Refer to the 12th Class Hindi Book Antral Questions and Answers Chapter 3 बिस्कोहर की माटी to develop Hindi language and comprehension skills among the students.

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antral Chapter 3 बिस्कोहर की माटी

Class 12 Hindi Chapter 3 Question Answer Antral बिस्कोहर की माटी

प्रश्न 1.
कोइयाँ किसे कहते है ? उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
कोइयाँ जलपुष्प को कहा जाता है। यह अधिकतर वर्षा ऋहु में पाया जाता है। जब वर्षा के जल से पोखर, तालाब और गझ्ढे भर जाते हैं तो उनमें कुमुद अपने आप उग आते हैं। कोइयाँ को ‘कोका-बेली’ भी कहा जाता है। कोइयाँ लगभग संपूर्ण भारतवर्ष में होती हैं। शरद चाँदनी में सरोवरों में चाँदनी का प्रतिबिंब और कोइयाँ के पत्तों का रंग एक-सा हो जाता है। कोइयाँ में से एक अजीब तरह की गंध आती है।

प्रश्न 2.
‘बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ दूध पीना नहीं है, माँ से बच्चे के सारे संबंधों का जीवन-चरित होता है’-टिप्पणी कीजिए।
अधवा
लेखक ने माँ और बच्चे के संबंध पर क्या-क्या कहा है?
उत्तर :
माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। बचपन में वही उसके लिए पौष्टिक भोजन होता है। बच्चा चाहे कुछ भी खा ले, परंतु माँ का दूध उसकी सेहत और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। माँ आँचल में छिपाकर बच्चे को बहुत आत्मीयता के साथ दूध पिलाती है। बच्चे को जब माँ का दूध नहीं मिलता, तो वह रोता है; सुबुकता है; माँ को मारता है। माँ भी कई बार बच्चे को मारती है, फिर भी बच्चा अपनी माँ से चिपटा रहता है। बच्चा माँ का स्पर्श और गंध भोगता है। कई बार छोटे बच्चे माँ का दूध पीते समय ज्ञोर से काटते हैं, फिर भी माँ उसे अपने से अलग नहीं करती। माँ का दूध माँ-बच्चे के संबंधों को मजबूती और आत्मीयता प्रदान करता है। इस प्रकार माँ के दूध का बच्चे के जीवन-निर्माण में असर पड़ता है।

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प्रश्न 3.
बिसनाथ पर क्या अत्याच्चार हो गया ?
उत्तर :
बिसनाथ अपनी माँ का बड़ा बेटा था। वह अपनी मौँ का दूध पीते समय आनंदित होता था। लेकिन जब उसके छोटे भाई का जन्म हुआ, तो बिसनाथ अपनी माँ का दूध पीने से वंचित हो गया। अब उसका छोटा भाई मँँ का दूध पीता था और बिसनाथ को गाय का दूध पीने को मिलता था, जो उसे बेस्वाद लगता था। बिसनाथ को माँ ने अपना दूध पिलाना बंद कर दिया था। माँ के दूध पर छोटे भाई का अधिकार हो गया था। इसलिए बिसनाथ को लगा कि उस पर अत्याचार हो रहा है।

प्रश्न 4.
गर्मी और लू से बचने के लिए उपायों का विवरण दीजिए। क्या आप भी उन उपायों से परिचित हैं?
अथवा
क्या आप भी उन उपायों का प्रयोग करेंगे ?
उत्तर :
उत्तर-मध्य भारत में ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक गरमी पड़ती है। लगातार गरमी पड़ने के कारण हवा गर्म हो जाती है। इसी गर्म हवा को ‘लू’ कहते हैं। ये गर्म हवाएँ अथवा लू खासतौर से बच्चों पर बुरा असर डालती है। गर्मी के दिनों में लू लगने की घटनाएँ अधिक सुनी जाती हैं। बिसनाथ के अनुसार माँ लू से बचने के लिए धोती या कमीज्र से प्याज बाँध देती थी। कच्चे आम का पन्ना भी लू से बचने का एक अच्छा उपाय है। कच्चे आम को भूनकर गुड़ या चीनी के शरबत के साथ खाना, शरीर पर लेप करना और उसके पानी में नहाना लू से बचने का उपाय है। भूने या उबले कच्चे आम को पानी में मिलाकर सिर धोने से भी लू से बचा जा सकता है। हम भी लू से बचने के इन उपायों से परिचित हैं, परंतु आज के युग में ये सब उपाय बहुत कम प्रयोग में लाए जाते हैं।

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प्रश्न 5.
लेखक बिसनाध ने किन आधारों पर अपनी माँ की तुलना बतख से की है?
उत्तर :
बिसनाथ अपने अतीत को याद करते हुए कहता है कि हिसशान गाईन के डियर पार्क में तब बतखें होती थी। जब बतखें अंडे देने वाली होतीं, तो वे पानी छोड़कर ज्रमीन पर आ जाती थीं। वे एक सुरक्षित काँटदार बाड़ा बनाती थीं। अंडों को सेते समय वह अंडों को अपने पंखों से छुपाकर रखती थी। वह उन्हें गरमी देने के साथ-साथ दुनिया से भी बचाती थी। कौवा उसके अंडों को खाने की ताक में रहता था। जब अंडे उसके पंखों से छिटक जाते, तो वह बड़ी सतर्कता और कोमलता से उन्हें फिर पंखों के अंदर समेट लेती।

कभी-कभी बड़ी सतर्कता से उन्हें उलटती-पलटती भी थी। इसी प्रकार माँ भी अपने बच्चे के जन्म की पीड़ाजन्य स्थिति से गुखरती है। वह उन्हें स्तनपान करवाती है। जब तक बच्चे बड़े न हो जाएँ, उन्हें अपने से दूर नही करती। बिसनाथ की माँ भी उसे – बहुत प्यार करती थी। उसे अपनी गोद में भरकर स्तनपान करवाती थी। माँ की ममता प्रकृति-प्रदत्त होती है। इस प्रकार माँ और बतस दोनों अपने बच्चों से प्यार करती हैं; उनका पालन-पोषण करती हैं। इन्हीं आधारों पर लेखक बिसनाथ ने अपनी माँ की तुलना बतख से की है।

उत्तर बिस्कोहर लेखक विश्वनाथ (बिसनाथ) का पैतृक गाँव है। अपने बचपन के दिनों में लेखक ने वहाँ के प्राकृतिक वातावरण को सभी ऋतुओं में देखा है। वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए लेखक कहता है कि बिस्कोहर में वर्षा ऐसे ही सीधे अचानक नहीं आती। पहले बादल घिरते हैं, फिर गड़गड़ाहट शुरू होती है। पूरा आकाश बादलों से इस प्रकार धिर जाता, जैसे दिन में ही रात हो गई हो। वर्षा ऋतु में बादलों की गड़गड़ाहट और वर्षा की रिमझिम स्वर-ध्वनियाँ संपूर्ण वातावरण को संगीतमय बना देती हैं।

छत पर चढ़कर जब लेखक आती हुई वर्षा को देखता है, तो उसे लगता है कि जैसे घोड़ों की कतारें दौड़ी चली आ रही हैं। दूर से ही वर्षा की बौछोरें अपनी ओर आती प्रतीत होती हैं। औँधी चलने से घरों के छप्पर उड़ जाते हैं। कई दिन लगातार वर्षा होने के कारण घरों की दीवारें गिर जाती हैं। भीषण गरमी से परेशान जानवर और पक्षी पुलकित हो जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि पहली बरसात में नहाने से दाद, खाज, खुजली, फोड़ा-फुंसी आदि बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। इस मौसम में जोंक, केंचुआ, जुगनू, अगनिहवा, करकच्ची-गोजर, मचर, इँस, वोका आदि कीड़े-मकोड़े बहुत अधिक मात्रा में पैदा हो जाते हैं। ये मनुष्य जाति के लिए नुकसानदायक भी साबित होते हैं। वर्षा होने के कारण अनेक वनस्पतियों का पुन: जन्म हो जाता है। चारों तरफ हरियाली फैल जाती है।

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प्रश्न 7.
फूल केवल गंध ही नहीं देते दवा भी करते हैं, कैसे ?
उत्तर :
फूल प्रकृति के उपहार होते हैं। उनमें वातावरण सुगंधित हो जाता है। फूलों की गंध व्यक्ति को आनंद प्रदान करती है, इसलिए व्यक्ति अपने हसीन पलों को किसी बाग-बगीचे में बिताना चाहता है। वस्तुतः सुगंध व्यक्ति को सदैव अपनी ओर आकर्षित करती है। परंतु फूल केवल सुगंध ही प्रदान नही करते बलिक दवा भी प्रदान करते हैं। फूलों की गंध का संबंध साँप, महामारी, दैव, चुड़ैल आदि से भी जोड़ा जाता है। गुड़हल का फूल देवी का फूल माना जाता है। नीम के फूल और पत्ते चेचक के रोगी को ठीक कर देते हैं। बेर के फूल में एक अजीब तरह का नशा होता है। इसे सूँघकर बरं-ततैया के डंक के जहर से बचा जा सकता है। बेर के फूल हाथ में पकड़ने या जेब में भर लेने या कमर में धागे से बाँध लेने से जहर झड़ जाता है। इस प्रकार फूल केवल गंध ही प्रदान नहीं करते बलिक दवा भी करते है।

प्रश्न 8.
‘प्रकृति सजीव नारी बन गई’ इस कथन के संदभं में लेखक की प्रकृति-नारी और सौंदूय संबंधी कारण स्पष्ट कीजिए।
अधवा
‘बिस्कोहर की माटी’ की उस ‘औरत’ को बिसनाथ प्रकृति के किन-किन रूपों में देखता है ? उसमें ऐसा क्या है कि उसे लगता है ‘बिस्कोहर’ से ज्यादा सुंदर कहीं की औरत नहीं हो सकती है?
उत्तर :
लेखक जाड़े की धूप और चैत (मार्च) की चाँदनी में क्यादा फर्क महसूस नही करता। बरसात की भीगी चाँद्नी चमकती तो नहीं, परंतु मधुर और शोभा के भार से अधिक दबी होती है। लेखक चाँदनी की इस शोभा में अपने गाँव बिस्कोहर की एक सुंदर औरत को देखता है। उसने उसे पहली बार अपने रिश्तेदार के यहाँ देखा था। प्राकृतिक साँदर्य में लेखक को यही सुंदर औरत दिखाई देती थी। हैरानी की बात यह है कि वह औरत बिसनाथ से दस साल बड़ी धी। बिसनाथ इस औरत की सुंदरता पर मोहित था।

जब लेखक बिस्कोहर में संतोषी भडया के यहाँ गया हुआ था तो उसे बरसात की चाँदनी रात में उसी सुंदर औरत का प्रतिबिंब दिखाई दिया। चारों और जूही की गंध बिखरी हुई थी। यही खुशबू जैसे प्राणों में बस गई। फूलों को देखकर ऐसा लगता था मानो चाँदनी रात में फूल भी चाँदनी रेंग के हो गए हों। बिसनाथ को चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य प्रतीत होता है-चाँदनी की प्रकृति, फूल की प्रकृति और खुशबू की प्रकृति। बिसनाथ को वह औरत केवल औरत ही नहीं लगी बल्कि औरत के रूप में जूही की लता बनकर फूलों की खुशबू-सी लगी। काफ़ी वर्षों बाद जब लेखक उस सुंदर औरत सौँदर्य में लेखक को नारी सौँदर्य का अनुभव होता है।

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प्रश्न 9.
ऐसी कौन-सी स्भृति है जिसके साथ लेखक को मृत्यु का बोध अजीब तौर से जुड़ा मिलता है ?
उत्तर :
लेखक दस वर्ष की आयु में एक सुंदर औरत के प्रति आकर्षित हो गया था। वह उसके प्रति पूरी तरह से आसक्त था। बिसनाथ और उस सुंदरी में दस वर्ष का अंतर था, इसलिए बिसनाथ उसके सामने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाया। वह औरत उसकी स्मृतियों में सदैव बसी रही। लेखक उसे चाहकर भी प्राप्त नहीं कर सकता था। उसके पास उसकी यादें है। इस प्रकार अजीब-सी व्याकुलता लेखक में उस औरत के संबंध में बनी रहती है। लेखक प्राकृतिक साँदर्य में भी उस औरत को देखता है। उसे लगता है कि सफ़ेद फूलों की भाँति उस औरत ने भी सफ़ेद रंग की साड़ी पहन रखी है। उसके घने काले केश सँवरे हुए हैं। पता नहीं उसकी आँखों में कैसी आर्द्र पीड़ा है।
– उस औरत का यही आकर्षक रूप और उसकी स्मृति लेखक को अजीब मृत्यु बोध करवाती है।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
पाठ में आए फूलों के नाम, साँपों के नाम छाँटिए और उनके रूप, रंग विशेषताओं के बारे में लिखिए।
उत्तर :
पाठ में आए फूलों के नाम, साँपों के नाम और उनकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
लेखक ने कोइयाँ, भसीण, सिंघाड़ा, हरसिंगार, लोकी, भिंडी, भटकटैया, इमली, कदंब, गेहूँ, धान, जौँ आदि के फूलों के नाय गिनवाए हैं। इसके अतिरिक्त उसने नीम के फूल, आम के फूल, सुमेल के फूल और बेर के फूलों के नामों की भी चर्चा की है। ये सभी फूल अलग-अलग रंगों के होते है।
लेखक ने साँपों के नाम और उनकी विशेषताएँ इस प्रकार लिखी है –

  • डोंडहा और मजगिदवा विषहीन होते हैं।
  • डोंडहा साँप जाति का वामन माना जाता है।
  • धामिन साँप भी विषहीन होता है। यह एक लंबा साँप होता है।
  • गोंहुअन अथवा फैंटारा और घोर कडाइच खतरनाक साँप होते हैं।
  • भटिहा साँप के दो मुँह होते हैं।
  • आम, पीपल और केवड़े की झाड़ी में रहने वाले साँप भी बहुत खतरनाक होते हैं।

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प्रश्न 2.
इस पाठ से गाँव के बारे में आपको क्या-क्या जानकारियाँ मिली ? लिखिए।
उत्तर :
इस पाठ के माध्यम से लेखक ने गाँव संबंधी अनेक जानकारियाँ प्रदान की हैं। गाँव में अनेक प्रकार के फल, फूल, पेड़ और वनस्पतियाँ उगती हैं। ये वनस्पतियाँ, फूल और फल खाद्य-पदार्थों के साथ-साथ औषधियाँ भी प्रदान करते हैं। गाँव में अनेक प्रकार के साधारण और खतरनाक साँप होते हैं। गाँव में माँ अपने बच्चों के प्रति अति आत्मीयपूर्ण व्यवहार करती है। गरमी की ऋतु में लू चलने के कारण लोगों को अनेक बीमारियाँ लग जाती हैं। वर्षा ऋतु में भी अनेक बीमारियाँ जन्म लेती हैं, जो बच्चों और बड़ों के लिए जानलेवा साबित होती हैं। ग्रामीण वातावरण में चाँदनी रात अधिक सुहावनी लगती है। मानवीय और प्राकृतिक साँदर्य का असली अनुभव हम ग्रामीण परिवेश में ही कर सकते हैं। इस प्रकार लेखक ने प्रस्तुत पाठ में ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी अनेक जानकारियाँ दी हैं।

प्रश्न 3.
वर्तमान समय-समाज में माताएँ नवजात शिशु को दूध नहीं पिलाना चाहती। विश्वनाथ स्वयं कहते हैं कि वह दूधकटहा हो गए। अपनी राय लिखिए।
उत्तर :
वर्तमान समय में माताएँ आधुनिकता के दौर से गुज़र रही है। वे आधुनिकता और सँददर्य के नाम पर अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान करवाने से परहेज करने लगी हैं। उन्हें लगता है कि स्तनपान करवाने से उनकी सुंदरता नष्ट हो जाएगी। इसलिए वे अपने बच्चों के साथ आत्मीयता से पेश नहीं आतीं। गाय अथवा भैस का दूध नवजात शिशु के लिए पौष्टिक नहीं होता। इससे बच्चा कुपोषण का शिकार भी हो सकता है। इसलिए हमारी राय में माताओं का नवजात शिशुओं को दूध न पिलाना अनुचित है। हम माताओं को यही राय देंगे कि वे अपने बच्चों को स्तनपान करवाएँ और उनके स्वास्थ्य व सेहत के प्रति सचेत रहे, जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।

Class 12 Hindi NCERT Book Solutions Antral Chapter 3 बिस्कोहर की माटी

प्रश्न 1.
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ की भाषा-शैली का वर्णन कीजिए।
उत्लर :
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ सुविख्यात लेखक विश्वनाध त्रिपाठी द्वारा लिखी आत्मकथा ‘नंगातलाई का गाँव’ का अंशमात्र है। इस पाठ में लेखक ने अपने गाँव के प्राकृतिक सँददर्य व प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ ग्रामीण नारी-साँदर्य का भी वर्णन किया है। संपूर्ण वर्णन ग्रामीण परिवेश से जुड़ा हुआ है, इसलिए भाषा में आंचलिकता का पुट भर गया है। पाठ में अनेक आंचलिक शब्दों का प्रयोग किया गया है।

गाँवों में खायी जाने वाली सक्जियों और फलों के नाम परिगणन शैली में गिनवाए गए हैं। शैली वर्णनात्मक एवं चित्रात्मक है। शब्द-चित्रों में सपाट शैली अपनायी गई है। कहीं-कहीं वाक्य-विन्यास अखरता है। काव्यमयी और अलंकारिक भाषा से रोचकता पैदा की गई है। मुहावरों और कहावतों का प्रयोग कम दिखाई देता है, जबकि ग्रामीण परिवेश में मुहावरों व कहावतों का प्रयोग अधिक होता है। वस्तुत: भाषा सरल, सहज और आंचलिक है।

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प्रश्न 2.
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘बिस्कोहर की माटी’ विश्वनाथ त्रिपाठी द्वारा रचित आत्मकथा ‘नंगातलाई का गाँव’ का अंशमात्र है। इसमें लेखक की जीवन-शैली, आत्मिक संबंधों तथा प्राकृतिक परिवेश की विभिन्न स्थितियों को अभिव्यंजित किया गया है। इसके साथ-साथ लेखक ने अपने गाँव के भौगोलिक एवं वैयक्तिक जीवन परिवर्तनों का भी चित्रण किया है । ग्रामीण जीवन में फल, फूल, सक्जियों, प्राकृतिक आपदाओं आदि की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। लेखक ने इन्हीं परिस्थितियों को आत्मीयतापूर्ण ढंग से अभिव्यक्त किया है।

प्रश्न 3.
हिंदू परिवारों की परंपरा क्या है ?
उत्तर :
हिंदू परिवारों की यह परंपरा प्रचलित है कि उनमें कमल-पत्तों पर भोज किया जाता है। इन परिवारों के लोग प्राचीन समय से कमल-पत्तों पर ही भोजन करते आ रहे हैं। ये कमल के पत्तों, तनों तथा जड़ों का भोजन में प्रयोग करते हैं।

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प्रश्न 4.
लेखक के अनुसार माँ का दूध बच्चे के लिए कितना लाभदायक होता है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार माँ का दूध बच्चों के लिए बहुत लाभकारी होता है। बच्चे के लिए वह केवल दूध नहीं होता, बल्कि उससे बच्चे के सभी संबंधों का जीवन-चरित होता है। चाँदनी रात में बच्चा माँ का दूध ही नहीं पीता, बल्कि दूध के साथ-साथ चाँदनी भी पीता है। इससे बच्चे को आवश्यक पौष्टिक तत्व मिलते हैं, जिससे उसका संपूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास होता है।

प्रश्न 5.
शरव में ही हरसिंगार फूलता है। पितर-पक्ख (पितृपक्ष) में मालिन दाई घर के दरवाज़े पर हरसिंगार की राशि रख जाती थीं रख जाती थीं, तो खड़ी बोली हूई। गाँव की बोली में ‘कुरइ जात रहीं। बहुत ठेर सारे फूल मानो इकट्ठे ही अनायास उनसे गिर पड़ते थे। ‘कुरइ देना’ है तो सकर्मक लेकिन सहजता अकर्मक की है।
उपर्युक्त पंक्तियाँ किसकी आत्मकथा का वर्णन कर रही हैं और इस कथा के केंद्र में क्या है?
उत्तर :
शरद में ही हरसिंगार फूलता है। पितर-पक्ख (पितृपक्ष) में मालिन दाई घर के दरवाजे पर हरसिंगार की राशि रख जाती थीं, तो खड़ी बोली हुई। गाँव की बोली में ‘कुरइ जात रहीं’। बहुत ढेर सारे फूल मानो इकट्ठे ही अनायास उनसे गिर पड़ते थे। ‘कुरइ देना’ है तो सकर्मक लेकिन सहजता अकर्मक की है।

शरद में हरसिंगार का खिलना, गाँव की बोली व अन्य वनस्पतियों का वर्णन लेखक विश्वनाथ द्वारा अपनी आत्मकथा बिस्कोहर की माटी के माध्यम से किया गया है। इस पूरी कथा के केंद्र में है-बिस्कोहर, जो लेखक का गाँव है और एक पात्र बिसनाथ जो स्वयं लेखक विश्वनाथ हैं। गरमी, वर्षा एवं शरद ऋतु में गाँव में होने वाली परेशानियों का वर्णन भी लेखक ने किया है। पूरी रचना में लेखक ने अपने अनुभव और देखे गए प्राकृतिक संँदर्य को प्रस्तुत किया है।

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प्रश्न 6.
ग्रीष्म ॠतु में बच्चों को गरमी की लू से बचाने के लिए माँ क्या-क्या उपाय करती थी?
उत्तर :
ग्रीष्म ऋ्रतु में बच्चों को गरमी की लू से बचाने के लिए माँ धोती और कमीज्त से गाँठ लगाकर प्याज़ बाँध देती थी । इसके अतिरिक्त बच्चों को आम का पन्ना दवा के रूप में देती थी।

प्रश्न 7.
लेखक ने वर्षा ॠतु का अनूठा चित्रण किया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक के मतानुसार वर्षा ऋतु का आगमन घोड़ों की दौड़ के समान होता है। इस ऋतु में तबला, मृदंग और सितार के समान संगीत सुनाई देता है। चारों तरफ़ टपटप की आवाजें होती हैं। आँधी आने पर टीन-छप्पर उड़ जाते हैं। कीड़े-मकोड़, जोंक, केंचुए आदि अनेक जीव पैदा हो जाते हैं। चारों तरफ़ कीचड़ व बदबू का साप्राज्य हो जाता हैं।

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प्रश्न 8.
‘बिस्कोहर की माटी’ लेखक के मन में क्यों बस गई है? किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
बिस्कोहर की माटी लेखक के मन में इसलिए बस गई है, क्योंकि बिस्कोहर के साथ उसकी अनेक यादें जुड़ी हुई हैं। उसका मानना है कि बिस्कोहर से अच्छा कोई दूसरा गाँव हो ही नहीं सकता। यहाँ की ग्रीष्म, वर्षा आदि ऋतुओं था कमल, कोइयाँ हरसिंगार आदि के फूलों के सॉददर्य को वह भूल नहीं पाता है। यहाँ के टीलों, तालाबों, मंदिरों, मैदानों आदि की यार्दे उसके मन में बसी हुई हैं।

प्रश्न 9.
‘बिस्कोहर की माटी’ के आधार पर प्रकृति, नारी और साँदर्य संबंधी लेखक की मान्यताएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बिस्कोहर की माटी में लेखक ने प्रकृति, नारी और साँदर्य का अनूठा चित्रण किया है। लेखक (बिसनाथ) जाड़े की धूप और चैत (मार्च) की चाँदनी में ज्यादा फ़क महसूस नहीं करते। बरसात की भीगी चाँदनी चमकती तो नहीं परंतु मधुर और शोभा के भार से अधिक दबी होती है। वे इस चाँदनी की शोभा में अपने गाँव बिस्कोहर की एक सुंदर औरत को देखते हैं। उन्होंने उसे पहली बार अपने रिश्तेदार के यहाँ देखा था। प्राकृतिक साँदर्य में लेखक को यही सुंदर औरत दिखाई देती है।

हैरानी की बात यह है कि यह औरत बिसनाथ से दस साल बड़ी है। बिसनाथ इस सुंदर औरत की सुंदरता पर मोहित है। जब लेखक बिस्कोहर में संतोषी भइया के यहाँ गए हुए थे तो उन्हें बरसात की चाँदनी रात में उसी सुंदर औरत का प्रतिबिंब दिखाई देता है। चारों ओर जूही की गंध बिखरी हुई है। यही खुशबू जैसे प्राणों में बस गई है। फलों को देखकर ऐसा लगता है मानों चाँदनी रात में फूल भी चाँदनी रंग के हो गए है। बिसनाथ को चारों ओर प्रकृति का साँदर्य प्रतीत होता है।

चाँदनी की प्रकृति, फूल की प्रकृति और खुशबू की प्रकृति। बिसनाथ को वह औरत केवल औरत ही नहीं लगी बल्कि औरत के रूप में चाँदनी जूही की लता बनकर फूलों की ख़ुशबू-सी लगी। अब प्रकृति नारी बन गई हो ऐसा प्रतीत होता है। काफ़ी वर्षो बाद एक बार बिसनाथ उस सुंदर औरत से मिले तो उन्होंने काफ़ी हिम्मत जुटाकर उसे कहा था-” जो तुम्हें पा जाएगा वह जरूर ही पागल हो जाएगा।” इस प्रकार प्राकृतिक सँददर्य में लेखक को नारी साँदर्य का अनुभव होता है।

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निबंधात्मक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
लेखक ने प्राकृतिक साँदर्य और प्राकृतिक आपदाओं का साथ-साथ वर्णन किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर :
लेखक विश्वनाथ त्रिपाठी (बिसनाथ) ने अपने पैतृक गाँव के प्राकृतिक साँदय में कमलपुष्प, कमलनाल, कुमुद, भसीण (कमल ककड़ी) आदि जलीय पुष्पों का बहुत ही विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। इसके बाद उन्होंने अनेक फूलों का भी वर्णन किया है। फूलों में वे तोरी, लौकी, भिंडी, भटकटैया, इमली, अमरूद, कदंब, बैंगन, कोहड़ा (काशीफल), शरीफ़ा, आम के बौर, कटहल, बेर, अरहर, उड़द, चना, मसूर, मटर के फूल आदि के नाम परिगणन शैली में गिनवाते हैं। इस प्रकार लेखक ने प्राकृतिक साँदर्य का वर्णन सुरुचिपूर्ण छंग से किया है।

लेखक ने प्राकृतिक आपदाओं में लू लगने से फैलने वाली बीमारियों, बरसात की त्रहु में पनपने वाले कीड़े-मकोड़ों आर मच्छर आदि से फैलने वाली बीमारियों का भी वर्णन किया है। लेखक कहता है कि वर्षा ऋलु जहाँ एक ओर प्राकृतिक साँदर्य में बड़ोतरी करती है, वहीं अपने साथ अनेक बीमारियाँ भी लेकर आती है। इन सभी बीमारियों की चर्चा लेखक ने सिलसिलेवार की है। इस प्रकार वे ग्रामीण परिवेश के सौंदर्य का ही वर्णन नहीं करते बल्कि प्राकृतिक आपदाओं का भी वर्णन करते हैं। वस्तुतः वे ग्रामीण परिवेश के दोनों क्षणों को समान रूप से प्रस्तुत करना चाहते हैं।

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प्रश्न 2.
लेखक ने नवल शुक्ल की किस कविता को अपने पाठ में स्थान दिया है ? वह कविता लिखिए।
उत्तर :
लेखक ने नवल शुक्ल की निम्नलिखित कविता को पाठ में संदर्भ सहित स्थान दिया है। कविता इस प्रकार है-

फूल खिले खिले फूल
धान फल, कोदो फूल
कुटकी फूल खिले।
फूल खिले खिले फूल।
गोभी फूल परवल फूल
करेला, लौकी, खेक्सा

मिर्ची फूल खिले
फूल खिले खिले फूल
खीरा फूल, तोरई फूल
महुआ फूल खिले।
ऐसी हो बारिश
खूल फूल खिलें।

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प्रश्न 3.
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ के आधार पर वर्षा के आने का वर्णन करें।
उत्तर :
वर्षा सीधे अचानक नहीं आती। पहले आकाश में काले बादल घिरते हैं, फिर गड़गड़ाहट होती है। पूरा आकाश बादलों से घिर जाता है। लगता है कि मानो दिन में ही रात हो गई हो। वर्षा ऋतु एक ऐसी ऋतु है, जिसमें संगीत अधिक सुनाई पड़ता है; जैसे-तबला, मृदंग और सितार का संगीत। वर्षा ऐसे आती है, जैसे घोड़ों की कतार दौड़ी चली आ रही हो। आँधी आने पर छप्पड़ उड़ जाते हैं। पशु-पक्षी इधर-उधर भागते और थिरकते हैं।

पहली वर्षा में नहाने से खाज, खुजली, फोड़ा-फुंसी आदि ठीक हो जाते हैं। कीड़ेमकोड़े, जोंक, केंचुष, मच्छर आदि बहुतायत में पैदा हो जाते हैं। अनेक प्रकार की दूब और वनस्पतियाँ नई हरियाली की लहरों-सी लहराती हैं। चारों ओर कीचड़ व बदबू का साम्राज्य होता है। बरसात के बाद बिस्कोहर की धरती, आकाश, दिशाएँ, तालाब और राप्ती नदी निखर उठते हैं। तालाब पानी से लबालब भर जाते हैं। ऐसा लगता है कि तालाब के नीले जल से जैसे अभी कोई देवीदेवता प्रकट होने वाला है। खेतों की नालियों में पानी सुरीली लय में बहता प्रतीत होता है।