Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 20 दूसरा देवदास to develop Hindi language and comprehension skills among the students.

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 20 दूसरा देवदास

Class 12 Hindi Chapter 20 Question Answer Antra दूसरा देवदास

प्रश्न 1.
पाठ के आधार पर हर की पौड़ी पर होने वाली गंगा जी की आरती का भावपूर्ण वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा जी की आरती गोधूलि बेला में होती है। आरती के समय अचानक दीपक जल उठते हैं। पंडित और पंडे अपने-अपने आसन को छोड़कर खड़े हो जाते हैं। वे अपने हाथों में अंगोछा लपेटकर पंचमंबिली नीलांजलि को धारण करते हैं। पहले पुजारी समवेत स्वर में ‘जय गंगेमाता, जो कोई तुश्रको ध्याता, सारे सुख पाता, जय गंगे माता’ गाते हैं चारों ओर घंटे-घड़ियाल बज उठते हैं। मन्नतों के दीपक लिए हुए छोटी-छोटी किश्तियाँ गंगा की लहरों में इठलाती हुई आगे बढ़ने लगती हैं। गंगा-पुत्र दोनों में पैसे पकड़ने लगता है। पुजारियों का स्वर थकते ही लता मंगेशकर की सुरीली आवाज़ ‘ओम जय जगदीश हर’ के रूप में गुंजायमान हो उठती है। अधिकांश औरतें गीले वस्त्रों में ही गंगा जी की आरती में सम्मिलित होती हैं।

Class 12 Hindi Antra Chapter 20 Question Answer दूसरा देवदास

प्रश्न 2.
‘गंगापुत्र के लिए गंगा मैया ही जीविका और जीवन है’ – इस कथन के आधार पर गंगा-पुत्रों के जीवन-परिवेश की चर्चां कीजिए।
उत्तर :
गंगापुत्र गंगा मैया के आँचल में पले-बढ़े हैं। यहीं उन्होंने चलना, दौड़ना, तैरना सीखा है। इसी माँ के आँचल में ही उनका बचपन व्यतीत हुआ है। गंगा का जल ही उनका बसेरा है। संध्या की आरती के समय भक्तगण अपनी मन्नतों के लिए जो दोने गंगा में बहा देते हैं, गंगा-पुत्र इन्हीं दोनों में से पैसे चुनकर आगे बहा देता हैं। वह प्रत्येक डोने को ध्यानपूर्वक जाँचता-परखता है। दोने के पानी में जाते हुए झट से उसमें से पैसे निकाल लेता है। वे मुँह भरकर रोजगारी इकट्ठी करते हैं। इन गंगा-पुत्रों की बीबी और बहनें कुशाघाट पर रेज़गारी बेचकर नोट कमाती हैं। बस इसी से इनका जीवन चलता है। इस प्रकार गंगा-पुत्र के लिए गंगा-मैया ही जीविका और जीवन है।

प्रश्न 3.
पुजारी ने लड़की के ‘हम’ को युगल अर्थ में लेकर क्या आशीवांद दिया और पुजारी द्वारा आशीवांद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटापन क्यों आया ?
उत्तर
पुजारी ने लड़की के ‘हम’ को युगल के अर्थ में सुखी रहने, फूलने-फलने, जब भी आना साथ ही आना, गंगा मैया मनोरथ पूरी करें का आशीर्वाद दिया। पुजारी द्वारा आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटापन इसलिए आ गया, क्योंकि पुजारी ने उन्हें पति-पत्ली समझकर ऐसा आशीर्वाद दे दिया था।

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प्रश्न 4.
उस छोटी-सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी, इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए।
उत्तर :
लड़की से छोटी-सी मुलाकात के बाद संभव का मन बेचैन हो गया। उसकी भूख-प्यास भी न जाने कहाँ गायब हो गई। नींद और स्वप्न के बीच उसकी आँखों में घाट की पूरी बात दौड़ रही थी। वह अभी भी लड़की का आँख मूँदकर अर्चना करना, माथे पर भीगे बालों की लट, कुरते को छूता उसका गुलाबी आँचल, और ‘पुजारी कल हम आएँगे’ कहना आदि बातों में खो रहा था। रात को सोते हुए उसकी आँख खुली तो नानी से भोजन लेकर वह बीच में ही छोड़ चला गया। सारी रात संभव की आँखों में शाम मँडराती रही। वह सारी रात उसी लड़की की बातों से खोया रहा। बिलकुल भी सो नहीं पाया।

प्रश्न 5.
मंसा देवी जाने के लिए केबिल-कार में बैठे हुए संभव के मन में जो कल्पनाएँ उठ रही थीं, उनका वर्णन कीजिए। उत्तर :
संभव मंसा देवी जाने के लिए गुलाबी केबिल-कार में बैठा। अब उसे गुलाबी रंग ही अच्छा लग रहा था। सबके हाथ में चढ़ावा देखकर वह दुखी था कि वह चढ़ावे की थाल खरीदकर नहीं लाया। नीचे पंक्तियों में सुंदर-सुंदर फूल खिले हुए थे। उसे ऐसा लग रहा था कि रंग-बिरंगी वादियों से कोई हिंडोला उड़ा जा रहा हो। चारों ओर का विहंगम दृश्य मन में गूँज रहा हो। न उसे मोटे-मोटे फौलाद के खंभे नज़र आए और न भारी केबिल वाली रोपवे। पूरा हरिद्वार सामने खुला था। जगह-जगह मंदिरों के बुर्ज, गंगा मैया की धवल धार और सड़कों के खूबसूरत घुमाव दिख रहे थे।

प्रश्न 6.
“पारो बुआ, पारो बुआ इनका नाम है… उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।” कथन के आधार पर कहानी के संकेतपूर्ण आशय पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
“उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।”-उपयुक्त कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
इस कथन के माध्यम से लेखिका ने नायिका पारो तथा नायक देवदास के मिलन की ओर संकेत किया है। पारो को मिलते ही देवदास के मन में जैसे प्रथम मिलन की घड़ियाँ गूँजने लगती हैं उसी प्रकार प्रस्तुत कहानी के संभव के मन में भी बच्चे की बुआ पारो से मिलन पर याद हो आती है। वह उसी की स्मृति में डूब जाता है।

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प्रश्न 7.
‘मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत, अनूठी है, इधर बाँधो उधर लग जाती है।’ कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पारो का मन भी संभव को देखकर झूम उठा था। वह बहुत प्रसन्न थी। उसके मन में अनेक प्रश्न पैदा हो रहे थे। वह भी संभव को देखकर अनेक कल्पनाएँ करने लगी थी।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) ‘तुझे तो तैरना भी न आये। कर्ही पैर फिसल जाता तो मैं तेरी माँ को कौन मुह दिखाती।’
(ख) ‘उसके चेहरे पर इतना विभोर विनीत भाव था मानो उसने अपना सारा अहम् त्याग दिया है, उसके अंदर स्व से जनित कोई कुंठा शेष नहीं है, वह शुद्ध रूप से चेतनस्वरूप, आत्माराम और निर्मलानंद है।’
(ग) ‘एकदम अंदर के प्रकोष्ठ में चामुंडा रूप धारिणी मंसादेवी स्थापित थी। क्यापार यहाँ भी था।’
उत्तर :
(क) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि संभव की नानी उसको समझाते हुए कहती है कि बेटा । तुझे तो तैरना भी नहीं आता। तेरा कहीं पर अधिक पानी में पैर फिसल जाता तो मैं तेरी माँ को क्या मुँह दिखाती अर्थात कोई अशुभ होने पर में तेरी माँ को कैसे समझाती।

(ख) उपर्युक्त गद्यांश से आशय है कि हर की पौड़ी की भीड़ से दूर कोई व्यक्ति सूर्य की ओर हाथ जोड़े खड़ा था। उसके चेहरे पर विभोर और विनय भाव था मानो उसने अपना सारा अहंकार त्याग दिया है। उसके हुदय में अहम् से पैदा हुई कुंठा का भाव शेष नहीं था। वह बिलकुल शुद्ध रूप से चेतनस्वरूप आत्माराम और निर्मल आनंदमय लग रहा था।

(ग) इस पंक्ति से आशय है कि मनसा देवी के मंदिर में एकद्म अंदर के कमरे में चामुंडा का रूप धारण करने वाली मनसा देवी स्थापित थी। लेखिका कहती है कि व्यापार यहाँ भी था। यहाँ भी वस्तुएँ बिक रही थीं।

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प्रश्न 9.
दूसरा देवदास कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
दूसरा देवदास कहानी ममता कालिया द्वारा रचित है जिसमें लेखिका ने युवा हुदय में पहली बार उपजी मुलाकात की हलचल और कल्पना का चित्रण किया है। कहानी में नायक देवदास तथा नायिका पारो अचानक हर की पौड़ी पर संध्या आरती के समय अनजान अवस्था में मिलते हैं। प्रथम मुलाकात के बाद नायक उसे मन से नहीं भुला पाया। नानी के घर जाकर भी वह उसी के ख्यालों में खोया रहा। सारी रात उसी मुलाकात के बारे में सोचता रहा।

उसे भूख भी नहीं लगी। वह यही सोचता रहा कि कल भीड़ में वह उस लड़की को पहचान लेगा। वह देवदास कहानी के देवदास की तरह अंत तक अपनी पारो के लिए बेचैन रहा। एक बच्चे के माध्यम से संभव मंसा देवी के मंदिर से लौटते हुए अपनी पारो से मिला। पारो से मिलकर उसे ऐसा लगा जैसे उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो गई हों। उसका रोम-रोम खिल उठा। पारो भी अपनी मन्नतों को अद्भुत रूप से पूर्ण हुआ सोच रही थी। संभवतः दूसरा देवदास शीर्षक सार्थक है।

प्रश्न 10.
‘हे इश्वर! उसने कब सोचा था कि मनोकामना का मौन उद्गार इतनी शीघ्र शुभ परिणाम दिखाएगा।’ आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि पारो से अचानक मिलन होने पर संभव उससे अनेक बातें कहना चाहता था लेकिन कहत नही पाया। अचानक पुन: उसे वही कंठ वही स्वर सुनी और अंदाज़ दिखाई दिया जिससे उसका रोम-रोम खिल उठा। उसी खुशी के लिए वह प्रभु का धन्यवाद करते हुए कहता है कि हे प्रभु! उसने कभी नहीं सोचा था कि मेरी मनोकामना का मौन भाव इतनी जल्दी अच्छा परिणाम दिखाएगा। अर्थात उससे इतनी जल्दी दुबारा मुलाकात हो जाएगी।

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भाषा-शिल्प –

प्रश्न 1.
इस पाठ का शिल्प आख्याता (नैरेटर-लेखक) की ओर से लिखते हुए बना है-पाठ से कुछ उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए।
उत्तर :

  1. हर की पौड़ी पर साँस कुछ अलग रंग में उतरती है। दीया बाती का समय यह कह लो आरती की बेला।
  2. एकाएक सहल दीप जल उठते हैं। पंडित अपने आसन से उठ खड़े होते हैं।
  3. पहले दोने की दीपक से उसके लँगोट में आग की लपट लग जाती है। पास खड़े लोग हँसने लगते हैं, पर गंगापुत्र हतप्रभ नहीं होता।

प्रश्न 2.
पाठ में आए पूजा-अर्चना के शब्दों तथा इनसे संबंधित वाक्यों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर :

  1. हर की पौड़ी पर साँझ कुछ अलग रंग में उतरती है दीया-बाती का समय या कह लो आरती की बेला।
  2. शांत होकर बैठिए। आरती शुरू होने वाली है।
  3. आरती से पहले स्नान।
  4. पंडित जी आरती के इंतब्बाम में व्यस्त हैं।
  5. एकाएक सहस दीप जल उठते हैं। पंडित जी आसन छोड़ खड़े होते हैं। हाथ में अँगोछा लपेट कर पंचमंकिली नीलांजलि पकड़ते हैं और शुरू हो जाती है आरती।
  6. संभव ने चुपचाप तिलक लगवा लिया।
  7. लड़की अब बिलकुल बराबर में खड़ी औंख मूँदकर अर्चना कर रही थी।
  8. पहले पुजारियों के भर्राए गले से समवेत स्वर उठता है-जय गंगे माता, जो कोई तुझको ध्याता, सारे सुख पाता, जय गंगे माता।
  9. पुजारियों का स्वर पकने लगता है तो लता मंगेशकर की सुखीली आघाज लाउडस्पीकरों के साथ सहयोग करने लगती है और आरती में एकाएक एक स्चिग सौंदर्य की रचना हो जाती है। ‘\$इम् जय जगदीश हरे’ से हर की पौड़ी गुंजायमान हो जाती है।

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योग्यना-किस्तार –

प्रश्न 1.
चंद्रधर शमां गुलेरी की ‘उसने कहा था’ कहानी पढड़िए और उस पर बनी फ़िल्म देखिए।
उत्तर :
अध्यापक की सहायता से पूरा करें।

प्रश्न 2.
हरिद्वार और उसके आसपास के स्थानों की जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
कक्षा अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से जानकारी लें।

प्रश्न 3.
गंगा नदी पर एक निखंध लिखिए।
उत्तर :
गंगा नदी गंगोत्री स्थान से निकलती है। यह भारत की प्रमुख नदी है। वेद-पुरणणंं में इस नदी को माँ का रूप दिया गया है। यह हिमालय पर्वत से निकलकर मैदानी क्षेत्रों में बहती है। यह एक विशाल नदी है जिसमें से अनेक सहायक नदियाँ मिलती हैं। भारतीय समाज में वैसे तो नदियों को एक माता के समान माना गया है, लेकिन अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा नदी को अत्यधिक पवित्र माना जाता है। करोड़ों श्रद्धालु इस नदी के जल में डुखकी लगा अपने को धन्य समझते हैं।

इसका जल अमृत के समान है इसलिए लोग अपने घरें में रखते हैं तथा पवित्र अयोजनों पर उसका प्रयोग करते हैं। गंगा के तटों पर अनेक तीर्थ-स्थल हैं तथा अनेक सुंदर-सुंदर नगर बसे हुए है, जहाँ प्रतिवर्ष मेले लगते हैं। इस अवसर पर श्रद्धालु करोड़ों की संख्या में इसके पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। गंगा का अमृत तुल्य पानी भारत की अधिकांश भूमि को सीचता है। इसका पानी जहा-जहाँ से गुजरता है, वह भूमिं पवित्र और उपजाऊ बन जाती है। वस्तुत: गंगा नदी का भारतीय समाज में अनूठा स्थान है।

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प्रश्न 4.
आपके नगर/गाँव में नदी-तालाब-मंदिर के आसपास जो कर्मकांड होते हैं, उनका रेखाचित्र के रूप में लेखन कीजिए।
उत्तर :
हमारा गाँव यमुना नदी के तट पर स्थित है। यहाँ प्रतिवर्ष लोग स्नान करते हैं। अनेक श्रद्धालु दूर-दूर से उसकी पूजा-अर्चना करने आते हैं। लोग अपने घरों में दूध की सामग्री, नैवेद्य, प्रसाद आदि इसके पवित्र जल में अर्पित करते हैं। प्रतिवर्ष यहाँ जून मास में मेला लगता है। लाखों की संख्या में लोग यहाँ स्नान करने आते हैं। अपने को नदी के जल में स्नान कर स्वयं को धन्य समझते हैं। दूध, घी, दही, नारियल, वस्त्र आदि यमुना को अर्पित करते हैं।

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प्रश्न 1.
लेखिका ने गंगापुत्र किसे कहा और क्यों?
उत्तर :
लेखिका ने आरती के समय भक्तों द्वारा बहाए गए दोनों से पैसा इकट्ठा करने वालों को गंगापुत्र कहा है क्योंकि उसका जन्म इसी गंगा के आस-पास में हुआ है। वे इसी माँ के औंचल में पलकर बड़े होते हैं। इसी के आँचल के पानी से खेलते-खेलते उसने खड़ा होना सीखा है। बड़ा होकर भी वह अपना जीवन इसी गगा मौँ के पानी में बिता रहा है।

प्रश्न 2.
सामान्य और स्पेशल भक्तों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सामान्य भक्त वे है जो आरती के समय अपनी इच्छानुसार आरती लेते हैं और चढ़ावा देते हैं। स्पेशल भक्त-ये वे भक्त हैं जो अपनी इच्छा से आरती नहीं लेते और न चढ़ावा देते हैं बल्कि पुजारी इनसे अपने आप ब्राहमण-भोज, दान, मिष्ठान की धनराशि कबूल करवाते हैं।

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प्रश्न 3.
संभव और पारो के प्रथम मिलन का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
संभव एक दिन संध्या की बेला में गंगा-घाट पर गंगा की छटा निहार रहा था। पंडित जी उसकी कलाई पर कलावा बाँध रहे थे। उसका ध्यान कलावे की तरफ़ नहीं था। उसी समय एक दुबली-पतली-सी लड़की ने अपनी नाजुक-सी कलाई पुजारी की ओर बढ़ाकर कलावा बँधवा लिया और उसे पाँच रुपये दे दिए। लड़की अब उसके बिलकुल पास में खड़ी आँखें बंद करके अर्पण कर रही थी।

उसके कपड़े एकदम भीगे हुए थे। उसके गुलाबी आँचल से संभव के कुरते का एक कोना भी गीला हो रहा था। लड़की के लंबे गीले बाल पीठ पर काले चमकीले शॉल की तरह सुंदर लग रहे थे। वह दीपकों के उजालों तथा आकाश और जल ५ी: साँवली संध्या बेला में बहुत सौम्य और कांस्य प्रतिमा के समान लग रही थी। यहीं संभव का उस लड़की पारो से प्रथम मिलन था, जिसे वह कभी नहीं भुला पाया।

प्रश्न 4.
संभव के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
संभव के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
संभव दिल्ली का रहने वाला है। वह अत्यंत सुंदर-सुडौल तथा लंबा युवक है। वह एम० ए० की पढ़ाई पूरी कर चुका है। वह अब सिविल सर्विसेज की प्रतियोगिताओं में बैठने वाला है। वह बहुत भोला तथा भावुक इदय वाला है। वह लड़कियों से बात करने में शर्म महसूस करता है। वह अपने माता-पिता तथा नानी की इज्ज़त करता है। उसे अपने छोटों से बेहद लगाव है।

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प्रश्न 5.
‘दूसरा देवदास’ कहानी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘दूसरा देवदास’ कहानी ममता कालिया द्वारा रचित है। इसमें लेखिका ने हरिद्वार के हर की पौड़ी के परिवेश को केंद्र में रखकर युवा मन की संवेदना, भावना और विचारों के उथल-पुथल को चित्रित किया है। इसमें युवा हदय में प्रथम आकस्मिक मुलाकात की हलचल, कल्पना और रूमानियत का चित्रण प्रस्तुत किया गया है। इसमें बताया गया है कि प्रेम के लिए किसी निश्चित व्यक्ति, समय और स्थिति का होना आवश्यक नहीं है। प्रेम तो कभी भी, कहीं भी, किसी भी समय और स्थिति में उपज सकता है। इसके माध्यम से लेखिका ने प्रेम को फ़िल्मों की परिपाटी से अलग हटाकर उसे पवित्र और स्थायी स्वरूप प्रदान किया है।

प्रश्न 6.
लेखिका ने प्रेम की क्या परिभाषा दी है ?
उत्तर :
लेखिका के मतानुसार प्रेम के लिए किसी निश्चित व्यक्ति, समय और स्थिति का होना आवश्यक नहीं है। प्रेम तो कभी भी, कहीं भी, किसी भी समय और स्थिति में हो सकता है।

प्रश्न 7.
लेखिका ने पंडों की क्या विशेषता बताई है ?
उत्तर :
पंडे हर की पौड़ी पर गंगा में स्नान कर रहे जजमानों के कपड़े-लत्ते की सुरक्षा करतं हैं । वे अपने पास चंदन और सिंदूर की कटोरी रखते हैं। वे मदों के माथे पर चंदन का तिलक तथा औरतों के माथे पर सिंदूर का टीका लगाते हैं।

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प्रश्न 8.
हर की पौड़ी किसके स्वर से गुंजायमान होती है ?
उत्तर :
हर की पौड़ी पुजारियों, श्रद्धालुओं के स्वर से गुंजायमान होती है। जब पुनारी आरती कर थक जाते हैं तो लता मंगेशकर की सुरीली आवाज़ लाउडस्पीकरों के साथ सहयोग करती है। उनकी आरती ‘ओइम् जय जगदीश हरे’ के स्वर से हर की पौड़ी गुंजायमान हो जाती है।

प्रश्न 9.
आरती के समय गंगा का वातावरण कैसा होता है ?
उत्तर :
आरती के समय गंगा का प्राकृतिक सँदर्य अत्यंत अनूठा, सौददर्यपूर्ण, आनंदप्रद एवं मनमोहक होता है। ‘जय गंगा मैया’, ‘ओ३म् जय जगदीश हरे’ आदि आरती के स्वर संपूर्ण वातावरण में गुंजायमान हो उठते हैं। गंगा के पानी में हजारों बाती वाले दीपकों की प्रतिछवियाँ झिलमिलाने लगती हैं। संपूर्ण वातावरण में अगर-चंदन की दिव्य सुगंध फैल जाती है।

प्रश्न 10.
‘व्यापार यहाँ भी था’-‘ दूसरा देवदास’ पाठ के आधार पर इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
दूसरा देवदास कहानी ममता कालिया द्वारा रचित है। इसमें लेखिका ने पारो एवं संभव की प्रेम कहानी के माध्यम से हरिद्वार में हर की पौड़ी की अभिव्यक्ति की है। हर की पौड़ी पर संध्या आरती के समय दीपकों की माला झिलमिलाने लगती है। संपूर्ण वातावरण अगरू व चंदन की दिव्य सुगंध से सुर्गाधित हो महक उठता है। गंगा माँ पवित्र आरती से चारों तरफ जयजयकार गूँजने लगती है।

मंत्रोचारण एवं आरती होने लगती है। इसके साथ-साथ बीच-बीच में पंडे घूमते दिखाई देने लगते हैं। जिनके हार्थों में चंदन और सिंदूर की कटोरी है। पंडे पुरुषों के मस्तक पर चंदन का तिलक और औरतों के मस्तक पर सिंदूर का टीका लगाते हैं। वे इसके बदले में कुछ-न-कुछ पैसे वसूलते हैं। इतना ही नहीं कहीं कोई दादा-दादी अपना पहला पोता होने की खुशी में आरती करवा रहे हैं तो कहीं कोई नई बहू आने की खुशी में। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि व्यापार यहाँ भी था।

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प्रश्न 11.
हर की पौड़ी पर आरती के पश्चात के दृश्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
आरती के पश्चात संकल्प और मंत्रोच्चारण किया जाता है। सभी भक्तगण आरती लेते हैं और चढ़ावा देते हैं। स्पेशल भक्तों से पुजारी ब्राहमण-भोज, दान, मिष्ठान की राशि कबूलवाते हैं। संपूर्ण वातावरण शांत हो जाता है। सभी श्शांत मन और खुशी-खुशी दक्षिणा देते हैं। पंडित जी प्रसन्न होकर भगवान के गले से माला निकालकर यजमान के गले में डालते हैं। इसके बाद प्रसाद, मुरमुरे, इलायचीदाना, केले और पुष्प बाँटि जाते हैं।

प्रश्न 12.
संभव को नई और निराली अनुभूति क्या हुई ?
उत्तर :
हर की पौड़ी पर बिलकुल अकेली, अनजान जगह पर, एक अनाम लड़की का सद्य-स्नात दशा में सामने आना, पुजारी द्वारा गलत समझकर आशीवादद देना और आशीर्वाद सुनकर लड़की का घबरा जाना और वहाँ से चल देना ही संभव के लिए नई और निराली अनुभूति हुई।

प्रश्न 13.
संभव ने दिल्ली में कैसी-कैसी भीड़ देखी ?
उत्तर :
संभव ने दिल्ली में दफ़्तर जाती भीड़, खरीद-फ़रोछ्त करती भीड़, तमाशा देखती भीड़, सड़क क्रास करती भीड़ देखी थी।

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प्रश्न 14.
हर की पौड़ी की भीड़ दिल्ली की भीड़ से अलग एवं निराली थी। क्यों ?
उत्तर :
हर की पौड़ी की भीड़ दिल्ली की भीड़ से अलग एवं निराली इसलिए थी, क्योंकि इस भीड़ में एकसूत्रता थी। इसमें जाति, भाषा, धर्म, मजहब आदि संकीर्णताओं का कोई महत्व नहीं था। संपूर्ण भीड़ एकसमान थी और समान भाव से अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए आगे बढ़ रही थी। इसमें जीवन के प्रति कल्याण की कामना थी। इस भीड़ में न तो दौड़ थी और न अतिक्रमण की भावना थी। संपूर्ण भीड़ शांत, निश्छल, निर्मल मन से ध्यानमग्न थी।

प्रश्न 15.
हर की पौड़ी पर अनोखी बात क्या थी ?
उत्तर :
हर की पौड़ी पर अनोखी बात यह थी कि यहाँ कोई भी स्नानार्थी किसी सैलानी की तरह आनंद में डुबकी नहीं लगा रहा था, बल्कि स्नान से अधिक समय ध्यान में डूबा हुआ था। दूर जलधारा के मध्य एक आदमी सूर्य की ओर उन्मुख हाथ जोड़कर खड़ा था। उसके चेहरे पर विभोर और विनीत भाव था। उसके अंदर कोई अहम् की भावना नहीं थी। वह तो शुद्ध रूप से चेतन स्वरूप, आत्माराम और निर्मलानंद था।

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प्रश्न 16.
संभव अपनी नानी के घर क्या-क्या कार्य करता था ?
उत्तर :
संभव अपनी नानी के घर सुबह-सुबह झाड़ लगाता था। चक्की चलाता था। वह पानी भरता था। रात के माँजे बरतन पुन: धो-धोकर लगाता था।