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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 7 गजल

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

गज़ल के साथ

प्रश्न. 1.
आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें।
उत्तर:
गुलमोहर एक फूलदार वृक्ष है। यह शांति प्रदान करने वाला है। कवि ने इस शब्द का यहाँ विशेष अर्थ के लिए प्रयोग किया है। मनुष्य अपने घर में शांति व मानवीय गुणों से युक्त होकर रहे। यदि उसे बाहर रहना पड़े तो भी वह शांति व मानवीय गुणों को बनाए रखे। इससे समाज की व्यवस्था बनी रहेगी तथा अराजकता की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

प्रश्न. 2.
पहले शेर में चिराग शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जब कवि एक घर के लिए चिरागाँ (अनेक दीपक) तय था की बात करता है तो केवल योजनाओं में दिखाए गए सुनहरे ख्वाबों की ओर संकेत करता है। दूसरी पंक्ति में वह स्पष्ट करता है कि सब्जबाग दिखाने वाली इस योजना को कार्यान्वित करने के समय दशा यह है कि एक पूरे शहर के हिस्से में एक चिराग भी नहीं आया। काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से चिरागाँ के बदले चिराग का न मिलना एक चमत्कारी प्रयोग है जो शाब्दिक कम और अर्थपूर्ण सौंदर्य अधिक बिखेर रहा है।

प्रश्न. 3.
गज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़े। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?
उत्तर:
तीसरे शेर में कवि ने उत्साहहीन, दीन हीन लोगों की ओर संकेत किया है जो हर स्थिति को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। वे अन्याय का विरोध नहीं करते। उनकी प्रतिरोध शक्ति समाप्त प्राय: हो चुकी है। राजनेता व अफसरशाही जनता की इसी उदासीनता का लाभ उठाकर उसका शोषण करते रहते हैं।

प्रश्न. 4.
आशय स्पष्ट करें:
तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।
उत्तर:
कवि दुष्यंत ने वर्तमान शासन-व्यवस्था के चलते बुद्धिजीवी वर्ग की भयभीत विवशता पर प्रकाश डाला है। शासन अपनी कमी सुनने के लिए तैयार नहीं है। अतः वह शायरों और कवियों के मुँह सिल सकता है। कवि स्पष्ट करता है कि मुँह बंद कर लेना वह सावधानी भरा कदम है जो एक शायर द्वारा अपनी गज़ल के लिए उठाया गया है। मूक रहकर रचना को अंजाम देना शायर की विवशता और समय की माँग दोनों ही है।

गज़ल के आस-पास

प्रश्न. 1.
दुष्यंत की इस गज़ल का मिजाज बदलाव के पक्ष में है। -इस कथन पर विचार करें।
उत्तर:
कवि बदलाव के पक्ष में है। वह जनता, समाज, शासक, प्रशासन व मानव के मूल्यों आई गिरावट से चिंतित है और उसमें बदलाव चाहता है। आज पूरी राजनीतिक व्यवस्था भ्रष्टाचार से ओत-प्रोत है। आम व्यक्ति निराश हो चुका है तथा यथाशक्ति सहने का आदी बन चुका है। कवि अपनी आवाज से लोगों को जागरूक कर रहा है। सत्ता उसे भी कुचलना चाहती है, अत: कवि क्रांति की इच्छा रखता है।

प्रश्न. 2.
हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है।
-दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर पढ़े और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?
उत्तर:
खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए।
दोनों शेर अद्भुत भाव साम्य के उदाहरण हैं। दोनों में सुलह की सलाह-सी दी गई है।
पहले में गालिब स्वर्ग न सही उसके खयाल (स्वप्न), कल्पना से मन बहलाकर समझौता करते हैं और यहाँ दुष्यंत ईश्वर के न मिलने पर मनुष्य से ही दिल को धीरज दे रहे हैं।

प्रश्न. 3.
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है-यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है। मसलन, यह ऐसी अदालतों पर लागू होता है, जहाँ इंसाफ़ नहीं मिल पाता। कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें।

(क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, ……..
(ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, ……..
(ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, ……..
(घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, ……..

उत्तर:
(क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, जिनमें प्यार नहीं होता।
(ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, जहाँ विद्या के नाम पर अविद्या सिखाई जाती है।
(ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, जहाँ इलाज की जगह रोग बढ़ता है।
(घ) यह ऐसी पुलिस-व्यवस्था पर लागू होता है, जहाँ सुरक्षा के बजाय भय मिलता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न. 1.
प्रथम शेर में ‘चिराग’ किस ओर संकेत कर रहे हैं?
उत्तर:
यहाँ ‘चिराग’ का अर्थ है-सुविधाएँ और लाभ के अवसर जो कि एक घर के लिए अनेक की योजना थी, पर स्थिति यह आई है कि एक शहर के लिए लाभ का एक अवसर भी उपलब्ध नहीं है।

प्रश्न. 2.
दरख्तों के साये में धूप कैसे लग सकती है?
उत्तर:
जब रक्षक ही भक्षक बन जाते हैं, शासक शोषक का रूप धारण कर लेते हैं, रिश्तेदार और मित्र जड़े खोदने लग जाते हैं। तो पेड़ों के साये में भी शीतलता नहीं मिलती बल्कि धूप की तपिश का अहसास होता है।

प्रश्न. 3.
कवि आवाज़ में असर के लिए बेकरार क्यों है?
उत्तर:
वर्तमान समाज व शासन-व्यवस्था हर आवाज़ को अनसुना कर रहे हैं। अतः कवि ऐसी आवाज के लिए बेकरार है जिसकी उपेक्षा न की जा सके अर्थात् असरदार आवाज़ की सुनवाई जरूर होती है।

प्रश्न. 4.
सिल दे जुबान शायर की-पंक्तियों में छिपे भाव को स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि कहना चाहता है कि कुशासन के समक्ष शायर की जुबान को सिल दिया जाता है। शासक अपनी जिस ताकत से समाज का शोषण करता है, उसी ताकत से शायर और कवि की आवाज़ को दबाने की क्षमता रखता है।

प्रश्न. 5.
कवि कहाँ से चले जाना चाहता है? और क्यों?
उत्तर:
कवि ऐसी बस्ती से चले जाना चाहता है जहाँ पेड़ भी छाया नहीं दे पाते, क्योंकि ऐसी स्थिति में उसे सुख और आनंद नहीं मिलता।

प्रश्न. 6.
यहाँ के दरख्त कैसे हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यहाँ के दरख्त छाया और सुकून नहीं दे पाते। यह कथन उस व्यवस्था के प्रति खिन्नता व्यक्त कर रहा है जिसमें डॉक्टर जानलेवा और सरकार शोषक बन गई है। रक्षक ही भक्षक है।

प्रश्न. 7.
‘साये में धूप’ गज़ल का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
दुष्यंत कुमार जी के गज़ल संग्रह ‘साये में धूप’ से ली गई इस गज़ल का नामकरण भी संग्रह के नाम पर ही किया गया है। यह पूरी गज़ल एक विशेष मन:स्थिति में लिखी गई है। वर्तमान राजनीति और समाज में जो कुछ चल रहा है उसे कवि बदलना चाहता है। कवि किसी अच्छे विकल्प को मान्यता देना चाहता है। वर्तमान व्यवस्था चाहे वह सामाजिक हो या राजनैतिक, उससे कवि खिन्न है। इस स्वार्थ भरी व्यवस्था के स्थान पर कवि निस्स्वार्थ, त्याग और समर्पण लाना चाहता है। कवि पत्थरों और अँधेरों के स्थान पर रोशनी और नमी को स्थापित करना चाहता है।

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