CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Delhi
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Delhi Set – I
समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
खण्ड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पड़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
‘सफलता चाहने वाले मनुष्य का प्रथम कर्त्तव्य यह देखना है कि उसकी रुचि किन कार्यों की ओर अधिक है। यह बात गलत है कि हर कोई मनुष्य हर एक काम कर सकता है। लॉर्ड वेस्टरफील्ड स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक समझते थे और केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानते थे। इसी सिद्धान्त के अनुसार उन्होंने अपने बेटे स्टेनहाप को, जो सुस्त, ढीलाढाला, असावधान था, सत्पुरुष बनाने का प्रयास किया। वर्षों परिश्रम करने के बाद भी लड़का ज्यों का त्यों रहा और जीवन-भर योग्य न बन सका। स्वाभाविक प्रवृत्तियों को जानना कठिन भी नहीं है, बचपन के कामों को देखकर बताया जा सकता है कि बच्चा किस प्रकार का मनुष्य होगा। प्रायः यह संभावना प्रबल होती है कि छोटी आयु में कविता करने वाला कवि सेना बनाकर चलने वाला सेनापति, भुटटे चुराने वाला चोर-डाकू, पुरजे कसने वाला मैकेनिक और विज्ञान में रूचि रखने वाला वैज्ञानिक बनेगा।
जब यह विदित हो जाए कि लड़के की रुचि किस काम की ओर है तब यह करना चाहिए कि उसे उसी विषय में ऊँची शिक्षा दिलाई जाए। ऊँची शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य अपने काम-धन्धे में कम परिश्रम से अधिक सफल हो सकता है, जिनके काम-धन्धे का पूर्ण प्रतिबिम्ब बचपन में नहीं दिखता, वे अपवाद ही हैं।
प्रत्येक मनुष्य में एक विशेष कार्य को अच्छी प्रकार करने की शक्ति होती है। वह बड़ी दृढ़ और उत्कृष्ट होती है। वह देर तक नहीं छिपती। उसी के अनुकूल व्यवसाय चुनने से ही सफलता मिलती है। जीवन में यदि आपने सही कार्यक्षेत्र चुन लिया तो समझ लीजिए कि बहुत बड़ा काम कर लिया।
(क) लॉर्ड वेस्टरफील्ड का क्या सिद्धान्त था? समझाइए। [2]
(ख) इसे उसने सर्वप्रथम किस पर आजमाया? और क्या परिणाम रहा? [2]
(ग) बालक आगे चलकर कैसा मनुष्य बनेगा, इसका अनुमान कैसे लगाया जा सकता है? [2]
(घ) सही कार्यक्षेत्र चुनने के क्या लाभ है? [2]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। [1]
उत्तर:
(क) लॉर्ड वेस्टरफील्ड अपने सिद्धांत के अनुसार सफलता के लिए केवल परिश्रम को ही आवश्यक मानते थे। उनके अनुसार मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का काम करने के लिए कोई महत्त्व नहीं था।
(ख) लॉर्ड वेस्टरफील्ड ने सबसे पहले अपने सिद्धांत को अपने बेटे स्टेनहाप पर आजमाया। वह स्वभाव से बहुत ही आलसी, ढीलाढाला और असावधान था। पिता के द्वारा वर्षों तक अथक परिश्रम करने के बाद भी वह
आजीवन योग्य और सज्जन नहीं बन पाया।
(ग) बचपन की स्वाभाविक प्रवृत्तियों और कार्यो को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि आगे चलकर बालक कैसा मनुष्य बनेगा। प्राय: यह देखा जाता है कि बचपन में कविता करने वाला कवि विज्ञान के प्रति रुचि रखने वाला वैज्ञानिक और सेना के प्रति रुचि रखने वाला महान सैनिक बनता है।
(घ) जीवन में यदि सही कार्यक्षेत्र चुन लिया तो समझना चाहिए कि जीवन सफल हो गया। जीवन का सबसे बड़ा कार्य होता है अपनी रुचि के अनुसार कार्य का चयन करना। जो अपनी रुचि के अनुसार कार्यक्षेत्र का चयन कर लेते हैं उन्हें कम मेहनत में अच्छी और अधिक सफलता मिल जाती है। अपने अनुकूल कार्यक्षेत्र का सबसे बड़ा लाभ सफलतम जीवन होता
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक ‘अनुकूल कार्यक्षेत्र’ हो सकता है। (छात्र समान अर्थवाले शीर्षक भी लिख सकते हैं।)
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [2 × 3 = 6]
कार्य-थल को वे कभी नहीं पूछते-‘वह है कहाँ’,
कर दिखाते हैं असंभव को वही संभव यहाँ
उलझनें आकर उन्हें पड़ती हैं जितनी ही जहाँ,
वे दिखाते हैं नया उत्साह उतना ही वहाँ।।
जो रुकावट डालकर होवे कोई पर्वत खड़ा,
तो उसे देते हैं अपनी युक्तियों से वे उड़ा।
बन खंगालेंगे, करेंगे व्योम में बाजीगरी,
कुछ अजब धुन काम के करने की उनमें है भरी।
सब तरह से आज जितने देश हैं फूले-फले,
बुद्धि, विद्या, धन, वैभव के हैं जहाँ डेरे डले
वे बनाने से उन्हीं के बन गए इतने भले,
वे सभी हैं हाथ से ऐसे सपूतों के पले।।
लोग जब ऐसे समय पाकर जनम लेंगे कभी
देश की और जाति की होगी भलाई भी तभी।
(क) कर्मवीरों की दो विशेषताएँ बताइए।
(ख) कैसे कह सकते हैं कि कर्मवीर मनुष्य में काम करने की अजब धुन होती है?
(ग) किसी देश के नागरिक कर्मवीर हों तो देश को क्या लाभ होता है?
अथवा
हम जब होंगे बड़े, घृणा का नाम मिटाकर लेंगे दम।
हिंसा के विषमय प्रवाह में, कब तक और बहेगा देश।
जब हम होंगे बड़े, देखना नहीं रहेगा यह परिवेश!
भ्रष्टाचार जमाखोरी की, आदत बहुत पुरानी है,
ये कुरीतियाँ मिटा हमें तो, नई चेतना लानी है।
एक घरौंदे जैसा आखिर, कितना और ढहेगा देश,
जब हम होंगे बड़े देखना, ऐसा नहीं रहेगा देश!
इसकी बागडोर हाथों में, ज़रा हमारे आने दो,
थोड़ा-सा बस पाँव हमारा, जीवन में टिक जाने दो।
हम खाते हैं शपथ, दुर्दशा कोई नहीं सहेगा देश,
घोर अभावों की ज्वाला में, कल से नहीं ढहेगा देश।
(क) कविता में बच्चा अपने बड़े होने पर क्या-क्या परिवर्तन करने का इच्छुक है? दो का उल्लेख दीजिए।
(ख) हमारे समाज और परिवेश में क्या-क्या बुराइयों आ गई हैं? उनके क्या दुष्परिणाम हो रहे हैं?
(ग) कवि क्या शपथ खाता है और क्यों?
उत्तर:
(क) कर्मवीरों की पहली विशेषता होती है कि वे स्थान अर्थात् सुविधाओं का ध्यान नहीं रखते। उन्हें जो भी करना होता है उसे किसी भी परिस्थिति में संभव कर दिखाते हैं। दूसरी विशेषता होती है कि उनके समान यदि पर्वताकार समस्या भी हो तो वे उसे धूल के समान उड़ा देते हैं। समस्याओं को देखकर वे घबराते नहीं अपितु उनमें नया उत्साह आ जाता है।
(ख) वास्तव में कर्मवीर में काम करने की अजब धुन होती है। वे रात-दिन अनवरत परिश्रम करते रहते हैं। उनके सामने उलझनें रुकावटें नहीं डाल सकर्ती बल्कि उनके उत्साह को विगुणित कर देती हैं। कर्मवीर अपनी बुद्धि से सभी प्रकार की समस्याओं पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। वे वन, पर्वत और आकाश को भी अपनी सीमा नहीं मानते हैं।
(ग) यदि देश के नागरिक कर्मवीर हों तो देश का भला हो जाएगा। उस देश में बुद्धि, विद्या, धन, वैभव आदि का निवास होगा। चारों तरफ सुख-शांति का साम्राज्य होगा। कर्मवीर देश और देशवासी को उन्नति के शिखर पर पहुँचाने में समर्थ होंगे।
अथवा
(क) कविता में बच्चा अपने बड़े होने पर देशहित में बहुत से परिवर्तन करने का इच्छुक है। जैसे वह सबसे पहले देश से जात-पात, अमीरी-गरीबी और आपसी घृणा को मिटा देना चाहता है। दूसरी वह देश से हिंसा, जमाखोरी
और भ्रष्टाचार को समाप्त कर देना चाहता है।
(ख) हमारे समाज में भ्रष्टाचार, जमाखोरी, हिंसा, आपसी | मार-पीट, परस्पर घृणा आदि अनेक तरह की बुराइयाँ आ गई हैं। इन सबके भयंकर दुष्परिणाम हो रहे हैं। समाज आपस में विखंडित हो रहा है। लोग एक दूसरे के प्रति सौहार्द का भाव खोते जा रहे हैं। देश अवनति की ओर अग्रसर हो रहा है।
(ग) कवि देश को अभावों से मुक्ति दिलाने की शपथ खाता है। वह देश की समस्त दुर्दशाओं को मिटा देने की शपथ खाता है। वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह देश को टूटने नहीं देना चाहता है।
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 3.
शब्द कब तक शब्द ही रहता है, पद नहीं कहलाता? शब्द तथा पद के एक-एक उदाहरण दीजिए।
अथवा
व्याकरणिक नियमों के अनुसार शब्द व पद में क्या अंतर [1 × 3 = 3]
उत्तर:
शब्द जब तक स्वतंत्र रहता है, व्याकरणिक नियमों में बँधकर वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता तब तक वह शब्द ही रहता है, पद नहीं कहलाता।
उदाहरण—लड़का, खेलता आदि स्वतंत्र शब्द हैं। लड़के गेंद से खेलते हैं। प्रस्तुत वाक्य में प्रयुक्त सभी शब्द पद हैं।
अथवा
व्याकरणिक नियमों के अनुसार शब्द व पद में बहुत बड़ा अंतर है। शब्द हमेशा स्वतंत्र होते हैं। इनका अर्थ भी स्वतंत्र होता है। शब्द वर्षों के मेल से बना हुआ एक इकाई है। इससे भिन्न शब्द जब व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में प्रयुक्त हो जाते हैं तब वे पद बन जाते हैं। जैसे-बालिका, कक्षा, पढ़ाई इत्यादि शब्द हैं परंतु ‘बालिकाएँ कक्षा में पढ़ाई कर रहीं हैं।’ इस वाक्य में प्रयुक्त सभी शब्द पद हैं।
प्रश्न 4.
नीचे लिखे वाक्यों में से किन्हीं तीन वाक्यों का रूपांतरण कीजिए [3]
(क) वे हरदम किताबें खोलकर अध्ययन करते रहते थे। (संयुक्त वाक्य)
(ख) मैं सफल हुआ और कक्षा में प्रथम स्थान पर आया। (सरल वाक्य)
(ग) एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अण्डा तोड़ दिया। (मिश्र वाक्य)
(घ) वह छह मंजिली इमारत की छत थी जिस पर एक पर्णकुटी बनी थीं। (सरल वाक्य)
उत्तर:
(क) संयुक्त वाक्य- वे हरदम किताबें खोलते थे और अध्ययन करते रहते थे।
(ख) सरल वाक्य- मैं सफल होकर कक्षा में प्रथम स्थान पर आया।
(ग) मिश्र वाक्य– एक बार जैसे ही बिल्ली ने उचका वैसे ही दो में से एक अंडा तोड़ दिया।
(घ) सरल वाक्य– उस छह मंजिली इमारत की छत पर एक पर्णकुटी बनी थी।
प्रश्न 5.
(क) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो पदों का विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए। [2]
यथार्थ, शांतिप्रिय, भीमार्जुन
(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं दो को समस्त पद में परिवर्तित करके समास का नाम लिखिए- [2]
(i) विद्या रूपी धन
(ii) चंद्र है शिखर पर जिसके अर्थात् शिव
(iii) युद्ध में वीर।
उत्तर:
(क)
(1) अर्थ के अनुसार—अव्ययीभाव,
(2) शांति है जिसको प्रिय वह- बहुव्रीहि,
(3) भीम और अर्जुन- वंद्व समास।
(ख)
(i) विद्याधन-कर्मधारय,
(ii) चंद्रशेखर-बहुव्रीहि,
(iii) युद्धवीर-तत्पुरुष
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए
(क) में तुम्हारे को अच्छी-अच्छी बातें बताऊंगा।
(ख) निरपराधी को दंड देना उचित नहीं
(ग) वह कलाकार आदमी है।
(घ) मुखिया जी क्या कहे थे ?
उत्तर:
(क) मैं तुम्हें अच्छी-अच्छी बातें बताऊँगा।
(ख) निरपराध को दंड देना उचित नहीं।
(ग) वह कलाकार है।
(घ) मुखिया जी ने क्या कहा था?
प्रश्न 7.
रिक्तस्थानों की पूर्ति किन्हीं दो उपयुक्त मुहावरों के द्वारा कीजिए
(क) विशेषज्ञ विद्वान को समझाना ऐसा ही है जैसे
(ख) गणित का गृहकार्य करना मुझे प्रतीत होता है।
(ग) मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में हमेशा चाहिए।
उत्तर:
(क) ‘सूरज को दीपक दिखाना हो।
(ख) लोहे के चने चबाना।
(ग) फेंक-फेंक कर कदम रखना चाहिए।
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [2 × 4 = 8]
(क) बड़े भाईसाहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती र्थी ?
(ख) बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है? ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।
(ग) गिन्नी का सोना’ पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना शुद्ध सोने से क्यों की गई है?
अथवा
जापान में चाय पीना एक सेरेमनी’ क्यों है?
उत्तर:
(क) बड़े भाई साहब ने कहा था, “मेरा जी भी ललचाता है पर क्या करूँ खुद बेराह चलूं तो तुम्हारी रक्षा कैसे करूं? यह कर्तव्य भी तो मेरे सिर है।” उनकी यही सोच उन्हें अपने मन की इच्छाएँ दबा कर रखने के लिए विवश कर देती है। वे खेल-तमाशों से दूर रहते और खेल-कूद पर भी ध्यान नहीं देते थे। दिन-रात बैठकर पढ़ते रहना उनका स्वभाव था। उन्हें अपने बड़े होने का भी अहसास हमेशा बना रहता था।
(ख) बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर बड़ा ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। रहने योग्य भूमि की कमी दूर करने के लिए मनुष्य ने समुद्र को पीछे धकेलना शुरू कर दिया है तथा पेड़ों को रास्ते से हटाना शुरू कर दिया है। इससे पर्यावरण असंतुलन की स्थिति, मौसम चक्र अव्यवस्थित, गर्मी में बहुत अधिक गर्मी, बेवक्त की बरसातें, जलजले, सैलाब तथा तूफान आकर हाहाकार मचाने लगे हैं तथा नित्य नई-नई बीमारियाँ धरती पर
बढ़ने लग हैं।
(ग) शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जा सकती। ताँबे से सोना मजबूत हो जाता है परंतु शुद्धती समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार व्यावहारिकता में शुद्ध आदर्श समाप्त हो जाते हैं। शुद्ध आदर्श जब व्यावहारिकता के साथ मिलता है तो इससे व्यावहारिकता की कीमत बढ़ जाती है। लेकिन व्यावहारिकता का ठीक उल्टो प्रभाव पड़ता है। इसलिए शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से की गई है।
अथवा
जापानी में चाय पीने की विधि को ‘चा-नो-यू’ कहते हैं जिसका अर्थ है-‘टी-सेरेमनी’ और चाय पिलाने वाला ‘चाजिन’ कहलाता है। जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है वहाँ केवल तीन ही लोग होते हैं और गजब की शांति होती है। माहौल इतना शांत होता है। कि पानी के खलबलाने की आवाज भी सुनाई देती है। इसीलिए जापान में चाय पीना एक ‘सेरेमनी’ है।
प्रश्न 9.
परम्पराएँ या मान्यताएँ जब बंधन लगने लगें तो उनका टूट जाना ही क्यों अच्छा है? [5]
अथवा
‘कारतूस’ पाठ के आधार पर वज़ीर अली की चारित्रिक विशेषताओं का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यथार्थ में परंपराएँ या मान्यताएँ जब बंधन बन बोझ लगने लगे तब उनका टूट जाना ही अच्छा है क्योंकि तभी हम समय के साथ आगे बढ़ पाएँगे। इस कहानी के सन्दर्भ में देखा जाए तो तताँरा-वामीरो का विवाह एक गलत परंपरा या मान्यता जो कहती है कि कोई विवाह गाँव से बाहर के युवक के साथ नहीं हो सकता, के कारण नहीं हो सकता था जिसके कारण उन्हें जान देनी पड़ती है। इस तरह की परंपराएँ या मान्यताएँ किसी का भला करने की जगह नुकसान करती हैं बंधनों में जकड़कर व्यक्ति और समाज का विकास, सुख-आनंद, अभिव्यक्ति आदि रूक जाती है। ‘तताँरा-वामीरों’ ने इन्हें तोड़ने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
अथवा
‘कारतूस’ पाठ के आधार पर वज़ीर अली की चारित्रिक विशेषताएँ यह हैं-वज़ीर अली एक सच्चा देशभक्त और स्वाभिमानी सैनिक है। वह हिंदुस्तान को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों से नफरत करता है तथा किसी भी प्रकार से अंग्रेजों को हिंदुस्तान से भगा देना चाहता है। वज़ीर अली अत्यंत वीर एवं साहसी है। दुश्मन भी उसकी वीरता का लोहा मानते हैं। वह कर्नल कॉलिंज के खेमे में निडर भाव से जाकर उससे कारतूस लेकर चला आता है। वज़ीर अली एक कुशल और चतुर शासक है। उसने अपने पाँच महीने के शासन में अवध की रियासत को अंग्रेजी प्रभाव से स्वतंत्र कर दिया था।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए(क) मीराबाई ने श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना किस प्रकार की है? अपने शब्दों में लिखिए। [2]
(ख) पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के सौन्दर्य का वर्णन ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर अपने शब्दों में कीजिए। [2]
(ग) छाया भी कब छाया को ढूंढने लगती है? बिहारी के दोहे के आधार पर उत्तर दीजिए। [1]
अथवा
‘तोप’ को कब-कब चमकाया जाता है? ‘तोप’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
(क) मीराबाई श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना करती हुई कहती हैं- हे प्रभु! जिस प्रकार आपने कई भक्तों को अनेक प्रकार से सहायता कर उनके दुख को दूर किया है उसी प्रकार आप मेरी भी पीड़ा को दूर कर मुझे सांसारिक कष्टों से दूर करें वह कहती हैं कि आपने द्रौपदी को वस्त्र बढ़ाकर भरी सभा में उसकी लाज रखी। नरसिंह का रूप धारण करके हिरण्यकश्यप को मार कर प्रहलाद को बचाया था। मगरमच्छ ने जब हाथी के पैर को अपने मुँह में दबोच लिया तो उसे बचाया और उसकी पीड़ा को दूर किया था। उसी प्रकार मेरी भी सभी प्रकार की पीड़ाओं और बाधाओं को आप दूर करें।
(ख) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के माध्यम से सुमित्रानंदन पंत ने पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु के सौंदर्य का सुंदर चित्रण किया है। वर्षा ऋतु में पर्वतों पर हरियाली छा जाती है, सुंदर फूल खिल जाते हैं। नदी, तालाब, तलैया आदि पानी से भर जाते हैं। वर्षा के कारण पेड़ और पर्वत अदृश्य हो जाते हैं। पर्वत मानो पंख लगाकर कहीं उड़ गए हों तथा तालाबों से उठता हुआ कोहरा धुएँ की भाँति प्रतीत होता है। पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते है। जब मौसम साफ होता है। तो यह सब कुछ बड़ा सुंदर दिखाई देता है। आकाश में तेजी से इधर-उधर घूमते हुए बादल, अत्यंत आकर्षक लगते हैं।
(ग) कवि का कहना है कि जेठ की दुपहरी की भयंकर गर्मी से त्रस्त होकर छाया भी छया ढूँढ़ने लगती है। वास्तव में ग्रीष्म के ज्येष्ठ मास की दोपहर में धूप इतनी प्रचंड होती है कि सिर पर आने लगती है। सूरज की किरणें जब एक सीध में होती हैं तब वस्तुओं की छाया छोटी होती जाती है। इसलिए कवि का कहना है कि जेठ की दुपहरी की भीषण गर्मी में छाया भी डरकर छाया हूँढ़ने लगती है।
अथवा
‘तोप’ कविता के आधार कंपनी बाग के मुहाने पर रखी हुई तोप बहुत महत्त्व के ऐतिहासिक विरासत का रूप है। इसे दो राष्ट्रीय त्योहार-स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर चमकाया जाता है। इस प्रकार इसकी पूरी देखभाल हो जाती है।
प्रश्न 11.
‘मनुष्यता’कविता में कविने सबको एक साथ होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है? इससे समाज को क्या लाभ हो सकता है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘आत्मत्राण कविता में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने सबको एक साथ चलने की प्रेरणा इसलिए दी है ताकि समाज में बंधुत्व, एकता, सौहार्द्र और आपसी हेलमेल का भाव कायम रहे। सभी एक पिता परमेश्वर की संतान हैं इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए और एक होकर चलना चाहिए। इससे हमारे बीच ईष्र्या-द्वेष के भाव का अंत हो जाएगा। मैत्री भावे से आपस में मिलकर रहने से सभी कार्य सफल होते हैं, ऊँच-नीच, वर्ग भेद नहीं रहता और समाज का कल्याण होता है। समर्थ भाव भी यही है कि हम सबकी भलाई करते हुए, सबको साथ लेकर चलते हुए अपनी कल्याण करें। बंधुत्व के नाते हमें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि समाज का सही मायने में विकास ओर लाभ तभी संभव है जब सबका विकास हो।
अथवा
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि की प्रार्थना से यह संदेश मिलता है कि मनुष्य के सामने कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ आएँ उसे ईश्वर पर से अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए। उसे संसार के सभी लोगों से वंचना मिले पर प्रभु पर से उसका विश्वास डगमगाए नहीं। मानव को ईश्वर से दुखों को दूर करने की प्रार्थना नहीं अपितु उसकी प्रार्थना होनी चाहिए कि ईश्वर उसे इतनी शक्ति दे जिससे वह उन दुखों को स्वयं से दूर कर सके। मनुष्य को प्रभु से समस्त विपदाओं से लड़ने की आत्मशक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। समय कितना भी विषम हो, उसे केवल धैर्य के साथ स्वयं से उन स्थितियों से जूझना चाहिए और प्रभु से मात्र आत्मशक्ति की याचना होनी चाहिए।
प्रश्न 12.
हरिहर काका के साथ उनके भाइयों तथा ठाकुरबाड़ी के महंत ने कैसा व्यवहार किया? क्या आप उसे उचित मानते हैं? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘सपनों के से दिन’ कहानी के आधार पर पी.टी. साहब के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ बताते हुए लिखिए कि स्काउट परेड करते समय लेखक स्वयं को मॅहत्त्वपूर्ण आदमी, एक फौजी जवान क्यों समझता था?
उत्तर:
हरिहर काका के साथ उनके भाइयों तथा ठाकुरबाड़ी के महंत ने समस्त नैतिक मूल्यों को ठुकराकर, सभी प्रकार की मर्यादाओं को तार-तार कर धन और जमीन की लिप्सा से ग्रसित होकर अमानवीय व्यवहार किया। जमीन नाम न करने पर भाइयों द्वारा हरिहर काका को बेरहमी से पीटा गया तथा ठाकुरबाड़ी के महंत द्वारा अपने पद की गरिमा को ध्वस्त करते हुए हरिहर काका का अपहरण करवाया गया।
हरिहर काका के भाइयों तथा ठाकुरबाड़ी के महंत द्वारा किया गया दुर्व्यवहार किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। आज लोगों पर स्वार्थ, लोभ व धन-लिप्सा इतने हावी हो चुके हैं कि आज उन्हें इनके लिए रिश्ते-नातों व अपने पद की मर्यादा को भुलाने में भी संकोच नहीं होता ।
अथवा
‘सपनों के से दिन’ कहानी के आधार पर पी.टी. साहब के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ हैं-प्रथम पी.टी. सर बहुत ही अनुशासन प्रिय और कठोर स्वभाव के थे। उन्हें स्कूल में कभी भी किसी ने मुस्कराते हुए नहीं देखा था। सुबह की प्रार्थना सभा में किसी लड़के द्वारा सिर इधर-उधर हिलाने पर वे शेर की तरह झपट पड़ते थे और खाल खींचने के मुहावरे को भी चरितार्थ कर देते थे। वितीय-पी.टी. साहब पक्षियों से बहुत प्रेम करते थे। उन्होंने अपने घर में दो तोतों को पाल रखा था। अवकाश के समय पिंजरे में रखे उन दो तोतों को बादाम आदि खिलाते थे। इससे पक्षियों के प्रति उनका अनुराग झलकता है।
पी.टी. साहब जैसे कठोर और अनुशासित अध्यापक के निर्देशन में स्काउट परेड करते समय लेखक साफ सुथरे धोबी के धुले कपड़े, पॉलिश किए हुए बूट, जुराबों को पहन कर जब ठक-ठक करके चलता था तो वह अपने आपको महत्त्वपूर्ण आदमी और फौजी से कम नहीं समझते थे।
खण्ड ‘घ’
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
(अ) वृक्षारोपण का महत्त्व
- वृक्षारोपण का अर्थ
- वृक्षारोपण क्यों
- हमारा दायित्व
(ब) इंटरनेट की दुनिया
- इंटरनेट का तात्पर्य
- सूचना का मुख्य साधन
- लाभ तथा हानि
(स) आधुनिक जीवन
- आवश्यकताओं में वृद्धि
- अशांति
- क्या करें
उत्तर:
वृक्षारोपण का महत्त्व
वर्तमान वैज्ञानिक युग में जहाँ विकास के नाम पर धरती का दोहन किया जा रहा है तथा पर्यावरण को प्रतिपल ध्वस्त किया जा रहा है वहाँ वृक्षारोपण का महत्त्व स्वतः सिद्ध हो जाता है। वृक्ष प्रकृति की अनमोल संपदा है। मनुष्य एवं वृक्ष का अटूट सम्बन्ध है। वृक्षों से प्राप्त लकड़ी विभिन्न रूपों में मनुष्य के काम आती है। वृक्षों से हमें फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ, औषधियाँ आदि प्राप्त होती हैं। शुद्ध वायु एवं तपती दोपहर में छाया वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वृक्ष वर्षा में सहायक होते हैं एवं भूमि को उर्वरक बनाते हैं। वे प्रदूषण को समाप्त कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वृक्ष बाढ़-सूखा एवं मिट्टी के कटान आदि प्राकृतिक आपदाओं से हमारी रक्षा करते हैं हमारी संस्कृति में वृक्षों को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है।
यदि मनुष्य जाति को बचाना है तो वृक्षों को बचाना होगा और हमें वृक्षारोपण का उत्सव करना होगा। इसीलिए एक बच्चा एक वृक्ष का नारा दिया गया है। वृक्षों की 50 मीटर की एक कतार वाहनों के शोर को 30-50 डेसीबल तक कम करती है। इसी तरह चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष वातावरण में उड़ रही धूल को रोकते एवं वायु को शुद्ध करते हैं। वनसंरक्षण का उद्देश्य केवल वृक्षों को लगाना ही नहीं वरन वृक्षारोपण करने के बाद उनकी उचित देखभाल भी है। निजी क्षेत्र में स्वयंसेवी युवकों को संगठन बनाकर वृक्षारोपण का कार्य करना चाहिए और वृक्षारोपण को सामूहिक समारोह के रूप में आयोजित करना चाहिए।
इंटरनेट की दुनिया
आज का विश्व विज्ञान की नींव पर टिका है। मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा अनेक शक्तियाँ सुख-सुविधाएँ तथा चमत्कारी साधनों का आविष्कार किया है जिसमें इंटरनेट अत्यधिक महत्त्वपूर्ण और अद्भुत है। इंटरनेट पूरे विश्व के सभी कंप्यूटर को जोड़ने का काम करता है। इंटरनेट समस्त सूचनाओं का विश्वसनीय और त्वरित साधन बन चुका है। यह ऐसा इलेक्ट्रॉनिक साधन है जिसने अपनी अनगिनत विशेषताओं के बल पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दस्तक दी है। विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में गणित और चिकित्सा की जटिल तथा विस्तृत सूचनाएँ एकत्र करने में इंटरनेट का व्यापक रूप से प्रयोग हो रहा है। रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों पर इंटरनेट का प्रयोग आरक्षण आदि के लिए किया जा रहा है। बैकों, लेखा विभागों में इंटरनेट चमत्कारी भूमिका निभा रहा है। आय-व्यय का ब्योरा, अनगिनत खातों का हिसाब इंटरनेट के माध्यम से ही संबंधित व्यक्ति तक पहुँचाया जा रहा है।
मनोरंजन के रूप में इंटरनेट आज घर-घर में पहुँच चुका है। अन्तरिक्ष तथा दूर संचार के क्षेत्र में इंटरनेट ने क्रान्ति ला दी है। इन्टरनेट ज्ञान का भण्डार बन गया है। इसके माध्यम से अल्प समय में ही विश्व की कोई भी सूचना, आँकड़े या समाचार तुरन्त ही प्राप्त किए जा सकते हैं। छात्रों के लिए यह वरदान साबित हो रहा है। इंटरनेट के द्वारा वे सुगमता से गूढ़ ज्ञान को प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। आज इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इन सब सुविधाओं के बाद भी इंटरनेट की अनेक कमियाँ भी हैं। विशेष रूप से अपरिपक्व या कम जानकारी रखने वालों के ‘ लिए यह अभिशाप भी है। छात्रों का अधिकतर समय इसके साथ व्यर्थ हो जाता है।
आधुनिक जीवन
नगरीय सभ्यता से आधुनिक जीवन का प्रारंभ हुआ है और औद्योगिक क्रांति से इसमें पंख लग गये हैं। धीरे-धीरे आधुनिक जीवन में पारंपरिक रूढ़ियाँ हो गई और सामाजिक स्तर पर रहन-सहन के ढंग में भारी परिवर्तन आया। आधुनिकता का प्रभाव इतना सशक्त है कि वह व्यक्ति के विचारप्रवाह में बाधा डालती है। आधुनिकता से मनुष्य में असंतुष्टि उत्पन्न होती है। अपनी भौतिक, राजनैतिक, आर्थिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त विश्व के कोई भी पदार्थ उसे आकर्षित नहीं करते हैं। दिवा-रात्रि वह वैयक्तिक असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यग्र रहता है। वह स्वयं को विशाल आधुनिक सभ्यता का प्रामाणिक अंग सिद्ध करने के लिए आजीवन असफल प्रयास करता रहता है। वह इस कल्पना में डूबा रहता है कि वह सभ्यता का संचालक है, लेकिन इसकी अनिवार्यताओं से दूर भागने में असमर्थ है। आधुनिक युग की आवश्यकताएँ अपने उग्रतम रूप में पीड़ादायक और विडंबनापूर्ण हैं।
आधुनिक जीवन के नशे में डूबा आदमी उनसे बच नहीं सकता। उसकी आवश्यकताएँ बहुमत के आधार पर, स्वामियों के आदेश, पड़ोसियों के मतें, और कुछ स्वार्थी व्यक्तियों के निर्णयों पर आधारित होती हैं जिन्हें वह पूरा करने के लिए बाध्य होगा है भले ही वह परोक्ष रूप में उसके लिए कष्टकारक ही क्यों न हो। आधुनिक जीवन में आधुनिक व्यक्ति के पास किसी प्रकार के सतही आनंद के लिए समय और ऊर्जा का अभाव रहता है। आधुनिक व्यक्ति प्रवासी है; जो परिवर्तनशील समाज में रहता है और विरोधी परंपरा को ग्रहण करता है। वह हर बात को तर्क की तुला पर तोलता है। भावनाओं की मधुरता धीरे-धीरे कम होती जाती है और एकल परिवार का जन्म होता है। आधुनिक जीवन के संबंध में बात करते समय हमारा ध्यान महानगरों की संस्कृति की ओर केन्द्रित होता है।
आधुनिक जीवन की प्रक्रिया में महानगरों के जीवन में यांत्रिकता आ गई है, यहाँ की आर्थिक संपन्नता लोगों को शहरों की ओर भागने को प्रवृत्त करती है। आधुनिक जीवन को सीधा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ा है इससे उसका जीवन और अधिक एकाकी और अशांत हो गया है। पहले मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च, नगर, परिवार, समाज आदि सभी एकता के सूत्र में बंधे हुए थे। आज सब ओर आपाधापी और मैं का भाव भरा हुआ है। इन परिस्थितियों में मानव अपनी परंपरा का त्याग किए बिना ही आधुनिक जीवन शैली को
स्वीकार करना चाहिए तभी जीवन सुखमय हो सकता है।
प्रश्न 14.
अपने क्षेत्र में सार्वजनिक पुस्तकालय खुलवाने की आवश्यकता समझाते हुए दिल्ली के शिक्षा-मंत्री के नाम एक पत्र लिखिए। [5]
अथवा
कक्षा में अनजाने हो गए अभद्र व्यवहार के लिए कक्षा-अध्यापक से क्षमा-याचना करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
शिक्षा-मंत्री
महोदय,
दिल्ली सरकार, दिल्ली।
दिनांक: 27/03/20XX
विषयः सार्वजनिक पुस्तकालय के लिए दिल्ली के
शिक्षा-मंत्री के नाम पत्र।
मान्यवर,
मैं अपने इस पत्र के द्वारा आपका ध्यान अपने क्षेत्र के लोगों के लिए एक पुस्तकालय की व्यवस्था की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। वर्तमान तकनीकी युग में पुस्तकों के अध्ययन के प्रति लोगों का लगाव कम होता जा रहा है। परिणामतः उनका समय मोबाइल या अन्य व्यर्थ के विवादों में व्यतीत हो रहा है। लोगों की रचनात्मक शक्ति क्षीण होती जा रही है।
अतः आपसे निवेदन है कि सरकारी अनुदान से मेरे क्षेत्र में एक सार्वजनिक पुस्तकालय की व्यवस्था एक उसके संचालन के लिए धन की व्यवस्था दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा करवाने की कृपा की जाए। इससे न केवल सामान्य जन अपितु सुविधाविहीन छात्र भी अपने अध्ययन के लिए लाभ उठा पाएँगे।
आपकी इस व्यवस्था के लिए हम सभी क्षेत्रवासी आपके आजीवन आभारी रहेंगे।
अ. ब. स.
अ. ब. स. क्षेत्र
दिल्ली।
अथवा
सेवा में,
कक्षा अध्यापक महोदय,
अ. ब. स. विद्यालय,
अ. ब. स. नगर।
विषय- अभद्र व्यवहार के लिए कक्षा अध्यापक से क्षमा-याचना करते हुए पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं कक्षा नौ ‘अ’ का छात्र हैं। पिछली कक्षा में मुझसे अनजाने में अपने कक्षा के सहपाठियों के साथ अभद्र व्यवहार हो गया। मेरे कुछ मित्र एक-दूसरे के ऊपर पानी डाल रहे थे। मैं भी उन सबके साथ इस खेल में सम्मिलित था। बाद में मुझे ज्ञात हुआ कि मेरे इस व्यवहार से आपको बहुत कष्ट हुआ है।
मैं अपने इस अनुचित कृत्य से लज्जित हैं तथा क्षमा याचना के साथ आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी।
आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे इस अभद्र व्यवहार को क्षमा कर मुझे अनुगृहित करेंगे।
मैं इसके लिए आपका आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अ. ब. स
कक्षा-नौ ‘अ’
दिनांक-27/03/20XX
प्रश्न 15.
आप अपने विद्यालय में सांस्कृतिक सचिव हैं। विद्यालय में होने वाली ‘कविता-प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आमंत्रण हेतु 25-30 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए। [5]
अथवा
विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए हिन्दी विभाग के संयोजक की ओर से 25-30 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।
उत्तर:
अ. ब. स. विद्यालय, अ. ब. स. नगर
आवश्यक सूचना
विद्यालय के सभी कक्षा 6 से 10 तक के विद्यार्थियों को। सूचित किया जाता है कि हिंदी विभाग की ओर से दिनांक 02.09.20XX को विद्यालय के सभागार में कवि श्रेष्ठ श्री दिनकर की स्मृति में एक कविता-प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जा रहा है। सभी इच्छुक प्रतिभागियों को सूचित किया जाता है कि प्रतियोगिता की तिथि से दो दिन पूर्व अपना नाम अधोहस्ताक्षरी के पास जमा अवश्य करवा दें।
सांस्कृतिक सचिव
अ. ब. स.
दिनांक 02.08.20XX
अथवा
अ. ब. स. विद्यालय, अ. ब. स. नगर
आवश्यक सूचना
विद्यालय के सभी कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि हिंदी विभाग की ओर से दिनांक-25.9.20XX को विद्यालय के सभागार में हिंदी दिवस के अवसर पर वाद-विवाद प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता का विषय-‘हिंदी का बढ़ता क्षेत्र’ है। सभी इच्छुक प्रतिभागियों को सूचित किया जाता है कि प्रतियोगिता की तिथि से दो दिन पूर्व अपना नाम अधोहस्ताक्षरी के पास जमा अवश्य करवा दें।
अ. ब. स.
संयोजक
हिंदी विभाग
दिनांक-02.08.20XX
प्रश्न 16.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए दो मित्रों के बीच संवाद लगभग 50 शब्दों में लिखिए। [5]
अथवा
दिल्ली में महिलाओं की असुरक्षा को लेकर दो महिलाओं के मध्य लगभग 50 शब्दों में संवाद लिखिए।
उत्तर:
पहला मित्र- मित्र, बहुत दुखी दिखाई दे रहे हो।
दूसरा मित्र– हाँ मित्र, दिल्ली के प्रदूषण ने जीना मुश्किल कर दिया है।
पहला मित्र- सही कह रहे हो। मनुष्य ने तो पर्यावरण के महत्त्व को ही भुला दिया है।
दूसरा मित्र- पर्यावरण के लिए वृक्ष से बड़ा मित्र तो हो ही नहीं सकता। पर मनुष्य का दुर्भाग्य कि वह विकास के नाम पर इसकी कटाई करता जा रहा है।
पहला मित्र– हाँ, पर बढ़ती गाड़ियों की संख्या और कल-कारखानों से निकलने वाले धुएँ भी इसे रात-दिन बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं।
दूसरा मित्र- मित्र, अगर ऐसा ही चलता रहा, तो धीरे-धीरे मानव जाति का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। (चिंतित होते हुए) क्या यह मनुष्य इतना क्रूर और स्वार्थी हो गया है। कि इसके बारे में जरा-सा भी नहीं सोचता।
पहला मित्र- मित्र, ऐसा नहीं है, कुछ लोग प्रदूषण से सुरक्षा के लिए भी प्रयास कर रहे हैं।
दूसरा मित्र— यह तो अच्छी बात है। चलो, साथ मिलकर हम भी प्रयास करते हैं तथा दिल्ली सरकार से आग्रह करेंगे कि वह भी कुछ सहयोग करें। पहला मित्र-धन्यवाद !
अथवा
पहली महिला- सखी, दिल्ली अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रही।
दूसरी महिला— सखी, आज तुम बहुत परेशान दिख रही हो !
पहली महिला– हाँ! परेशानी की तो बात है ही। शायद तुमने समाचार पत्र को पढ़ा ही नहीं ?
दूसरी महिला- नहीं ! पर बात क्या है? बताओ तो सही।
पहली महिला- एक दिन की बात हो तो सही, अब प्रतिदिन समाचार पत्र में मुख्य खबर के रूपे अपहरण छीना-झपटी, राह चलती महिलाओं के साथ छेड़-छाड़ की घटना भरी हुई होती हैं। गंदी नजरों से देखना तो आम बात हो गई है।
दूसरी महिला– सही है, पर इसके लिए निराश होने की आवश्यकता नहीं है। सरकार भी इस संदर्भ में प्रयासरत है। हमें मिलजुलकर इसकी रोकथाम के प्रयास करने की आवश्यकता है।
पहली महिला- केवल प्रयास करने से नहीं होगा अपितु लोगों को जागरूक करना होगा कि वे महिला को सम्मान की नजरों से देखें तथा महिलाओं को सशक्त करना होगा।
पहली महिला- सही कहती हो। चलो! निराशा छोड़ो ! सकारात्मक रहो, धन्यवाद!
प्रश्न 17.
आप एक अच्छे चित्रकार हैं। अपने चित्रों की प्रदर्शनी के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। [5]
अथवा
अपनी पुरानी साइकिल की बिक्री के लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
अ. ब. स. विद्यालय
अ. ब. स. नगर
दिनांक- 00/00/00
दिन-0000
चित्रकला की प्रदर्शनी विशेषताएँ।
(क) सभी प्रदर्शित चित्र स्वानिर्मित हैं।
(ख) इन चित्रों के निर्माण में किसी भी प्रकार की मशीन का प्रयोग नहीं किया गया है।
(ग) सभी चित्र स्व-नवीन प्रतिभा के परिचायक हैं।
(घ) चित्रों का निर्माण प्राकृतिक संसाधनों से किया गया
(ङ) सभी चित्र स्वस्थ मनोरंजन और चित्त को प्रसन्न रखने में सहायक हैं।
(च) कुछ विशेष चित्र उचित मूल्य पर विक्रय के लिए उपलब्ध हैं।
प्रदर्शनी का समय-प्रात: 9.00 बजे से अपराह्न 3.00 बजे
तक।
प्रदर्शनी का स्थान-नगर का सभागार।
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जनहित में प्रसारित।
अथवा
बिक्री के लिए उपलब्ध
‘मल्टी स्टार सइकिल’ (1 साल उपयोग करी हुई) ध्यान दें, बिल्कुल नई दशा में एक पुरानी साइकिल बिक्री के लिए उपलब्ध है। रंग लाल, आधुनिक उपकरणों, से युक्त, चाल में हल्की साइकिल उपलब्ध है। बच्चों को स्कूल भेजने वाली, बड़ों से व्यायाम कराने वाली अच्छी साइकिल उपलब्ध है।
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पता:- अ ब स कॉलोनी
अ ब स नगर
संस्थापक-अ ब से
संपर्क सूत्र-0000000000
संपर्क की तिथि- 00/00/0000
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Delhi Set – II
Note : Except for the following questions all the remaining questions have been asked in previous sets.
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए। [1 × 4 = 4]
(क) स्वाति, चित्रा और मधु आएगी।
(ख) गणतंत्र दिवस परेड को लाखों बालक, वृद्ध, नर-नारी देख रही थीं।
(ग) प्रधानाचार्य आपको बुलाए हैं, सर !
(घ) उत्तम चरित्र निर्माण हमारे लक्ष्य होने चाहिए।
(ङ) आपके बैल हमारे भटकते हुए खेत में आ पहुँचे।
उत्तर:
(क) स्वाति, चित्रा और मधु आएँगी।
(ख) गणतंत्र दिवस परेड को लाखों बालक, वृद्ध नर-नारी देख रहे थे।
(ग) सर! आपको प्रधानाचार्य ने बुलाया है।
(घ) उत्तम चरित्र निर्माण हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
(ङ) आपके बैल भटकते हुए हमारे खेत में आ पहुँचे।
प्रश्न 9.
26 जनवरी, 1931 में कोलकाता में हुए घटनाक्रम की उन बातों का वर्णन कीजिए जिनके कारण लेखक ने डायरी में लिखा, “आज जो बात थी वह निराली थी”। [1 x 5 = 5]
अथवा
चा-नो-यू की पूरी प्रक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में करते हुए लिखिए कि उसे झेन परम्परा की अनोखी देन क्यों कहा गया है?
उत्तर:
(क) 26 जनवरी 1931 का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया था। 4 बजकर 24 मिनट पर मॉन्यूमेंट के नीचे झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने के लिए कोलकाता के अलग-अलग भागों से जुलूस आगे बढ़ रहे थे। इस स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए, जुलूस निकाले गए, जनसभा करने लिए तथा झंडा फहराने के लिए अंग्रेजी सरकार द्वारा निषेधाज्ञा जारी किया गया था। इसके बाबजूद लोगों ने सरकारी आदेश का उल्लंघन कर स्वतंत्रता दिवस के आयोजन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराया गया और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी गई पुलिस की लाठियाँ खाने और गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी उनके जोश और उत्साह में कमी नहीं आई। कलकत्तावासियों का जुनून, संभाओं में उत्साह ‘के साथ भाग लेना और जोश भरे माहौल को देखकर
लेखक ने डायरी में लिखा था, “आज जो बात थी वह निराली थी।”
अथवा
चा-नो-यू जापान में चाय पीने की एक विधि है। इसमें घर की छत पर दफ्ती की दीवारों वाली और तातामी (चटाई) की जमीन वाली एक सुंदर पर्णकुटी होती है। मिट्टी के बरतन में भरे हुए पानी से हाथ-पैर धोए जाते हैं और तौलिये से साफ कर बैठा जाता है। ‘चाजीन’ सबको झुककर प्रणाम करता है। अँगीठी सुलगाकर उस पर चायदानी रखी जाती है। शांत वातावरण में चायदानी के पानी का उबाल भी सुनाई देता है। चाय तैयार होने पर उसे प्यालों में भरा जाता है। इसमें तीन आदमियों से अधिक को प्रवेश नहीं दिया जाता है। प्यालों में दो पूँट से ज्यादा चार्य नहीं होती है और लोग होंठों से प्याला लगाकर एक-एक बूंद चाय पीते रहते हैं। करीब डेढ़ घंटे तक चुस्कियों का यह सिलसिला चलता रहता है। इस गतिविधि से दिमाग की रफ्तार धीमी पड़ने लगती है तथा थोड़े समय बाद पूरी तरह से बंद हो जाती है। ऐसा लगता है कि सब अनंतकाल में जी रहे हों जापानियों को झेन परंपरा की यह बहुत बड़ी देन है। इससे लोग अपने व्यस्ततम जीवन में नई गति, शांति और ताजगी पा लेते हैं।
प्रश्न 11.
‘कर चले हम फिदा’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए। [5]
अथवा
कविता की पूष्ठभूमि में ‘तोप’ की अतीत में भूमिका और उसकी वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए। कवि को क्यों कहना पड़ा
कितनी ही कडी हो तोप
“एक दिन तो होना ही है उसका मुख बंद।”
उत्तर:
(क) ‘कैफी आजमी’ द्वारा रचित यह गीत सन 1962 के भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। चीन ने तिब्बत की ओर से भारत पर आक्रमण किया था और भारतीय वीरों ने इस आक्रमण का सामना वीरता से किया। देश के सम्मान और रक्षा के लिए सैनिक हर चुनौतियों को स्वीकार करके अपने जीवन का बलिदान करने के लिए तैयार रहते हैं। अपनी अंतिम साँस तक देश के मान की रक्षा कर उसे शत्रुओं से बचाते हैं। कवि इस गीत के द्वारा देशभक्ति की भावना को विकसित कर समस्त देशवासियों को जागरूक करना चाहता है। उत्तर हथियारों से लैस सेना तब तक कारगर नहीं होती जब तक कि उनमें अदम्य साहस और उत्साह न हो। यह गीत उसी उत्साह और अदम्य साहस को बनाए रखने का काम करता है।
अथवा
‘विरेन डंगवाल’ द्वारा रचित कविता ‘तोप’ एक प्रतीकात्मक कविता है। अपनी पृष्ठभूमि में शुरूआत के दिनों में अंग्रेजों के आतंक का प्रतीक था। अपने जमाने में तोप ने न जाने कितने शूरमाओं की धज्जियाँ उड़ा दी थीं। पर, यह मात्र धरोहर के रूप में स्थापित हो गई। लड़के ऊपर खेलते हैं तथा पक्षी इसके अंदर घोंसलो बनाने का काम करते हैं। दूर-दूर से सैलानी इसे देखने आते हैं। वर्तमान में इसकी तेज समाप्त हो गई है। इसी तोप को प्रतीक बनाकर कवि कहता आतंक का शासन अधिक दिनों तक नहीं चल सकता है। कोई कितना भी शक्तिवान हो तोप की तरह एक दिन उसके आतंक का साम्राज्य समाप्त हो ही जाता है।
प्रश्न 12.
कल्पना कीजिए कि एक पत्रकार के रूप में आप हरिहर काका के बारे में अपने समाचार पत्र को क्या-क्या बताना चाहेंगे और समाज को उसके उत्तरदायित्व का बोध कैसे कराएंगे? [5]
अथवा
टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों एक अटूट रिश्ते से बंधे थे। इस कथन के आलोक में ‘टोपी शुक्ला’ कहानी पर विचार कीजिए।
उत्तर:
एक पत्रकार के रूप में हरिहर काका के बारे में अपने समाचार पत्र को सूचित किया जाएगा कि धन की लालसा में उसके सगे संबंधी उसे परेशान कर रहे हैं। अपने समाचार पत्र में समाज की शीर्ष संस्था के पुरोधा महंत के चरित्र के बारे में विस्तार विवरण देना चाहूँगा। धन केंद्रित मानसिकता से समाज को बचाने के लिए लोगों को अपनत्व व सौहार्द्र से भरे सामाजिक जीवन जीने के लाभ से परिचित करवाना होगा। इसके लिए नुक्कड़ नाटक के आयोजन तथा टी.वी. आदि पर घर-घर की कलह आदि को दिखाने के स्थान पर प्रेम, सौहार्द व भाईचारे की भावना से ओतप्रोत धारावाहिकों का प्रसारण किया जाना चाहिए लोग जागरूक हों और अपनत्व के महत्व को समझते हुए अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सकें।
अथवा
‘टोपी शुक्ला’ पाठ समाज के लिए सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश है। टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों एक अटूट रिश्ते से बंधे थे। हिंदुस्तान में हिंदू और मुसलमानों के बीच प्रेम और भाईचारे से भरे वातावरण की चाह रखने वालों के लिए यह एक प्रेरणा प्रद रचना है। कहानी में टोपी और इफ्फन का पालन-पोषण ‘, धार्मिक कट्टरता से भरे तथा दो अलग-अलग परंपराओं से जुड़े परिवारों में हुआ था, किंतु दोनों एक-दूसरे के जिगरी दोस्त बने, दोनों की कहानी एक-दूसरी के बिना अधूरी थी। यदि इसी प्रकार कट्टरवाद को हटाकर दोनों कौमों के लोग एक-दूसरे के साथ भाईचारे का संबंध जोड़ लें, तो देश में मज. हबी दंगों में इंसानियत का खून बहने से रोका जा सकता है।
प्रश्न 14.
चौराहों पर भीख माँगते बच्चों को देखकर आपको कैसा इस समस्या के समाधान के लिए अपने विचार एक पत्र द्वारा किसी समाचार पत्र के संपादक को लिखिए। [5]
अथवा
अपनी पढ़ाई तथा अन्य गतिविधियों के बारे में बताते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
संपादक,
अ. ब. स. समाचार पत्र,
अ. ब. स. क्षेत्र,
अ. ब. स. नगर।
दिनांक-00/00/00
विषय-चौराहे पर भीख माँगते बच्चों को की गंभीर समस्या और समाधान।
महोदय,
निवदेदन है कि मैं अ. ब. स. नगर के अ. ब. स. मुहल्ले का निवासी हूँ। इस पत्र के द्वारा मैं आपका तथा सरकार का ध्यान उपर्युक्त समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। मैं प्रतिदिन सुबह 8 बजे अपने पिता जी के साथ गाड़ी से विद्यालय के लिए जाता हूँ। रास्ते में एक चौराहा आता है जहाँ कुछ हम उम्र बालकों को भीख माँगते देख मेरा मन द्रवित हो उठा। मैं सोचने के लिए विवश हो गया कि आज भी भारत में इतनी गरीबी है कि लोग अपने बच्चों से पढ़ने की आयु में भीख मँगवाकर अपना पेट भरने का काम करते हैं। भारत में आज भी संसाधनों का इतना अभाव है कि जिन बच्चों के हाथों में पुस्तकें और लेखनी होनी चाहिए वे भीख के लिए हाथ फैला रहे हैं।
महाशय, यह एक गंभीर समस्या है। इस विकृत समस्या के समाधान के लिए सरकार और समाज दोनों को आगे आना होगा और मिलकर प्रयास करना होगा। सरकार के द्वारा ऐसे बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा, आवास और भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए तथा समाज के द्वारा इन बच्चों को शिक्षा प्राप्ति के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विश्वास है, अपने समाचार पत्र में मेरे पत्र को प्रकाशित कर संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस समस्या की और आकर्षित करेंगे।
अ. ब. स.
अ. ब. स. क्षेत्र
अ. ब. स. नगर
अथवा
अ. ब. स. नगर
अ. ब. स. क्षेत्र
दिनांक-00/00/00
आदरणीय पिता जी,,
सादर प्रणाम।
मैं कुशल हूँ, विश्वास है कि आप भी परिवार के सभी सदस्यों के साथ स्वस्थ होंगे।
पिता जी! प्रसन्नता के साथ आपको सूचित करना चाहता हूँ कि हर साल की भाँति इस बार भी विद्यालय की वार्षिक-परीक्षा अगले माह से प्रारंभ होने वाली है। परीक्षा में उत्तम परिणाम के समय-तालिका के अनुसार मैं यथायोग्य परिश्रम कर रही हैं। समय पर भोजन, शयन क्रीड़ा आदि का पूरा ध्यान रखता हूँ। सामाजिक कार्यक्रमों में भी पूरी सहभागिता रहती है। विद्यालय की शैक्षणिकेत्तर गतिविधियों में मैं अपने मित्रों के साथ पूरे उत्साह के साथ भाग लेता रहता हूँ।
आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं मेहनत करता रहूँगा और सर्वोत्तम स्थान पर स्थित रहूँगा।
ग्रीष्मावकाश में घर आकर आपके तथा माता जी के दर्शन करूंगा।
परिवार में सबको यथायोग्य अभिवादन।
आपका प्यारा पुत्र,
अ. ब. स.।
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Delhi Set – III
Note : Except for the following questions all the remaining questions have been asked in previous sets.
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए– [1 × 4 = 4]
(क) हमारा लक्ष्य देश की चहुँमुखी प्रगति होनी चाहिए।
(ख) क्या आप पढ़ लिए है?
(ग) इसी स्थान पर कल एक लड़का और लड़की बैठी थी।
(घ) पुलिस ने डाकुओं का पीछा किया गया।
(ङ) आप समय पर घर लौट आना।
उत्तर:
(क) देश की चहुँमुखी प्रगति हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
(ख) क्या आपने पढ़ लिया है?
(ग) एक लड़का और लड़की कल इसी स्थान पर बैठे थे।
(घ) पुलिस ने डाकुओं का पीछा किया।
(ङ) आप समय पर घर लौट आइए।
प्रश्न 9.
मैदान में सभी न होने देने के लिए पुलिस बंदोबस्त को विवरण देते हुए सुभाष बाबू के जुलूस और उनके साथ पुलिस के व्यवहार की चर्चा कीजिए।
अथवा
बढ़ती आबादी के पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए स्पष्ट कीजिए कि, “नेचर की सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।”
उत्तर:
पुलिस कमिश्नर का नोटिस था कि कोई सभा नहीं हो सकती और यदि सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे। इधर कौंसिल का नोटिस था कि मोनुमेंट के नीचे चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि खुली लड़ाई थी। चार बजकर दस मिनट पर सुभाष बाबू जुलूस लेकर आए। उनको चौरंगी पर ही रोका गया और पुलिस ने लाठियाँ चलानी शुरू कर र्दी। पुलिस अत्यंत बर्बर हो चुकी थी। पर सुभाष बाबू ज्योतिर्मय गांगुली के साथ आगे बढ़ते रहे। सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया गया। इस प्रकार पुलिस ने आंदोलनकारियों के साथ अत्यंर क्रूर व्यवहार किया।
अथवा
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर बड़ा ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। रहने योग्य भूमि की कमी दूर करने के लिए मनुष्य ने समुद्र को पीछे धकेलना शुरू कर दिया तथा पेड़ों को रास्ते से हटाना शुरू कर दिया। इससे पर्यावरण असंतुलन की स्थिति आ गई, मौसम चक्र अव्यवस्थित हो गयो, गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ने लगी, बेवक्त की बरसातें होने लगीं, जलजले, सैलाब तथा तूफान आकर हाहाकार मचाने लगे तथा नित्य नई-नई बीमारियाँ धरती पर बढ़ने लगीं। धरती के सहने की भी एक सीमा होती है। समय-कुसमय आनेवाली प्राकृतिक आपदाएँ इनके ही परिणाम हैं। जब सहनशीलता की हद हो गई तब समुद्र ने गुस्से में भरकर इतना भयानक रूप धारण कर लिया कि मुंबई वाले त्राहि-त्राहि कर उठे। इस कथन के द्वारा यही संदेश दिया गया है कि मनुष्य प्रकृति का अनुचित दोहन न करे, वरना प्रकृति द्वारा रौद्र रूप में भरकर किया गया वार उससे झेला नहीं जाएगा।
प्रश्न 11.
कविता के आधार पर मनुष्यता’ के गुणों/लक्षणों की चर्चा विस्तारपूर्वक कीजिए। [5]
अथवा
कविता के आलोक में सैनिक के जीवन की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए भाव स्पष्ट कीजिए-‘राम भी तुम, तुम्ही लक्ष्मण साथियो।
उत्तर:
‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्यता के अनेक गुणों की चर्चा की है ताकि समाज में बंधुत्व, एकता सौहार्द और आपसी हेलमेल का भाव कायम रहे। सभी एक पिता परमेश्वर की संतान हैं इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए और एक होकर चलना चाहिए। इससे हमारे बीच ईष्र्या-द्वेष के भाव का अंत हो जाएगा। मैत्री भाव से आपस में मिलकर रहने से सभी कार्य सफल होते हैं, ऊँच-नीच, वर्ग भेद नहीं रहता और समाज का कल्याण होता है। कवि ने मानवता के गुणों को देदीप्यमान रखने वाले अनेक ऋषियों और मुनियों की चर्चा, कविता में करी है। मनुष्यता का सबसे बड़ा गुण यही है कि हमें सबकी भलाई करते हुए, सबको साथ लेकर चलते हुए ही अपनी कल्याण करना चाहिए। समाज का सही मायने में विकास ओर लाभ तभी संभव है जब सबका विकास हो।
अथवा
सैनिकों का जीवन रोमांच से भरा हुआ परंतु बड़ा ही कष्टमय होता है। कवि सैनिकों से कहता है उन्हें सीमा पर अपने खून से लक्ष्मण रेखा खींच देनी चाहिए ताकि उसे लाँघकर कोई रावण रूपी आतताई अंदर नहीं आ सके। यदि कोई हाथ हम पर उठने लगे तो उसे हाथ को फौरने तोड़ देना चाहिए। यहाँ पर मातृभूमि की तुलना सीता से की गई है जिनका दामन छूने का कोई साहस न कर सका। सैनिक यह भी प्रेरणा देता है कि हम ही में राम भी हैं और लक्ष्मण भी। अर्थात् हम हर तरह से अपनी मातृभूमि की रक्षा करने में सक्षम हैं। यहीं वीर और रौद्र का मिला जुला रूप मिलता है।
प्रश्न 12.
‘स्कूल हमारे लिए ऐसी जगह न थी जहाँ खुशी से भागे जाए” फिर भी लेखक और साथी स्कूल क्यों जाते थे? आज के स्कूलों के बारे में आपकी क्या राय है? क्यों? विस्तार से समझाइए। [5]
अथवा
हरिहर काका के विरोध में महंत और पुजारी ही नहीं उनके भाई भी थे। इसका कारण क्या था? हरिहर काका उनकी राय क्यों नहीं मानना चाहते थे। विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
लेखक को स्कूल जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था। लेकिन जब पी. टी. साहब उन्हें परेड में शाबाशी देते तो उन्हें बहुत अच्छा लगता था। स्काउट की परेड में जब उन्हें धुले हुए साफ कपड़े और गले में दोरंगी रूमाल के साथ परेड करने को मिलता तो भी उन्हें मजा आता था। परेड के दौरान उनके बूटों की ठक-ठक उनके कानों में मधुर संगीत की तरह लगती थी। इन सब कारणों से लेखक और उनके साथी स्कूल जाते थे। आज के स्कूल प्राचीन काल के स्कूल से भिन्न हैं। यहाँ शारीरिक दंड देना वर्जित है। बच्चों के आकर्षण के अनेक साधन स्कूलों में उपलब्ध हैं। कक्षाओं और पाठ्यक्रम की व्यवस्था बाल मनोविज्ञान के अनुसार करी गयी है। इन सबके लिए सबसे बड़ा कारण बच्चों को स्कूल के प्रति लगाव को बढ़ावा देना है।
अथवा
हरिहर काका के विरोध में उनके भाइयों के साथ ठाकुरबाड़ी का महंत और पुजारी भी था। इन लोगों के विरोध का सबसे बड़ा कारण उनकी जायदाद थी। उनके सब भाई चाहते थे हरिहर काका समस्त जायदाद उनके नाम लिख दें और महंत चाहते थे कि हरिहर काका समस्त जायदाद मठ के नाम कर दें। ये लोग समस्त नैतिक मूल्यों को ठुकराकर, सभी प्रकार की मर्यादाओं को तार-तार कर धन और जमीन की लिप्सा से ग्रसित होकर हरिहर काका के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे थे। हरिहर काका को अनुमान हो चुका था कि वे यदि इन लोगों की बात मानकर अपनी संपत्ति इन लोगों के नाम कर देते हैं तो इन्हें दूध की मक्खी की तरह निकाल फेकेंगे। उनके लिए भरपेट भोजन मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए वे उनकी राय नहीं मान रहे थे।
प्रश्न 14.
एक चौराहे पर स्कूल जाने की उम्र की किसी लड़की को भीख माँगता देखकर आपके मन में क्या भाव उठे? अपनी बड़ी बहन को पत्र लिखकर बताइए। [5]
अथवा
‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’ अभियान का आपके आस-पड़ौस में क्या प्रभाव दिखाई देता हैं? उसकी अच्छाइयों और सीमाओं की चर्चा करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर:
अ. ब. स. नगर,
अ. ब. स. क्षेत्र,
दिनांक- 19/04/20XX
आदरणीय बड़ी बहन,
सादर प्रणाम।
मैं कुशल हूँ, विश्वास है कि आप भी परिवार के सभी सदस्यों के साथ स्वस्थ होंगी।
दीदी, आज इस पत्र के द्वारा मैं अपने मन की बात को आपके साथ बाँटना चाहता हूँ। आज सुबह जब मैं अपने विद्यालय जा रहा था तो चौराहे पर एक हम उम्र बालिका को भीख माँगता देख मेरा मन काँप उठा। मैं सोचने को विवश हो गया कि आज भी भारत में इतनी गरीबी है कि लोग अपने बच्चों से पढ़ने की आयु में भीख मँगवाकर अपना पेट भरने का काम कराते हैं।
मैंने माता जी से इस संदर्भ में विस्तार से बात की है तथा उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे उस लड़की के लिए शिक्षा की व्यवस्था में उसके माता-पिता का सहयोग करेंगी। अब जाकर मेरे मन को कुछ शांति मिली है।
शेष अगले पत्र में। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखियेगा।
आपका प्यारा भाई,
अ. ब. स.।।
अथवा
सेवा में
मुख्य संपादक महोदय,
अ. ब. स. समाचारपत्र,
अ. ब. स. नगर।।
दिनांक : 03 अप्रैल, 20XX
विषय-‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’ अभियान का आस-पड़ोस पर क्या प्रभाव।
मान्यवर,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने इलाके में ‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’ अभियान का क्या प्रभाव हुआ। है इस विषय पर आकर्षित करना चाहता हूँ। महोदय ! इस अभियान के कारण हमारे समाज में एक क्रांति-सी आ गई है। कोई भी बच्चा हो या बूढ़ा सड़क पर या गलियों में कूड़ा-करकट फेंकना नहीं चाहता है। अस्पतालों या रेलवे प्लेटफॉर्म पर तो गंदगी का नामों-निशान मिट गया। है। इन सबका हमारे स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है। अब डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता कम हो गई है। अधिक से अधिक लोग स्वच्छता के प्रति सावधान और स्वस्थ रह रहे हैं। इसकी सबसे अच्छी बात है कि इससे समाज में आने वाली बीमारियों से राहत मिलेगी तथा एक स्वस्थ और स्वच्छ भारत का निर्माण होगा।
आपसे अनुरोध है कि समाज के हित को ध्यान में रखते हुए इस अभियान के विज्ञापन को अपने लोकप्रिय समाचार पत्र के मुख्पृष्ठ पर जगह देकर लागों को इसके प्रति आकृष्ट करने की कृपा करें।
इसके लिए हम सब आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
अ. ब. स.
अ. ब. स. मोहल्ला ,
अ. ब. स. नगर।