CBSE Class 6 Hindi लेखन कौशल अनुच्छेद-लेखन

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CBSE Class 6 Hindi अनुच्छेद-लेखन

Anuched Lekhan Class 6 CBSE

किसी विषय के सभी बिंदुओं को अत्यंत सारगर्भित ढंग से एक ही अनुच्छेद में प्रस्तुत करने को अनुच्छेद कहा जाता है। अनुच्छेद ‘निबंध’ का संक्षिप्त रूप होता है। इसमें किसी विषय के किसी एक पक्ष पर 75 से 100 शब्दों में अपने विचार दिए जाते हैं। अनुच्छेद लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

  • अनुच्छेद की भाषा सरल होनी चाहिए।
  • अनुच्छेद को दी गई शब्द-सीमा में ही पूरा करना चाहिए।
  • विषय से संबंधित सभी बिंदुओं को अनुच्छेद में समाहित करने का प्रयास करना चाहिए।
  • अनुच्छेद में शब्द-सीमा का ध्यान रखना चाहिए। छठी कक्षा में अनुच्छेद की शब्द-सीमा 75-100 शब्द हो सकती है।
  • अनुच्छेद में भूमिका आदि के स्थान पर सीधे ही विषय पर आ जाना चाहिए।
    नीचे छठी कक्षा के लिए उपयुक्त अनुच्छेदों के कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं।

Anuched Lekhan In Hindi For Class 6 CBSE

1. प्रार्थना
प्रार्थना का सामान्य अर्थ है-किसी के प्रति श्रद्धावान रहते हुए, सच्चे शुद्ध तथा सरल मन से उद्गार प्रकट करना। यह केवल ईश्वर का ध्यान करने के लिए ही नहीं होती, बल्कि यह हमें अनुशासन भी सिखाती है। इसके अतिरिक्त प्रार्थना’ व्यक्ति की विनयशीलता, अहंकार शून्यता तथा विनम्रता का प्रतीक है। प्रार्थना का प्रभाव प्रार्थना करने वाले तथा सुनने वाले-दोनों पर पड़ता है। प्रार्थना करने से इसे करने वाले का मन पवित्र होता है तथा इससे सुनने वाले के हृदय में सहानुभूति दया और स्नेह के भाव जाग्रत होते हैं। जब हम परमात्मा से कुछ प्रार्थना करते हैं, तो ईश्वर के प्रति आस्था के भाव जाग्रत होते हैं, कभी-कभी किसी अनुचित कार्य को करने के बाद भी उसे क्षमा कर देने तथा प्रायश्चित स्वरूप प्रार्थना की जाती है। इससे व्यक्ति का अहंकार, दंश तथा नास्तिकता की भावनाओं का अंत होता है।

Anuched Lekhan For Class 6 CBSE

2. बस्ते का बोझ
आज के समय में शिक्षा का पूरे देश में प्रचार-प्रसार हुआ है। शहरों में ही नहीं बल्कि गाँवों में भी बच्चे विद्यालय जा रहे हैं, किंतु यह दुर्भाग्य की बात है कि कोमल के बचपन की पीठ पर भारी-भरकम बस्ते लदे हुए हैं। इस भारी-भरकम बस्तों का बोझ होते हुए बचपन को देखना वास्तव में दुखद है। पुराने जमाने में प्राइमरी कक्षाओं की पढ़ाई तो तीन-चार किताबों से ही हो जाती थी, लेकिन आज प्राइमरी कक्षाओं में एक दर्जन से भी अधिक किताबें होती हैं, जिन्हें पीठ पर ढोकर लाना बच्चों के साथ ज्यादती है। भारी होते बस्ते की परेशानी से आज बचपन दुखी है। जरूरत है कि समय रहते हम इस समस्या को समझें और समाधान खोजें क्योंकि बस्ते का यह भारी बोझ कहीं देश के नौनिहालों के मन में शिक्षा के प्रति अरुचि न पैदा कर दे।

Class 6 Anuched Lekhan CBSE

3. परोपकार
‘परोपकार’ दो शब्दांशों पर + उपकार से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है-दूसरे की भलाई करना। परोपकारी मनुष्य ही सच्चे अर्थों में मनुष्य है क्योंकि वह केवल अपने लिए नहीं जीता, वह पूरे समाज का भला चाहता है। संपूर्ण संसार के कल्याण में वह अपना जीवन अर्पित कर देता है। यही कारण है कि परहित अथवा परोपकार को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। वास्तविक मनुष्य वह है जो अपने सुख से अधिक दूसरे के सुख को महत्त्व दे। मानव संस्कृति की प्राचीनता व निरंतरता का कारण परोपकार है। परोपकार प्रकृति भी करती है। नदी मानव कल्याण के लिए बहती है। वृक्ष दूसरों के लिए फल उत्पन्न करते हैं, मेघ प्राणी जगत के लिए बरसते हैं। ऋषि दधीचि, राजा शिवि, महादानी कर्ण, महात्मा बुद्ध, गांधी, लेनिन आदि ने मानव कल्याण के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। अतः परोपकार में संकोच नहीं करना चाहिए। हमें व्यक्तिगत हानि-लाभ से ऊपर उठकर जन-कल्याण की भावना से कर्म करना चाहिए।

Hindi Anuched For Class 6 CBSE

4. पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया
किसी देश की उन्नति का सबसे सही माध्यम शिक्षा ही है। देश का हर नागरिक जितना अधिक शिक्षित होगा, देश उतनी ही तेज़ी से तरक्की करेगा। सरकार ने इस बात को जान लिया है, इसी कारण देश में सभी को शिक्षित व साक्षर बनाने के लिए अनकानेक योजनाएँ चलाई जा रही हैं। बच्चों के हाथों में पुस्तकें देखकर कितनी खुशी मिलती है, किंतु देश का दुर्भाग्य है कि आज भी हर
बच्चों के पास पुस्तक नहीं है, पुस्तकों की जगह उनके हाथों में फावड़ा, बर्तन, कूड़े की पन्नियाँ आदि हैं। ‘बालश्रम एक अपराध है’ यह वाक्य बस कहने भर को है, सच्चाई इसके ठीक विपरीत है। आज भी धनी घरों में नन्हें हाथ मजबूरी में फ र्श पर पोंछा लगाते हुए दिखाई दे जाते हैं या जूतों की पॉलिश को चमकाते हुए। अतः हम सब यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि बिना पढ़ लिखकर देश की सही उन्नति नहीं हो सकती।।

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5. परिश्रम का महत्त्व
मानव जीवन में परिश्रम का अत्यधिक महत्त्व है। यह सभी प्रकार की उपलब्धि अथवा सफ लता का आधार है। परिश्रमी मनुष्यों ने मानव-जाति के उत्थान में अतीव योगदान दिया है। हमारी वैज्ञानिक उन्नति के पीछे अथक परिश्रम का बहुत बड़ा योगदान रहा है। अपने परिश्रम के सहारे मानव सुदूर अंतरिक्ष में जा पहुँचा है। अतः परिश्रम से बचने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जिसे राष्ट्र के नागरिक परिश्रम को महत्त्व नहीं देते, वह राष्ट्र संसार के अन्य देशों से पिछड़ जाता है। यही कारण है कि हमारे महापुरुषों ने लोगों को परिश्रम करते रहने की सलाह दी है। कोई भी कार्य परिश्रम करने से ही पूरा होता है। केवल इच्छा करने से नहीं बल्कि किसी ध्येय की प्राप्ति के लिए परिश्रम करना अत्यावश्यक है।

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6. मीठी वाणी का महत्त्व
‘वाणी’ ही मनुष्य को लोकप्रिय बनाती है। यदि मनुष्य मीठी वाणी बोले, तो वह सबका प्यारा बन जाता है और जिसमें अनेक गुण होते हुए भी यदि उसकी ‘बाणी’ मीठी नहीं है तो उसे कोई पसंद नहीं करता। इस उदाहरण को कोयल और कौआ के तथ्य से अच्छी तरह से समझा जा सकता है। दोनों देखने में एक समान होते हैं, परंतु कौए की कर्कश आवाज़ और कोयल की मधुर वाणी दोनों की अलग-अलग पहचान बनती है, इसलिए कौआ सबको अप्रिय और कोयल सबको प्रिय लगती है। मीठी वाणी बोलने वाले कभी क्रोध नहीं करते बल्कि प्रेम सौहार्द से समाज में मेल-जोल बढ़ाते हैं।

Anuched For Class 6 CBSE

7. क्रिसमस
‘क्रिसमस’ ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। यह ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह के जन्म-दिन के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को दुनियाभर में अत्यंत धूमधाम, उल्लास एवं उत्साह से मनाया जाता है। क्रिसमस की तैयारियाँ काफ़ी दिन पूर्व शुरू हो जाती हैं। इस अवसर पर ईसाई लोग नए-नए वस्त्र पहनते हैं, अपने घरों को सजाते हैं तथा अपने मित्रों एवं संबंधियों को शुभकामनाएँ तथा उपहार भेजते हैं। गिरजाघरों में विशेष प्रार्थनाएँ आयोजित की जाती हैं। ‘वेटिकन सिटी’ में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु ‘पोप’ लोगों को दर्शन तथा अपना संदेश देते हैं। इस अवसर पर घरों में क्रिसमस ट्री’ बनाया जाता है। बच्चे ‘सांता क्लॉज’ की प्रतीक्षा करते हैं। यह त्योहार प्रेम, शांति, क्षमा तथा भाईचारे का संदेश देता है।

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8. प्रात:कालीन सैर
प्रात:काल की सैर का आनंद अनूठा होता है। इस समय वातावरण शांत एवं स्वच्छ होने से तन-मन को अद्भुत शांति एवं राहत मिलती है। प्रात:कालीन की सैर से व्यक्ति निरोगी रहता है। दिन भर कार्य करने की ताकत एवं स्फूर्ति मिल जाती है। कार्य करने में मन लगता है और थकावट नहीं होती है। प्रात:कालीन सैर से अनेक रोगों का निवारण होता है। शरीर को शुद्ध, प्रदूषण रहित हवा प्राप्त होती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। मोटापा, मधुमेह इत्यादि बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है। अतः प्रात:काल की सैर अनेक रूपों में लाभदायक सिद्ध होती है। हमें प्रात:काल की सैर को आनंद अवश्य उठाना चाहिए।

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