Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 15 संवदिया to develop Hindi language and comprehension skills among the students.
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 15 संवदिया
Class 12 Hindi Chapter 15 Question Answer Antra संवदिया
प्रश्न 1.
संवदिया की क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा है?
उत्तर :
एक स्थान से किसी दूसरे स्थान पर संवाद पहुँचाने वाले व्यक्ति को संवदिया कहा जाता है। संवदिया की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
- वह वातावरण सूँघकर ही संवाद का अनुमान लगा लेता है।
- वह बहुत भावुक है।
- वह एक संवेदनशील एवं समझदार है।
- वह ईमानदार और दूसरों का मददगार है।
- वह चतुर है।
गाँववालों के मन में संवदिया की यह अवधारणा है कि निठल्ला, कामचोर और पेटू आदमी ही संवदिया का कार्य करता है, जिसके आगे-पीछे कोई नहीं होता। बिना मज़दूरी के ही संवाद पहुँचाता है और वह औरतों का गुलाम होता है।
प्रश्न 2.
बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में किस प्रकार की आशंका हुई ?
उत्तर :
बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में यह आशंका हुई कि आज प्रत्येक गाँव में डाकघर खुल गए हैं। घर बैठे ही आदमी लंका तक खबर भेज सकता है तथा वहाँ का कुशल संदेश मँगा सकता है, तो ऐसे युग में संदेशवाहक के माध्यम से संदेश कौन पहुँचाना चाहेगा।
प्रश्न 3.
बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश क्यों भेजना चाहती थी ?
उत्तर :
बड़े भैया के मरने के पश्चात बड़ी बहुरिया बिलकुल अकेली पड़ गई। तीनों देवर लड़ाई-झगड़ा करके तथा हवेली का बँटवारा कर शहर में जा बसे। उसके पास एक नौकर था, वह भी भाग गया। उसको अब खाने तक के लाले पड़ गए। उधार तथा कर्ज्त देने वालों ने उधार-कर्ज़ देना बंद कर दिया। अब वह बेचारी केवल बथुए का साग खाकर गुज़ारा कर रही थी। इसीलिए बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश भेजना चाहती थी। ताकि उसके घरवाले आकर उसे ले जाएँ। वह अपने मायके में ही अपना जीवन गुज्ञार लेगी।
प्रश्न 4.
हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है ?
उत्तर :
हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की स्मृतियों में खो जाता है जहाँ दिन-रात नौकर-नौकरानियों और जन-मज़दूरों की भीड़ लगी रहती थी। वहाँ आज हवेली की बड़ी बहुरिया अपने हाथ से सूपा में अनाज लेकर फटक रही है। कभी बड़ी बहू के इन कोमल हाथों में केवल मेंहदी लगाकर ही गाँव की नाइन अपने परिवार का पालन-पोषण करती थी। जहाँ कल कर्ज़ लेने वालों की पंक्ति लगी रहती थी, आज वहाँ कर्ज़ माँगने वाले आते हैं।
प्रश्न 5.
संवाद कहते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें क्यों छलछला आई ?
उत्तर :
बड़ी बहुरिया बड़ी हवेली में अब बिलकुल अकेली रह गई थी। वह बथुआ साग खाकर अपना गुज़ारा कर रही थी। मोदिआइन हवेली में प्रतिदिन उधार माँगने के लिए आती थी लेकिन बड़ी बहुरिया के पास देने को कुछ न था। अब वह अपने जीवन से हार चुकी थी। ऐसा लगता था, जैसे विधाता ने सारे दुख उसी पर डाल दिए हों। वह सोच रही थी कि भाई-भाभियों की नौकरी कर वह अपना पेट पाल लेगी तथा बच्चों की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहेगी। ऐसा सोचकर उसे अपने पुराने दिनों की यादें आ रही थी। इसीलिए संवाद करते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें छलछला आई।
प्रश्न 6.
गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में काँटे की चुभन का अनुभव क्यों हो रहा था ? उससे छुटकारा पाने के लिए उसने क्या उपाय सोचा ?
अथवा
जलालगढ़ लौटते हुए हरगोबिन को क्या-क्या कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं?
उत्तर :
गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में काँटे की चुभन का अनुभव इसलिए हो रहा था, क्योंकि उसके पास केवल कटिहार तक का टिकट था। कटिहार से जलालगढ़ बीस कोस की दूरी पर था। वह सोच रहा था कि बिना टिकट के यात्रा करेगा तो पकड़ा जाएगा। इससे छुटकारा पाने के लिए हरगोबिन कटिहार से जलालगढ़ के लिए महावीर बजरंगी का नाम लेकर पैदल ही चल पड़ा।
प्रश्न 7.
बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन क्यों नहीं सुना सका ?
अथवा
हरगोबिन द्वारा बड़ी बहुरिया का संवाद न सुना पाने के पीछे निहित कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन इसलिए नहीं सुना सका क्योंकि वह सोच रहा था कि मेरे संवाद से ये लोग बहुरिया को अपने यहाँ ले आएँगे, तब हमारे गाँव में क्या रह जाएगा। बड़ी बहुरिया हमारे गाँव की लक्ष्मी है और यदि गाँव की लक्ष्मी ही गाँव छोड़कर चली जाएगी तो वहाँ क्या रह जाएगा। यदि वह ऐसा कहेगा कि बड़ी बहुरिया बथुआ-साग खाकर गुज़ारा कर रही है तो सुनने वाले हमारे गाँव का नाम लेकर थूकेंगे। इससे सारे गाँव की बदनामी हो जाएगी।
प्रश्न 8.
‘संवदिया डटकर खाता है और अफर कर सोता है’ से क्या आशय है?
उत्तर :
इस पंक्ति का आशय यह है कि संदेशवाहक के बारे में यह धारणा है कि वह कहीं दूर प्रदेश से किसी का संदेश लेकर आता है। सफ़र में आते-आते कई दिन लग जाते हैं, जिससे वह बहुत थक जाता है। अतः बिंब वह संदेश देने वाले के घर पहुँचता तो वे लोग उसकी अच्छी खातिरदारी करते हैं। वह भूखा-प्यासा होता है इसलिए बहुत सारा भोजन खाता है तथा कई दिनों तक खूब आराम से सोता है।
प्रश्न 9.
जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने क्या संकल्प लिया ?
उत्तर :
जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने यह संकल्प लिया कि अब वह बेकार नहीं बैठेगा। आज से पूरी मेहनत और दिल से बहुरिया का सब काम करेगा। उन्हें कोई भी कष्ट नहीं होने देगा और एक बेटे के समान उनकी सेवा करेगा।
भाषा-शिल्प –
प्रश्न 1.
इन शब्दों का अर्थ समझिए –
काबुली-कायदा ……………………………………………
रोम-रोम कलपने लगा …………………………………
अगहनी धान ……………………………………………
उत्तर :
काबुली-कायदा-काबुली के समान तमीज्ञ या ढंग
रोम-रोम कलपने लगा-पूरी तरह दुखी हो जाना
अगहनी धान-अगहन माह में कटने वाली धान
प्रश्न 2.
पाठ से प्रश्नवाचक वाक्यों को छाँटिए और संदर्भ के साथ उन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
1. संवदिया के मारफ़त संवाद क्यों भेजेगा कोई ? – आज का युग संचार का युग है। गाँव-गाँव में डाकघर तथा अन्य सुविधाएँ
है फिर आजकल एक संदेशवाहक के माध्यम से कोई संदेश क्यों भेजना चाहेगा ?
2. बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ? – बड़ी बहुरिया हवेली में बिलकुल अकेली रह गई, उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। अब उसके पास खाने तक को भोजन भी नहीं था, इसलिए वह हर रोज़ बथुआ-साग उबालकर खाया करती है जिससे धीरे-धीरे ऊब गई। इसलिए हरगोबिन को कहती है कि अब मैं बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँगी।
3. वहाँ अब क्या रह गया है ? – बड़ी बहुरिया की माँ हरगोबिन को कहती है कि अब जलालगढ़ की बड़ी हवेली में क्या रह गया है अर्थात अब वहाँ कुछ नहीं रहा, जिससे वह मेरी बेटी वहाँ रहे।
4. किसके लिए इतना दुख सहूँ ? – बड़ी बहुरिया के पति की मृत्यु के बाद बड़ी बहू अकेली रह गई। उसके देवर-देवरानी हवेली का बँटवारा करके शहर चले गए। अब वहाँ बड़ी बहुरिया के पास कोई नहीं था, इसलिए वह सोच रही थी अब वह किसके लिए इतना दुख सहे।
प्रश्न 3.
इन पंक्तियों की व्याख्या कीजिए –
(क) बड़ी हवेली अब नाम-मात्र की ही बड़ी हवेली है।
(ख) हरगोबिन ने देखी अपनी आँखों से द्रौपदी की चीर-हरण लीला।
(ग) बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ ?
(घ) किस मुँह से वह ऐसा संवाद सुनाएगा।
(क) बड़ी हवेली अब नाम-मात्र के लिए बड़ी रह गई है। वह वास्तव में बड़ी नहीं रही। बड़ी तो वह तब थी जब वहाँ नौकरनौकरानियों, जन-मज्जदूरों की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन आज उसमें केवल दुःख में डूबी बड़ी बहुरिया ही बैठी हैं।
(ख) लेखक कहता है कि बड़ी बहुरिया के पति की मृत्यु के बाद उसके भाइयों ने सारी संपत्ति का बँटवारा कर लिया था। यहाँ तक कि द्रौपदी के चीर-हरण के समान बड़ी बहू के शरीर से उसके देवरों ने एक-एक आभूषण को उतार लिया। उसकी बनारसी साड़ी को भी तीन भागों में बाँट लिया। इस द्रौपदी चीर-हरण लीला को हरगोबिन ने अपनी आँखों से देखा है।
(ग) लेखक का कथन है कि बड़ी बहुरिया के पास अब भोजन तक के लिए कुछ नहीं रह गया था। उधार देने वालों ने उधार देना बंद कर दिया था। अतः वह केवल बथुआ-साग खाकर जा रही थी। इसलिए वह अत्यंत दुखी होकर हरगोबिन से कहती है कि मैं बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ।
(घ) हरगोबिन को बड़ी बहुरिया ने जब संवाद देकर अपनी माँ के पास भेजा तो वह अपने मन-ही-मन में अत्यंत दुखी हो जाता है। संवाद को सोचकर वह बार-बार चिंतामग्न होता है। बार-बार कोशिश करने पर मन-ही-मन सोचता है कि वह किस मुँह से इस संवाद को सुना पाएगा।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
संवदिया की भूमिका आपको मिले तो आप क्या करेंगे? संवदिया बनने के लिए किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है ?
उत्तर :
संवदिया की भूमिका हमें मिले तो उसे पूरी निष्ठा, सच्चाई, ईमानदारी से निभाएँगे। एक संदेशवाहक की गरिमा का सदा पालन करेंगे। संवदिया बनने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना पड़ता है –
- व्यक्ति को ईमानदार होना चाहिए।
- संवाद को याद करने तथा सुनाने का गुण होना चाहिए।
- संवेदनशील होना चाहिए।
- भावुक होना चाहिए।
प्रश्न 2.
इस कहानी का नाट्य रूपांतरण कर विद्यालय के मंच पर प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
कक्षा में अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।
Class 12 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 15 संवदिया
प्रश्न 1.
लेखक ने बड़ी बहुरिया की किस घटना की तुलना द्रौपदी चीर-हरण से की है ?
उत्तर :
बड़ी बहुरिया जलालगढ़ गाँव की बड़ी हवेली की मालकिन थी। लेकिन बड़े भैया की अचानक मृत्यु के पश्चात् सब कुछ खत्म हो गया। उसके तीनों भाइयों ने लड़ाई-झगड़ा करके सब कुछ बाँट लिया। देवरों ने बड़ी बहुरिया की देह से एक-एक ज़ेवर छीनछीनकर उतार लिया। यहाँ तक कि उसकी बनारसी साड़ी के भी तीन टुकड़े करके बँटवारा कर लिया। इसी घटना की तुलना लेखक ने द्रौपदी चीर-हरण से की है।
प्रश्न 2.
बड़ी बहुरिया ने हरगोबिन को अपनी माँ के लिए क्या संदेश दिया ?
उत्तर :
बड़ी बहुरिया ने हरगोबिन को अपनी माँ के लिए यही संदेश दिया कि माँ से कहना कि वह अपने भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पाल लेगी। बच्चों की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहेगी, लेकिन यहाँ अब नहीं रह सकेगी और यदि माँ उसे यहाँ से नहीं ले जाएगी, तो मैं किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर तालाब में डूब मरेगी।
प्रश्न 3.
‘संवाद पहुँचाने का काम सभी नहीं कर सकते’ लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर :
लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि संवाद पहुँचाना सरल कार्य नहीं है। आदमी भगवान के घर से संवदिया बनकर आता है। संदेशवाहक को संदेश का प्रत्येक शब्द याद रखना पड़ता है। जिस सुर तथा स्वर में संदेश सुनाया गया है, ठीक उसी सुर तथा स्वर में जाकर सुनाना पड़ता है। जहाँ-जहाँ संदेश देने वाला रोता है, वहाँ-वहाँ संदेशवाहक को रोना पड़ता है। जहाँ-जहाँ कोई हँसता है, वहाँ-वहाँ हैंसना पड़ता है।
प्रश्न 4.
थाना बिंहपुर स्टेशन पर गाड़ी पहुँची तो हरगोबिन का मन भारी क्यों हो गया ?
उत्तर :
थाना बिंहपुर स्टेशन पर गाड़ी पहुँचने से हरगोबिन का मन भारी इसलिए हो गया क्योंकि जिस पगडंडी पर आज वह चल रहा था इसी पगडंडी से बड़ी बहुरिया अपने मायके लौट के आएगी। वह मेरा गाँव सदा के लिए छोड़ देगी तथा वहाँ कभी नहीं जाएगी।
प्रश्न 5.
‘बड़ी बहुरिया का सारा गाँव ही परिवार है’ इस कथन से भारत की कौन-सी संस्कृति झलकती है ?
उत्तर :
बड़ी बहुरिया का सारा गाँव ही परिवार है-इस कथन से भारत की उस ग्रामीण संस्कृति के दर्शन होते हैं जिसमें गाँव के किसी भी सदस्य को पूरे गाँव की आन माना जाता था। गाँवों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता था। प्रत्येक व्यक्ति की इज्ज़त पूरे गाँव की इज्ज़त होती थी। किसी भी विधवा नारी के लिए सारा गाँव ही परिवार के समान होता था। गाँव का प्रत्येक सदस्य उसकी मदद करता और उसे इज्ज़त देता था। उसके भले-बुरे के बारे में विचार करता था।
प्रश्न 6.
गाड़ी में बैठते ही हरगोबिन की हालत अजीब क्यों हो गई ? वह कैसे स्थिर हुई ?
उत्तर :
गाड़ी में बैठते ही हरगोबिन सोचने लगा कि वह कहाँ आया था। कभी संदेश लेकर आया था और क्या करके जा रहा है ? वह गाँव जाकर बड़ी बहुरिया को क्या जवाब देगा ? इससे उसकी हालत अजीब हो गई, लेकिन गाड़ी में निरगुन गाने वाले सूरदास के गीतों को सुनकर उसकी हालत स्थिर हो गई।
प्रश्न 7.
” ‘संवदिया’ कहानी में लेखक ने बड़ी बहुरिया की पीड़ा को, उसके भीतर के हाहाकार को संवदिया के माध्यम से अपनी पूरी सहानुभूति प्रदान की है” – इस कथन पर अपने विचार तर्क-सहित व्यक्त कीजिए।
अथवा
‘संवदिया’ कहानी में रेणु ने मानवीय संवेदनाओं की गहरी पहचान प्रस्तुत की है। इस कथन की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
उत्तर :
‘संवदिया’ कहानी में बड़ी बहुरिया अपनी दयनीय स्थिति से संतप्त होकर अपना संवाद संवदिया के माध्यम से अपने मायके पहुँचाना चाहती है। संवदिया को अपनी व्यथा कहते-कहते बड़ी बहुरिया की आँखें छलछला आई थीं। उन्हें अपने पुराने वैभवपूर्ण दिन याद आ रहे थे। संवदिया भी बड़ी बहुरिया की दयनीय दशा का अनुभव कर रहा था। वह उनके कहने पर उनके मायके चला तो जाता है, परंतु वहाँ पहुँचकर भी वह उन्हें बड़ी बहुरिया के संवाद नहीं सुना पाता।
उसे लगता है कि लक्ष्मी जैसी बड़ी बहुरिया को अण्ने गाँव में दुख भोगता सुनकर ये लोग उसके गाँव पर ही थूकेंगे। वह बिना संवाद सुनाए ही गाँव वापस आकर बड़ी बहुरिया को संवाद नहीं सुना सकने की बात बताता है और उनका बेटा बनकर उनकी सेवा करने का विश्वास दिलाता है। इस पर बड़ी बहुरिया भी अपने संवाद भेजने पर दु:ख व्यक्त करती हैं। इस प्रकार लेखक ने बड़ी बहुरिया की व्यथा को संवदिया के माध्यम से सहज रूप से व्यक्त किया है। वह बड़ी बहुरिया की मर्यादा बचाने में सफल रहता है।
प्रश्न 8.
हरगोबिन की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
संवदिया वातावरण सूँघकर ही संवाद का अनुमान लगा लेता है। वह बहुत भावुक है। वह एक संवेदनशील एवं समझदार है। वह ईमानदार और दूसरों का मददगार है। वह चतुर है। इसी कारण वह बड़ी बहुरिया के दुख से दुखी होकर उनका संदेश उनके मायके पहुँचाने जाता है, परंतु वहाँ यह सोचकर कि इस संदेश के कहने से गाँव की बदनामी होगी, संदेश नहीं सुनाता और वापस आकर बड़ी बहुरिया की एक बेटे के समान सेवा करने का संकल्प लेता है।
गाँववालों के मन में संवदिया की यह अवधारणा है कि निठल्ला, कामचोर और पेट्ट आदमी ही संवदिया का कार्य करता है, जिसके आगेपीछे कोई नहीं होता। बिना मज़दूरी के ही वह संवाद पहुँचता है और वह औरतों का गुलाम है।
प्रश्न 9.
संदेश भेजते समय बड़ी बहुरिया तथा हरगोबिन दोनों की मनःस्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
संदेश भेजते समय बड़ी बहुरिया की आँखें छलाछला आई थीं। वह सिसकने लगी थी। वह बिलकुल अकेली पड़ गई थी। उसे खाने के लाले पड़े हुए थे। वह मायके जाकर भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालने के लिए तैयार थी। वह यहाँ से जाना चाहती थी। वह अपने जीवन से हार चुकी थी। यह सब देखकर हरगोबिन का रोम-रोम कलपने लगा था। उसे बड़ी बहुरिया का परिवार बड़ा बेदर्द लग रहा था। वह बड़ी बहुरिया को दिल को कड़ा करने के लिए कहता है।
प्रश्न 10.
संवदिया का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
संवदिया फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ द्वारा रचित एक संवेदनात्मक कहानी है। इसमें लेखक ने मानवीय संवेदना की गहन एवं विलक्षण पहचान की है। इसमें असहाय और सहनशील नारी मन के कोमल तंतु, उसके दुख, करुणा, पीड़ा और यातना की सूक्ष्म एवं सजीव अभिव्यक्ति हुई है।
प्रश्न 11.
लेखक ने द्रौपदी चीर-हरण की तुलना किससे की है?
उत्तर :
जब बड़ी हवेली में बड़े भैया की मृत्यु हुई तो उसके तीनों भाइयों ने परस्पर लड़ाई-झगड़ा करना शुरू कर दिया। घर की संपत्ति का बँटवारा होने लगा। इस बँटवारे में बड़ी बहू के देह से जेवर खींच-खींचकर बँटवारा किया गया। बनारसी साड़ी को तीन टुकड़े करके बँटवारा किया। लेखक ने इसी घटना की द्रौपदी चीर-हरण से तुलना की है।
प्रश्न 12.
लेखक ने बड़ी बहू के जेवर-साड़ी बँटवारे की तुलना द्रौपदी के चीर-हरण से क्यों की है ?
उत्तर :
लेखक ने बड़ी बहू के जेवर, साड़ी बँटवारे की तुलना द्रौपदी के चीर-हरण से इसलिए की है कि क्योंकि जिस प्रकार महाभारत में दुस्शासन ने कौरवों की भरी सभा में उसके परिवार तथा सगे-संबंधियों के सामने बेइज़ज़त किया तथा उसका चीर-हरण किया था, ठीक उसी प्रकार बड़ी हवेली में बड़ी बहू के जेवरों को उसके परिवारवालों ने सबके सामने खींचकर और छीनकर निकाल लिया। उसकी बनारसी साड़ी के तीन टुकड़े करके संपत्ति का बँटवारा किया।
प्रश्न 13.
रेणु की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ ने आंचलिक शब्दावली से युक्त भाषा का प्रयोग किया है। उनकी भाषा संवेदनशील, भाव संप्रेषण से युक्त भाव-प्रधान है। इसमें तत्सम, तद्भव, देशज तथा सामान्य बोल-चाल की शब्दावली का प्रयोग है। इन्होंने चित्रात्मक, वर्णनात्मक, संवादात्मक तथा व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग किया है। मुहावरों एवं लोकोक्तियों के प्रयोग से इसकी भाषा में रोचकता एवं सजीवता उत्पन्न हुई है।
प्रश्न 14.
‘संवदिया’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
संवदिया से अभिप्राय संवादों का आदान-प्रदान करने वाला अथवा संदेश पहुँचाने वाला होता है। जो व्यक्ति संवादों अथवा संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने का कार्य करता है, उसे संवदिया अथवा संदेशवाहक कहते हैं।
प्रश्न 15.
गाँव के लोगों की संवदिया के संबंध में क्या गलत धारणा है ?
उत्तर :
गाँव के लोगों की यह गलत धारणा है कि संवदिया बहुत निठल्ला, कामचोर और पेटू है। उसके आगे-पीछे कोई नहीं है। अर्थात उसके न आगे नाथ न पीछे पगहा वाला है। वह बिना मज़दूरी के ही गाँव-गाँव संवाद पहुँचाने का कार्य करता है। वह औरतों का गुलाम है। वह थोड़ी-सी मीठी बोली सुनकर ही नशे में आ जाता है।
प्रश्न 16.
हरगोबिन ने बड़ी बहू के देवर-देवरानियों को राक्षस की संज्ञा क्यों दी है ?
उत्तर :
हरगोबिन ने बड़ी बहू के देवर-देवरानियों को राक्षस की संज्ञा इसलिए दी है क्योंकि वे बहुत बेदर्द और चालाक हैं। वे बहुत लालची हैं। वे अगहनी धान के समय बाल-बच्चों के साथ शहर से आते हैं और दस-पंद्रह दिनों में कर्ज़-उधार की ढेरी लगाकर वापस जाते समय दो-दो मन के हिसाब से चावल-चूड़ा ले जाते हैं। फिर आम के मौसम में आकर कच्चा-पक्का आम तोड़कर बोरियों में बंद करके चले जाते हैं। इसके बाद पलटकर भी नहीं देखते।
प्रश्न 17.
हरगोबिन का मन क्यों कलपने लगा ?
उत्तर :
जब बड़ी बहू ने हरगोबिन के अपनी माँ के पास संदेश देने के लिए कहा कि वह माँ से कहें कि भगवान ने आँखें फेर ली हैं। वह यहाँ बथुआ-साग खाकर कब तक जिएगी। फिर यहाँ किसलिए और किसके लिए रहें। अब वह अपनी माँ के यहाँ रहने चली जाएगी। हरगोबिन का मन कलपने लगा कि यदि गाँव की लक्ष्मी ही गाँव छोड़कर चली जाएगी तो गाँव में क्या रह जाएगा। फिर वह किस मुँह से यह संवाद सुनाएगा कि बड़ी बहू बथुआ-साग खाकर गुजारा कर रही है। यह सुनने वाले हरगोबिन का नाम लेकर थूकेंगे। इससे उसके गाँव की बदनामी भी होगी। यह सोचकर उसका मन कलपने लगा।
प्रश्न 18.
माँ ने अपनी बेटी के लिए हरगोबिन को क्या सौगात दी ?
उत्तर :
माँ ने अपनी बेटी के लिए बासमती धान का चूड़ा सौगात में दिया।
प्रश्न 19.
हरगोबिन को बड़ी बहू की माँ के घर पहुँचने पर रात को नींद क्यों नहीं आई ?
उत्तर :
हरगोबिन को बड़ी बहू की माँ के घर पहुँचकर रात को इसलिए नींद नहीं आई, क्योंकि वह सारी रात बड़ी बहुरिया के संवाद के बारे में सोचता रहा। वह यह चिंतन करता रहा कि वह सही संवाद बताए अथवा नहीं। वह सोचता रहा कि उसने झूठ क्यों बोला। सारी रात उसके मन में यही द्वंद्व चलता रहा।
प्रश्न 20.
बड़ी बहुरिया संवदिया से क्या संदेश भिजवाना चाहती थी ? संवाद कहते हुए उनकी आँखें क्यों छलछला पड़ीं ?
उत्तर :
बड़े भैया के मरने के पश्चात बड़ी बहुरिया बिलकुल अकेली पड़ गई। तीनों देवर लड़ाई-झगड़ा करके तथा हवेली का बँटवारा कर शहर में जा बसे। उसके पास एक नौकर था, वह भी भाग गया। उसको अब खाने तक के लाले पड़ गए। उधार तथा कर्ज़ देने वालों ने उधार-कर्ज़ देना बंद कर दिया। अब वह बेचारी केवल बथुए का साग खाकर गुज़ारा कर रही थी। बड़ी बहुरिया यह संदेश भिजवाना चाहती थी कि उसके घरवाले आकर उसे ले जाएँ। वह अपने मायके में ही अपना जीवन गुज़ार लेगी।
वे बड़ी हवेली में अब बिलकुल अकेली रह गई थीं और बथुआ साग खाकर अपना गुज़ारा कर रही थी। मोदिआइन हवेली में प्रतिदिन उधार माँगने के लिए आती थी लेकिन बड़ी बहुरिया के पास देने को कुछ न था। अब वह अपने जीवन से हार चुकी थी। ऐसा लगता था जैसे विधाता ने सारे दुख उस पर डाल दिए हों। वह सोच रही थी भाई-भाभियों की नौकरी कर वह अपना पेट पाल लेगी तथा बच्चों की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहेगी। ऐसा सोचकर उसे अपने पुराने दिनों की यादें आ रही थीं, इसीलिए संवाद करते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें छलछला आईं।
प्रश्न 21.
जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने क्या संकल्प किया ? उसके संकल्प में उसके चरित्र की कौनसी विशेषता उद्याटित होती है ?
उत्तर :
जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने यह संकल्प लिया कि अब वह बेकार नहीं बैठेगा। आज से पूरी मेहनत और दिल से तुम्हारा सब काम करेगा। तुम्हें कोई भी कष्ट नहीं होने देगा और एक बेटे के समान उनकी सेवा करेगा। इससे उनमें चरित्र की सेवा भावना, समर्पण एवं त्याग भावना प्रकट होती है।