Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 18 जहाँ कोई वापसी नहीं to develop Hindi language and comprehension skills among the students.

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 18 जहाँ कोई वापसी नहीं

Class 12 Hindi Chapter 18 Question Answer Antra जहाँ कोई वापसी नहीं

प्रश्न 1.
अमझर से आप क्या समझते हैं ? अमझार गाँव में सूनापन क्यों है ?
उत्तर :
अमझर का शाब्दिक अर्थ है जहं आम झरते हैं। अमझर सिंगरौली के क्षेत्र नवागाँव का एक छोटा-सा गाँव है। इस गाँव के चारों ओर आम के वृक्ष हैं जिनसे सदा आम शरते रहते हैं। अमरौली प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवागाँव के अनेक गाँव उजाड़ दिए जाएँगे। यहाँ के लोग विस्थापित हो जाएँगे। इसी कारण से अमझर गाँव में सूनापन है।

प्रश्न 2.
आधुनिक भारत के ‘नए शरणार्थी’ किन्हें कहा गया है ?
उत्तर :
आधुनिक भारत में औद्योगीकरण की आँधी ने सिंगरौली के नवागाँव क्षेत्र के अनेक गाँवों के लोगों को उनके घर तथथा परिवेश से उखाड़कर सदा के लिए निर्वासित कर दिया है। अब ये लोग भी अनेक शरणार्थियों की तरह यहाँ-वहाँ भटककर शरण की राह देखेंगे। लेखक ने इन्हीं लोगों को आधुनिक भारत के ‘नए शरणार्थी’ कहा है।

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प्रश्न 3.
प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगीकरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है ?
उत्तर :
प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगीकरण के कारण विस्थापन में निम्नलिखित अंतर हैं –
(i) प्रकृति के कारण विस्थापन प्राकृतिक रूप से दिया जाता है, जबकि औद्योगीकरण के कारण विस्थापन सोची-समझी नीतियों के अंतर्गत दिया जाता है।
(ii) प्राकृतिक विस्थापन में कोई स्वार्थ निहित नहीं है, जबकि औद्योगीकरण का विस्थापन पूर्ण रूप से स्वार्थ पर आधारित है।
(iii) औद्योगीकरण के विस्थापन को सत्ताधारी तथा पूँजीपति लोग आधुनिक विकास का नाम देते हैं, जबकि प्राकृतिक विस्थापन का ऐसा कोई नाम नहीं होता।
(iv) प्राकृतिक विस्थापन के कारण लोग अपना घर-परिवेश छोड़कर कुछ समय के लिए जाते हैं। सामान्य स्थिति होने पर वे लौट आते हैं। लेकिन औद्योगीकरण के विस्थापन के कारण लोग सदा के लिए अपना घर-परिवेश छोड़कर चले जाते हैं। इसके बाद वे कभी उस स्थान पर लौटकर नहीं आ पाते।
(v) प्राकृतिक विस्थापन में केवल मनुष्य उखड़ता है, जबकि औद्योगीकरण के विस्थापन में केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि उनका प्यार, परिवेश सब कुछ सदा के लिए नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
यूरोप और भारत की पर्यावरण संबंधी चिंताएँ किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर :
यूरोप और भारत की पर्यावरण संबंधी चिंताएँ निम्न प्रकार से भिन्न हैं –
(i) यूरोप में पर्यावरण का प्रश्न मनुष्य और भूगोल के बीच संतुलन बनाए रखने का है, जबकि भारत में यही प्रश्न मनुष्य और उसकी संस्कृति के बीच पारंपरिक संबंध बनाए रखने का होता है।
(ii) यूरोप की सांस्कृतिक विरासत म्यूज़ियम्स तथा संग्रहालयों में जमा है, जबकि भारत की सांस्कृतिक विरासत उन रिश्तों में है जो आदमी को उसकी धरती, जंगलों, नदियों आदि समूचे परिवेश से जोड़ते हैं।

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प्रश्न 5.
लेखक के अनुसार स्वातंत्रोत्तर भारत की सबसे बड़ी ‘ट्रेजेडी’ क्या है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजेडी यही है कि हमारे देश के पश्चिम शिक्षित सत्ताधारियों का ध्यान कभी नहीं गया कि पश्चिम की देखादेखी और नकल में योजनाएँ बनाते समय प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के मध्य नाजुक संतुलन को किस तरह नष्ट होने से बचाया जा सकता है। हम पश्चिम को मॉडल बनाए बिना अपनी शर्तों तथा मर्यादाओं के आधार पर औद्योगिक विकास का भारतीय स्वरूप निर्धारित कर सकते हैं। कभी यह ख्याल भी हमारे शासकों के मन में नहीं आया।

प्रश्न 6.
औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है। क्यों और कैसे ?
उत्तर :
औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट इसलिए पैदा कर दिया है क्योंकि उद्योगों की स्थापना के लिए चारों ओर पेड़-पौधे, वन, जंगल आदि संपदा का विनाश हो रहा है। खनिज संपदा नष्ट हो रही है। कृषि योग्य भूमि को उजाड़ रहे हैं। लोगों को उजाड़कर विस्थापित किया जा रहा है। हरे-भरे पेड़-पौधों को काटा जा रहा है। इस कारण पूरा परिवेश असंतुलित हो रहा है।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) आदमी उजड़ेंगे तो पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे ?
(ख) प्रकृति और इतिहास के बीच यह गहरा अंतर है?
उत्तर :
(क) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि प्रकृति और मनुष्य का अटूट संबंध है। मनुष्य के सुख-दुख में प्रकृति भी बराबर सहयोग देती है। आदमी दुखी हो तो प्रकृति भी दुखी तथा सुखी तो उसे प्रकृति का कण-कण हैंसता-मुसकराता दिखाई देता है। अतः जब इस परिवेश से आदमी ही उजड़ जाएँगे तो फिर ये पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे अर्थात आदमी के उजड़ने पर ये आम के वृक्ष कैसे हरे-भरे रहेंगे।
(ख) इस पंक्ति का आशय है कि प्रकृति और इतिहास के मध्य गहन अंतर है। प्रकृति एक प्राकृतिक अवस्था है जबकि इतिहास का निर्माता स्वयं मनुष्य है। वह मनुष्य जो प्रकृति की देन है, अतः प्रकृति और इतिहास में बहुत बड़ा अंतर है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(क) आधुनिक शरणार्थी
(ख) औद्योगीकरण की अनिवार्यता
(ग) प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच आपसी संबंध।
उत्तर :
(क) भारतवर्ष में प्राचीनकाल से विस्थापन की समस्या चली आ रही है। समय-समय पर अनेक लोग विस्थापित होकर शरणार्थी का जीवन व्यतीत करते हैं लेकिन इस आधुनिक युग में अब सिंगरौली के नवागाँव के कुछ गाँवों के लोगों को विस्थापित किया गया है। औद्योगीकरण की आँधी ने उन्हें यहाँ-वहाँ भटकने पर मज़बूर कर दिया है। इस प्रकार विस्थापित में सिंगरौली के लोग आधुनिक शरणार्थी है।

(ख) आधुनिक युग के विकास के लालच ने औद्योगीकरण की अनिवार्यता पर बल दिया है। लेकिन इस लहर से लाभ की अपेक्षा हानियाँ अधिक हैं जो मानव को ही भोगनी हैं।

(ग) प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति का गहरा संबंध है। मनुष्य प्रकृति की देन है। जिससे जन्मोपरांत संस्कृति का सहारा लेकर जीवन-यापन करना पड़ता है। तीनों का परस्पर संतुलन बिगड़ने पर परिवेश में असंतुलन पैदा हो जाता है। मानव जीवन तो प्रकृति तथा संस्कृति के बिना अधूरा है।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य लिखिए –
(क) कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है।
(ख) अतीत का समूचा मिथक संसार पोथियों में नहीं, इन रिश्तों की अदुश्य लिपि में मौजूद रहता था।
उत्तर :
(क) प्रस्तुत पंक्ति ‘अंतरा भाग-2’ में संकलित लेखक निर्मल वर्मा द्वारा लिखित ‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ यात्रा संस्मरण से अवतरित है। इसमें लेखक ने परिवेश की संपदा को ही विनाश का कारण माना है। लेखक का कथन है कि जो क्षेत्र धन, संपदा की दृष्टि से भरा-पूरा होता है। वहाँ सरकार कारखाने लगाती है, जिससे वहाँ के लोगों को विस्थापन की मार झेलनी पड़ती है। इस तरह उसकी अनूठी संपदा ही उसके विनाश का अभिशाप बन जाती है।

(ख) लेखक का तात्पर्य है कि भूतकाल का समस्त सत्य और कल्पना का मिश्रण संसार के इन ग्रंथों में नहीं मिलता। अर्थात यह आवश्यक नहीं कि भारत के अतीत का संपूर्ण मिथक विद्वानों ने अपने ग्रंथों में लिख डाला हो। यह केवल मानवीय रिश्तों की अदृश्य लिपि में मिलता था अर्थात यह अतीत का मिथक पोथियों में नहीं, बल्कि मानवीय रिश्तों की अदृश्य लिपि में मिल सकता है।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
पाठ के संदर्भ में निम्नलिखित अभिव्यक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए –
मूक सत्याग्रह, पवित्र खुलापन, स्वच्छ मांसलता, औद्योगीकरण का चक्का, नाज्रुक संतुलन।
उत्तर :

  • मूक सत्याग्रह – इसका अर्थ है बिना किसी आवाज़ या क्रियाकलाप किए सत्य का आग्रह करना या आंदोलन करना।
  • पवित्र खुलापन – जिसमें पवित्रता हो, वह खुलापन, दिखावा।
  • स्वच्छ मांसलता – साफ़-सुथरी मांसलता।
  • औद्योगीकरण का चक्का – आधुनिक युग में उद्योगों को बढ़ावा देने का चक्र या नीति।
  • नाज्पुक संतुलन – कमज़ोर संतुलन या मेल या वह संतुलन जो थोड़ा-सा भार पड़ने पर टूट जाए।

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प्रश्न 2.
इन मुहावरों पर ध्यान दीजिए –
मटियामेट होना, आफत टलना, न फटकना।
उत्तर :
मटियामेट होना (तहस-नहस होना) – औद्योगीकरण के कारण प्राकृतिक सँददर्य मटियामेट हो गया है।
आफ़त टलना (मुसीबत जाना) – बाढ़ खत्म होते ही गाँववालों की आफ़त टल गई।
न फटकना (कभी नहीं आना) – राम ने सोहन से ऐसी डाँट लगवाई कि वह कभी भी पास नहीं फटका।

प्रश्न 3.
‘किंतु यह श्रम है………….डूब जाती हैं।’ इस गद्यांश को भूतकाल की क्रिया के साथ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
‘किंतु यह भ्रम था……..यह बाढ़ नहीं, पानी में डूबे धान के खेत थे।’ अगर थोड़ी-सी हिम्मत बटोरकर गाँव के भीतर चले गए होते तब वे औरतें दिखाई देतीं जो एक पाँत में झुकी हुई धान के पौधे छप-छप पानी में रोप रही थीं। सुंदर, सुडौल धूप में चमचमाती काली टाँगें और सिरों पर चटाई के किश्तीनुमा हैट, जो फ़ोटो या फ़िल्मों में देखे हुए वियतनामी या चीनी औरतों की याद दिलाते थे। ज़रा-सी आहट पाते ही वे एक साथ सिर उठाकर चौंकी हुई निगाहों से हमें देखती थीं। बिलकुल उन युवा हिरणियों की तरह जिन्हें मैने एक बार कान्हा के वनस्थल में देखा था। किंतु वे डरी नहीं, भागी नहीं, सिर्फ विस्मय से मुस्कराई और सिर झुकाकर अपने काम में डूब गईं।

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योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
विस्थापन की समस्या से आप कहाँ तक परिचित हैं ? किसी विस्थापन संबंधी परियोजना पर रिपोर्ट लिखिए।
उत्तर :
विस्थापन एक ऐसी समस्या है जो अपने अंदर असीम पीड़ाएँ, कराहटें और चीख-पुकार समेटे हुए है। अपने परिवेश को सदा के लिए छोड़ जाने का दुख प्रत्येक प्राणी का होता है।
रिपोर्ट – हर प्राणी अपने घर में ही सुख पाता है-चाहे वह छोटा हो या बड़ा, सजा-सँवरा हो या अभावों से भरा हुआ हो। मनुष्य तो सभ्य प्राणी है, संवेदनाओं से युक्त है इसलिए उसे तो अपने घर से मोह होना स्वाभाविक ही है। कीड़े-मकोड़े और पशु-पक्षी भी अपने आवास को नहीं छोड़ना चाहते। यदि निकृष्ट कीट-पतंगों को भी उनके बिल से जबरदस्ती निकालने की कोशिश करें तो वे काटने को दौड़ते हैं। ज़ा साँप को उसके बिल से बाहर निकाल कर देखो या किसी शेर को उस की माँद से बाहर खदेड़ कर देखो तो सही-वे अपना गुस्सा कैसे प्रकट करते हैं।

जब मनुष्य को बलपूर्वक उसे घर से बेघर कर दिया जाता है तो हर प्रकार से उसका विरोध करता है-मरने-मारने को उतारू हो जाता है। देश की स्वतंत्रता के समय जब भारत-पाक बँटवारा हुआ था तो लाखों लोगों को विस्थापन की पीड़ा झेलनी पड़ी थी। उसके परिणामस्वरूप लाखों लोग बेघर हो गए थे। टिहरी बाँध बनने पर वहाँ के प्रभावित गाँव वालों को फिर से वैसा ही विस्थापन झेलना पड़ा है, जहाँ सैकड़ों-हज़ारों वर्षों से लोगों के पुरखे सुखपूर्वक रहते थे। उन्हें रातों-रात वहाँ से निकल जाने के लिए विवश किया गया। चाहे सरकार ने उन्हें रहने के लिए जगह दी है पर सरकार घर उज़ड़ने की पीड़ा नहीं समझ सकती। वहाँ विस्थापन से लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है।

उपजाऊ ज़मीन बाँध के जल में डूब गई है। जिन घरों को लोगों ने जी-जान से बनाया था, वे सब गहरे पानी में डूब चुके हैं, जिनका नामोनिशान अब शेष नहीं रहा है। जिनके पास घर और ज्मीन थी उन्हें तो कुछ मुआवजा मिल गया होगा, पर सबके पास तो घर और ज़मीन नहीं होती। दिहाड़ी करने वाले, चरवाहे, मज़दूर-मिस्त्री, ईटटों के भट्टे पर काम करने वाले आदि न जाने कितने लोग पूरी तरह बेसहारा होकर अब किसी दूसरे शहर की सड़क किनारे पड़े होंगे। ईश्वर ही जानता है कि वे अपने पीड़ा और दिन कैसे बिता रहे होंगे। ईश्वर कभी किसी को उसके घर से बाहर न निकाले। मरने की पीड़ा तो एक ही बार झेलनी पड़ती होगी, पर विस्थापितों को वर्षों तक रोज्ज-रोज़ न जाने कितनी बार तरह-तरह की पीड़ा झेलनी पड़ती होगी।

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प्रश्न 2.
लेखक ने दुर्घटनाग्रस्त मज़दूरों को अस्पताल पहुँचाने में मदद की है। आपकी दुष्टि में दुर्घटना-राहत और बचाव कार्य के लिए क्या-क्या करना चाहिए ?
उत्तर :
हमारी दृष्टि में दुर्घटना राहत और बचाव कार्य के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए –

  1. दुर्घटनाग्रस्त लोगों को तुरंत प्राथमिक उपचार देना चाहिए।
  2. जल्दी-से-जल्दी उन्हें नज़दीकी अस्पताल में पहुँचाना चाहिए।
  3. खून न रुकने पर कोई रुमाल या कपड़ा बाँध देना चाहिए।
  4. तुरंत उसकी सूचना पुलिस अधिकारियों को देनी चाहिए।
  5. दुर्घटनाग्रस्त लोगों के लिए खून देने का प्रबंध करना चाहिए।

प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र की पर्यावरण संबंधी समस्याओं और उनके समाधान हेतु संभावित उपायों पर एक रिपोर तैयार कीजिए। उत्तर :
समस्याएँ –

  1. हमारे क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन वृक्षों के कटने के कारण प्रदूषण फैल गया है।
  2. पर्यावरण असंतुलन होने के कारण अनेक बीमारियाँ फैलती रहती हैं।
  3. जल-प्रदूषण के कारण हैज्ता और अन्य बीमारियाँ फैलती रहती हैं।
  4. इनके कारण दिन-प्रतिदिन अनेक लोग मरते हैं।
  5. लोगों का जीवन दूभर हो गया है।

समाधान –

  1. हमें अपने क्षेत्र में अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
  2. नालियों को साफ़ करवाना चाहिए।
  3. वृक्षों के काटने पर तुरंत रोक लगा देनी चाहिए।
  4. कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग पर रोक लगा देनी चाहिए।

संकेत – विद्यार्थी समस्याओं व उनके संभावित उपायों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करें।

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प्रश्न 1.
सरकारी घोषणा को सुनकर वृक्षों की दुर्दशा कैसी हो गई ?
उत्तर :
सरकारी घोषणा को सुनकर आम के वृक्षों पर सूनापन छा गया। जिन आम के पेड़ों पर सदा फल झरते थे, जो अपनी आभा से गाँव की शोभा बढ़ाते धे आज वही मायूस खड़े हैं। अब न तो उन पर फल पकते हैं और 7 कुछ नीचे झरता है। गाँव के लोगों के उजड़ जाने की बात सुनकर ये आम के वृक्ष भी सूखने लगे हैं। शायद अपने मन में यही सोच रहे हैं कि जब आदमी ही उजड़ जाएँगे तो हम जीवित रहकर क्या करेंगे।

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प्रश्न 2.
औद्योगीकरण के कारण अपने परिवेश से विस्थापित होकर लोग कैसा जीवन बिताते हैं ?
उत्तर :
औद्योगीकरण के कारण अपने परिवेश से विस्थापित होकर लोग अत्यंत त्रासदपूर्ण जीवन बिताते हैं। उन्हें यहाँ-वहाँ भटककर जीवन बिताना पड़ता है । वे शहरों की अत्यंत तंग और गंदी बस्तियों में रहते हैं। अपने भूखे-प्यासे बच्चों को साथ लेकर अनेक स्थानों पर शरणार्थी बनकर रहना पड़ता है। भूखे-प्यासे रहकर दिन गुज्तारते हैं।

प्रश्न 3.
लेखक ने खेतों में धान रोपती महिलाओं की किन विशेषताओं का चित्रण किया हैं ?
उत्तर :
लेखक ते खेतों में धान रोपती महिलाओं की निम्नलिखित विशेषताओं का चित्रण किया है-

  1. महिलाएँ पानी से भरे खेतों में पंक्तिबद्ध होकर धान रोप रही थी।
  2. वे बहुत सुंदर तथा सुडौल थी।
  3. उनका शरीर धूप में चमकता था।
  4. वे अपने सिर पर चटाई की बनी किश्ती के समान टोपी पहनी हुई थीं।
  5. थोड़ी-सी आहट पाते ही वे हिरणियों के समान सिर उठाकर चाँककर देखती थीं।

प्रश्न 4.
लेखक ने खेतों में धान रोपती महिलाओं की तुलना किनसे की है और क्यों ?
उत्तर :
लेखक ने खेतों में धान रोपती महिलाओं की तुलना उन युवा हिरणियों से की है जिनको उन्होंने कान्हा के वनस्थल में देखा था। उनकी तुलना हिरणियों से इसलिए की है क्योंकि हिरणियाँ जैसे कोई भी आहट पाकर एकदम चाँक कर देखती हैं, उसी प्रकार वे महिलाएँ भी आहट पाकर चाँककर तथा सिर उटाकर देखती थी। इसमें अंतर यह है कि हिरणियों तो डरकर भाग जाती हैं लेकिन वे डरकर भागती नहीं बल्कि मुसकराकर तथा अपना सिर पुन: झुकाकर अपने काम में लग जाती हैं।

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प्रश्न 5.
एक भरे-पूरे ग्रामीण अंचल को कितनी नासमझी और निर्ममता से उजाड़ा जाता है-पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने इस पंक्ति के माध्यम से आधुनिक युग में औद्योगीकरण की आँधी के कारण उजाड़े गए प्राकृतिक परिवेश के प्रति सत्ताधारी लोगों को ज़िम्मेदार ठहराकर उन पर व्येग्य किया है। सत्ताधारी तथा पूँजीपति लोग निजी स्वार्थ में डूबकर वन, वृक्षों, गाँवों, आँचल, परिवेश आदि को उजाड़ने में लगे हुए हैं। ये लोग एक सोची-समझी नीतियों के अंतर्गत पूरे ग्रामीण अंचल को तहस-नहस कर देते हैं। आज के युग में इस उजाड़ और विस्थापन के ज्ञिम्मेदार लोगों पर लेखक ने व्यंग्य किया है।

प्रश्न 6.
भारत की सांस्कृतिक विरासत किनसे जीवित है ?
उत्तर :
भारत की सांस्कृतिक विरासत उन रिश्तों से जीवित है जो आदमी को उसकी धरती, उसके जंगलों, नदियों आदि समूचे परिवेश के साथ जोड़ते हैं। संपूर्ण अतीत इन्हीं रिश्तों में मौजूद रहता है।

प्रश्न 7.
स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजेडी क्या है और क्यों ?
उत्तर :
स्वांतंड्रोत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजेडी यह है कि पश्चिम की देखा-देखी और नकल में योजनाएँ बनाते समय प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच का नाजुक संतुलन को नष्ट होने से बचाने की ओर हमारे पश्चिम शिक्षित सत्ताधारियों का ध्यान नहीं गया।

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प्रश्न 8.
‘जहाँ कोई वापसी नही’ यात्रा-वृत्तांत का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जहाँ कोई वापसी नहीं यात्रा-वृत्तांत निर्मल वर्मा द्वारा रचित ‘ धुंध से उठती धुन’ संग्रह से संकलित है। इसमें लेखक ने पर्यावरण संबंधी सरोकारों को ही नहीं, बल्कि विकास के नाम पर पर्यावरण-विनाश से उपजी विस्थापन संबंधी मानवीय यातना को भी रेखांकित किया है। आज अंधाधुंध विकास और पर्यावरण संबंधी सुरक्षा के बीच संतुलन होना चाहिए, अन्यथा विकास सदैव विस्थापन और पर्यावरण संबंधी समस्याओं को जन्म देता रहेगा और मनुष्य अपने समाज, संस्कृति तथा परिवेश से विस्थापित होकर जीवन जीने के लिए विवश होता रहेगा। इस यात्रा-वृत्तांत में औद्योगिक विकास के दौर में आज प्राकृतिक सौददर्य किस तरह नष्ट होता जा रहा है, इसका मार्मिक चित्रण किया गया है। आधुनिक औद्योगीकरण की आँधी में केवल मनुष्य ही नही उखड़ता, बल्कि उसका परिवेश, संस्कृति तथा आवास-स्थल भी सदा के लिए नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
लेखक ने भारत और यूरोप की सांस्कृतिक विरासत में क्या अंतर बताया है ?
उत्तर :
भारत की सांस्कृतिक विरासत उन रिश्तों से जीवित है जो आदमी को उसकी धरती, जंगलों, नदियों के साथ जोड़ते हैं, जबकि यूरोप की सांस्कृतिक विरासत संग्रहालयों में जमा है। यूरोप में पर्यावरण का प्रश्न मनुष्य और भूगोल के बीच संतुलन बनाए रखने का है, जबकि भारत में यही प्रश्न मनुष्य और उसकी संस्कृति के बीच पारंपरिक संबंध बनाए रखने का होता है।

प्रश्न 10.
औद्योगीकरण का जन-जीवन पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
औद्योगीकरण से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इसके कारण प्राकृतिक सौँदर्य नष्ट हो जाता है। विस्थापन के कारण मनुष्य को एक स्थान को छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ता है। मानवीय परिवेश, संस्कृति और आवास स्थल भी नष्ट हो जाते हैं। इसके कारण रिश्ते बिखर जाते हैं।

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प्रश्न 11.
प्रकृति और इतिहास के विस्थापन के बीच कौन-सा गहन अंतर है ?
उत्तर :
प्रकृति की मार अर्थात बाढ़ या भूकंप के कारण लोग विस्थापित होते हैं तो वे कुछ समय बाद सामान्य स्थिति होते ही दुबारा अपने परिवेश में लौट आते हैं, किंतु विकास और प्रगति के कारण जब इतिहास लोगों को उन्मूलित करता है तो वे फिर कभी दुबारा अपने घर वापस नहीं “हो सकते।

प्रश्न 12.
“आधुनिक औद्योगीकरण की आँधी में सिर्फ मनुष्य ही नहीं उसड़ता बल्कि उसका परिवेश, संस्कृति और आवास-स्थल भी हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।” ‘जहों कोई वापसी नहीं’ पाठ के आधार पर उपयुक्त कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
औद्योगीकरण ने पर्यावरण को कैसे प्रभावित किया है ? ‘जहाँ कोई वापसी नहीं पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
‘कोई वापसी नहीं’ यात्रा-वृत्तांत निर्मल वर्मा द्वारा रचित ‘ धुंध से उठती धुन’ संग्रह से संकलित है। इसमें लेखक ने पर्यावरण संबंधी सरोकारों को ही नहीं बल्कि विकास के नाम पर पर्यावरण विनाश से उपजी विस्थापन संबंधी मानवीय यातना को रेखांकित किया है।

आज अंधारुंध विकास और पर्यावरण संबंधी सुरक्षा के बीच संतुलन होना चाहिए अन्यथा विकास सदैव विस्थापन और पर्यावरण संबंधी समस्याओं को जन्म देता रहेगा और मनुष्य अपने समाज, संस्कृति तथा परिवेश से विस्थापित होकर जीवन जीने के लिए विवश होता रहेगा। इस यात्रा-वृत्तांत में औद्योगिक विकास के दौर में आज प्राकृतिक साँदर्य किस तरह नष्ट होता जा रहा है। इसका मार्मिक चित्रण किया गया है। आधुनिक औद्योगीकरण की अँधी में केवल मनुष्य ही नहीं उखड़ता बल्कि उसका परिवेश, संस्कृति तथा आवास-स्थल भी सदा के लिए नष्ट हो जाते हैं।

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प्रश्न 13.
‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ के लिए कोई दूसरा शीर्षक लिखिए तथा इसे चुनने के लिए अपने तर्क दें।
उत्तर :
‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ यात्रा-वृत्तांत शैली में रचित है। जहाँ अमझर गाँव के पर्यावरण विनाश का वर्णन किया गया है। ‘क्या वे दिन लौट आएँगे, पुरानी वापसी’ आदि उपयुक्त शीर्षक हो सकते हैं।