CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Outside Delhi
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Outside Delhi Set – I
निर्धारित समय :3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र में चार खंड हैं – क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
आज का विद्यार्थी भविष्य की सोच में कुछ अधिक लग गया है। भविष्य कैसा होगा, वह भविष्य में क्या बनेगा, इस प्रश्न को सुलझाने में या दिवास्वप्न देखने में वह बहुत समय नष्ट कर देता है। भविष्य के बारे में सोचिए जरूर, लेकिन भविष्य को वर्तमान पर हावी मत होने दीजिए क्योंकि वर्तमान ही भविष्य की नींव बन सकता है। अतः नींव को मजबूत , बनाने के लिए आवश्यक है कि भान तो भविष्य को भी हो, लेकिन ध्यान वर्तमान पर रहे। आपकी सफलता का मूलमंत्र यही हो सकता है कि आप एक स्वप्न लें, सोचें कि आपको क्या बनना है और क्या करना है और स्वप्न के अनुसार कार्य करना प्रारंभ करें वर्तमान रूपी नींव को मजबूत करें और यदि वर्तमान रूपी नींव सबल बनती गई, तो भविष्य का भवन भी अवश्य बन जाएगा। जितनी मेहनत हो सके, उतनी मेहनत करें और निराशा को जीवन में स्थान न दें यह सोचते हुए समय खराब न करें कि अब मेरा क्या होगा मैं सफल भी हो पाऊँगा या नहीं? ऐसा करने में आपका समय नष्ट होगा और जो समय नष्ट करता है, तो समय उसे नष्ट कर देता है। वर्तमान में समय का सदुपयोग भविष्य के निर्माण में सदा सहायक होता है। भविष्य के बारे में अधिक सोच या अधिक सोच या अधिक चर्चा करने से चिताएँ घेर लेती हैं। ये चिंताएँ वर्तमान के कर्म में बाधा उत्पन्न करती हैं। ये बाधाएँ हमारे उत्साह को लगन को धीमा करती हैं और लक्ष्य हमसे दूर होता चला जाता है। नि:संदेह भविष्य के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए, किंतु वर्तमान को विस्मृत नहीं करना चाहिए। भविष्य की नींव बनाने में वर्तमान का परिश्रम भविष्य की योजनाओं से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
(क) आज का विद्यार्थी अपना समय किन बातों में नष्ट कर देता है? इसे त्याज्य क्यों माना गया है? [2]
(ख) हमारी सफलता का मूलमंत्र क्या हो सकता है और कैसे?
(ग) समय का हमारे जीवन में क्या महत्त्व बताया गया है? [2]
(घ) हम अंतत: लक्ष्य से कैसे दूर होते जाते हैं? इससे कैसे बचा जा सकता है? [2]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए। [1]
उत्तर:
(क) आज का विद्यार्थी भविष्य के सपनों, प्रश्नों और दिवास्वप्न देखने में समय नष्ट कर रहा है। इसे व्याज्य इसलिए माना गया है क्योंकि वह वर्तमान का त्याग कर रहा है।
(ख) हमारी सफलता का मूलमंत्र है कि हम अपने स्वप्न के अनुसार अपने लक्ष्य पाने का कार्य प्रारंभ करें।
(ग) समय का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। यह सही है। जो समय नष्ट करता है भविष्य में समय उसे नष्ट कर देता है।
(घ) लक्ष्य से हम अपनी चिंताओं, जो हमारे कर्म में बाधा उत्पन्न करती है यही बाधाएँ हमारे उत्साह और लगन को धीमा करके हमें हमारे लक्ष्य से दूर करती हैं। इससे बचने के लिए हमें भविष्य की योजनाएँ तो बनानी चाहिए लेकिन वर्तमान को विस्मृत किए बिना वर्तमान का परिश्रम भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
(ङ) समय का महत्त्व/सफलता का मूल मंत्र/परिश्रम भविष्य की डोर।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : [2 × 3 = 6]
मेरे अंदर एक देश बसता है।
जिंदगी से हारकर जब उदास होता है वह
प्यार देता है।
दुलार देता है।
अपनी बाँहों में कसता है।
मेरे अंदर
एक सभ्यता है।
एक संस्कृति है।
जो जीने की राह बताती है।
सदियों पुरानी होकर
अमर-नवीन कहलाती है।
स्कूल-कालेज-अस्पताल
कल-कारखाने-खेत
नहरें-बाँध-पुल हैं,
जहाँ श्रम के फूल खिलते हैं।
और अड़सठ करोड़ लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं।
मेरे अंदर
कश्मीर-ताज-अजंता-एलोरा का
कुँआरा रूप झिलमिलाता है।
हर नई साँस के संग
नया सूरजमुखी खिलखिलाता है।
(क) कवि के मन में जो देश बसा है, वह उसे निराशा के अवसरों पर भी क्या देता है? समझाइए।
(ख) देश की सभ्यता संस्कृति की विशेषताएँ क्या हैं?
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए :
“हर नई साँस के संग
नया सूरजमुखी खिलखिलाता है।”
अथवा
तरूण, तुम्हारी शक्ति अतुल है।
जहाँ कर्म में वह बदली है।
वहाँ राष्ट्र को नया रूप
सम्मुख आया है।
वैयक्तिक भी कार्य तुम्हारा
सामूहिक है।
और
जहाँ हो
वहीं तुम्हारी जीवनधारा
जड़-चेतन को
आप्यायित, आप्लावित करती है
कोई देश
तुम्हारी साँसों से जीवित है
और तुम्हारी आँखों से देखा करता है
और तुम्हारे चलने पर चलता है
संकल्पों में इतनी है शक्ति तुम्हारे
जिससे कोई राष्ट्र बना-बिगड़ा करता है।
(क) राष्ट्र का नवीन रूप कब उभरता है और कैसे?
(ख) युवकों की जीवनधारा जड़-चेतन को किस प्रकार तृप्त करती है?
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए :
“संकल्पों में इतनी है शक्ति तुम्हारे
जिससे कोई राष्ट्र बना-बिगड़ा करता है।”
उत्तर:
(क) कवि के मन में जो देश बसा है वह उसे निराशा के अवसरों पर प्यार, दुलार और वह अपनी बाँहों में कसता
(ख) देश की सभ्यता संस्कृति की विशेषताएँ है :
(1) वह संस्कृति हमें जीने की राह बताती है।
(2) पुरानी होकर भी आज अमर नवीन है।
(3) यह सभ्यता विकास की राह दिखाती है।
(4) यही सभ्भता है जहाँ श्रम के फूल खिलते हैं।
(5) यही सभ्यता है जहाँ 68 करोड़ लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं।
(ग) यह वही सभ्यता है जहाँ हर एक नई साँस के साथ एक नया उत्साह, नई उमंग नई चाह के साथ रोज नया फूल खिलता है।
अथवा
(क) राष्ट्र का नवीन रूप मानव की शक्ति व कर्म से उभरता खण्७।
(ख) युवकों की जीवन धारा जड़ चेतन को आप्यायित, आप्लावित कर तृप्त करती है।
(ग) इन पंक्तियों का आशय है कि मानव के संकल्पों में इतनी शक्ति होती है कि कोई भी राष्ट्र बन और बिगड़ सकता है।
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 3.
शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने पर क्या कहलाता है? उदाहरण देकर समझाइए। [2]
अथवा
शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण देकर शब्द और पद में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने के बाद ‘पद’ कहलाता है।
उदाहरण-(1) शब्द मोहन’
पद- ‘मोहन, पुस्तक पढ़ता है।
(2) ‘शब्द’ जब किसी वाक्य में प्रयुक्त होता है, उसके साथ को विभक्ति लग जाती है। तब शब्द, पद कहलाता है।
शब्द-पुस्तक
पद- राम ‘पुस्तक’ से याद करता है।
अथवा
शब्द एक स्वतंत्र और सार्थक इकाई है।
शब्द जब कोश में रहते हैं तो ‘शब्द’ कहलाते हैं।
उदाहरण- शब्द ‘महिमा’
पद- महिमा सोती है (‘महिमा’ यहाँ पद है)।
प्रश्न 4.
नीचे लिखे वाक्यों में से किन्हीं तीन वाक्यों का निर्देशानुसार रचना के आधार पर रूपांतरण कीजिए : [1 × 3 = 3]
(क) ग्वालियर में हमारा एक मकान था, उस मकाने के दालान में दो रोशनदान थे। (मिश्र वाक्य में)
(ख) तताँरा ने विवश होकर आग्रह किया। (संयुक्त वाक्य में)
(ग) आप जो कुछ कह रहे हैं यह बिलकुल सच है। (सरल वाक्य में)
(घ) प्रैक्टिकल आइडियलिस्टों के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं। (मिश्र वाक्य में)
उत्तर:
(क) ग्वालियर के हमारे मकान के दालान में दो रोशनदान (मिश्र वाक्य)
(ख) जब ततांरा विवश हुआ तब उसने आग्रह किया। (संयुक्त वाक्य)
(ग) आप का कहा बिल्कुल सच है। (सरल वाक्य)
(घ) जो प्रैक्टिकल आइडियलिस्टों के जीवन में आदर्श होते हैं वह धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं। (मिश्र वाक्य)
प्रश्न 5.
(क) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो पदों को समास-विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए :
ग्रंथकार, देशनिर्वासित, सज्जन [1 × 2 = 2]
(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं दो के समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए : [1 × 2 = 2]
(i) जो नभ में विचरण करता है।
(ii) सीमा का प्रहरी
(iii) आठ अध्यायों का समूह
उत्तर:
(क) ग्रंथकार—ग्रंथ को करने वाला–कर्म तत्पुरूष
देशनिर्वासित- देश से निरवासित–अपादान तत्पुरुष
सज्जन-सज्जन हैं जो पुरूष (सत्+जन)-कर्मधारय्
(ख), (i) जो नभ में विचरण करता है— नभचर-बहुव्रीहि समास
(ii) सीमा का प्रहरी– सीमा प्रहरी- तत्पुरुष समास
(iii) आठ अध्यायों का समूह- अष्टाध्यायी— द्विगु समास
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए : [1 × 4 = 4]
(क) मैं यह कार्य आसानी पूर्वक कर सकता हूँ।
(ख) उस पर घड़ों पानी गिर गया।
(ग) जो मैंने करा वह तुम कभी नहीं कर सकते।
(घ) उसकी तो अक्ल मर गई।
(ङ) मैं सादरपूर्वक निवेदन करता हूँ।
उत्तर:
(क) मैं यह कार्य आसानी से कर सकता हूँ।
(ख) उस पर घड़ों पानी गिरा।
(ग) जो मैंने किया वह तुम कभी नहीं कर सकते।
(घ) उसकी तो अक्ल मरी गई।
(ङ) मैं सादर निवेदन करता हूँ।
प्रश्न 7.
किन्हीं दोरिक्त स्थानों की पूर्ति उचितमुहावरों द्वारा कीजिएः [1 × 2 = 2]
(क) मुझे ::::::” मत समझना, मैं तुम्हारी हर चाल समझता हूँ।
(ख) तुम तो हर छोटी-बड़ी बात पर :::::::: लेते हो।
(ग) भारतीय सैनिकों ने दुश्मन की सेना के ::::: दिए।
उत्तर:
(क) मुझे मूर्ख मत समझना, मैं तुम्हारी हर चाल समझता हूँ।
(ख) तुम तो हर छोटी-बड़ी बात पर आफत मोल लेते हो।
(ग) भारतीय सैनिकों ने दुश्मन की सेना के छक्के छुड़ा दिए।
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए : [2 + 2 + 1 = 5]
(क) वर्तमान समय में शाश्वत मूल्यों की क्या उपयोगिता है? ‘गिन्नी का सोना’ पाठ के आधार पर लिखिए।
(ख) ततांरा-वामीरों की त्यागभरी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
(ग) कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी, 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था ?
अथवा
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे? .
उत्तर:
(क) जिन मूल्यों पर देश तथा काल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है उन्हें ही हम शाश्वत मूल्य कहते हैं। जैसे सत्य, अहिंसा, दया, त्याग एवं परोपकार आदि। वर्तमान समय में इन शाश्वत मूल्यों की आवश्यकता तो हैं लेकिन अपनाने वाले बहुत कम है। पाठ के आधार पर कहें तो वास्तविकता है कि लोग बाहरी आवरण व सौन्दर्य से अपना मन भर लेते हैं सच्चाई की गहराई इनसे कोसों दूर रहती है।
इन्हीं लोगों को आज का समाज आदर्शवादिता के रूप में देखता है यथार्थ में जब चर्चा होती है तो इन्हीं के आदर्श बहुत पीछे छूट जाते हैं।
इसी आधार पर व्यावहारिक व्यक्ति अपने जीवन मूल्यों को गिरने नहीं देता गाँधी जी ने भी यही किया कि अपने व्यवहार को ऊपर रखा उस पर बल दिया तभी. आदर्श अपने आप ऊपर उठने लगता है। यही इस पाठ का मूल्य है।
(ख) ततांरा-वामीरों की त्याग भरी मृत्यु से निकोबार में एक सुखद परिवर्तन यह हुआ कि निकोबार के लोग दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे।
(ग) कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन बहुत महत्वपूर्ण था। इस दिन को अमर बनाने के लिए सबने एकजुट होकर काफी तैयारियाँ की, राष्ट्रीय झंडे लगाए गए, प्रत्येक मार्ग पर उत्साह और नवीनता दिखाई दे रही थी। सरकार के प्रतिबंधों के बावजूद हजारों की संख्या में जुलूस में भाग ले रहे थे मानो ऐसा लग रहा था कि आज स्वतंत्रता मिल गई हो।
अथवा
इस दुनिया के अस्तिव में आने पर सब जीव-जन्तु मानव मिल जुलकर रहते थे, सबका इस प्रकृति में हिस्सा था, मेरा-तेरा नहीं था।
समय के विकास में मनुष्य बुद्धि ने आपस में दीवारें खड़ी कर दी, अब सब डिब्बेनुमा घर कोठरी में सिमट कर रह गए।
लेकिन दूसरी ओर इस बढ़ती आबादी ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कंक्रीट की दुनिया को निर्माण किया।
यह निर्माण इस कदर बढ़ गया कि जमीन छोटी पड़ने लगी तब मनुष्य ने अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े बिल्डरों के द्वारा मुंबई जैसे बड़े शहरों में समुद्र को घेरकर उसकी जमीन हथिया ली और समुद्र को पीछे धकेल दिया।
प्रश्न 9.
बड़े भाईसाहब के व्यक्तित्व की विशेषताओं पर सोदाहरण प्रकाश डालिए। [5]
अथवा
‘कारतूस’ पाठ के आधार पर सोदाहरण सिद्ध कीजिए कि वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही था।
उत्तर:
भाई साहब के व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) अध्ययनशील— बड़े भाईसाहब स्वभाव से ही अध्ययनशील थे। वे हरदम किताबों में लीन रहते थे। उनमें रटने की प्रवृत्ति थी।
(2) गंभीर प्रवृत्ति- भाई साहब गंभीर प्रवृत्ति के थे वे छोटे भाई के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते थे। उनका गंभीर स्वभाव ही उन्हें विशिष्टता प्रदान करता था।
(3) घोर परिश्रमी- भाई साहब जीवन में परिश्रम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। वह एक कक्षा में तीन बार फेल होकर भी लगन से पढ़ते रहे। वे दिन रात पढ़ते थे उनकी तपस्या बड़े-बड़े तपस्वियों को भी मात करती है।
(4) वाक्पटु- भाई साहब वाक कला में निपुण थे वह उदाहरणों के जरिए बात समझाने में निपुण थे इस कला के सामने सब उनके सामने नतमस्तक थे।
(5) संयमी व कर्तव्यपरायण– भाई साहब अत्यंत संयमी व कर्तव्यपरायाण थे। वह भी पतंग उड़ाना चाहते थे लेकिन छोटे भाई के आगे ऐसा नहीं करते थे। वह अपने कर्तव्य को बखूबी निभाते थे छोटे भाई के अभिमान को उन्होंने आड़े हाथ लिया जिससे उसका सिर श्रद्धा से झुक गया।
(6) उपदेश देने की कला में निपुण– उपदेश देने की कला में वे निपुण थे वे अपनी बात को साबित करने के लिए सुक्ति बारण चलाते थे।
(7) बड़ों का आदर— बड़े भाई साहब बड़ों का आदर करते थे। वह अपने माता-पिता, गुरुजनों का आदर करते थे और उनके अनुभवों को सम्मान देते थे।
अथवा
वज़ीर अली सचमुच एक जाँबाज सिपाही था। वह बहुत हिम्मती और साहसी था। उसे अपना लक्ष्य पाने के लिए जान की बाजी लगानी आती थी।
जब उससे अवध को नवाबी ले ली गई तो उसने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करना शुरू कर दिया। उसने गवर्नर जनरल के सामने पेश होने को अपना अपमान माना और पेश होने से साफ मना कर दिया। गुस्से में आकर कंपनी के वकील की हत्या कर डाली। यह हत्या शेर की माँद में जाकर शेर को ललकारने जैसी थी।
इसके बाद वह आजमगढ़ और गोरखपुर के जंगलों में भटकता रहा। वहाँ भी निडर होकर अँग्रेजों के कैम्प में घुस गया। उसे अपनी जान की परवाह नहीं थी। उसके जाँबाज सिपाही होने का परिचय उस कैंप में घुसकर कारतूस लेने में सफल हो जाता है तथा कर्नल उसे देखता रह जाता है। इन घटनाओं से पता चलता है कि वह सचमुच जाँबाज आदमी था।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए : [2 + 2 + 1 = 5]
(क) कबीर की साखी के आधार पर लिखिए कि ईश्वर वस्तुत: कहाँ है। हम उसे क्यों नहीं देख पाते ?
(ख) सुमित्रानंदन पंत ने ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना किससे की है और क्यों ?
(ग) कवि किन दिनों में प्रभु की याद बनाए रखना चाहता है? ‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर लिखिए।
अथवा
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं? ‘बिहारी के दोहे’ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
(क) कबीर की साखी के आधार पर ईश्वर की प्राप्ति मन को एकाग्रचित्त करके आध्यात्मिक चिंतन द्वारा की जा सकती है।
मन की विषय-वासनाओं को त्याग कर ही हम भक्ति के मार्ग पर बढ़ सकते हैं। ईश्वर का निवास हमारे मन में होता है उसे कहीं बाहर मन्दिर मस्जिद में नहीं ढूँढ़ना पड़ता।
जैसे मृग की नाभि में कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ होता है लेकिन वह अज्ञानता के कारण उसे ढूँढ़ने के लिए दूर जंगलों में भटकता रहता है।
अतः हमें अपने मन को एकाग्रचित्त करके ईश्वर को पाने में सफल हो सकते हैं।
(ख) कवि ने तालाब की समानता दर्पण से करते हुए यह दिखाया है कि जिस प्रकार दर्पण में चेहरा दिखाई देता है ठीक उसी प्रकार तालाब में ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के प्रतिबिंब साफ दिखाई देते हैं। इस कारण उन्होंने तालाब की समानता दर्पण से की है।
(ग) आत्मत्राण कविता के आधार पर हम कह सकते हैं कि व्यक्ति को दु:खों और मुसीबतों को याद रखना चाहिए लेकिन दूसरी तरफ यह भी कहना है कि यदि हमारे पास सुख है तो भी हमें ईश्वर को भूलना नहीं चाहिए। परमात्मा को याद करना, धन्यवाद देना तथा उनके प्रति विनय प्रकट करना न भूलें।
अथवा
श्रीकृष्ण हर समय केवल बाँसुरी ही बजाते रहते हैं। ऐसे में गोपियों को भी भूल चुके हैं उनका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी को छिपा लेती हैं ताकि उनका पूरा ध्यान गोपियों पर रहे और वे उनसे बातें करें।
प्रश्न 11.
‘तोप’कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए। [5]
अथवा
‘कर चले हम फिदा’ कविता के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि बलिदानी वीर भारतीय युवकों से क्या अपेक्षा करते हैं और क्यों?
उत्तर:
धरोहर अनेक प्रकार की होती हैं तोप भी हमारी राष्ट्रीय धरोहर है। यह तोप हमें 1857 के स्वतन्त्रता संघर्ष (संग्राम) की याद दिलाती है और देशवासियों को संघर्ष करने की प्रेरणा देती है। धरोहरें हमें संस्कृति व इतिहास से जोड़ती हैं। यह हमारी परंपराओं, हमारे सैनानियों, बलिदानों का परिचय करवाती हैं।
कंपनी बाग और तोप ये दोनों अँग्रेजों की विरासत हैं। इन दोनों का प्रयोग भारतीय जनता के लिए किया गया था। अँग्रेजी सरकार ने भारतीय जनता को खुश करने के लिए जगह-जगह कंपनी बाग बनवाए। जिससे जनता प्रसन्न हुई। लेकिन दूसरी ओर अँग्रेजों ने जनता में विद्रोह को दबाने के लिए इस तोप का भी इस्तेमाल किया।
यह दोनों विरासतें भारतीय जनता को सावधान करने के लिए रखी गई है। ये विरासतें हमें विदेशी शक्तियों से सावधान करती हैं, ये कहती हैं कि विदेशी कंपनियों द्वारा दिए गए आकर्षणों में न फंसों।
अथवा
इस कविता में कवि ने संदेश दिया है कि देश की रक्षा करना हमारा सबसे अहम कर्तव्य है हमारे मन में यह भावना होनी चाहिए कि देश का सर ऊँचा रहे। किसी भी शत्रु के अपवित्र कदम इस देश पर न पड़ जाए।
हमारे अंदर इतनी शक्ति होनी चाहिए कि हम उसे उसके दुस्साहस का मजा चखा सकें।
विदेशी ताकतों का सामना करने के लिए सीमाओं को सशक्त बनाने के लिए लक्ष्मण रेखा जैसी मजबूत सीमा तैयार करनी चाहिए ताकि शत्रु देश में पाँव भी न रख पाएँ। यह देश को सुरक्षित रखने के लिए केवल हमारे सीमा प्रहरी ही नहीं हर एक नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए।
प्रश्न 12.
मानवीय मूल्यों के आधार पर इफ्फन और टोपी शुक्ला की दोस्ती की समीक्षा कीजिए। [5]
अथवा
हरिहर काका के जीवन के अनुभवों से हमें क्या सीख मिलती है? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
पाठ के आधार पर टोपी हिन्दू परिवार से संबंध रखता था तथा इफ्फन मुसलमान थी किंतु फिर भी टोपी और इफ्फन में गल्ले संबंध थे। टोपी शुक्ला की पहली दोस्ती इफ्फन से हुई थी। दोनों विपरीत धर्मों के होने के कारण दोनों में अटूट व अभिन्न मित्र थे। पाठ के आधार पर कह सकते हैं कि इफ्फन के बिना टोपी शुक्ला की कहानी में अधूरापन लगेगा। दोनों के लिए रीति-रिवाज सामाजिक हैसियत, खान-पान आदि कोई महत्त्व नहीं रखते थे। दोनों का रिश्ता धर्म और जाति की सीमाएँ पार कर प्रेम के बंधन में बंध गया था। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। निष्कर्ष तौर पर कह सकते हैं कि दोनों दो जिस्म एक जान थे।
अथवा
यह कहानी ग्रामीण पारिवारिक जीवन तथा हमारी आस्था के प्रतीक धर्मस्थलों में अपने पाँव फैला रही स्वार्थ प्रवृत्ति को उजागर करती है। हरिहर केवल 15 बीगा जमीन के लिए अपने परिवार ठाकुरबारी के महंत उनके पीछे पड़ जाते हैं। परिवार उनकी जमीन को हड़पने को तैयार बैठा है और ठाकुर-बारी के महंत भी इसे इंतजार में है कि कब उनका समय पूरा हो।
इन सब सांसारिक चक्रों में फंस कर हरिहर काका ने अपने अनुभवों से सब अटकलों को मात दे दी वो जानते थे कि अपने साथ तो कुछ जाएगा नहीं सब यहीं पर रह जाना हैं अत: उन्होंने सोच लिया कि अपने जीते जी अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करेंगे अगर जमीन किसी को दी तो उनका जीवन नरक बन जाएगा।
महंत द्वारा अपहरण करवा कर भी कोई लाभ नहीं उठा सके। अबे हरिहर काका समझ गए थे कि वह किसी के साथ नहीं रहेंगे। अपनी मदद के लिए उन्होंने एक नौकर रख लिया और पुलिस की देख-रेख में अपना जीवन मौज से बिताने लगे।
खण्ड “घ”
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए :
(क) पहला सुख-निरोगी काया
- आशय
- व्यायाम और स्वास्थ्य
- समाज को लाभ
(ख) मोबाइल फोन
- लोकप्रियता
- सूचना क्रांति
- लाभ-हानि
(ग) एक ठंडी सुबह
- कब, कहाँ
- क्यों है याद
- क्या मिली सीख
उत्तर:
पहला सुख-निरोगी काया
एक सुखमय जीवन को जीने के लिए 7 सुखों की आवश्यकता होती है जिसमें सबसे पहला व प्रमुख सुख निरोगी काया है। अगर हम इस पहले सुख से ही वंचित रहेंगे तो दुनिया का कोई भी सुख हमें आनंद नहीं दे पाएगा।
इसीलिए कहा जाता हैं।
पहला सुख निरोगी काया
दूजा सुख घर में हो माया
तीजा सुख सुलक्षणा नारी
चौथा सुख हो पुत्र आज्ञाकारी
पाँचवाँ सुख हो सुन्दर वास
छठा सुख हो अच्छा पास
सातवाँ सुख हो मित्र घनेरे
और नहीं जगत में दुख बहुतेरे।
निरोगी काया के लिए सबसे पहले व्यायाम जरूरी है। प्रातःकालीन उठकर व्यायाम करना निरोगी काया का पहला गुण है यदि व्यायाम सही है तो स्वास्थ्य अपने आप ठीक रहता है। एक अस्वस्थ व्यक्ति का मन मष्तिष्क स्वभाव सभी अस्त-व्यस्त रहते हैं। एक निरोगी व्यक्ति अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोटी कमाने से लेकर विद्या अर्जित करने और कला कौशल क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए निरोगी काया जीवन की प्रथम आवश्यकता है यदि व्यक्ति नीरोग है तो वह अपनी प्रसन्नता बनाये रह सकता है और दूसरों को भी बाँट सकता है।
वो समाज, वो देश विकास कर सकता है जिसका निवासी स्वस्थ हो। स्वस्थ व्यक्ति एक स्वस्थ समाज का व देश का निर्माण कर सकता है। जहाँ समाज को लाभ मिलेगा वहाँ समाज सुन्दर व स्वस्थ होगा। इसलिए कहा गया है कि व्यक्ति को स्वस्थ रहना चाहिए।
(ख) मोबाइल फोन
पिछले कुछ दशकों से हमारे रोजाना जीवन में बहुत तबदीली हुई है। रोज बाजार में नए-नए उत्पादन सामने आ रहे हैं जो हमारी जीवन शैली को तब्तदील कर रहे हैं नए उत्पादों में एक है मोबाइल। यह बिना तार के नैटवर्क से जुड़ा होता है। मोबाइल सीधा किसी भी व्यक्ति से जुड़ सकता है जिसके पास मोबाइल है। इससे सारा संसार जैसे सुकुड़ सा गया है। अब यह बात सोचने की है कि मोबाइल फैशन का हिस्सा है या एक जरूरत है। आज संसार में इसकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसने तो लैपटॉप को भी पीछे छोड़ दिया है इसमें ऐसी ऐसी सुविधाएँ मिलने लगी हैं। यह बात सही है इस मोबाइल ने सूचना संचार के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति ला दी है।
विज्ञान की इस तरक्की से हम कहाँ से कहाँ तक पहुँच चुके हैं। बच्चों से बुजुर्गों तक के जीवन में एक रचनात्मक परिवर्तन ला दिया है। जो कुछ बचा था वो मोबाइल कम्पनियों ने पूरा कर दिया है। कुछ प्राइवेट कंपनियों के आगमन से प्रतिस्पर्धा की बाढ़ सी आ गई है। आज के स्मार्ट फोन का प्रयोग करके हमें ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा प्राप्त हुई है। रेलवे टिकट, दवा, भोजन आदि सभी मोबाइल से घर बैठे मँगवा सकते हैं। विद्यार्थी वर्ग में यू-ट्यूब, व्हाट्सएप से शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक परिवर्तन लाकर इस क्षेत्र में लगातार परिवर्तन आ रहे हैं। दूसरा शौपिंग के क्षेत्र में भी परिवर्तन आए हैं। फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी कम्पनियों ने भयंकर परिवर्तन ला दिया है।
नौकरियों के लिए भी मोबाइल महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। जिससे मोबाइल इन्टरनेट वरदान साबित हुआ है। लाभ के साथ-साथ इसकी हानियाँ भी उतनी अधिक हैं। समाज में आतंकवादी भी इससे हानि पहुँचा रहे हैं। विद्यार्थी भी अपना अधिक समय इस पर बिताते हैं इससे उनको शारीरिक हानियाँ बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। मोबाइल बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड से चोरी भी अधिक बढ़ गई है। आतंकी फोन पर वायरस व स्पामिंग आदि भेजकर गोपनीय जानकारी चोरी करके आपराधिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। निष्कर्ष रूप से हम कह सकते है कि मोबाइल के लाभ-हानि दोनों है।
(ग) एक ठंडी सुबह
25 दिसम्बर का दिन था। प्रात:काल सात बजे सोकर उठने पर मैंने महसूस किया आज की सुबह पहले से ठंडी है। खिड़की के बाहर देखा तो दूर-दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। चारों ओर कुहरा छाया हुआ था। मन न होते हुए भी मुझे बिस्तर से उठना पड़ा। नित्यकर्म से निपट कर गर्म कपड़े पहनकर घर से बाहर निकला। बाहर बर्फीली हवा चल रही थी। सड़क पर बर्फ भी जमी हुई थी। यह सब दिसम्बर के समय था हिमाचल प्रदेश के कुल्लु का यह दृश्य था। इस ठंडी सुबह में बहुत ही बहुत कम लोग नजर आ रहे थे।
पास की नहर भी जम गई थी पेड़ों के पत्तों पर बर्फ चमक रही थी। बर्फ के छोटे-छोटे कण सूरज के हल्की किरणों से जगमगा रहे थे। चारों ओर निस्तब्धता छाई हुई थी। मेरा शरीर एक दम सुन्न सा पड़ गया था और काँपने भी लगा था। सामान्य सर्दी में रहने वाले हम इतनी बर्फ वाली ठंड में जो कभी न देखी न ही सही अब तक केवल सपनों आशाओं में कल्पना करते थे आज प्रत्यक्ष देखने व सहने से जीवन का आनन्द मिल रहा था तो आज का दिन याद तो रहेगा ही। इस प्रकार के मौसम से सीख मिलती है कि जीवन के अनेक रंग हैं जिसका आनन्द
भी उठाना चाहिए पर अपने स्वाथ्य को ध्यान में रखकर
प्रश्न 14.
अपने विद्यालय में पीने के स्वच्छ पानी की समुचित व्यवस्था हेतु प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखिए। [5]
अथवा
आपके बचत खाते का ए. टी. एम. कार्ड खो गया है। इस संबंध में तत्काल उचित कार्यवाही करने हेतु बैंक प्रबंधक को पत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रेषक,
परीक्षा भवन,
आगरा।
श्रीमान प्रधानाचार्य,
क ख ग विद्यालय,
जिला आगरा
आगरा।
विषय : स्वच्छ पानी हेतु।
महोदय,
मैं आपके विद्यालय की कक्षा IX का छात्र/छात्रा हूँ। पिछले कई समय से हमारे विद्यालय में स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं है। छात्र डर से आपको बताने में असमर्थ थे। लेकिन पिछले दिनों यह व्यवस्था बहुत खराब हो गई कई विद्यार्थियों की तबियत खराब हो गई जिससे पेट दर्द, दस्त, उल्टी जैसी समस्या सामने आई। डाक्टर से सलाह लेने पर पता चला कि यह समस्या पानी की वजह से है। देखने व समझने से पता चला कि विद्यालय के पानी का स्तर ठीक नहीं है अर्थात् स्वच्छता में कमी है टंकी बहुत समय से साफ नहीं हुई पानी में दुर्गंध भी आ रही है। एक जागरूक नागरिक होने व आपके विद्यालय का विद्यार्थी होने के नाते मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि विद्यालय में स्वच्छ पानी की व्यवस्था की जाए टंकी को हर तीन महीने में साफ किया जाए टंकी के पानी में पानी साफ करने की मशीन लगाई जाए जिससे सभी विद्यार्थियों को स्वच्छ पानी पीने को मिले।
आशा है आप हमारी इस समस्या को प्राथमिकता देकर जल्द से जल्द दूर करेंगे।
सधन्यवाद।
प्रार्थी,
क ख ग।
कक्षा IX
अथवा
प्रेषक,
अ ब क,
नई दिल्ली।
दिनांक-20 मार्च, 20XX
प्रबंधक,
यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया,
नजफगढ़,
नई दिल्ली
महोदय
मैं (नाम:…………) आपके बैंक का निर्धारित ग्राहक हूँ। दिनांक 18 मार्च 20XX को मैं दिल्ली से आगरा बस से सफर का रहा था। अधिक भीड़ होने के कारण बैठने की जगह नहीं मिली गाजियाबाद पहुँचने पर पता चला मेरी जेब कट गई है। जो पर्स निकाला गया उसमें मेरा ए.टी.एम ड्राइविंग लाइसेंस कुछ रूपये व अन्य जरूरी कागज थे। बहुत खोजने पर भी वह नहीं मिला। अतः गाजियाबाद थाने में मैंने प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) करवा दी है और सभी खाते बंद करने की सूचना फोन के द्वारा सम्बंधित विभाग को दे दी है। आपसे अनुरोध है इस संबंध में बैंक के द्वारा की जाने वाली उचित कार्यवाही शीघ्रता से पूरी करके मुझे नया ए.टी.एम कार्ड देने की कृपा करे।
सधन्यवाद।
प्रार्थी
अ ब स
नई दिल्ली।
प्रश्न 15.
एक सूचना तैयार कीजिए जिसमें सभी विद्यार्थियों से निर्धन बच्चों के लिए ‘पुस्तक-कोष’ में अपनी पुरानी पाठ्य-पुस्तकों का उदारतापूर्वक योगदान देने हेतु अनुरोध किया गया हो। [5]
अथवा
आपको विद्यालय में एक बटुआ मिला है, जिसमें कुछ रुपयों के साथ कुछ जरूरी कार्ड भी हैं। छात्रों से इसके मालिक की पूछताछ और वापस पाने की प्रक्रिया बताते हुए 25-30 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।
उत्तर:
क.ख.ग विद्यालय लखनऊ
दिनांक-2 अप्रैल 20XX
(समस्त विद्यार्थियों हेतु)
‘सूचना’ पुस्तक कोष हेतु’
विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में एक निर्धन बच्चों के लिये पुस्तक कोष बनाया जा रहा है। सभी विद्याथियों से निवेदन है कि वे अपनी पुरानी कक्षा की पाठ्य पुस्तकों को उदारतापूर्वक इस कोष में जमा कर सकते हैं जिसमें कक्षा 1 से XII की पुस्तक ही मान्य होगी।
आपके इस उदारतापूर्वक कार्य से निर्धन बच्चों को आगे भविष्य में सहयोग होगा और वह अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकेंगे।
आदेशानुसार
प्रधानाचार्य
छात्र सचिव
क ख ग
अथवा
उत्थान विद्यालय
क. ख, ग नगर
दिनांक-18 अप्रैल 20XX
(समस्त विद्यार्थियों हेतु)
सूचना: खोया पाया विभाग
दिनांक 16 मार्च 20XX को विद्यालय प्रांगण में एक बटुआ मिला है जिसमें कुछ रूपयों के साथ कई जरूरी कार्ड भी हैं।
जिसका भी यह बटुआ है वह दिनांक 18-3-20XX से दिनांक 25-3-20XX तक सुबह 10 बजे से 1 बजे तक छात्र सचिव से संम्पर्क कर ले सकते हैं।
इसके लिए उनके पास अपना पहचान पत्र या अन्य संबंधित पहचान पत्र होना जरूरी है। संपूर्ण जानकारी के बाद ही उन्हें वापस किया जा सकेगा।
धन्यवाद
संपर्क हेतु
छात्र सचिव
मो. 9000800070.
प्रश्न 16.
आपको टी.वी. देखना बहुत पसंद है परन्तु आपकी माताजी को यह समय की बर्बादी लगती है। आपके और आपकी माताजी के बीच जो संवाद होंगे, उन्हें लगभग 50 शब्दों में लिखिए। [5]
अथवा
एक दुर्घटना के बाद दो बच्चों में सड़क सुरक्षा की समस्या पर परस्पर संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘संवाद’
गौरव- हाँ माँ मैं यहाँ हूँ।
माताजी- क्या कर रहे हो।
गौर– टीवी देख रहा हूँ।
माताजी– गौरव यह पढ़ाई का समय है टीवी बंद कर दो।
गौरव– बस माँ अभी मैच खत्म होने वाला है।
माताजी– गौरव परीक्षा नजदीक आ रही हैं कोर्स भी पूरा करना है।
गौरव- हो जाएगा माँ।
माताजी- टीवी देखने से कोर्स पूरा होता है क्या? चलो इसे बंद करो।
‘गौरव- माँ बस हो जाएगी खत्म।
माताजी— बेटा यह समय की बर्बादी है और कुछ नहीं जितना समय तुम इसमें लगाते हो उतना समय पढ़ाई में लगाओ तो और अच्छे नम्बर आ सकते हैं।
गौरव- माँ आप तो हमेशा ही डाँटती रहती हो।
माताजी— मेरा डाँटना तुम्हारे अच्छे भविष्य के लिए है न कि तुम्हें नाराज करने के लिए।
गौरव- ठीक हैं माँ तुम्हारी बात समझ आ गई। मैं टीवी बंद करके मेहनत से अपनी परीक्षा की तैयारी करूंगा।
अथवा
राम– श्याम देखो कितनी बुरी दुर्घटना है।
श्याम– स्कूटर सवार बचा कि नहीं।
राम– लगता तो नहीं। श्याम क्यों ऐसा बोल रहे हो।
राम— उसने हैलमैट नहीं पहन रखा था।
श्याम– टैम्पू वाले का क्या हाल हैं ये भी तो उलट गया।
राम- टैम्पू तेजी पर था स्कूटर वाला गलत साइड (तरफ) से था।
श्याम- क्यों आजकल के स्कूटर सवार अपना जोश दिखाते हैं। हैलमेट होने पर भी नहीं पहनते हैं।
राम- उसने हैलमेट नहीं पहन रखा था लेकिन कान में मोबाइल की लीड थी। इसलिए टैम्पू की आवजे व हॉर्न उसे सुनाई नहीं दिया।
श्याम– दे दी उसने अपनी जान सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करते हैं। तेजी से वाहन चलाते हैं।
राम— तेजी का नतीजा देख लिया अब उसके परिवार वालों का क्या होगा अकेला ही बेटा था जैसे पता चला है।
श्याम– हमें सड़क सुरक्षा के सभी नियमों का पालन करना चाहिए तभी सब सुरक्षित है। बच्चों को परिवार वालों व पुलिस को सख्ती से निपटना होगा।
राम- भगवान सभी को सद्बुद्धि दे।
प्रश्न 17.
सूती वस्त्र तैयार करने वाली कंपनी ‘क-ख-ग पैरहन’ की ओर से दी जा रही छूट का उल्लेख करते हुए एक विज्ञापन का आलेख लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। [5]
अथवा
दिल्ली पुस्तक मेले में भाग ले रहे ‘क-ख-ग प्रकाशन की ओर से लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन का आलेख तैयार कीजिए।
उत्तर:
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Outside Delhi Set – II
समय :3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
Note: Except for the following questions all the remaining questions have been asked in previous sets.
खण्ड ‘क’
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए : [1 × 4 = 4]
(क) बड़ी ईमानदारी एक दुर्लभ वस्तु है।
(ख) श्रुति, नीति और सुषमा आने वाली है।
(ग) पुलिस आयुक्त ने स्वयं पूरे मामले की जाँच की गई।
(घ) आप हमें यही सिखाई र्थी।
(ङ) मैंने भी धार्मिक पुस्तकें और ग्रंथ पढ़ी हैं।
उत्तर:
(क) ईमानदारी एक दुर्लभ वस्तु है।
(ख) श्रुति, नीति और सुषमा आने वाली हैं।
(ग) पुलिस आयुक्त द्वारा पूरे मामले की जाँच की गई।
(घ) आपने हमें यही सिखाया था।
(ङ) मैंने भी धार्मिक पुस्तकें और ग्रंथ पढ़े हैं।
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 9.
“अब कहाँ दूसरे के दुख”,” पाठ के आधार पर लिखिए कि बढ़ती हुई जनसंख्या का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। प्रकृति की सहनशक्ति जब सीमा पार कर जाती है, तो क्या परिणाम होते हैं? [5]
अथवा
रूढ़ियाँ जब बंधन बनने लगें तो उनका टूट जाना क्यों अच्छा है? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि रूढ़ियाँ तोड़ने के लिए तताँरा-वामीरो को क्या त्याग करना पड़ा।
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या लगातार पर्यावरण पर प्रभाव डाल रही है। अर्थात् बढ़ती आबादी ने पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रखा है। एतिहासिक दृष्टि से देखें तो पृथ्वी पहले से थी मानव उत्पत्ति बाद में हुई। धरती पर प्राणियों का उतना ही अधिकार है जितना अन्य मनुष्य का लेकिन मनुष्य ने अपनी बुद्धि के बल पर अपने और प्रकृति के बीच बड़ी दीवार खड़ी कर दी और अनावश्यक रूप से अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति में हस्तक्षेप करने लगा। हस्तक्षेप यहाँ तक पहुँचा कि समुद्र के रेतीले तटों पर भी मानवों की बस्ती बसा दी। जंगल काट करे कंक्रीट की दुनिया बना ली जैसे-जैसे आबादी बढ़ रही है यह नजारा ज्यादा खतरनाक हो रहा है। अब वातावरण में गर्मी बढ़ने लगी मौसम चक्र टूट गया, सर्दी, तूफान, बर्फबारी बाढ़े अनियमित हो गई हैं, जिससे नए नए रोग पैदा हो गए हैं। पृथ्वी की सहन शक्ति लगभग समाप्त ही हो गई है। हर साल कुछ न कुछ नयी त्राहि देखने को मिलती है। अगर यह सिलसिला लगातार रहा तो वो समय दूर नहीं कि कभी भी प्रलय आना संभव होगा।
अथवा
रूढ़ियाँ जब बंधन बनने लगें तो उनका टूट जाना ही अच्छा है यह जीवन का सत्य है यही तताँरा-वामीरो के साथ हुआ। रूढ़ियों का अर्थ है ऐसा बंधन जिससे लोकहित होने के बजाय अहित होता है। जो परंपरा लोगों के विकास आनंद और इच्छा-पूर्ति ये बाधा बन कर जीवन में संकट बढ़े वही रूढ़ि है। समय अनुसार इन रूढ़िवादी परम्परा को बदलना जरूरी है। इसका मुख्य कारण यह है कि समय निरंतर परिवर्तनशील रहता है और ऐसे समय में यह रूढ़ियाँ हमें सदी पीछे रखती है। हमें बंधनों में जकड़कर हमारी प्रगति की राह के रोड़े अटकाती हैं। इससे व्यक्ति की स्वतन्त्र सत्ता समाप्त हो जाती है। लेखक के अनुसार व्यक्ति की स्वतन्त्रता व समाज के लिए इन परंपरागत रूढ़ियों व मान्यताओं का दूर जाना ही अच्छा है। यही कारण रहा कि दोनों को जीवन में बहुत कुछ त्याग करना पड़ा। एक दूसरे से प्रेम करते थे तताँरा के गाँव के आयोजन में वामीरो की तलाश थी तभी वामीरो दिखाई दी तताँरा को देखकर वह रो पड़ी। तताँरा को समझ जब तक आता उसकी माँ वहाँ पहुँचगई और क्रोधित हो उठी तताँरा को अपमानित किया। तताँरा यह सहन न कर पाया उसने क्रोध में अपनी तलवार से जमीन को दो भागों में बाँट दिया और स्वयं सागर की लहरों में विलीन हो गया। ऐसा कहा जाए कि जमीन व जीवन का त्याग करना पड़ा।
प्रश्न 11.
मीरा के पदों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि वह भक्त की विपत्ति दूर करने के लिए किन प्रसंगों की याद कृष्ण को दिखाती है और उन्हें पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तत्पर है? [5]
अथवा
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मीरा के पदों में भक्त की विपत्ति दूर करने के लिए। प्रभु श्रीकृष्ण ने जन-जन की पीड़ा हरने की विनती करती है। मीरा एक भक्त के उदाहरण देती हैं कि द्रोपदी जिसका दु:शासन ने भरी सभा ने चीर हरण करना चाहा-तब श्रीकृष्ण ने उन्हें वस्त्र बढ़ाकर उनकी रक्षा की। दूसरा उदाहरण उन्होंने भक्त प्रहाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह का रूप धारण किया और उसका पेट फाड़ डाला इसी भाँति उन्होंने डूबते हाथी को मुख से हरि नाम सुनकर मगरमच्छ के मुँह से बचा लिया। वह यह उदाहरण देकर कृष्ण को अपने प्रति कर्त्तव्य का स्मरण कराती हैं कि हे गिरिधर आप मेरी भी पीड़ा हरण कीजिए। और कृष्ण को पाकर अपने जीवन की सबसे-बड़ी कामना भगवान की भक्ति में लीन होना चाहती हैं।
अथवा
प्रस्तुत कविता में कवि ने वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश पर होने वाले प्रकृति के क्षण-क्षण परिवर्तन को बड़े ही सुंदर ढंग से व्यक्त किया है। वर्षा ऋतु में कवि को यहाँ का दृश्य देखकर ऐसा लगता है कि मानों मेखलाकार पर्वत अपने ऊपर खिले सुमन रूपी तेजों से तालाब के पारदर्शी जल में अपना प्रति बिंब देख रहा हो साथ-ही उसी पर्वतों के नीचे का तालाब दर्पण की भाँति प्रतीत होता है। पहाड़ों के बीच में बहते झरने-पहाड़ों का गौरव गान करते प्रतीत होते हैं। कभी बदलों के आ जाने से ऐसा लगने लगता है कि पर्वत बादल रूपी पंख लगाकर आकाश में उड़ रहे हैं। ऐसे समय में झरने दिखाई नहीं पड़ते केवल उनका स्वर सुनाई देता है। कभी ऐसा लगता है कि बादल धरती पर आक्रमण कर रहे हैं। तालाब में उठता कोहरा ऐसा लगता है कि जैसे तालाब में आग लग गई हो और धुआँ उठ रहा हो। ये सभी जादुई दृश्य देखकर ऐसा-लगता है जैसे-इंद्र देवता जादू के खेल दिखा। रहे हैं। |
प्रश्न 12.
‘टोपी शुक्ला’ कहानी.हमें क्या संदेश देती है? भारतीय समाज के लिए यह कैसे लाभकारी हो सकता है? तर्क सहित उत्तर दीजिए। [5]
अथवा
हरिहर काका के जीवन आई कठिनाइयों का मूल कारण क्या था? ऐसी सामाजिक समस्या के समाधान के क्या उपाय हो सकते हैं? लिखिए।
उत्तर:
टोपी शुक्ला कहानी हमें हमारी परम्परा सभ्पता के अनुसार भारत की विविधता में एकता को और जोड़ने का संदेश देती है। जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक साथ रहने का संदेश देती है। इन्सान में इन्सानियत होनी चाहिए धर्म जाति भगवान ने नहीं बनाई यह हमने बनाई है। धर्म कोई मायने नहीं रखता। व्यक्ति का व्यवहार सम्मानजनक होना चाहिए। पाठ के अनुसार हिन्दु-मुस्लिम के बीच की खाई को बढ़ाया गया है जो गलत है। बच्चों के प्यार में कोई धर्म आड़े नहीं आता दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं दोनों एक दूसरे पर जान देते हैं मित्रता और आत्मीयता जाति और भाषा के बंधनों से परे होते हैं। लेकिन हमारी पुरनी रंजिश ने इन दोनों को मिलने नहीं दिया जो हमारे समाज के लिए लाभकारी नहीं है और न हीं हो सकते हैं। मिल-जुड़करे रहना हमारी परम्परा रही है।
अथवा
हरिहर काका के जीवन में कठिनाइयों का मूल कारण 15 बीघा जमीन थी। समाज में रिश्तों की बहुत अहमियत होती है। चूँकि काका के औलाद नहीं थी इसलिए समाज व उनके भाई उनके हिस्से की जमीन हड़पने की कोशिश करते थे। मंदिर के महंत ने भी जमीन हड़पने के लिए उनका अपहरण करवाकर जबरदस्ती काका के अँगूठे के निशान लिए। जायदाद के लिए उसके भाई तथा महंत उसके दुश्मन बन गये। यदि हमारे पास भी कोई ऐसी परिस्थिति का व्यक्ति है तो हमें उसके घर जाकर उनसे बातें करनी चाहिए। उसे समझाना चाहिए। यदि हरिहर काका के घर मीडिया पहुँची होती तो वे इस स्थिति में नहीं होते। उनकी ऐसी हालत होने से पहले ही कोई समाधान निकाल लिया जाता। खबरों में आने के बाद उनके भाइयों तथा महंत आदि की हिम्मत नहीं होती कि इनके साथ दुर्व्यव्यवहार करें। उनको जीवन जीने का आसान रास्ता मिल जाता। पुलिस की सुरक्षा में अपना जीवन खुशी से जिया जा सकता है।
प्रश्न 14.
आपकी हिन्दी शिक्षिका का स्थानांतरण हुए दो मास हो गए हैं और कोई नियमित विकल्प न मिलने से पढ़ाई नहीं हो पा रही। पत्र में इस समस्या की चर्चा करते हुए प्रभानाचार्य से तुरंत समाधान करने का आग्रह कीजिए। [5]
अथवा
परीक्षा के दिनों में विद्युत आपूर्ति नियमित न होने से हो रही कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए विद्युत प्रदाय संस्थान के मुख्य प्रबंधक को तुरंत इसे ठीक करने का अनुरोध कीजिए।
उत्तर:
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
टैगोर गार्डन, दिल्ली।
विषय-हिन्दी शिक्षिका के नियमित विकल्प हेतु आवेदन
पत्र
सविनय निवेदन यह है हमारी हिन्दी शिक्षिका
श्रीमती शुक्ला का स्थानांतरण हुए दो माह से अधिक का समय हो चुका है। कभी-कभी कोई शिक्षक आकर कक्षा में आकर पढ़ा देते है। विद्यार्थी कक्षा में शोरगुल करते रहते हैं। परीक्षाएँ नजदीक हैं। अतः हमारी आपसे करबद्ध प्रार्थना है। कि शीघ्र से शीघ्र हिन्दी पढ़ाने का प्रबन्ध किया जाय जिससे हमारा आगे नुकसान न हो।
सधन्यवाद,
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्य
XYZ
दिनांक : 10 अप्रैल 20 xx
अथवा
सेवा में,
विद्युत प्रदाय संस्थान,
रोहिणी सेक्टर-7, दिल्ली।
10 अप्रैल 20 xx
विषय : विद्युत आपूर्ति नियमित न होने की समस्या
निवेदन यह है कि हम रोहिणी सेक्टर-7 के निवासी बिजली की अनियमितता से बहुत परेशान हैं। आजकल बच्चों की परीक्षाएँ चल रही हैं। उनकी वर्ष भर की मेहनत इन्हीं दिनों की पढ़ाई पर निर्भर है। इन दिनों बिजली घण्टों-घण्टों तक गुल हो जाती है। इस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। हमारा निवेदन है कि कृपा करके विद्युत की आपूर्ति नियमित करें।
धन्यवाद
भवदीय,
श्रीराम गुप्ता
अध्यक्ष सुधार समिति
सेक्टर-7 रोहिणी दिल्ली।
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Outside Delhi Set – III
समय: 3 घण्टे
आधकतम अक : 80
Note : Except for the following questions all the remaining questions have been asked in previous sets.
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए : [1 × 4 = 4]
(क) महेश ने बोला है कि वे लोग आएंगे। (ख) मैं वहीं जा रहा हूँ जहाँ से आप आए हो।
(ग) बहिन ने कल नहीं आ सका।
(घ) गीता पर कहा गया है कि फल की चिंता न करें।
(ङ) आपने कल सुबह उठना है।
उत्तर:
(क) महेश ने बताया वे लोग आएँगे।
(ख) जहाँ से आप आए हो मैं वही जा रहा हूँ।
(ग) बहिन मैं कल नहीं आ सका।
(घ) गीता में कहा गया है फल की चिंता न करें।
(ङ) आपको कल सुबह उठना है।
प्रश्न 9.
“बड़े भाईसाहब की डाँट-फटकार यदि न मिलती तो छोटा भाई कक्षा में प्रथम नहीं आता।” उक्त कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में अपने विचार उपयुक्त तर्क सहित लिखिए। [5]
अथवा
जापान में अधिकांश लोगों के मनोरुग्ण होने के क्या कारण हैं? तनाव से मुक्ति दिलाने में झेन परंपरा की चा-नो-यू विधि किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार यदि न मिलती तो छोटा भाई कक्षा में प्रथम नहीं आती यह कथन एक दम सत्य है। बड़े भाई साहब की डाँट फटकार ने छोटे भाई को कक्षा में अव्वल आने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेखक के भाई यदि समय-समय पर न टोकते तो हो तो सकता है वह अव्वल नहीं आता।
यह सही है उसे पढ़ने का शौक नहीं था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना उसे पहाड़ के समान लगता था। दुनिया भर की शैतानी में लेखक का मन लगता था कंकड़ियाँ उछालना, चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूदना पतंगबाजी करना आदि। बड़े भाई की डाँट सुनकर लेखक का मन करता कि पढ़ाई छोड़ दी जाए परंतु घंटे-दो-घंटे मन खराब करने के बाद खूब जी लगाकर पढ़ने का भी इरादा बन जाता। यही कारण था कि थोड़ा पढ़कर भी लेखक अव्वल आ जाता।
लेकिन इस सफलता का श्रेय निश्चित रूप से बड़े भाई को ही जाता है। क्योंकि वे लेखक पर अंकुश रखते थे। यह सही है बड़ों का अनुभव व अनुशासन हमेशा हमारी सफलता में सहायक होता है कभी बाधक नहीं होता।
अथवा
जापाने में अधिकांश लोगों के मनोरूगा होने के कारण:
1. जापान के लोग प्रगति में अमेरिका से स्पर्धा करते हैं।
2. वे एक महीने का काम एक दिन में पूरा कर लेते हैं।
प्रभाव- वे पहले से ही तेज चलने वाले दिमाग को और तेज चलाना चाहते हैं।
उनका मानसिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि दिमाग में दबाव बढ़ने से उसका इंजन टूट जाता है।
तनाव से मुक्ति दिलाने में झेन परम्परा की चा-नो-यू विधि की उपयोगिता व सहायक होती है। 1. टी सेरेमनी (चा-नो-यू) से तनाव ले मुक्ति मिल जाती है।
वर्तमान परिवेश को तनावपूर्ण जिंदगी में कुछ समय के लिए इतर होकर नए दृष्टि कोण का विकास होता है।
प्रश्न 11.
वर्षा-ऋतु में पर्वतीय प्राकृतिक सुषमा का वर्णन सुमित्रानंदन पंत की कविता के आधार पर कीजिए। [5]
अथवा
बिहारी के दोहों के आलोक में ग्रीष्म-ऋतु की प्रचंडता और प्रभाव का विस्तृत चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
कवि ने वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश पर होने वाले प्रकृति में क्षण-क्षण परिवर्तन को बड़े ही सुंदर ढंग से व्यक्त किया है। वर्षा ऋतु में कवि को यहाँ को दृश्य देखकर ऐसा लगता है। कि मानों मेखलाकार पर्वत अपने ऊपर खिले सुमन रूपी नेत्रों से तालाब के पारदर्शी जल में अपना प्रतिबिंब देख रही हो। पहाड़ों के बीच में बहते झरने पहाड़ों का गौरवगान करते प्रतीत होते हैं। पहाड़ों की छाती पर उगे वृक्ष ऐसे लगते हैं। मानो मन में आकांक्षाएँ लिए आकाश की ओर निहार रहे हों। कभी बादलों में उड़ जाने से ऐसा लगने लगता है कि पर्वत बादल रूपी पंख लगाकर आकाश में उड़ रहे हैं। यह सब जादुई दृश्य देखकर ऐसा लगता है कि जैसे इंद्र देवता जादू में खेल दिखा रहे हैं।
अथवा
बिहारी के दोहों के आलोक में ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड़ता का वर्णन करते हुए कहते हैं कि ग्रीष्म ऋतु के जेठ माह की दोपहरी में सूरज बिल्कुल सिर पर होता है तो विभिन्न वस्तुओं की छाया सिकुड़कर वस्तुओं के नीचे दुबक जाती है। गर्मी इतना प्रचंड रूप धारण कर लेती है कि सारे मानव और मानवेत्तर प्राणियों के लिए उसे सहन कर पाना असंभव हो जाता है। वृक्षों की और घर की दीवारों की छाया उनके अंदर ही अंदर रहती है वह बाहर नहीं जाती। तेज धूप से बचने के लिए छाया घने जंगलों का अपना घर बनाकर उसी में प्रवेश कर जाती है इसीलिए जेठ माह की भीषण गर्मी में छाया का कहीं नामोनिशान नहीं होता है। गर्मी का प्रभाव मानव व सभी प्राणियों पर पड़ता है। जानवरों पर इसका प्रभाव इतना है कि साँप मोर व हिरण सिंह भी साथ-साथ दिखाई पड़ते हैं। जबकि स्वभाविक रूप से शत्रु हैं। ग्रीष्म के प्रभाव से बचने के लिए वह अपनी स्वाभाविकता को भुलाकर तपोवन के एकता सद्भाव के साथ रहते हैं।
प्रश्न 12.
“साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि हिमशिखरों को पूरे एशिया का जल स्तंभ क्यों कहा गया है। पर्वतों और नदियों को इस कृपा को बनाए रखने के लिए हमें क्या-क्या उपाय करने चाहिए? [5]
अथवा
‘माता का अंचल’ पाठ से दो प्रसंगों का विस्तार से वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों।
उत्तर:
Due to ambiguity in the question, answer of this question is not given.
प्रश्न 14.
आपको विद्यालय में खेलने का अवसर नहीं मिलता। कह दिया जाता है कि छात्र संख्या अधिक होने से सबके लिए व्यवस्था नहीं हो सकती। प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर इस समस्या पर चर्चा कीजिए और एक उपाय भी सुझाइए।
अथवा
मेट्रो में यात्रा करते हुए अपना कीमती सामान वाला बैग आप भूल गए। तुरंत शिकायत करने के बाद अगले दिन आपको अपना बैग वापस मिल गया। प्रबंधन की प्रशंसा करते हुए किसी पत्र के संपादक को पत्र लिखिए। उत्तर:
प्रेषक,
क ख ग
परीक्षा भवन,
प्रधानाचार्य,
च ब क विद्यालय
हांपुड़ उत्तर प्रदेश।
विषय : विद्यालय में खेलने के अवसर हेतु
महोदय,
मैं आपके विद्यालय का X का छात्र हूँ गत वर्षों से देखा जा रहा है कि किसी भी विद्यार्थी को खेलने का अवसर नहीं मिल रहा है। हमारे पाठ्यक्रमों के अनुसार सभी विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास जरूरी है जितना जरूरी पढ़ना है उतना जरूरी खेलना है। बहुत से विद्यार्थी ऐसे हैं जो खेल में बहुत अच्छे हैं जो विद्यालय और देश/प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं लेकिन मौका नहीं मिला। विद्यालय के बाहर किसी भी क्लब से जुड़ने के लिए अधिक पैसा लगता है हम उतना पैसा नहीं दे सकते। विद्यालय में खेल के अध्याय होने के बाबजूद हमें उनकी योग्यता का फायदा नहीं मिल पा रहा है। आपसे पहले वार्तालाप हुआ था तो आपने कहा था बच्चों की संख्या अधिक है आपका कहना ठीक है लेकिन सभी बच्चे खेल के स्तर पर नहीं उतरते हैं कुछ बुहत अच्छे हैं जो कर सकते हैं। आप उन्हीं बच्चों को प्रोत्साहन दे सकते हैं। दूसरा कि विद्यालय के पास जो पार्क खाली है उसमें विभाग से मिलकर हम उसको प्रयोग खेल के लिए कर सकते हैं। यह आपके स्तर की बात है।
हम सब विद्यार्थियों को आपसे अनुरोध है आपके चाहने से हमारा भविष्य बन सकता है और खेल की व्यवस्था हो सकती है आशा है आप हमारी इस समस्या पर ध्यान देंगे।
सधन्यवाद।
प्रार्थी,
समस्त छात्र,
च ब क विद्यालय।
अथवा
प्रेषक,
के ग च
आगरा, उत्तर प्रदेश
दिनांक-18 अप्रैल 20XX
संपादक
नव भारत टाइम्स
गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश
विषय प्रबंधन की प्रशंसा हेतु
महोदय,
मैं क ग च दिनांक:::::” को मेट्रो में सफर कर रहा था। सुबह के व्यस्त समय में यात्रियों की संख्या बहुत अधिक होती है। इसी व्यवस्था में मेरा ऑफिस का बैग मेट्रो के कोच में गलती से छूट गया था, जिसमें मेरे व ऑफिस के बहुत जरूरी कागज व कुछ रुपये थे। उसी दिन मैं जब अपने घर तक पहुँचा जल्दी में अपना बैग लेना भूल गया जिसकी रिपोर्ट मैंने मेट्रो अधिकरियों को उसी दिन दी थी। मुझे आश्वासन दिया गया कि आप का बैग मिलने पर लौटा दिया जाएगा। अपना फोन न० व पता लिखित रूप से पत्र सहित मैंने दे दिया था।
दो दिन बाद मेरे पास फोन आया कि आप का बैग मिल गया। है आकर ले जाएं। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसी दिन मेट्रो प्रबंधन से मिलकर, मैं गदगद हो गया मैट्रो की सुरक्षा व सवारियों का ध्यान रखने में वास्तव में मैट्रो विश्व स्तर की है। इसमें कोई दोराय नहीं। मेट्रो के प्रबंध में कोई भी कमी नहीं है। हर व्यक्ति का समान व सवारी दोनों ही सुरक्षित है मैं उनकी प्रशंसा बिना करे नहीं रह सकता।
मेरा यह मानना है कि ऐसे हर एक कार्य के लिए मेट्रों के कर्मचारियों व प्रबंधन को प्रोत्साहन पत्र व पारितोषिक मिलना चाहिए जिससे उनका उत्साह बना रहे।
संपादक जी से अनुरोध है कि इस पत्र को अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में छापे व उनको उत्साह बढ़ाएँ।
भवदीय,
क ख ग।