CBSE Class 6 Hindi Grammar संधि Pdf free download is part of NCERT Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given NCERT Class 6 Hindi Grammar संधि. https://www.cbselabs.com/cbse-class-6-hindi-grammar-sandhi/
CBSE Class 6 Hindi Grammar संधि Sandhi in Hindi
Sandhi Class 6 CBSE
Sandhi in Hindi: संधि का अर्थ है-मेल। जब दो वर्षों के मेल से उनके मूल रूप में जो परिवर्तन या विकार आ जाता है, वह संधि कहलाता है; जैसे-
- नर + ईश = नरेश
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
उपर्युक्त उदाहरणों में पहले शब्द के अंतिम वर्ण तथा दूसरे शब्द के पहले वर्ण के मेल में परिवर्तन आ गया है। यही परिवर्तन संधि है।
Sandhi In Hindi CBSE Class 6
संधि विच्छेद – संधि का अर्थ है-मिलना, विच्छेद का अर्थ है-अलग होना। दो वर्षों के मेल से बने नए शब्द को वापस पहले की स्थिति में लाना संधि विच्छेद कहलाता है; जैसे–
- विद्यालय = विद्या + आलय
- सूर्योदय = सूर्य + उदय
संधि के भेद – संधि के तीन भेद होते हैं।
(क) स्वर संधि
(ख) व्यंजन संधि
(ग) विसर्ग संधि।
Class 6 Sandhi CBSE
(क) स्वर संधि – स्वर संधि यानी स्वरों का मेल। दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे– महा + आत्मा = महात्मा, हिम + आलय = हिमालय।
स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृधि संधि
- यण संधि
- अयादि संधि
Sandhi In Hindi Class 6 CBSE
1. दीर्घ संधि – जब ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएँ, तो दोनों के मेल से दीर्घ स्वर हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे
परम + अर्थ = परमार्थ
सार + अंश = सारांश
न्याय + अधीश = न्यायधीश
देह + अंत = देहांत
मत + अनुसार = मतानुसार
भाव + अर्थ = भावार्थ
अ + आ = आ
- हिम + आलय = हिमालय
- छात्र + आवास = छात्रावास
आ + आ = आ – विद्या + आलय = विद्यालय, शिव + आलय = शिवालय।
इ + इ = ई – अभि + इष्ट = अभीष्ट, हरी + इच्छा = हरीच्छा।
इ + ई = ई – हरि + ईश = हरीश, परि + ईक्षा = परीक्षा।
ई + इ = ई – शची + इंद्र = शचींद्र, मही + इंद्र = महेंद्र।
ई + ई = ई – रजनी + ईश = रजनीश, नारी + ईश्वर = नारीश्वर
उ + उ = ऊ – भानु + उदय = भानूदय, लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
उ + ऊ = ऊ – लघु + ऊर्मि = लघूर्मि,
ऊ + ऊ = ऊ – भू+ उर्जा = भूर्जा, भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
Sandhi In Hindi Grammar CBSE
2. गुण संधि – अ/आ का मेल इ/ई से होने पर ए, उ + ऊ से होने पर ओ तथा ऋ से होने पर अर् हो जाता है। इसे गुण संधि कहते हैं; जैसे
अ/आ + इ + ई = ए – नर + इंद्र = नरेंद्र, नर + ईश = नरेश।
अ/आ + उ + ऊ = ओ – पर + उपकार = परोपकार, महा + उत्सव = महोत्सव।
अ/आ + ऋ + ऋ = अर – देव + ऋषि = देवर्षि, महा + ऋषि = महर्षि।
3. वृधि संधि – वृधि संधि में अ या आ के बाद यदि ए या ऐ हो तो दोनों का ‘ऐ’ होगा। यदि अ या आ के बाद ओ या आ
आए तो दोनों का ‘ओ’ होगा; जैसे
अ + आ + ए/ऐ = ऐ
एक + एक = एकैक, सदा + एव = सदैव
अ/आ + ओ + औ = औ = वन + औषधि = वनौषधि, जल + ओध = जलौध।
4. यण संधि – इ अथवा ई के बाद इ और ई को छोड़कर यदि कोई अन्य स्वर हो तो ‘इ’ अथवा ई के स्थान पर य् उ अथवा ऊ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो उनके स्थान पर ‘व’ और ‘ऋ’ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो उसके स्थान पर ‘र’ हो जाता है। इसे यणसंधि कहते हैं; जैसे
अति + अधिक = अत्यधिक, यदि + अपि = यद्यपि
Hindi Grammar Sandhi CBSE Class 6
5. अयादि संधि – यदि पहले शब्द के अंत में ए/ऐ, ओ/औ एक दूसरे के शब्द के आरंभ में भिन्न स्वर आए तो क्रमशः ए का अय, ऐ का आय, ओ का अव, तथा औ का आव हो जाता है। इसे अयादि संधि कहते हैं; जैसे
ने + अक = नायक, भो + अन = भवन
पौ + अक = पावक, भौ + अक = भावुक
(ख) व्यंजन संधि – व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, वह व्यंजन संधि कहलाता . है; जैसे
सम + कल्प = संकल्प, जगत+ ईश = जगदीश।
व्यंजन संधि के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-
(क) कवर्ग का तृतीय वर्ण-वर्गों के प्रथम वर्ण से परे वर्गों का तृतीय, चतुर्थ वर्ण कोई स्वर अथवा य, र, ल, वे, ह आदि वर्गों में से कोई वर्ण हो तो पहले वर्ण को अपने वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है; जैसे।
दिक् + अंबर = दिगंबर, सत् + धर्म = सद्धर्म ।
(ख) खवर्ग का पंचम वर्ग-वर्ग के प्रथम या तृतीय वर्ण से परे पाँचवा वर्ण हो, तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवा वर्ण हो जाता है; जैसे
- वाक् + मय = वाङ्मय, सत् + मार्ग = सन्मार्ग
- जगत् + नाथ = जगन्नाथ, चित् + मय = चिन्मय।
(ग) त के बाद ज या झ हो तो ‘त’ के स्थान पर ‘न’ हो जाता है; जैसे
सत् + जन = सज्जान, विपत् + जाल = विपज्जाल, जगत् + जननी = जगज्जननी
(घ) त् के बाद ङ या ढ़ हो तो ‘त्’ के स्थान पर ‘ड’ हो जाता है; जैसे
उत् + डयन = उड्डयन, वृहत + टीका = वृहट्टीका।
(ङ) त् के बाद ल हो तो ‘त’ के स्थान पर ‘ल’ हो जाता है; जैसै
तत् + लीन = तल्लीन, उत् + लेख = उल्लेख
(च) त् के बाद श हो तो ‘त्’ के स्थान पर ‘च्’ और ‘श’ के स्थान पर ‘छ’ हो जाता है; जैसे
उत् + श्वास = उच्छवास, तत् + शिव = तच्छिव
(छ) यदि त्’ के बाद च्, छ हो तो ‘त्’ का ‘च’ हो जाता है; जैसे
उत् + चारण = उच्चारण, सत् + चरित्र = सच्चरित्र
(ज) त् के बाद ह हो तो ‘त्’ का ‘द्’ और ह का ‘ध’ हो जाता है; जैसे
उत् + हार = उद्धार, तत् + हित = तधित
(झ) ‘म’ के बाद कोई स्पर्श व्यंजन हो तो ‘म्’ का अनुस्वार या बाद वाले वर्ण के पंचम हो जाता है; जैसे
अहम् + कार = अहंकार, सम् + तोष = संतोष
(ज) “म्’ के बाद य, र, ल, व, स, श, ह हो, तो म् अनुस्वार हो जाता है; जैसे
सम् + योग = संयोग, सम् + वाद = संवाद, सम् + हार = संहार
अपवाद-यदि सम् के बाद ‘राट्’ हो तो म् का म् ही रहता है। जैसे
सम् + राट = सम्राट
(ट) “छ’ से पूर्व स्वर हो तो ‘छ’ से पूर्व ‘च’ आ जाता है।
परि + छेद = परिच्छेद, आ + छादन् = अच्छादन।
(ठ) ह्रस्व स्वर ‘इ’ उ के बाद यदि ‘र’ के बाद फिर ‘र’ हो तो ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। ‘र’ का लोप हो जाता है; जैसे
निर + रस = नीरस, निर + रोग = नीरोग
(ड) न् का ‘ण’ होना–यदि ऋ र, ष के बाद ‘न’ व्यंजन आता है तो ‘न’ का ‘ण’ हो जाता है; जैसे
राम + अयन = रामायण, परि + नाम = परिणाम
(ढ) ह्रस्व के बाद ‘छ’ हो तो उसके पहले ‘च’ जुड़ जाता है। दीर्घ स्वर में विकल्प होता है।
परि + छेद = परिच्छेद, शाला + छादन = शालाच्छादन
Sandhi Hindi Grammar CBSE Class 6
कुछ अन्य उदाहरण
क् + ग् – वाक् + ईश = वागीश, दिक + अंत = दिगंत।
त् + ६ – तत् + भव = तद्भव, भगवत् + गीता = भगवदगीता ।
छ संबंधी नियम – स्व + छेद = स्वच्छेद, परि + छेद = परिच्छेद।
म संबंधी नियम – सम् + गति = संगति, सम् + तोष = संतोष।
Sandhi Viched In Sanskrit Class 6 CBSE
(ग) विसर्ग संधि – विसर्ग का किसी स्वर या व्यंजन से मेल होने पर जो विकार (परिवर्तन) होता है वह विसर्ग संधि कहलाता है; जैसे
(क) विसर्ग के पहले ‘अ’ हो और बाद में कोई घोष व्यंजन, वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवा वर्ण (य, र, ल, व, ह) हो तो ।
विसर्ग का ‘ओ’ हो जाता है। जैसे–
मनः + बल = मनोबल, मनः + रंजन = मनोरंजन, मनः + हर = मनोहर।
(ख) विसर्ग के बाद यदि च, छ हो, तो विसर्ग का ‘श’ हो जाता है; जैसे
निः + चिंत = निश्चित, निः + छल = निश्छल, दु: + चरित्र = दुश्चरित्र।
(ग) विसर्ग के बाद यदि ट, ठ हो तो विसर्ग का.ष हो जाता है; जैसे
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
(घ) विसर्ग के बाद यदि त, थ हो तो विसर्ग का ‘स’ हो जाता है; जैसे
दुः + तर = दुस्तर, नमः + ते = नमस्ते ।
(ङ) यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ और ‘आ’ को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आए और विसर्ग के बाद कोई स्वर हो या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवा वर्ण हो या य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग के बाद कोई स्वर हो या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवा वर्ण हो या य, र, ले,व, ह हो, तो विसर्ग के स्थान पर ‘र’ हो जाता है; जैसे
निः + बल = निर्बल, निः + लोभ = निर्लोभ, निः + विकार = निर्विकार।
(च) विसर्ग से परे श, ष, स हो तो विसर्ग के विकल्प से परे वाले वर्ण हो जाता है।
निः + संदेह = निस्संदेह, दु: + शासन = दुश्शासन
(छ) यदि विसर्ग के पहले इकार या उकार आए और विसर्ग के बाद का वर्ण क, ख, प, फ, हो तो विसर्ग का ष हो जाता है; जैसे
निः + कपट = निष्कपट, दुः + कर = दुष्कर।
(ज) यदि विसर्ग के बाद ‘अ’ न हो तो विसर्ग का लोप हो जाएगा; जैसे
अतः + एव = अतएव
Sandhi Viched Class 6 CBSE
बहुविकल्पी प्रश्न
1. ‘उपेंद्र’ शब्द का सही संधि विच्छेद है
(i) उपा + इंद्र
(ii) उप + इंद्र
(iii) उपे + इंद्र
(iv) उपी + इंद्र
2. ‘नयन’ में कौन सी संधि है
(i) यण संधि
(ii) गुण संधि
(ii) वृद्धि संधि
(iv) अयादि संधि
3. ‘एकैक’ में कौन सी संधि है
(i) यण संधि
(ii) दीर्घ संधि
(iii) गुण संधि
(iv) वृद्धि संधि
4. कौन-सा भेद संधि का नहीं है
(i) विसर्ग संधि
(ii) व्यंजन संधि
(iii) जल संधि
(iv) स्वर संधि
5. ‘हरिश्चंद्र’ में कौन-सी संधि है।
(i) स्वर संधि
(ii) विसर्ग संधि
(iii) व्यंजन संधि
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं
6. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं
(i) चार
(ii) पाँच
(iii) सात
(iv) छह
7. ‘प्रणाम’ का संधि विग्रह होगा–
(i) प्रण + आम
(ii) प्र + णाम
(iii) प्रण + नाम
(iv) प्र + णाम
8. जगदीश का विग्रह होगा
(i) जगदी + ईश
(ii) जगद + ईश
(iii) जगत् + ईश
(iv) जगती + ईश
उत्तर-
1. (ii)
2. (iv)
3. (iv)
4. (iii)
5. (ii)
6. (ii)
7. (ii)
8. (iii)
We hope the given CBSE Class 6 Hindi Grammar संधि will help you. If you have any query regarding CBSE Class 6 Hindi Grammar संधि, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.