(ii) लद्दाखशब्दस्य कः विशिष्टः अर्थः?
(iii) कः स्तूपः रात्रौ दीपेषु प्रज्वलितेषु भव्यम् आलोकम् वितरति?
(iv) लेहनगरे प्रख्याताः बौद्धमठाः के सन्ति?
(v) एकः दोषः कुत्र निमज्जति?
उत्तर:
(i) पर्वतारोहणस्य अभियानम् अतीव रोचकं साहसिकं चासीत्।
(ii) “उतुङ्गपर्वतानाम् उपत्यकाभूमिः” इति लद्दाख शब्दस्य विशिष्टः अर्थः।
(iii) ‘लेहे’ इति बौद्धधर्मस्य प्रसिद्धः प्राचीनश्च श्वेतस्तूपः रात्रौ दीपेषु प्रज्वलितेषु भव्यम् आलोकम् वितरति।
(iv) लेहनगरे प्रख्याताः बौद्धमठाः ‘शे, थिक्शे, हेमिस, स्ताक्ना, माठो नामानः सन्ति।
(v) एकः दोषः गुणसन्निपाते निमज्जति।

प्रश्न: 10.
रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(i) भारतीयसैनिकानां कष्टसहिष्णुता त्यागभावना च श्लाघीनीये स्तः।
(ii) अस्मिन् भित्तिचित्रे पर्वतारोहणस्य दृश्यम् अस्ति।
(iii) छात्राः प्रक्षेपकमाध्यमेन यात्रावृत्तम् अपश्यन्।
(iv) ‘लेह’ इति बौद्धधर्मस्य प्राचीनः श्वेतस्तूपः।
(v) ‘गम्पा’ नाम वार्षिकोत्सवः शीतेऋतौ आयाति।
(vi) ‘कारगिले’ भारतीयैः वीरैः शौर्यं प्रदर्शितम्।
उत्तर:
(i) केषां कष्टसहिष्णुता त्यागभावना च श्लाघीनीये स्तः?
(ii) अस्मिन् भित्तिचित्रे कस्य दृश्यम् अस्ति?
(iii) छात्राः केन यात्रावृत्तम् अपश्यन्? ।
(iv) ‘लेह’ इति कस्य प्राचीनः श्वेतस्तूपः?
(v) ‘गम्पा’ नाम वार्षिकोत्सव कदा आयाति?
(vi) ‘कारगिले’ भारतीयैः वीरैः किं प्रदर्शितम्?

पाठ-विकासः

भाव विकासः लेह-लद्दाख-परिचयः
(क) मनाली-लेह-मार्गः विश्वस्य उच्चतमः मार्गः अस्ति।
(ख) अयं 480 किलोमीटर विस्तृतः अस्ति।
(ग) अयम् वर्षे अष्टमासेषु हिमाच्छादितः अस्ति।
(घ) लेहस्थित शान्तिस्तूपः 1985 तमे वर्षे दलाईलामा महोदयैः उद्घाटितः।
(ङ) प्राचीनतमः ‘स्वास्तिक’ इति बौद्धमठः अत्रैव तिष्ठति।
(च) अत्र नरोपागुहायां कश्मीरी योगी निरोपा ध्यानम् अकरोत्।
(छ) 14,432 फीट उन्नते रूपशक्षेत्रे 15 x 5 मील विस्तृतं त्सो मोरीरि सरः वर्तते।
(ज) अत्र वन्यगर्दभः, नील-अजः द्रष्टुं शक्यते।

भाषाविकासः
क्त प्रत्यय प्रयोगः
1. भूतकाले गत्यर्थकधातुभिः क्त प्रत्ययः प्रयुज्यत्-सर्वेशः गतः।
2. अकर्मकधातुभिः ‘क्त’ प्रयुज्यते, यथा-वृक्षः पतितः।
3. शिशुना शयितम्, मूषकेण जीवितम्, बालिकाभिः क्रीडितम्। इति क्तप्रयोगस्य उदाहरणानि (अकर्मकधातुभिः)
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Chapter 5 अहो! राजते कीदृशीयं हिमानी Q10
विशेषणानि-क्तान्तरूपाणि ।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Chapter 5 अहो! राजते कीदृशीयं हिमानी Q10.1

नपुंसकलिंग के रूप में
प्रथमा व द्वितीय विभक्ति में- कृतम् कृते कृतानि, तृतीया से पुल्लिङ्ग वत् तीन प्रकार से क्तान्त पदों का प्रयोग होता है।
1. क्रिया के रूप में
रामेण रावणः हतः।
कष्टेन धैर्यं धृतं तेन।
बुद्धेन शान्तिसन्देशः प्रसारितः।
मया धैर्यं विनाशितम्।
प्रेषितं हि मया पत्रं, रामेणाधिगतं हि तत्।
तेन अवाप्तं सुखं तेन।
ज्ञातः उदन्तः सर्वश्च, तेन जातां प्रसन्नता।
मम सौख्यं विनिर्गतम्।

2. विशेषण के रूप में
स्त्री० शान्ता स्थितिः, शान्ता तृषा, शान्ता बुभुक्षा, शान्ता गतिः।
नपुं० शान्तं पापम्, शान्तं चक्रम्, शान्तं कार्यम्, शान्तं मित्रम्।
पुं० शान्तः क्रोधः, शान्तः रोषः, शान्तः मुनिः, शान्तः साधुः।

3. संज्ञावत्
हसितम् मधुरम्। रुदितम् मधुरम्। शयितं मधुरम्। जागरितं-मधुराधियतेराखिलं मधुरम्-मधुराधिपतिः।
हँसी मधुर है, रोना मधुर है, सोना मधुर है, जागना मधुर है। कृष्ण का सब कुछ मधुर है।
क्तवतु प्रत्ययः कर्तृवाच्ये प्रयुज्यते। गम्-गतवत्। स्त्री० गतवती। पुं० गतवान्। कृ-कृतवत्। पुं० कृतवान्, स्त्री० कृतवती।

अतिरिक्त-अभ्यासः

प्रश्न: 1.
अधोलिखितं नाट्यांश पठित्वा तदाधारितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) प्रकृतिः – महोदये! चित्रे दृश्यमानानि कानि एतानि स्थलानि।
शिक्षिका – एष ‘सेंग्ये’ नाम राजप्रासादः। इदं ‘लेह’ इत्यभिधानेन प्रसिद्ध पर्यटनस्थलम्। एषः बौद्धधर्मस्य प्रसिद्धः प्राचीनश्च श्वेतस्तूपः। अयं स्तूपः रात्रौ दीपेषु प्रज्वलितेषु भव्यम् आलोकं वितरति शान्तिं च संदिशति।।
अनुपमः – मान्य! दीर्घ-दीर्घाणि एतानि स्थानानि किं मठाः सन्ति।
शिक्षिका – समीचीनम् उक्तम्। सिन्धुनद्याः पूर्वतः लेहनगरस्य दक्षिणपूर्वभागे “शे, थिक्शे, हेमिस, स्ताक्ना, माठो” नामानः एते प्रख्याताः बौद्धमठाः सन्ति। स्टाकपैलेस इत्याख्यः प्रासादोऽपि अत्रैव वर्तते।

I. एकपदेन उत्तरत (1/2 x 4 = 2)
(i) दीर्घदीर्घानि स्थानानि कानि सन्ति?
(ii) ‘स्टाकपैलेस’ इत्याख्यः कः शोभते?
(iii) राजप्रासादस्य किं नाम अस्ति?
(iv) कः रात्रौ शान्तिं संदिशति?
उत्तर:
(i) मठाः
(ii) राजप्रासादः
(iii) सेंग्ये
(iv) श्वेतस्तूपः

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत (2 x 1 = 2)
श्वेतस्तूपः कदा किं वितरति किं च संदिशति?
उत्तर:
श्वेतस्तूपः रात्रौ दीपेषु प्रज्वलितेषु भव्यम् आलोकं वितरित शान्ति च संदिशति।

III. निर्देशानुसारम् उत्तरत – (1/2 x 2 = 1 )
(i) ‘प्रज्वलितेषु’ इत्यनयोः पदयोः विशेष्यपदं किम्?
(ii) ‘संदिशति’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
उत्तर:
(i) दीपेषु
(ii) स्तूपः

(ख) (छात्राः विद्यालयस्य पत्रिकायां चित्राणि पश्यन्ति)
कविता – मान्ये, किम् एतानि चित्राणि पर्वतारोहणस्य सन्ति?
शिक्षिका – आम्! गतवर्षे द्वादशकक्षायाः छात्राः मम संरक्षकत्वे लेह-लद्दाखनगरं प्रयाताः।
ममता – चित्राणि वीक्ष्य प्रतिभाति यत् इदम् अभियानम् अतीव रोचकम् साहसिक चासीत्।
शिक्षिका – नास्ति संदेहः। किं प्रक्षेपकमाध्यमेन तत् सर्वं यात्रावृत्तं द्रष्टुं वाञ्छथ?
उभे – आम्, अस्माकं कक्षायाः सर्वे छात्राः द्रष्टुम् उत्सुकाः।
शिक्षिका – शोभनम्। उपविशत। अहं प्रक्षेपकेण दर्शयामि।

I. एकपदेन उत्तरत (1/2 x 4 = 2)
(i) छात्राः केन माध्यमेन सर्वं यात्रावृत्तं द्रष्टुं वाञ्छन्ति?
(ii) शिक्षिका केन यात्रावृत्तं छात्रान् दर्शयति?
(iii) विद्यालयपत्रिकायां कस्य चित्राणि छात्रा कविता पश्यति?
(iv) कदा छात्राः शिक्षिकायाः संरक्षकत्वे लेह-लद्दाखनगरं प्रयाताः?
उत्तर:
(i) प्रक्षेपकेण
(ii) प्रक्षेपकेण
(iii) पर्वतरोहणस्य
(iv) गतवर्षे

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत (1 x 1 = 1)
चित्राणि दृष्ट्वा ममता किं कथयति?
उत्तर:
चित्राणि दृष्ट्वा ममता कथयति-चित्राणि वीक्ष्य प्रतिभाति यत् इदम् अभियानम् अतीव रोचकं साहसिकं च आसीत्।

III . निर्देशानुसारेण उत्तरत (1 x 2 = 2)
(i) संवादे ‘प्रयाताः’ इति क्रियायाः कर्तृपदं किम् अस्ति?
(ii) ‘दृष्ट्वा’ पदस्य कः पर्यायः संवादे प्रयुक्तः?
उत्तर:
(i) छात्राः
(ii) वीक्ष्य

(ग) (सर्वे कक्षायां यथास्थानम् उपविशन्ति, प्रक्षेपकं संचलति)
विजयः – अहो। विपुलहिमराशिना धवला एते लद्दाखप्रदेशीया गिरयः अतीव शोभन्ते।
वन्दना – आचार्ये, किं लद्दाख-शब्दस्य कश्चिद् विशिष्टोऽर्थः?
शिक्षिका – शोभनः प्रश्नः। शृणुत, उत्तुङ्गपर्वतानाम् उपत्यकाभूमिम् लद्दाख इति वदन्ति।
श्यामा – एवम्। श्रूयते यत् लद्दाखमार्गेणैव तिब्बतक्षेत्रे बौद्ध-धर्मस्य प्रवेशः अभवत्।
शिक्षिका – सत्यम्। पश्यन्तु कथं लद्दाखे आस्तृतः नीलाकाशः छत्रवत् प्रतीयते अपरं पश्यत-उपत्यकायां चित्रेऽस्मिन् या रेखा प्रतिभाति, सा उपत्यका विभजन्ती सिन्धुनदी अस्ति। ग्रीष्मे नीलवर्णा भूमिः धूसरवर्णा जायते, यतः बालुका उड्डीय सर्वां भूमिम् आवृणोति।

I . एकपदेन उत्तरत (1/2 x 2 = 1)
(i) लद्दाखे आस्तृतः कः छत्रवत् प्रतीयते?
(ii) उपत्यकां का विभजति?
उत्तर:
(i) नीलाकाशः
(ii) सिन्धुनदी

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत  (1 x 2 = 2)
(i) जनाः काम् लद्दाख इति वदन्ति?
(ii) ग्रीष्मे नीलवर्णा भूमिः कथं धूसरवर्णा जायते?
उत्तर:
(i) जनाः उत्तुङ्गपर्वतानाम् उपत्यकाभूमि-लद्दाख इति वदन्ति।
(ii) ग्रीष्मे बालुका उड्डीय सर्वा भूमिम् आवृणोति अतः नीलवर्णाभूमिः धूसरवर्णा जायते।

III. निर्देशानुसारेण उत्तरत (1/2 x 4 = 2)
(i) संवादे ‘गिरयः’ इति विशेष्यपदस्य विशेषण पदं किम् अस्ति?
(ii) ‘आवृणोति’ इति क्रियापदस्य संवादे कर्तृपदं किम्?
(iii) ‘संकुचितः’ इति पदस्य संवादे क: विपर्ययः आगतः?
(iv) ‘सा उपत्पकां’ अत्र ‘सा’ पदं कस्यै आगतम्?
उत्तर:
(i) धवला:
(ii) बालुका
(iii) आस्तृतः
(iv) रेखायै

(घ) अनामिका – महोदये! बौद्धमठेषु किं किम् अवलोकितं भवत्या? ज्ञातुमिच्छामः।
शिक्षिका – मठानां विशालता भव्यता च प्रेक्षकान् प्रसभम् आकर्षतः। भगवतो बुद्धस्य सप्तदशशताब्द्याः
विशालकाया मूर्तिः पुरातत्त्वसम्बन्धीनि चित्राणि पर्यटकानाम् आकर्षणकेन्द्रम्। लद्दाखस्थितराजप्रासादस्य आन्तरिके भागे एको विशालः ‘स्टाकपैलेस संग्रहालयो वर्तते, यस्मिन् सप्तसप्ततिः कक्षाः सन्ति।
विशालः – आचार्य। बौद्धानां सामाजिकजीवन कीदृशम्? किं तेऽपि उत्सवप्रिया:?
शिक्षिका – मानवः स्वभावाद् एव उत्सवप्रियः। बौद्धानां ‘गम्पा’ नाम वार्षिकोत्सवः शीते आयाति। ‘लामायारु’ ‘फियांग’, ‘ताहथोक’-आदीनि ग्रीष्मपर्वाणि भगवन्तं बुद्ध प्रति भक्तिभावं दर्शयन्ति। मठेषु उत्कीर्णा लेखा भित्तिलेखाश्च तिब्बत-शैल्याः परिचायकाः।

I. एकपदेन उत्तरत (1/2 x 2=1)
(i) बौद्धानां कः वार्षिकोत्सवः शीते ऋतौ आयाति?
(ii) कस्य आन्तरिके भागे एको विशालः संग्रहालयो वर्तते?
उत्तर:
(i) गम्पा
(ii) राजप्रसादस्य

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत (2x 1 = 2)
बौद्धमठेषु किं-किम् आकर्षणकेन्द्रम् अस्ति?
उत्तर:
(ii) बौद्धमठेषु भगवतो बुद्धस्य सप्तदशशताब्याः विशालकाया मूर्तिः पुरातत्त्वसम्बन्धीनि चित्राणि पर्यटकानाम् आकर्षणकेन्द्रम् अस्ति।

III. निर्देशानुसारेण उत्तरत (1/2 x 4=2)
(i) संवादे ‘भवत्या’ पदं कस्यै प्रयुक्तम्?
(ii) संवादे ‘दर्शयन्ति’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(iii) ‘बलपूर्वकं’ इति पदस्य कः पर्यायः संवादे प्रयुक्तः?
(iv) ‘लघुः’ इति पदस्य संवादे कः विपर्ययः आगतः?
उत्तर:
(i) अनामिकायै
(ii) ग्रीष्मपर्वाणि
(iii) प्रसभम्
(iv) विशाल:

(ङ) प्रणवः – आचार्ये! लद्दाखस्य प्राकृतिकस्थलानां विषये किमपि ब्रवीतु भवती।
शिक्षिका – कारगिले आक्रमणकारिणाम् अपसारणाय भारतीयैः वीरैः यत् शौर्यं प्रदर्शितं, यूयं जानीथ एव। सः प्रदेशः अत्रैव अस्ति। द्रास, जान्सकारः, सुरु:-इति उपत्यकाभूमिषु शीते ऋतौ महान् हिमराशिः निपतति। ग्रीष्मे समागते सः द्रवीभूय कृषकाणां भूमिसेचने भूयिष्ठम् उपकरोति। पर्वतारोहणाय ‘लिकिर’ ‘स्टाक’ नाम्नी स्थले उपयुक्त स्तः। ग्रीष्मे ऋतौ पर्वतारोहिणोऽत्र प्रायः दृश्यन्ते। घनीभूतं हिमं गिरिराजस्य शोभां सततं प्रवर्धयति। महाकवेः कालिदासस्य पद्यमिदम् अस्य सौन्दर्य महिमानं च सततं वर्णयति

I. एकपदेन उत्तरत (1/2 x 2 =1 )
(i) कुत्र शीते ऋतौ महान् हिमराशिः निपतति?
(ii) ग्रीष्मे ऋतौ के तत्र प्रायः दृश्यन्ते?
उत्तर:
(i) उपत्यकाभूमिषु
(ii) पर्वतारोहिणः

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत (1 x 2 = 2)
(i) भारतीयैः वीरैः कारगिले कथं शौर्यं प्रदर्शितम्?
(ii) हिमालयस्य घनीभूतं हिमं किं करोति?
उत्तर:
(i) भारतीयैः वीरैः कारगिले आक्रमणकारिणाम् अपसारणाय शौर्य प्रदर्शितम्।
(ii) हिमालयस्य घनीभूतं हिमं गिरिराजस्य शोभा सततं प्रवर्धयति।

III. निर्देशानुसारेण उत्तरत (1 x 2 = 2)
(i) ‘अत्यधिकम्’ इति पदस्य अर्थे संवादे किं पदं प्रयुक्तम्?
(ii) ‘प्रवर्धयति’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
उत्तर:
(i) भूयिष्ठम्
(ii) हिमम्

प्रश्न: 2.
निम्नलिखितं श्लोकं पठित्वा तदाधारितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
अनन्तरत्नप्रभवस्य यस्य, हिमं न सौभाग्यविलोपि जातम्। एको हि दोषो गुणसन्निपाते,
निमज्जतीन्दोः किरणेष्विवाङ्कः॥

I. एकपदेन उत्तरत (1/2 x 2 = 1)
(i) अनन्तरत्नप्रभवः कः अस्ति?
(ii) किं सौभाग्यविलोपि न जातम्?
उत्तर:
(i) हिमालयः
(ii) हिमम्

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत (2 x 1 = 2)
हिमं कस्य सौन्दर्यस्य लोपं कर्तुं न शक्नोति स्म?
उत्तर:
हिमं गिरिराजस्य हिमालस्य सौन्दर्यस्य लीपं कर्तुं न शक्तातिस्म।

III. निर्देशानुसारम् उत्तरत  (1 x 2 =2 )
(i) ‘जातम्’ इत्यस्य क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(ii) ‘चन्द्रस्य’ इति पदस्य श्लोके कः पर्यायः प्रयुक्तः?
उत्तर:
(i) हिमम्
(ii) इन्दोः

प्रश्न: 3.
I. कः कम् कथयति (1 + 1 = 2)
(i) ‘शृणुत, उत्तुङ्ग पर्वतानाम् उपत्यकाभूमिं लद्दाख इति वदन्ति’।
(ii) ‘उपत्यकायां चित्रेऽस्मिन् या रेखा प्रतिभाति, सा उपत्यकां विभजन्ती सिन्धुनदी आस्ति।
(iii) ‘मानवः स्वभावाद् एव उत्सवप्रियाः’। कम्- विशालम्
(iv) ‘लद्दाखस्य प्राकृतिकस्थलानां विषये किमपि ब्रवीतु भवती’।
उत्तर:
(i) कः- शिक्षिका, कम- वन्दाम्
(ii) क:- शिक्षिका, कम्- श्यामाम्
(iii) कम्- शिक्षिका, कम्- विशालम्
(iv) कः- प्रणवः, कम्- शिक्षिकाम्

II. स्रोतग्रन्थस्य लेखकस्य च नामनी लिखत (1 + 1 = 2)
‘एको हि दोषो गुणसन्निपाते, निमज्जतीन्दोः किरणेविवाङ्कः’।
उत्तर:
स्रोत:- ग्रन्थः- मेघदूतम्
लेखक:- महाकविः कालिदासः

प्रश्न: 4.
(क) निम्नलिखित श्लोकाशं पठित्वा तदाधारितम् भावम् मञ्जूषायाः सहायतया रिक्त स्थान पूर्ति माध्यमेन पुनर्लिखत (1/2 x 4= 2)
“एको हि दोषो गुण सन्निपाते, निमन्जतीन्दोः किरणेष्विवाङ्कः।’ अस्य भावोऽस्ति यत् जनानाम् गुणानाम् ……..(i)…….. एकस्य दोषस्य किञ्चिद् अपि ……..(ii)……. न भवति। सः दोषः तस्य गुणानां मध्ये तथैव ………(iii)…….. भवति यथा चन्द्रस्य किरणेषु तस्य ……..(iv)…….. अन्तर्हितः भवति। अतः सदैव जनैः प्रयत्नेन गुणानां ग्रहणं कर्तव्यम्।
उत्तर:
(i) समूहे
(ii) महत्त्व म्
(iii) अन्तर्हितः
(iv) कलङ्कः
मञ्जूषा- अन्तर्हितः, समूहे, कलङ्कः , महत्त्वम् ।

(ख) निम्न-पङ्क्तीनाम् उचितं भावं चित्वा लिखत

I. ‘हिमं न सौभाग्यविलोपि जातम्।’ (1 x 2 = 2)
अर्थात्
(i) हिमयुक्तानि शिखराणि न विलुप्तानि अभवन्।
(ii) हिमम् अपि सौभाग्यस्य विलोपनं कर्तुं न अशक्नोत्।
(iii) हिमेन गिरिराजस्य सौभाग्यं विलुप्तं जातम्।
उत्तर:
(ii) हिमम् अपि सौभाग्यस्य विलोपनं कर्तुं न अशक्नोत्।

II. ‘मानवः स्वभावाद् एव उत्सवप्रियः।’
अर्थात्
(i) मानवः स्वभावात् एव उत्सवं मानयति।
(ii) मानवः उत्सवे सर्वप्रियः भवति।
(iii) मानवः स्वभावात् एव उत्सवात् प्रमोदयति।
उत्तर:
(iii) मानवः स्वभावात् एव उत्सवात् प्रमोदयति।

प्रश्नः 5.
निम्नश्लोकं पठित्वा तस्य अन्वयं रिक्तस्थानपूर्ति द्वारा पुनलिखत (1 x 4 = 4)
अनन्तरत्न प्रभवस्य यस्य,
हिमं न सौभाग्यविलोपि जातम्।
एको हि दोषो गुणसन्निपाते,
निमज्जतीन्दोः किरणेविवाङ्कः॥
अन्वयः
अनन्तरत्न ………(i)…….. यस्य हिमम् सौभाग्य ……..(ii) ………. न जातम्।
एकः हि दोषः …….(iii)……… इन्दोः किरणेषु ……(iv)………. इव निमज्जति।
उत्तर:
(i) प्रभवस्ये
(ii) विलोपि
(iii) गुणसन्निपाते
(iv) अकः

प्रश्नः 6.
निम्नलिखितानाम् वाक्यांशानां सार्थकं संयोजनं कुरुत
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Chapter 5 अहो! राजते कीदृशीयं हिमानी Q6.2
उत्तर:
(i) (3) मम ……… प्रयाताः।
(ii) (7) लद्दाख ……… शोभन्ते।
(iii) (5) सर्वं ……… वाञ्छथ?
(iv) (2) हिमं ……… जातम्।
(v) (1) भव्यम्सं ……… दिशति।
(vi) (8) भगवन्तं ……… दर्शयन्ति।
(vii) (4) किमपि ……… भवती।
(viii) (6) प्रेक्षकान् ………. आकर्षतः।

प्रश्न: 7.
प्रदत्तपङ्क्तिषु रेखाङ्कित पदानां समुचित-अर्थचयनम् कुरुत (1/2 x 8 = 4)
(क) निमज्जतीन्दोः किरणेविवाङकः।
(i) कुमुदस्य
(ii) चन्द्रस्य
(iii) सूर्यस्य।
उत्तर:
(ii) चन्द्रस्य

(ख) घनीभूतं हिमं गिरिराजस्य शोभा सततं प्रवर्धयति।
(i) शीघ्रम्
(ii) चिरम्
(iii) निरन्तरम्।
उत्तर:
(iii) निरन्तरम्।

(ग) मठानां विशालता भव्यता च प्रेक्षकान् प्रसभम् आकर्षतः।
(i) बलपूर्वकम्
(ii) निरन्तरम्
(ii) प्रकृष्टरूपेण।
उत्तर:
(i) बलपूर्वकम्

(घ) अयं स्तूपः रात्रौ दीपेषु प्रज्वलितेषु भव्यम् आलोक वितरति।
(i) तमः
(ii) प्रकाशम्
(iii) तिमिरम्।
उत्तर:
(ii) प्रकाशम्

(ङ) दीर्घ-दीर्घाणि एतानि स्थानानि किं मठाः सन्ति?
(i) गृहाणि
(ii) मन्दिराणि
(iii) बौद्धपूजास्थलानि।
उत्तर:
(iii) बौद्धपूजास्थलानि।

(च) सत्यम्। पश्यन्तु कथं लद्दाखे आस्तृतः नीलाकाशः छत्रवत् प्रतीयते।
(i) विस्तृतः
(ii) संकुचितः
(iii) संक्षिप्तः।
उत्तर:
(i) विस्तृतः

(छ) शृणुत, उत्तगपर्वतानाम् उपत्यकाभूमिम् लद्दाख इति वदन्ति।
(i) घाटीम्
(ii) उच्चभूमिम्
(iii) समतलभूमिम्।
उत्तर:
(i) घाटीम्

(ज) अहो! राजते कीदृशी इयं हिमानी
(i) हिमालयः
(ii) हिमाच्छादितम्
(iii) हिमउपत्यका।
उत्तर:
(ii) हिमाच्छादितम्

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