Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया to develop Hindi language and skills among the students.
CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया
प्रश्न 1.
पत्रकारीय लेखन क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न तरीके अपनाते हैं, जिसे पत्रकारीय लेखन कहते हैं। पत्रकारों के द्वारा यह कार्य प्रायः तीन तरीके से किया जाता है – पूर्णकालिक, अंशकालिक और फ्रीलांसर। पूर्णकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन से जुड़कर नियंत्रित वेतन प्राप्त करता है। अंशकालिक पत्रकार (स्ट्रिंगर) किसी समाचार संगठन के लिए निश्चित मानदेय पर काम करता है। फ्रीलांसर पत्रकार किसी विशेष समाचार संगठन से नहीं होता।
वह भुगतान के आधार पर अलग-अलग अखबारों के लिए लिखता है। पत्रकारीय लेखन का संबंध विभिन्न घटनाओं, समस्याओं और मुद्दों से होता है। यह कार्य कविता, कहानी, उपन्यास आदि के द्वारा पूरी तरह से संभव नहीं हो सकता क्योंकि इसमें तात्कालिकता और पाठकों की रुचियों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। पत्रकारीय लेखन में इस बात को सदा ध्यान में रखना चाहिए कि वह विशाल समुदाय के लिए लिख रहा है। उसे सदा सीधी-सादी और आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए। उसे कभी भी लंबे-लंबे वाक्य नहीं लिखने चाहिए। उसे किसी भी अवस्था में अनावश्यक विशेषणों और उपमाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 2.
समाचार कैसे लिखा जाता है ?
उत्तर :
प्रायः संवाददाता या रिपोर्टर अख़बारों के लिए समाचार लिखते हैं। उनके द्वारा समाचार एक विशेष शैली में लिखे जाते हैं। अखबारों में अधिकतर सबसे महत्वपूण तथ्य और जानकारियाँ सबसे पहले पैराग्राफ़ में लिखी जाती हैं। इसके बाद कम महत्वपूर्ण बातें तब तक दी जाती हैं जब तक समाचार खत्म नहीं हो जाता। इसे उलटा पिरामिड शैली कहते हैं।
उलटा पिरामिड में समाचार का ढाँचा यह तरीका सबसे अधिक लोकप्रिय और उपयोगी माना जाता है। यह शैली कहानी – लेखन से उलटी है। इस शैली का आरंभ 19वीं शताब्दी में हुआ था पर इसका विकास अमेरिका के गृहयुद्ध में हुआ था।
प्रश्न 3.
अच्छे लेखन के लिए ध्यान में रखी जाने वाली महत्वपूर्ण बातों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अच्छे लेखन के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए –
- छोटे वाक्य लिखने चाहिए। मिश्र और संयुक्त वाक्य की तुलना में सरल वाक्य संरचना को महत्व देना चाहिए।
- सामान्य बोलचाल की भाषा और शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। अनावश्यक शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
- शब्दों का सार्थक प्रयोग करना चाहिए।
- अच्छा लिखने के लिए जाने-माने लेखकों की रचनाएँ ध्यान से पढ़नी चाहिए।
- लेखन में विविधता लाने के लिए छोटे वाक्यों के साथ-साथ कुछ मध्यम आकार के और कुछ बड़े वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ-साथ मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग भी करना चाहिए।
- अपने लिखे को दोबारा ज़रूर पढ़ना चाहिए और गलतियों के साथ-साथ अनावश्यक चीज़ों को हटा देना चाहिए।
- लेखन में कसावट बहुत ज़रूरी है।
- लिखते हुए यह ध्यान रखिए कि आपका उद्देश्य अपनी भावनाओं, विचारों और तथ्यों को प्रकट करना है न कि दूसरे को प्रभावित करना।
- आपको पूरी दुनिया से लेकर अपने आसपास घटने वाली घटनाओं, समाज और पर्यावरण पर गहरी निगाह रखनी चाहिए। उन्हें इस तरह से देखना चाहिए कि अपने लेखन के लिए आप उससे विचारबिंदु निकाल सकें।
- आपमें तथ्यों को जुटाने और किसी विषय पर बारीकी से विचार करने का धैर्य होना चाहिए।
प्रश्न 4.
पत्रकारीय लेखन की परिभाषा लिखिए। यह कितने प्रकार के होते हैं? पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
समाचार-पत्र अथवा जनसंचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाते हैं। पाठकों को जागरूक और शिक्षित बनाने और उनका मनोरंजन करने के लिए लेखन के जिन विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है उन्हें पत्रकारीय लेखन कहते हैं।
पत्रकार मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं –
- पूर्णकालिक पत्रकार – पूर्णकालिक पत्रकार से तात्पर्य किसी समाचार संगठन में काम करने वाले नियमित वेतन भोगी कर्मचारी से है।
- अंशकालिक पत्रकार – अंशकालिक पत्रकार वह होता है जो किसी समाचार संगठन के लिए निश्चित मानदेय पर काम करता है।
- फ्रीलांसर अर्थात स्वतंत्र पत्रकार – फ्रीलांसर पत्रकार किसी महत्वपूर्ण समाचार-पत्र से संबंधित नहीं होता। बल्कि वह समाचार-पत्रों में भुगतान के आधार पर लेख लिखता है।
प्रश्न 5.
पत्रकारीय लेखन का सबसे जाना-पहचाना रूप समाचार लेखन है। समाचार को कैसे लिखा जाता है?
उत्तर :
समाचार – लेखन पत्रकारीय लेखन का जाना-पहचाना रूप है। साधारणतया समाचार-पत्रों में समाचार पूर्णकालिक और अंशकालिक पत्रकारों द्वारा लिखे जाते हैं, जिन्हें संवाददाता अथवा रिपोर्टर भी कहते हैं। समाचार-पत्रों में प्रकाशित अधिकतर समाचारों के लिए एक विधि अपनाई जाती है। इन समाचारों में किसी भी समस्या, विचार तथा घटनाओं के महत्वपूर्ण तथ्य सूचना और उससे संबंधित सारी जानकारी को आरंभ में वाक्य खंडों में लिखा जाता है। उसके पश्चात वाक्य खंडों में से महत्वपूर्ण तथ्य और सूचना को प्रकाशित किया जाता है। इस प्रकार लिखे समाचार पाठकों तक पहुँचते हैं।
प्रश्न 6.
उलटा पिरामिड शैली से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
उलटा पिरामिड-शैली समाचार लेखन की शैलियों में से एक है। यह शैली समाचार लेखन की विशेष शैली है जो सबसे लोक प्रसिद्ध उपयोगी और बुनियादी है। यह शैली कहानी अथवा कथा लेखन की शैली के बिलकुल विपरीत है। इसमें क्लाइमेक्स अंत में आता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य अथवा सूचना पिरामिड के नीचे के भाग में नहीं होते, अपितु इस शैली में पिरामिड को उलट दिया जाता है इसलिए इसे उलटा पिरामिड-शैली कहा जाता है।
उलटा पिरामिड-शैली को 19वीं शताब्दी के मध्य में प्रयोग में लाया गया था। परंतु इसका पूर्णतया विकास अमेरिका में गृहयुद्ध के अंतर्गत हुआ। इस दौरान संवाददाता अपनी खबरें टेलीग्राफ़, संदेशों के माध्यम से भेजते थे, जिसकी सेवाएँ महँगी होने के साथ-साथ अनियमित तथा दुर्लभ थीं। कई बार तकनीकी कारणों के कारण संवाददाताओं को किसी घटना का समाचार कहानी की तरह विस्तार से न देकर संक्षेप में देना पड़ता था। इस प्रकार उलटा पिरामिड शैली विकसित हुई। धीरे-धीरे यह शैली लेखन की स्टैंडर्ड शैली बन गई। इस प्रकार इस शैली से लेखन एवं संपादन कार्य सुविधापूर्वक होने लगा।
प्रश्न 7.
समाचार लेखन के छह ककारों के बारे में संक्षेप में बताओ।
उत्तर :
किसी भी समाचार को लिखने के लिए छह प्रश्नों का उत्तर आवश्यक माना जाता है। क्या हुआ, किसके साथ हुआ, कहाँ हुआ, कब हुआ, कैसे और क्यों हुआ ? इन्हीं छह प्रश्नों का दूसरा नाम ककार है। इन्हीं छह ककारों को ध्यान में रखकर ही किसी घटना, समस्या और विचार आदि से संबंधित खबर लिखी जाती है।
समाचार के आरंभ में जब पैराग्राफ़ लिखना शुरू किया जाता है तब शुरू की दो-तीन पंक्तियों में ‘क्या’, ‘कौन’, ‘कब’ और ‘कहाँ’ ? इन तीन या चार ककारों को आधार बनाकर समाचार लिखा जाता है। उसके पश्चात समाचार के मध्य में और समापन से पूर्व ‘कैसे’ और ‘क्यों’ जैसे ककारों का उत्तर दिया जाता है। इस तरह इन छह ककारों को ध्यान में रखकर समाचार लिखा जाता है। पहले चार ककारों का प्रयोग सूचना और तथ्यों के लिए किया जाता है। परंतु ‘कैसे’ और ‘क्यों’ ककारों द्वारा विवरणात्मक, व्याख्यात्मक और विश्लेषणात्मक पहलुओं पर बल दिया जाता है। इस प्रकार समाचार लेखन की पूरी प्रक्रिया में इन छह ककारों का विशेष महत्व है।
प्रश्न 8.
फ़ीचर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
समाचार-पत्रों में समाचारों के अतिरिक्त प्रकाशित होने वाले पत्रकारीय लेखन के फ़ीचर सबसे महत्वपूर्ण हैं। समाचार और फ़ीचर में पर्याप्त अंतर होता है। फ़ीचर का मुख्य लक्ष्य पाठकों को सूचना देने, उन्हें शिक्षित करने के साथ-साथ उनका मनोरंजन करना होता है। फ़ीचर पाठकों को उसी समय घटित घटनाओं से परिचित नहीं कराता, जबकि समाचार पाठकों को तात्कालिक घटनाओं से परिचित कराता है। फ़ीचर लेखन की शैली समाचार-लेखन की शैली से भी भिन्न होती है। समाचार लिखते समय रिपोर्टर वस्तुनिष्ठता और तथ्यों की शुद्धता पर बल देता है। उसमें अपने विचारों को प्रकट करने का अवसर नहीं होता। लेकिन फ़ीचर में लेखक अपने विचार, भावनाएँ तथा दृष्टिकोण को व्यक्त कर सकता है।
फ़ीचर लेखन में उलटा पिरामिड शैली के स्थान पर कथात्मक शैली का प्रयोग होता है। फ़ीचर लेखन की भाषा समाचारों की अपेक्षा सरल, आकर्षक, रूपात्मक तथा मन को मोह लेने वाली होती है। फ़ीचर में समाचारों की अपेक्षा कम शब्दों का प्रयोग होता है। फ़ीचर समाचार रिपोर्ट से प्रायः दीर्घ होते हैं। समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं में 250 शब्दों से लेकर 2000 शब्दों तक के फ़ीचर प्रकाशित होते हैं। एक आकर्षक, रोचक एवं अच्छे फ़ीचर के साथ पोस्टर, रेखांकन, ग्राफ़िक्स का होना आवश्यक है। फ़ीचर का विषय हलका एवं गंभीर कुछ भी हो सकता है। फ़ीचर एक पाठशाला के परिचय से लेकर किसी शैक्षणिक यात्रा पर भी केंद्रित हो सकता है। फ़ीचर एक ऐसा नुस्खा है जो ज्यादातर विषय एवं मुद्दे को ध्यान में रखकर उसे प्रस्तुत करते हुए दिया जाता है। फ़ीचर की इन्हीं विशेषताओं के कारण कुछ समाचारों को भी फ़ीचर शैली में प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न 9.
विचारपरक लेखन की श्रेणी में किन-किन सामग्रियों का अध्ययन किया जाता है ?
उत्तर :
समाचार-पत्रों में समाचार और फ़ीचर के अतिरिक्त विचारपरक सामग्री भी प्रकाशित होती है। कई समाचार-पत्रों की पहचान उनके वैचारिक तत्वों से होती है। समाचार-पत्रों में प्रकाशित होने वाले विचारात्मक लेखों से ही उस समाचार की पहचान होती है। समाचार-पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले लेख, टिप्पणियाँ, संपादकीय लेखन और स्तंभ लेखन इसी श्रेणी में आते हैं।
लेख – सभी समाचार-पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर सार्वजनिक मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकारों और उनके विषयों के विशेषज्ञों से संबंधित लेख प्रकाशित किए जाते हैं। प्रकाशित लेखों में किसी विषय या मुद्दे पर विस्तारपूर्वक चर्चा होती है। लेख में लेखकों के विचारों को महत्व दिया जाता है। लेकिन ये विचार तथ्यों और सूचनाओं पर आधारित होने चाहिए। लेखक तथ्यों और सूचनाओं के विश्लेषण और तर्कों के माध्यम से अपनी सलाह प्रस्तुत करता है। लेख लिखने के लिए काफ़ी तैयारी की आवश्यकता होती है। लेखक को किसी विषय पर लेख लिखने से पहले दूसरे लेखकों और पत्रकारों के विचार को ध्यान में रखकर लिखना चाहिए।
हर लेखक की शैली निजी होती है। समाचार – पत्र और पत्रिकाओं में लेख लिखते समय शुरुआत ऐसे विषयों के साथ करनी चाहिए जिसके बारे में हमें अच्छी जानकारी हो। लेख का एक प्रारंभ, मध्य और अंत होता है। लेख का प्रारंभ आकर्षक बनाने के लिए किसी विषय के सबसे ताज़ा प्रसंग या घटनाक्रम का सबसे पहले विवरण करना चाहिए। उसके पश्चात उससे जुड़े अन्य पहलुओं को प्रस्तुत करना चाहिए। इस तरह लेख के अंतर्गत तथ्यों की सहायता से विश्लेषण करते हुए हम अपना मत प्रकट कर सकते हैं।
टिप्पणियाँ – विचारपरक लेखन के अंतर्गत भिन्न-भिन्न टिप्पणियाँ भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका द्वारा समाचार-पत्रों की छवि को बढ़ाती रहती हैं।
संपादकीय लेखन – संपादकीय लेखन को समाचार पत्र की अपनी आवाज़ माना जाता है। संपादकीय के माध्यम से समाचार-पत्र किसी घटना, समस्या या मुद्दे के प्रति अपने विचार प्रकट करते हैं। संपादकीय किसी विशेष व्यक्ति के विचार से संबंधित नहीं होता इसलिए इसे बिना किसी नाम के छापा जाता है। संपादकीय लिखने का उत्तरदायित्व उस समाचार-पत्रों में काम करने वाले संपादक और उनके सहयोगियों का होता है। विशेषकर समाचार-पत्रों में सहायक संपादक, संपादकीय लिखते हैं। किसी भी बाहरी लेखक या पत्रकार को संपादकीय लिखने की अनुमति नहीं होती।
हिंदी के समाचार पत्रों में किन्हीं में तीन, किन्हीं में दो और किन्हीं में केवल एक संपादकीय प्रकाशित होता है। स्तंभ-लेखन (CBSE 2018 ) – स्तंभ – लेखन विचारपरक लेखन का प्रमुख रूप है। जिन लेखकों की लेखन शैली विकसित हो जाती है, उन लेखकों की लोकप्रियता को देखकर समाचार-पत्र उन्हें नियमित स्तंभ लिखने का उत्तरदायित्व दे देते हैं। स्तंभ का विषय और उनमें विचार लेखक अपनी इच्छानुसार चुन अथवा व्यक्त कर सकता है। स्तंभ में लेखक के विचार अभिव्यक्त होते हैं। स्तंभ की पहचान लेखकों के नाम पर ही की जाती है। कुछ स्तंभ इतने प्रसिद्ध हो जाते हैं कि समाचार-पत्र उनके कारण ही पहचाने जाते हैं। नए लेखकों की अपेक्षा पुराने लेखकों को स्तंभ लिखने का मौका ज़्यादा मिलता है। स्तंभ जनमत के लिए दर्पण का कार्य करता है।
प्रश्न 10.
संपादक के नाम पत्र किस प्रकार लिखा जाता है ?
उत्तर
समाचार-पत्रों के संपादकीय पृष्ठ पर और पत्रिकाओं की शुरुआत में संपादक के नाम पाठकों के पत्र प्रकाशित किए जाते हैं। सभी समाचार-पत्रों का एक स्थायी स्तंभ होता है। यह पाठकों का निजी स्तंभ होता है। इस स्तंभ के माध्यम से समाचार-पत्र के पाठक विभिन्न मुद्दों पर अपने मत व्यक्त करने के साथ-साथ जन समस्याओं को भी उठाते हैं। यह स्तंभ जनमत के लिए दर्पण का कार्य करता है। परंतु कई बार समाचार-पत्र पाठकों द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से सहमत नहीं होते। यह स्तंभ नए लेखकों के लिए लेखन की शुरुआत करने का अच्छा अवसर प्रदान करता है।
प्रश्न 11.
समाचार – लेखन में साक्षात्कार / इंटरव्यू की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाचार माध्यमों में साक्षात्कार का बहुत महत्व है। पत्रकार साक्षात्कार के माध्यम से ही समाचार, फ़ीचर, विशेष रिपोर्ट तथा दूसरे कई तरह के पत्रकारीय लेखन के लिए कच्ची सामग्री एकत्रित करते हैं। पत्रकारीय साक्षात्कार और सामान्य बोलचाल में यह अंतर होता है कि साक्षात्कार में एक पत्रकार किसी अन्य व्यक्ति से तथ्य, उसकी राय तथा भावनाएँ जानने के लिए प्रश्न पूछता है। एक सफल साक्षात्कार के लिए केवल ज्ञान का होना ज़रूरी नहीं, ज्ञान के साथ-साथ संवेदनशीलता, कूटनीति, धैर्य और साहस जैसे गुण भी होने चाहिए।
एक अच्छे और कुशल साक्षात्कार के लिए आवश्यक है कि जिस विषय और जिस व्यक्ति के साथ साक्षात्कार करना हो उसके बारे में पर्याप्त जानकारी हो। साक्षात्कार से क्या निकालना है इसके बारे में स्पष्ट रहना आवश्यक है। प्रश्न केवल वही पूछे जाने चाहिए जो समाचार-पत्र के एक आम पाठक के मन में हो सकते हैं। साक्षात्कार की अगर रिकॉर्डिंग करना संभव हो तो अच्छा है नहीं तो साक्षात्कार के समय नोट्स लेते रह सकते हैं। साक्षात्कार को लिखते समय दो तरीकों में से कोई भी एक तरीका सुविधानुसार अपनाया जा सकता है। साक्षात्कार को प्रश्न और फिर उत्तर के रूप में लिखा जा सकता है या फिर उसे एक आलेख की तरह भी लिखा जा सकता है।
प्रश्न 12.
विशेष रिपोर्ट किस प्रकार लिखी जाती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पत्र-पत्रिकाओं और अख़बारों में प्रायः विशेष रिपोर्टें दिखाई देती हैं जो गहरी छानबीन, विश्लेषण और व्याख्या का परिणाम होती हैं। इन्हें – किसी विशेष समस्या, मुद्दे या घटना की छानबीन के बाद लिखा जाता है। यह लेखन – कार्य तथ्यों पर पूरी तरह से आधारित होता है। खोजी रिपोर्ट, इन-डेप्थ रिपोर्ट, विश्लेषणात्मक रिपोर्ट और विवरणात्मक रिपोर्ट में विशेष तथ्यों को सामने लाया जाता है, जो पहले उपलब्ध नहीं थे। खोजी रिपोर्ट में प्रायः – भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों को उजागर किया जाता है।
इन-डेप्थ रिपोर्ट में किसी घटना, समस्या या मुद्दे को सामने लाया जाता है। विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में किसी घटना या समस्या से जुड़ी तथ्यात्मक व्याख्या की जाती है और विवरणात्मक रिपोर्ट में किसी घटना का बारीक और विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाता है। किसी भी विशेष रिपोर्ट के लेखन में निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान दिया जाना आवश्यक है –
(क) विशेष रिपोर्ट का लेखन कार्य उलटा पिरामिड शैली में किया जाता है।
(ख) कभी-कभी रिपोर्ट को फ़ीचर – शैली में भी लिखा जाता है।
(ग) बहुत विस्तृत रिपोर्ट में उलटा पिरामिड और फ़ीचर शैली को कभी-कभी आपस में मिला लिया जाता है।
(घ) कई बार लंबी रिपोर्ट को श्रृंखलाबद्ध करके कई दिन छापा जाता है।
(ङ) रिपोर्ट की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की होती है।
प्रश्न 13.
स्तंभ लेखन किसे कहते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
विचारपरक लेखन का एक प्रमुख रूप है – स्तंभ लेखन। कुछ महत्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान के लिए जाने जाते हैं। उनकी अपनी एक लेखन शैली भी विकसित हो जाती है। ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर अखबार उन्हें एक नियमित स्तंभ लिखने का जिम्मा दे देते हैं। स्तंभ का विषय चुनने और उसमें अपने विचार व्यक्त करने की स्तंभ लेखक को पूरी छूट होती है।
पाठ से संवाद –
प्रश्न 1.
किसे क्या कहते हैं ?
(क) सबसे महत्वपूर्ण तथ्य या सूचना को सबसे ऊपर रखना और उसके बाद घटते हुए महत्वक्रम में सूचनाएँ देना…
(ख) समाचार के अंतर्गत किसी घटना का नवीनतम और महत्वपूर्ण पहलू ….
(ग) किसी समाचार के अंतर्गत उसका विस्तार, पृष्ठभूमि, विवरण आदि देना….
(घ) ऐसा सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन; जिसके माध्यम से सूचनाओं के साथ-साथ मनोरंजन पर भी ध्यान दिया जाता है…
(ङ) किसी घटना, समस्या या मुद्दे की गहन छानबीन और विश्लेषण…
(च) वह लेख, जिसमें किसी मुद्दे के प्रति समाचार-पत्र की अपनी राय प्रकट होती है…..
उत्तर :
(क) उलटा पिरामिड में समाचार का ढाँचा
(ख) क्लाइमेक्स
(ग) छह ककार
(घ) फ़ीचर
(ङ) विशेष रिपोर्ट
(च) संपादकीय
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए समाचार के अंश को ध्यानपूर्वक पढ़िए –
उत्तर :
शांति का संदेश लेकर आए फ़जलुर्रहमान
पाकिस्तान में विपक्ष के नेता मौलाना फजलुर्रहमान ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा कि वह शांति और भाईचारे का संदेश लेकर आए हैं। यहाँ दारुलउलूम पहुँचने पर पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों में निरंतर सुधार हो रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से गत सप्ताह नई दिल्ली में हुई वार्ता के संदर्भ में एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सरकार ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए 9 प्रस्ताव दिए हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
कश्मीर समस्या के संबंध में मौलाना साहब ने आशावादी रवैया अपनाते हुए कहा कि 50 वर्षों की इतनी बड़ी जटिल समस्या का एक-दो वार्ता में हल होना संभव नहीं है। लेकिन इस समस्या का समाधान अवश्य निकलेगा। प्रधानमंत्री के प्रस्तावित पाकिस्तान दौरे की बाबत उनका कहना था कि निकट भविष्य में यह संभव है और हम लोग उनका ऐतिहासिक स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते बहुत मज़बूत हुए हैं और प्रथम बार सीमाएँ खुली हैं, व्यापार बढ़ा है तथा बसों का आवागमन आरंभ हुआ है।
(क) दिए गए समाचार में से ककार ढूँढ़कर लिखिए, जो ककार नहीं हैं उन्हें बताइए।
(ख) उपर्युक्त उदाहरण के आधार पर निम्नलिखित बिंदुओं को स्पष्ट कीजिए –
इंट्रो, बॉडी, समापन
(ग) उपर्युक्त उदाहरण का गौर से अवलोकन कीजिए और बताइए कि ये कौन-सी पिरामीड-शैली में है, और क्यों ?
उत्तर :
(क) दिए गए समाचार में सभी छह ककार – क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों, कैसे – विद्यमान हैं।
- क्या – शांति और भाईचारे का संदेश।
- कौन – पाकिस्तान के विपक्ष के नेता मौलाना फजलुर्रहमान।
- कहाँ – दारुलउलूम के पत्रकार सम्मेलन में।
- कब – भारत यात्रा के दौरान।
- क्यों – दोनों देशों के संबंधों में सुधार के लिए।
- कैसे – शांति प्रस्तावों से।
(ख) इंट्रो – पाकिस्तान के विपक्ष के नेता मौलाना फजलुर्रहमान की भारत यात्रा पर शांति और भाईचारे का संदेश लेकर आना।
बॉडी – दोनों देशों के बीच संबंधों में निरंतर सुधार, पाकिस्तान सरकार का प्रस्ताव और आशावादी रवैया तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का उन पर विचार का आश्वासन।
समापन – दोनों देशों के मज़बूत रिश्तों के प्रति आशावान।
(ग) यह उदाहरण उलटा पिरामिड शैली में है। इसका आरंभ पाकिस्तान के विपक्ष के नेता के भारत आगमन से हुआ। जो मुखड़े के रूप में है। पाकिस्तान सरकार के कश्मीर समस्या के समाधान के लिए 9 प्रस्तावों पर विचार करने का आश्वासन और मौलाना साहब का आशावादी रवैया समाचार की बॉडी है। व्यापार बढ़ने और बसों के आवागमन के साधन को समापन कहेंगे। एक दिन के किन्हीं तीन समाचार-पत्रों को पढ़िए और दिए गए बिंदुओं के संदर्भ में उनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
(क) सूचनाओं का केंद्र / मुख्य आकर्षण
(ख) समाचार का पृष्ठ एवं स्थान
(ग) समाचार की प्रस्तुति
(घ) समाचार की भाषा-शैली
उत्तर :
रविवार के दैनिक भास्कर, पंजाब केसरी और दैनिक जागरण को पढ़ा। उनका प्रश्नानुसार तुलनात्मक अध्ययन किया और निम्नलिखित निष्कर्ष पर पहुँचा –
(क) सूचनाओं का केंद्र / मुख्य आकर्षण –
(i) दैनिक भास्कर – इसमें राजनीति, खेलकूद, धर्म-संस्कृति, मनोरंजन आदि विषयों को प्रस्तुत किया गया है। नगर से जुड़े
तथा फ़िल्मी जगत से संबंधित विशेष आकर्षणों को इसमें स्थान दिया गया है।
(ii) पंजाब केसरी – इसमें राजनीति, समाज, खेलकूद, मनोरंजन, विश्व अवलोकन आदि को केंद्र में रखा गया है। नगर से जुड़े समाचार तथा फ़िल्मी जगत को स्थान दिया गया है। बच्चों के मनोरंजन की ओर ध्यान दिया गया है।
(iii) दैनिक जागरण – राजनीति, समाज, खेलकूद, मनोरंजन, यात्रा के साथ-साथ राज्य संबंधी समाचारों को केंद्र में रखा गया है। नगर से संबंधित समाचार हैं। संपादकीय पृष्ठ पर सजगता और ज्ञान – बोध को प्रमुखता दी गई है।
(ख) सूचनाओं का पृष्ठ एवं स्थान –
(i) दैनिक भास्कर – सूचनाओं का केंद्र पृष्ठ 1, 4, 5, 10 और 14 हैं। पृष्ठ 12 और 13 खेल – समाचारों की सूचना के केंद्र हैं। इसके मुख्य आकर्षण वूल्मर हत्याकांड पर रचित रिपोर्ट, रामनवमी पर प्रस्तुत पृष्ठ, नॉलेज और स्टाइल पृष्ठ हैं इसके अतिरिक्त रस रंग है। नगर से संबंधित सूचनाएँ और खबरें देने के लिए चार पृष्ठ का पत्र है।
(ii) पंजाब केसरी – सूचनाओं का केंद्र पृष्ठ 1, 3, 5, 7 और 14 हैं। पृष्ठ 12 और 13 खेल – समाचारों से भरे हुए हैं। राज्य समाचार, विश्व आलोकन, कारोबार और दर्पण से संबंधित पृष्ठ आकर्षक हैं। इसके अतिरिक्त रविवारीय अंक तथा जिंदगी है। नगर से संबंधित चार पृष्ठ का समाचार – पत्र है।
(iii) दैनिक जागरण – सूचनाओं का केंद्र पृष्ठ 1, 2, 5, 7, 9 और 10 हैं। पृष्ठ 12, 13, 14 पर खेल – समाचार हैं। पृष्ठ 3 पर राज्य से संबंधित समाचार है।पृष्ठ 7 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचारों से संबंधित है, पृष्ठ 10 अर्थजगत से संबंधित है और इसमें पृष्ठ 11 पर भरोसा है। इसके अतिरिक्त ‘जागरण सिटी’ और ‘यात्रा’ से संबंधित 8 पृष्ठ अतिरिक्त हैं।
(ग) समाचार की प्रस्तुति – तीनों समाचार-पत्रों में समाचार प्रस्तुति सहज – स्वाभाविक रूप से की गई है। उनमें कोई विशेष अंतर नहीं है। सभी की तथ्यात्मकता के लिए रंग-बिरंगे चित्रों का प्रयोग किया गया है। सभी ने विभिन्न एजेंसियों से समाचार प्राप्त किए हैं और अपने-अपने संवाददाताओं से प्राप्त समाचारों को प्रकाशित किया है।
(घ) तीनों समाचार – पत्रों में खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है। तद्भव शब्दों के साथ तत्सम शब्दावली का प्रयोग है पर वे शब्द कठिन नहीं हैं। वाक्य बहुत लंबे-लंबे नहीं हैं। उनमें गतिशीलता है। भाषा-शैली भारी-भरकम नहीं है।
अपने विद्यालय और मुहल्ले के आसपास की समस्याओं पर नज़र डालें; जैसे पानी की कमी, बिजली की कटौती, खराब सड़कें, सफ़ाई की दुर्व्यवस्था।इनमें से किन्हीं दो विषयों पर रिपोर्ट तैयार करें और अपने शहर के अख़बार में भेजें।
(क) पानी की कमी – जून का महीना है। सूर्य देवता दिन-भर आसमान से धूप बरसाते हैं और नगर में जनता पानी के लिए तरस रही है। पूरा सप्ताह बीत गया है कि नगर के किसी भी क्षेत्र में चौबीस घंटे में दो घंटे से अधिक पानी नलों से नहीं टपका। जब एक-दो घंटों के लिए पानी आता भी है वह इतना कम होता है कि सारे दिन की आवश्यकता के लिए उसे इकट्ठा ही नहीं किया जा सकता।
संपन्न और मध्यवर्गीय लोगों ने बिजली की मोटरें लगवा रखी हैं। सारा पानी तो वे ही खींच लेती हैं। पीने के लिए भी पानी प्राप्त नहीं हो पाता। कुछ बस्तियों ने निगम में टैंकरों से पानी भिजवाना आरंभ अवश्य किया है पर वहाँ भी एक अनार सौ बीमार वाली बात हो रही है। हाँ, इतना अवश्य है कि पीने के लिए एक-दो बालटी पानी मिल जाता है। इतनी गरमी में नहाना भी कठिन हो गया है। घरों में लगे पौधे तो सूख ही गए हैं।
(ख) बिजली की कटौती – आजकल इतनी गरमी है कि दोपहर के समय घर से बाहर पैर निकालना भी कठिन लगता है और ऊपर से बिजली की भारी कटौती ने नाक में दम कर दिया है। रात भर बिजली नहीं आती। टपटप गिरता पसीना और मच्छरों की घूँ-घूँ से सारा नगर परेशान है। दिन भर परिश्रम करने वाले लोग कुछ घंटे सोकर थकान दूर करना चाहते हैं। पर बिजली की कटौती के कारण वे ऐसा कर नहीं पाते।
जिन लोगों ने इंवर्टर लगाए हुए हैं वे भी कुछ घंटे बाद दाएँ-बाएँ देखने के लिए मज़बूर हो जाते हैं। क्योंकि बिजली के लंबे कट के कारण बेकार हो जाते हैं। ए० सी० और कूलर तो दिखावे के लिए ही रह गए हैं। फ्रिज न चल पाने के कारण रसोई का बहुत-सा सामान रोज ही खराब हो जाता है। रात के समय सड़कें और गलियाँ अंधकार में डूबी रहती हैं। इससे दुर्घटनाएँ तो होती ही हैं साथ ही चोरियों की संख्या बढ़ गई है।
(ग) खराब सड़कें – कहने को तो हमारे नगर को राज्य के सबसे सुंदर नगरों में गिना जाता है पर वह तब तक ही सुंदर है जब तक इसे देख न लिया जाए। हमारे नगर की 80% सड़कें टूटी-फूटी हैं। रेलवे रोड पर तो इतने गहरे गड्ढे हैं कि उनमें ट्रक-बस तक उछल जाते हैं। उन्हें भी धीमी गति से चलना पड़ता है। स्कूटर मोटरसाइकिल वाले तो वहाँ प्रायः गिरते ही रहते हैं। पता नहीं, कितने बेचारे अब तक इस कारण जख्मी होकर अपना इलाज करवा रहे हैं। बारिश आ जाने के बाद इन गड्ढों में पानी भर जाता है तब तो समस्या और भी बढ़ जाती है।
पता ही नहीं लगता कि कहाँ सड़क टूटी हुई और कहाँ नहीं। हमारे नगर की सड़कें तो बिलकुल चंद्रमा की सतह जैसी गड्ढों से भरी हुई हैं। कॉर्पोरेशन इसे हर वर्ष दिखावे के लिए ठीक कराती है, इसके गड्ढों को भरवाती है जो एक-डेढ़ महीने बाद पहले जैसे ही हो जाते हैं। पता नहीं राज्य सरकार कब जागेगी और हमारी सड़कों को फिर से बनवाएगी।
(घ) सफ़ाई की दुर्व्यवस्था – मैं जिस सरकारी विद्यालय में पढ़ती हूँ वहाँ शायद सफ़ाई हुए महीनों बीत चुके हैं। कहते हैं कि हमारे स्कूल में दो सफ़ाई कर्मचारी हैं पर मैंने तो उन्हें कभी नहीं देखा। पता नहीं वे कब आते हैं, कब सफ़ाई करते हैं ? विद्यालय में एक छोटा-सा शौचालय है जिससे उठने वाली दुर्गंध विद्यालय के मैदान में दूर तक सदा फैली रहती है। शौचालय में नाक को बंद करके पाँव रखना भी साहस का काम लगता है। वहाँ जाने की ज़रा भी इच्छा नहीं होती पर मज़बूरी में कभी-कभी जाना ही पड़ता है।
वहाँ जाने पर तो मितली-सी होती है। विद्यालय के सारे कमरे गंदे हैं। छतें और दीवारें मकड़ी के जालों से भरे हैं। सभी जगह धूल की मोटी परत जमी हुई है। जब हम अपनी अध्यापिका से सफ़ाई के बारे में कहती हैं तो झट से कहती हैं-‘यह मेरा काम नहीं है। तुम पढ़ो। उस तरफ़ मत ध्यान दो।’ पर हम क्या करें ? गंदगी में हमारा मन बैठने को नहीं करता। सफ़ाई में भगवान बसते हैं। हमारे विद्यालय से तो भगवान कोसों दूर रहते होंगे। पता नहीं हमारे प्रधानाध्यापक का ध्यान इस ओर कब जाएगा ?
प्रश्न 5.
किसी क्षेत्र विशेष से जुड़े व्यक्ति से साक्षात्कार करने के लिए प्रश्न- सूची तैयार कीजिए, जैसे –
संगीत / नृत्य, अभिनय, चित्रकला, साहित्य, शिक्षा, खेल
उत्तर :
एक साहित्यकार से साक्षात्कार करने के लिए प्रश्नों की सूची –
- आप साहित्य किसे मानते हैं ?
- आप साहित्य की किस विधा से जुड़कर अपने भाव व्यक्त करते हैं ?
- कविता क्या है ?
- आपने कविता को ही अन्य विधाओं की अपेक्षा अधिक महत्व क्यों दिया ?
- आपकी कविता के सामान्य रूप से विषय कौन-कौन से होते हैं ?
- क्या आप फरमाइशी कविता भी लिखते हैं ?
- फरमाइशी कविता लिखने में क्या कठिनाइयाँ आती हैं ?
- आप छंदरहित कविता ही क्यों लिखते हैं ?
- पुरानी कविता से आपकी कविता किस आधार पर भिन्न है ?
- क्या प्रकृति ने आपकी कविता को प्रभावित किया है ?
- प्रकृति का कौन-सा रूप आपको सबसे अधिक प्रभावित करता है ?
- आप अपनी कविता से समाज को क्या देना चाहते हैं ?
- क्या आपको कोई सरकारी / ग़ैर-सरकारी पुरस्कार प्राप्त हुआ है ?
- आपकी कितनी पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं ?
- आप अपने पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे ?
प्रश्न 6.
आप अखबार के मुख पृष्ठ पर कौन-से छह समाचार शीर्षक /सुर्खियाँ (हेडलाइन) देखना चाहेंगे? उन्हें लिखिए।
उत्तर :
- राजनीति – देश के नेता भ्रष्टाचार से बहुत दूर।
- समाज-कल्याण – पूँजीपतियों ने जिम्मा उठाया अनाथ बच्चों के पालन-पोषण का।
- मानवीयता – आतंकवादी ने मौत के मुँह से बचाया एक बच्चे को।
- खेलकूद – भारत विश्व क्रिकेट कप के फाइनल में।
- समाज की समस्याएँ – देश से बेरोज़गारी की समस्या समाप्त।