Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार to develop Hindi language and skills among the students.
CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार
प्रश्न 1.
विशेष लेखन अथवा विशेष रिपोर्टिंग किसे कहते हैं? समाचार-पत्रों में विशेष लेखन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सामान्य लेखन की अपेक्षा किसी विशेष विषय पर किए गए लेखन को विशेष लेखन कहते हैं। समाचार-पत्रों में विशेष लेखन की महत्वपूर्ण भूमिका है। अधिकांश अखबारों और पत्रिकाओं के अतिरिक्त दूरदर्शन और रेडियो चैनलों में विशेष लेखन के लिए अलग बॉक्स होता है और उस विशेष बॉक्स पर काम करने वाले पत्रकारों का समुदाय भी अलग होता है। इसी प्रकार खेल के समाचारों और फ़ीचर के लिए खेल बॉक्स अलग होता है। इन बॉक्सों पर काम करने वाले उपसंपादक और संवाददाता संबंधित विषय या क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं।
वास्तव में खबरें कई प्रकार की होती हैं-राजनीतिक, आर्थिक, अपराध, खेल, फ़िल्म, कृषि, कानून, विज्ञान और किसी भी अन्य विषय से संबंधित। संवाददाताओं के बीच काम का बँटवारा खासतौर पर उनकी रुचियों और ज्ञान को ध्यान में रखकर किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे ‘बीट’ कहा जाता है। एक संवाददाता यदि अपने शहर या क्षेत्र में घटनेवाली आपराधिक घटनाओं की रिपोर्टिंग करता है तो उसकी बीट अपराधी मानी जा सकती है। समाचार पत्र की तरफ़ से वह इनकी रिपोर्टिंग के लिए उत्तरदायित्व तथा जवाबदेह भी होता है।
इसी प्रकार यदि संवाददाता की दिलचस्पी और जानकारी खेल से संबंधित है तो उसे खेल बीट मिल सकती है और यदि उसकी आर्थिक या कारोबार जगत से जुड़ी खबरों में रुचि और जानकारी है तो उसे आर्थिक रिपोर्टिंग का उत्तरदायित्व मिल सकता है। प्रकृति और पर्यावरण से संबंधित जानकारी रखने वाले को पर्यावरण बीट मिल सकती है। परंतु विशेष लेखन केवल बीट रिपोर्टिंग न होकर एक तरह की विशेषीकृत रिपोर्टिंग है। इसमें उस विषय की संपूर्ण जानकारी होने के साथ-साथ उस रिपोर्टिंग से संबंधित भाषा और शैली पर भी पूरा अधिकार होना चाहिए।
प्रश्न 2.
बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है ?
उत्तर :
बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में महत्वपूर्ण अंतर है। अपनी बीट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता को उस क्षेत्र के बारे में जानकारी और रुचियों का होना अति आवश्यक है। एक बीट रिपोर्टर को अपने बीट से जुड़ी सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं। विशेषीकृत रिपोर्टिंग सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस क्षेत्र विशेष या विषय से जुड़ी घटनाओं से संबंधित हैं। इसमें वहाँ के मुद्दों और समस्याओं का बारीकी से विश्लेषण करना होता है और पाठकों के लिए उसका अर्थ स्पष्ट करना आवश्यक होता है।
उदाहरण के लिए यदि शेयर मार्किट में भारी गिरावट आती है तो उस बीट पर रिपोर्टिंग करने वाले संवाददाता को तथ्य पर आधारित एक रिपोर्ट तैयार करनी पड़ेगी जिसमें सभी आवश्यक सूचनाएँ और तथ्य शामिल होंगे। परंतु विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाला संवाददाता इसका विश्लेषण करके बाज़ारों में आई गिरावट के क्यों और क्या कारणों को स्पष्ट करने की कोशिश करेगा और साथ ही यह भी देखेगा कि इसका आम लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? इसी कारण बीट कवर करनेवाले रिपोर्टर को संवाददाता और विशेषीकृत रिपोर्टिंग करनेवाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता का दर्जा प्राप्त है।
प्रश्न 3.
विशेष लेखन की भाषा और शैली का समाचार-पत्रों में विशेष महत्व है। भाषा और शैली किस प्रकार की होनी चाहिए ?
उत्तर :
इस शैली के द्वारा समाचार-पत्रों की उपयोगिता बढ़ जाती है। उनके पाठकों की संख्या में वृद्धि होने लगती है। पाठक अत्यधिक आनंद और रोचकता से समाचारों को पढ़ने लगते हैं। इस शैली से समाचारों का स्वरूप निखर जाता है। उनमें रोचकता का समावेश हो जाता है। सहज आकर्षण पैदा होता है। विशेष लेखन की भाषा और शैली निम्नलिखित प्रकार की होनी चाहिए –
- विशेष लेखन की भाषा-शैली सरल, साधारण और सहज होनी चाहिए।
- इसमें जटिल शब्दावली का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- इसमें रोचक शैली का प्रयोग करना चाहिए।
- इसमें सामान्य लेखन की सामान्य शैली की अपेक्षा विशेष भाषा-शैली का प्रयोग करना चाहिए।
- इसमें प्रासंगिक लेखन से जुड़ी भाषा – शैली को अपनाना चाहिए।
प्रश्न 4.
समाचार-पत्रों में विशेष लेखन का क्या क्षेत्र है ?
उत्तर :
विशेष लेखन के अनेक क्षेत्र हैं – अर्थ व्यापार, खेल, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, कृषि, विदेश, रक्षा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, फ़िल्म- मनोरंजन, अपराध, सामाजिक मुद्दे, कानून आदि। साधारणतया रोज़ाना की रिपोर्टिंग और बीट को छोड़कर सभी क्षेत्र विशेष लेखन के अंतर्गत आते हैं जिनमें अलग से विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। परंतु अखबारों और दूसरे माध्यमों में खेल, कारोबार, सिनेमा, मनोरंजन, फैशन, स्वास्थ्य, विज्ञान, पर्यावरण, शिक्षा, जीवन-शैली एवं रहन-सहन जैसे विषयों को इन दिनों विशेष लेखन के कारण अधिक महत्व मिल रहा है। इसके अतिरिक्त शिक्षा, विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और विधि जैसे क्षेत्रों में भी विशेषीकृत रिपोर्टिंग को प्राथमिकता मिल रही है।
प्रश्न 5.
समाचार-पत्रों में कारोबार और व्यापार का क्या महत्व है ?
उत्तर :
समाचार-पत्रों में कारोबार तथा अर्थ जगत से संबंधित समाचारों के लिए अलग से एक पृष्ठ होता है। कुछ समाचार-पत्रों में तो आर्थिक समाचारों के दो पृष्ठ प्रकाशित होते हैं। समाचार-पत्रों में यदि आर्थिक समाचार का पृष्ठ न हो तो वह संपूर्ण समाचार पत्र नहीं कहलाता। अर्थ अर्थात धन प्रत्येक जीवन का मूल आधार है। हमारे जीवन में इसका विशेष महत्व है। क्रय-विक्रय करना, बैंक में पैसे जमा करवाना, बचत करना, किसी कारोबार के बारे में योजना बनाना या कुछ इस प्रकार का सोचना जिसमें आर्थिक लाभ हो इत्यादि से संबंधित विषय कारोबार और अर्थ जगत से संबंधित होते हैं।
इसी कारण कारोबार, व्यापार और अर्थ जगत से जुड़ी खबरों में पाठकों की विशेष रुचि होती है। प्रायः देखा और सुना जाता है कि शेयर बाज़ार के भाव का चढ़ना, गिरना, सोने-चांदी के भाव, विदेशी मुद्रा (जैसे – डालर, पौंड आदि) की कीमत, आवश्यक उपभोक्ता चीज़ों की कीमत अथवा खेती-बाड़ी से संबंधित चीजों की कीमत के घटने-बढ़ने के पीछे कौन-कौन से कारण निहित हैं। इससे आम लोगों को क्या लाभ और हानि होगी या इसका जनता पर क्या असर पड़ेगा और इसके बचाव के लिए क्या उपाय करने चाहिए आदि जानकारियों में पाठकों की बहुत रुचि होती है। इसी कारण संवाददाता व्यापार जगत से जुड़ी अनेक खबरें अपने समाचार-पत्र में प्रकाशित करते हैं और उसके लिए विशेष स्थान भी निर्धारित करते हैं।
कारोबार, व्यापार और अर्थ का क्षेत्र काफ़ी विस्तृत एवं व्यापक है। सभी क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करना बहुत कठिन है। इसी कारण कारोबार और अर्थ जगत में किसी विशेष क्षेत्र का चुनाव करना पड़ता है। उदाहरणतया कोई शेयर बाज़ार का विशेषज्ञ होता है तो कोई निवेश के मामलों का, कोई बैंकिंग का विशेषज्ञ होता है तो कोई प्रापर्टी के क्षेत्र का विशेषज्ञ होता है, किसी को बजट की जानकारी होती है तो किसी को मंडी की जानकारी होती है।
अर्थ जगत की पत्रकारिता औरों की अपेक्षा बहुत मुश्किल होती है। इसका कारण आम जनता को इसकी शब्दावली के बारे में तथा उनके अर्थ के बारे में जानकारी न होना है। उसे साधारण जनता की समझ में आने के योग्य किस प्रकार बनाया जाए, यह आर्थिक मामलों के पत्रकार के सामने बहुत बड़ी समस्या होती है। साथ ही आर्थिक समाचारों का ऐसा पाठकवर्ग भी होता है जो उस क्षेत्र से संबंधित होने के कारण उसके बारे में काफ़ी जानकारी रखता है। अतः एक आर्थिक पत्रकार को दोनों तरह के पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता है। कारोबार और अर्थ जगत से संबंधित रोज़मर्रा की खबरें उलटा पिरामिड शैली में लिखी जाती हैं
प्रश्न 6.
समाचार-पत्रों में खेल की क्या भूमिका है?
उत्तर :
समाचार-पत्रों में खेलों से संबंधित समाचारों में अधिकतर लोगों की रुचि होती है। खेल प्रत्येक आदमी के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है। बचपन से ही मनुष्य की विभिन्न खेलों में रुचि होती है।
समाचार-पत्रों और दूसरे माध्यमों में खेलों को बहुत ज्यादा महत्व मिलता है। सभी अखबारों में खेल के एक या दो पृष्ठ होते हैं और खेलों के समाचारों के बिना कोई भी टी० वी० और रेडियो बुलेटिन पूरा नहीं माना जाता। समाचार संसाधनों में खेलों का महत्व अत्यंत बढ़ता जा रहा है। समाचार-पत्र और पत्रिकाओं में खेलों पर विशेष लेखन, खेल विशेषांक और खेल परिशिष्ट प्रकाशित होते रहते हैं। इसी प्रकार टी० वी० और रेडियो के माध्यम से खेलों के विशेष कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
पत्र-पत्रिकाओं में खेलों के बारे में लिखने वालों के लिए खेल की तकनीकी, नियम, बारीकियों एवं उससे संबंधित सभी बातों से अच्छी प्रकार से परिचित होना आवश्यक है। आर्थिक मामलों की भाँति किसी एक खेल लेखक के लिए भी प्रत्येक खेल के विषय में उतने ही अधिक अधिकार के साथ लिखना एवं जानना कठिन होता है। अतः किसी को क्रिकेट के बारे में अधिक जानकारी होती है तो किसी को हॉकी के बारे में।
कोई एथलेटिक्स का तो कोई फुटबॉल का अधिक जानकार होता है, जिस भी खेल में विशेषज्ञता हासिल की जाए तो यह आवश्यक है कि उसके बारे में हमारी जानकारी का स्तर ऊँचा हो। उस खेल के बारे में रिकॉर्ड्स अथवा कीर्तिमानों का ज्ञान होना चाहिए। तथ्यों और पुराने रिकॉर्ड्स के बारे में जानकारी तो इंटरनेट के द्वारा भी प्राप्त की जा सकती है। परंतु किसी भी खेल के नियम और उसकी तकनीक के बारे में जानकार ही उस खेल पर अच्छा लिख सकता है।
एक खेल – पत्रकार को इन जानकारियों को इस प्रकार से पेश करना चाहिए कि लोगों को दिलचस्प लगे। उसे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि खेल की रिपोर्टिंग और विशेष लेखन की भाषा में रोमांच, जोश और उत्साह स्पष्ट दिखना चाहिए।
प्रश्न 7.
सूचनाओं के विभिन्न स्रोतों की गणना कीजिए।
उत्तर :
- मंत्रालय के सूत्र
- प्रेस कॉन्फ्रेंस और विज्ञप्तिया
- साक्षात्कार
- सर्वे
- जाँच समितियों की रिपोर्ट्स
- क्षेत्र विशेष में सक्रिय संस्थाएँ और व्यक्ति
- संबंधित विभागों और संगठनों से जुड़े व्यक्ति
- इंटरनेट और दूसरे संचार माध्यम
- स्थायी अध्ययन प्रक्रिया
पाठ से संवाद –
प्रश्न 1.
विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रही भारत की पाँच संस्थाओं के नाम लिखें।
उत्तर :
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
- मिनरल्स एंड मेटल्स कार्पोरेशन (MMTC)
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
- नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कार्पोरेशन (NRDC)
- केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL)
प्रश्न 2.
पर्यावरण पर छपनेवाली किन्हीं तीन पत्रिकाओं के नाम लिखें।
उत्तर :
- पर्यावरण एबस्ट्रेक्ट
- एन्वायरो न्यूज़
- डाउन टू अर्थ
- जू प्रिंट
- सैंचुरी
- नेशनल ज्योग्राफ़ी।
प्रश्न 3.
व्यावसायिक शिक्षा के दस विभिन्न पाठ्यक्रमों के नाम लिखें और इनका ब्योरा एकत्र करें।
उत्तर :
- फ़ैशन डिज़ाइनिंग
- टेक्सटाइल डिज़ाइनिंग
- पत्रकारिता
- संचार माध्यम लेखन
- ग्राफ़िक डिज़ाइनिंग
- होटल मैनेजमेंट
- सूचना एवं प्रौद्योगिकी प्रबंधन
- मास्टर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन
- मास्टर इन कंप्यूटर एप्लीकेशंस
- बी० एड० / एम० एड०
प्रश्न 4.
निम्न में से किसी एक विषय पर अपने शब्दों में आलेख लिखें –
(क) सानिया मिर्ज़ा के खेल के तकनीकी पहलू
(ख) शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाए जाने के परिणाम
(ग) सर्राफ़े में आई तेज़ी
(घ) फ़िल्मों में हिंसा
(ङ) पल्स पोलियो अभियान सफलता या असफलता
(च) कटते जंगल
(छ) ग्रहों पर जीवन की खोज।
उत्तर :
कटते जंगल
एक समय था जब धरती का बहुत बड़ा भाग घने जंगलों से भरा हुआ था। तब उनपर पक्षी चहचहाते होंगे और पेड़ स्वयं हवा में झूमते होंगे। आदिमानव उनकी शरण में रहता होगा। वह उन जंगलों से ही अपना भोजन और आश्रय प्राप्त करता होगा पर अब जब मनुष्य स्वयं को सभ्य समझने लगा है, उसने उन जंगलों को इतनी तेज़ी से काट डाला है कि धरती का हरा-भरा भाग नंगा हो गया है। वह रेगिस्तान में बदल गया है। दुनिया का सबसे बड़ा सहारा रेगिस्तान भी कभी घने जंगलों से भरा हुआ था।
इस संसार में सबसे बड़ा स्वार्थी प्राणी इनसान है। वह किसी को भी उजाड़कर स्वयं सुख पाना चाहता है। उसने अपने जीवन को सखी बनाने की इच्छा से जंगलों की अंधाधुंध कटाई की जिसका परिणाम यह हुआ कि विश्व में जंगल समाप्त होने के कगार पर पहुँच गए। वह भूल गया कि जंगल वातावरण को सुरक्षा प्रदान करते हैं। वही हमारे जीवन के लिए उपयोगी ऑक्सीजन हवा में छोड़ते हैं। वे हवा की भीतरी नमी को बनाकर रखते हैं जिससे हवा में ठंडी रहती है। वृक्षों की जड़ें वर्षा के पानी को बह जाने से रोकती हैं। वे बाढ़ पर नियंत्रण करते हैं। वही वर्षा दर पर संतुलन बनाए रखते हैं। न जाने कितनी जड़ी-बूटियाँ और उपयोगी सामग्रियाँ जंगलों से ही प्राप्त होती हैं।
रबड़, लाख, गोंद, मोम, शहद आदि जंगलों से प्राप्त होते हैं। ये मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखते हैं पर जब से इनसान ने जंगलों को काटना शुरू किया है तब से वातावरण में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के वातावरण कार्यक्रम 1987 के आँकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि दुनिया के 29 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र का तब तक सफाया हो चुका था। सबसे अधिक जंगल हमारे देश में काटे गए हैं। बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिक विकास, कृषि विस्तार, अल्पकालीन नीतियों और अज्ञान के कारण पेड़ बहुत तेज़ी से काटे गए हैं। हज़ारों-लाखों वर्षों से संचित जंगल रूपी संपत्ति का हमने नाश कर दिया है। जंगलों की कटाई का ही परिणाम है कि भूस्खलन, मिट्टी क्षरण और जल- स्तर नीचे जाने लगे हैं। डैमों की आयु कम हो गई है और बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा है।
कटते जंगल सारे प्राणी जगत के लिए हानिकारक हैं। जैसे-जैसे जंगलों को काटकर उद्योग-धंधे लगाए जा रहे हैं, वैसे-वैसे वायु में कार्बन-डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि हानिकारक गैसें हवा में बढ़ने लगी हैं। ऑक्सीजन की कमी होने लगी है। जंगल ही ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत हैं। ये जीवों द्वारा पैदा की गई कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर बदले में ऑक्सीजन देते हैं। हमारी पृथ्वी के चारों ओर फैली ओज़ोन की रक्षा परत भी ऑक्सीजन से ही बनी है। जंगल प्रदूषण पर नियंत्रण करते हैं। प्रदूषण उस समय बढ़ता है जब वातावरण में ज़हरीली गैसें बढ़ती हैं। जंगलों के पेड़ ज़हरीली गैसों को सोखने की क्षमता रखते हैं। जैसे-जैसे जंगल कटते जाएँगे वैसे-वैसे वायु विषैली होती जाएगी।
जंगलों के दृश्य-लाभ की अपेक्षा अदृश्य-लाभ कई गुना अधिक हैं। ये विभिन्न प्रकार की ऊर्जा पैदा करने में सहायक होते हैं। वृक्षों की लकड़ी ताप – ऊर्जा की पारंपरिक स्रोत हैं। पेट्रोल, रसोई गैस, कोयला आदि का आधार भी जंगल हैं। अरबों वर्ष पहले धरती की गहरी तहों में दबे विशाल जंगल हमारे विकास आधारित ऊर्जा स्रोत हैं। स्वयं को अकलमंद समझने वाले हम इनसान जंगल काटने के कार्य में तो मंद अकल का परिचय दे रहे हैं। हम तो सोने का अंडा देने वाली मुरगी का पेट फाड़ कर सोने के अंडे प्राप्त करने की कोशिश करने वाले मूर्ख हैं।
हमारे द्वारा जंगलों को काटने के दुष्परिणाम हम भोग रहे हैं और आने वाले समय इन कष्टों की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाने वाली है। जंगलों के कट जाने से धरती बंजर हो जाएगी। हवा का तापमान बहुत बढ़ जाएगा। ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगेंगे। जिस कारण नदियों में भयंकर बाढ़ें आएँगी। समुद्रों का जल स्तर बढ़ जाएगा जिससे समुद्री तटों पर बसी बस्तियाँ और नगर डूब जाएँगे। जंगल काटकर हम मनुष्य अपने विनाश को स्वयं बुला रहे हैं। अभी भी समय है कि हम सचेत हो जाएँ जो जंगल कट चुके हैं वहाँ नए पेड़ लगाएँ। हम सदा याद रखें कि हमारा जीवन पेड़ लगाने से सुरक्षित रहेगा, न कि काटने से।
संकेत : अन्य विषयों पर छात्र अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।