Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana कैसे लिखें कहानी to develop Hindi language and skills among the students.

CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana कैसे लिखें कहानी

प्रश्न 1.
कहानी क्या है ? परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
कहानी एक ऐसी साहित्यिक विधा है, जो अपने सीमित क्षेत्र में पूर्ण एवं स्वतंत्र है, प्रभावशाली है। कहानी में मानव जीवन की कथा होती है। अलग-अलग विद्वानों और लेखकों ने कहानी की विभिन्न परिभाषाएँ दी हैं परंतु कहानी की परिभाषा को लेकर एक निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकते। प्रेमचंद ने कहानी की परिभाषा इस प्रकार दी है –
“कहानी एक रचना है, जिसमें जीवन के किसी अंग, किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य होता है। उसका चरित्र, उसकी शैली तथा कथा – विन्यास सब उसी भाव को पुष्ट करते हैं।” किसी घटना, पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्योरा जिसमें परिवेश हो, द्वंद्वात्मकता हो, कथा का क्रमिक विकास हो, चरम उत्कर्ष का बिंदु हो, उसे कहानी कहा जा सकता है

प्रश्न 2.
कहानी का हमारे जीवन से क्या संबंध है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आदिम युग से ही कहानी मानव जीवन का प्रमुख हिस्सा रही है। प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में कहानी सुनता और सुनाता है। प्रत्येक मनुष्य में अपने अनुभव बाँटने और दूसरों के अनुभवों को जानने की प्राकृतिक इच्छा होती है। यह भी कहा जा सकता है कि प्रत्येक मनुष्य में कहानी लिखने की मूल भावना होती है। यह दूसरा सत्य है कि कुछ व्यक्तियों में कहानी की यह भावना विकसित हो जाती है और कुछ इस भावना को विकसित करने में समर्थ नहीं होते।

CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे लिखें कहानी

प्रश्न 3.
कहानी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कहानी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव का इतिहास। कहानी मानव स्वभाव का एक प्रमुख हिस्सा है। कहानी सुनने और कहानी कहने की प्रवृत्ति मनुष्य में आदिम युग से है। जैसे-जैसे आदिम कला का विकास होता गया उसी प्रकार कथा वाचक कहानी सुनाते गए और श्रोता कहानी सुनते रहे। कहानी में किसी घटना, युद्ध, प्रेम, प्रतिशोध के किस्से सुनाए जाते थे और श्रोता इन किस्से, कहानियों को बहुत ही चाव से सुनते थे। फलस्वरूप कहानी कला धीरे-धीरे विकसित होती चली गई।

प्रश्न 4.
कल्पना किस प्रकार कहानी बनती है ? विवरण कीजिए।
उत्तर :
कल्पना करना मानव का स्वभाव और गुण है। कई बार घटना सच्ची होती है परंतु उसे सुनाते समय अपने आप कल्पना का मिश्रण हो जाता है। मनुष्य वही सुनना पसंद करता है जो प्रिय लगता है। मान लीजिए युद्ध क्षेत्र में हमारा नायक हार गया है परंतु हम यह सुनना ज़रूर पसंद करेंगे कि वह किस प्रकार वीरता से लड़ा। कितनी वीरता से लड़ते हुए उसने एक बड़े और अच्छे उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी। नायक की वीरता का बखान करने वाले कथावाचक की सभी प्रशंसा करते हैं और कुछ उसे ईनाम भी देते हैं। कथावाचक सुनने वालों की इच्छानुसार अपनी कल्पना के माध्यम से नायक के गुणों का वर्णन रोचकता के साथ करता है। इस प्रकार कल्पना कहानी में परिवर्तित हो जाती है।

प्रश्न 5.
प्राचीनकाल में मौखिक कहानी की लोकप्रियता का क्या कारण था ?
उत्तर :
प्राचीनकाल में मौखिक कहानियों की लोकप्रियता इसलिए अधिक थी क्योंकि संचार माध्यमों की कमी थी। कोई बड़ा संचार का साधन नहीं था जिससे मनोरंजन किया जा सके। दिनभर कार्य करने के पश्चात रात के समय कहानी सुनने और सुनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। धर्म प्रचारकों ने भी अपने विचारों को प्रचार-प्रसार करने के लिए इसी सिद्धांत का सहारा लिया। शिक्षा संबंधी कार्यों में कहानी विधा का प्रयोग प्रचलित है। छोटे बच्चे कहानी के माध्यम से शिक्षा की बात को जल्दी ग्रहण करते हैं। ‘पंचतंत्र’ की कहानियों के माध्यम से बच्चों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता था क्योंकि पंचतंत्र की कहानियाँ शिक्षाप्रद होने के साथ रोचक भी थीं। इस प्रकार प्राचीनकाल से कहानी के साथ उद्देश्य जुड़ा है जो आगे चलकर विकसित होता गया।

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प्रश्न 6.
कहानी का केंद्र-बिंदु कथानक होता है। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कहानी का कथानक क्या होता है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कहानी की सभी घटनाओं को कथानक कहते हैं। कथानक कहानी प्रथम मसौदा अथवा नक्शा होता है। जिस प्रकार मकान बनाने से पहले घर का नक्शा बनाया जाता है उसी प्रकार कहानी लिखने से पहले उसका कथानक कागज़ पर लिखा जाता है। कहानी का कथानक आमतौर पर किसी घटना, जानकारी, अनुभव या कल्पना पर आधारित होता है। यह घटना, जानकारी या अनुभव कहानीकार के मन अथवा दिमाग में अंकित होता है। कोई एक प्रसंग मात्र भी कहानी का कथानक हो सकता है। एक छोटी-सी घटना कथानक की प्रमुख घटना हो सकती है।

उसके बाद कहानीकार इसी छोटी-सी घटना या प्रसंग का विस्तार देने में कल्पना का सहारा लेता है। यह भी सत्य है कि कहानीकार की कल्पना ‘कोरी’ कल्पना नहीं होती। कल्पना असंभव नहीं होनी चाहिए। बल्कि कल्पना ऐसी होनी चाहिए कि उसमें संभावनाएँ निहित हों। कहानीकार किसी समस्या और उद्देश्य को भी कथानक का केंद्र – बिंदु बनाता है। संपूर्ण कहानी कथानक के इर्द-गिर्द घूमती है। इस प्रकार कथानक कहानी का केंद्र – बिंदु होता है।

प्रश्न 7.
देशकाल और वातावरण कहानी लेखन में किस प्रकार आवश्यक है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जब कहानीकार कहानी के कथानक का स्वरूप बना लेता है तब वह कथानक को देशकाल और वातावरण के साथ जोड़ने का प्रयास करता है। देशकाल और वातावरण कहानी को प्रामाणिक और रोचक बनाने के लिए अति आवश्यक होता है। कथानक का देशकाल और वातावरण से सीधा संबंध होता है। अगर कथानक की घटनाएँ वातावरण से मेल नहीं खातीं तो कहानी असफल साबित हो जाती है। यानि कि कहानीकार जिस परिवेश से कहानी के कथानक को जोड़ना चाहता है उस परिवेश के बारे में कहानीकार को संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए तभी वह कथानक का विस्तार कर सकता है।

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प्रश्न 8.
कहानी में चरित्रों का क्या महत्व है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कहानी में पात्रों के चरित्र-चित्रण का क्या स्थान होता है ?
उत्तर :
चरित्र किसी भी कहानी के मूल होते हैं। बिना चरित्रों के कहानी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। देशकाल और वातावरण के बाद कहानीकार कहानी के पात्रों पर विचार करता है। प्रत्येक पात्र का अपना स्वभाव और स्वरूप होता है। वे किसी-न-किसी उद्देश्य से जुड़े होते हैं। चरित्र के विकास के साथ कहानी का विकास होता है। इसलिए पात्रों का ठीक चयन कहानी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिन पात्रों के बारे में लेखक को जानकारी नहीं है। उनके चित्रण से कहानीकार को बचना चाहिए।

पात्रों के आपसी संबंध भी कहानी में स्पष्ट होने चाहिए। कौन-सा पात्र किस परिस्थिति में कैसा व्यवहार करता है कहानीकार को इसकी समझ होनी चाहिए। कहानी में चरित्रों के गुणों और अवगुणों का वर्णन होना अति आवश्यक है। ऐसा न हो पाने पर पाठक, पात्रों के साथ तारतम्य नहीं जोड़ पाता। पात्रों का चित्रण उनकी अभिरुचियों और आदतों के अनुसार भी होता है। मान लीजिए एक पात्र जंगल में जाकर खतरनाक जानवरों के चित्र खींचता है। निश्चित रूप से यह पात्र साहसी व्यक्ति होगा। इस प्रकार कहानी में चरित्रों का विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 9.
कहानी में संवाद योजना कैसी होनी चाहिए ? संक्षेप में लिखिए
उत्तर :
कहानी लेखन में संवाद योजना एक महत्वपूर्ण तत्व है। बिना संवाद के पात्रों की कल्पना ही संभव नहीं है। संवाद ही किसी पात्र का स्वरूप और विकास निश्चित करते हैं। संवाद कहानी के कथानक को गति प्रदान करते हैं। संवादों के माध्यम से घटनाओं का वर्णन भी किया जाता है। पात्रों के निर्माण में भी संवाद सहायक सिद्ध होते हैं। इसलिए कहानी लेखन में संवाद का महत्व लगातार बना रहता है। पात्रों के संवाद लिखते समय लेखक को यह ध्यान रखना चाहिए कि संवाद उस पात्र के स्वभाव और पृष्ठभूमि के अनुकूल हों।

संवाद के माध्यम से किसी भी पात्र के आदर्श, विश्वास, संस्कार और परिस्थितियाँ प्रदर्शित होती हैं। संवाद लिखते समय लेखक स्वयं पर्दे के पीछे चला जाता है। उस समय लेखक नहीं उसके पात्र बोलते हैं। संवाद छोटे, सटीक, स्वाभाविक एवं उद्देश्यपूर्ण होने चाहिए। संवादों का अत्यधिक विस्तार और लंबापन कथानक में विरोध पैदा करता है। फलस्वरूप कहानी असफल हो जाती है।

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प्रश्न 10.
कहानी के कथानक में पात्रों के द्वंद्व का क्या महत्व है ?
उत्तर :
कहानी के कथानक में पात्रों के द्वंद्व का अत्यधिक महत्व है। उदाहरण के लिए कहानी के दो पात्र किसी बात के लिए अलग-अलग मत रखते हैं। वे अपनी बात ठीक साबित करने के लिए अलग-अलग तर्क देते हैं। यही असहमति कहानी में रोचकता पैदा करती है। अगर द्वंद्व नहीं होगा तो कहानी का कथानक सपाट होगा एवं रुचिकर भी नहीं होगा। द्वंद्व के कारण कहानी का कथानक सरलता से आगे बढ़ेगा तथा पाठक के लिए यह जिज्ञासा बनी रहेगी कि किस पात्र की जीत हुई है। मानसिक द्वंद्व भी कथानक को रोचक बनाता है। मानव मन में उद्वेलित होती हुई भावनाएँ कथानक में द्वंद्व उत्पन्न करती हैं। कहानीकार अपने कथानक में जितना अधिक द्वंद्व के बिंदुओं को स्पष्ट लिखेगा कहानी उतनी ही रोचक एवं सफल सिद्ध होगी। इस प्रकार कहानी के कथानक में द्वंद्व का एक विशेष महत्त्व है।

पाठ से संवाद –

प्रश्न 1.
चरित्र-चित्रण के कई तरीके होते हैं। ‘ईदगाह’ कहानी में किन-किन तरीकों का इस्तेमाल किया गया है ? इस कहानी में आपको सबसे प्रभावी चरित्र किसका लगा और कहानीकार ने उसके चरित्र-चित्रण में किन तरीकों का उपयोग किया है ?
उत्तर :
कहानी में किसी भी पात्र का चरित्र चित्रण उसके क्रिया-कलापों, संवादों तथा अन्य व्यक्तियों द्वारा उससे संबंधित बोले गए संवादों से होता है। लेखक स्वयं भी किसी पात्र की चारित्रिक विशेषताओं को उजागर करने के लिए कुछ संकेत दे देता है। ‘ईदगाह’ कहानी में लेखक ने पात्रों के चरित्र चित्रण के लिए इन सभी तरीकों का प्रयोग किया है। ‘ईदगाह’ कहानी का पात्र ‘हामिद’ हमें सबसे अधितक प्रभावित करता है। लेखक ने हामिद का परिचय देते हुए लिखा है – वह चार-पाँच साल का गरीब सूरत दुबला-पतला लड़का।

जिसका बाप गत वर्ष हैज़े की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती होती एक दिन मर गई। लेखक ने संवादों के माध्यम से भी हामिद के चरित्र को स्वर प्रदान किया है। हामिद का मेले से चिमटा खरीदना उसके मन में अपनी दादी के प्रति संवेदनाओं को व्यक्त करता है। उसे रोटी पकाते समय दादी के हाथ के जलने की चिंता रहती थी, इसलिए उसने चिमटा खरीदा। हामिद का मिठाई और मिट्टी के खिलौनों पर पैसे बर्बाद न करना उसकी समझदारी को व्यक्त करता है। इस प्रकार ‘ईदगाह’ कहानी में लेखक ने स्वयं, संवादों के माध्यम से तथा अन्य बच्चों के वार्तालापों से हामिद का चरित्र चित्रण किया है।

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प्रश्न 2.
संवाद कहानी में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता है। महत्त्व के हिसाब से क्रमवार संवाद की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
कहानी में संवादों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। संवाद कहानी को गति प्रदान करते हैं। कहानी में चित्रित पात्रों का चरित्र-चित्रण संवादों के माध्यम से होता है। जो घटना अथवा प्रतिक्रिया कहानीकार होती हुई नहीं दिखा सकता उसे संवादों के द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है। संवादों से पात्रों के बौद्धिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक स्तरों का ज्ञान भी हो जाता है। उदाहरण के लिए ‘ईदगाह’ कहानी मुस्लिम परिवेश को व्यक्त करती है इसलिए इसके संवादों में उर्दू के शब्दों की अधिकता है। अधिकतर संवाद बच्चों के हैं इसलिए बच्चों की कल्पनाओं को भी पूरी तरह से उभारा गया है। जैसे – जिन्नात को मिलने वाले रुपयों के बारे में मोहसिन और हामिद का यह वार्तालाप –
मोहसिन ने कहा – “जिन्नात को रुपयों की क्या कमी ? जिस खजाने में चाहें, चले जाएँ। ”
हामिद ने फिर पूछा – ” जिन्नात बहुत बड़े – बड़े होते हैं। ”
मोहसिन – ” एक – एक का सिर आसमान के बराबर होता है। ”
इस वार्तालाप से बच्चों के भोलेपन, कौतूहल आदि चारित्रिक गुणों का भी पता चलता है। संवाद पात्रों के स्तर के अनुरूप, सरल, सहज, स्वाभाविक, संक्षिप्त तथा अवसरानुकूल होने चाहिए। अनावश्यक रूप से लंबे संवाद कथानक में गतिरोध उत्पन्न कर देते हैं।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए चित्रों के आधार पर चार छोटी-छोटी कहानियाँ लिखए।

1.
CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे लिखें कहानी 1

एक दिन राम घर में घूम रहा था और उसकी माँ अपना काम कर रही थीं। अचानक उसकी माँ की नज़र उसके शहीद पति मेजर करण सिंह पर पड़ी। उसने राम को बुलाते हुए कहा कि क्या तुम्हें याद है कि तुम्हारे पिता का देहांत कब हुआ था ? उनको मरे हुए एक वर्ष हो गया था। राम ने बिलकुल ठीक-ठाक उत्तर दे दिया। उसकी माँ ने उसे उन्हें प्रणाम करने को कहा। दोनों ने उनको प्रणाम किया और भगवान से प्रार्थना की कि अगले जन्म में वे ही हमारे परिवार के सदस्य बनें। उनके परिवार में शहीद की पत्नी और उनका आठ साल का लड़का राम रहते थे। राम ने बड़े ही आदर से अपनी माँ से पूछा कि उनका देहांत कैसे हुआ था। उसकी माँ ने बताया कि दुश्मनों को मारते-मारते वह खुद भी चल बसे। उन्होंने वहाँ दीपक जलाया और वापस अपने-अपने कामों में लग गए।

CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे लिखें कहानी

2.
CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे लिखें कहानी 2

एक रात एक चोर किसी के घर चोरी करके आया था। जाते-जाते उसने देखा कि एक सरकारी नौकर पेड़ काट रहा था। रात बहुत हो चुकी थी। सारा शहर सो गया था। कोई वाहन सड़क पर नहीं था। केवल चोर और वह पेड़ काटने वाला ही सड़क पर थे। चोर ने सारा तमाशा एक कोने में खड़े होकर देखा। पहले तो वह बहुत खुश हो रहा था। लेकिन बाद में जब उसने सारा पेड़ काट दिया तो उस पत्थर दिल में थोड़ी हमदर्दी उस पेड़ के लिए आई। धीरे-धीरे उस चोर का दिल मोम की तरह पिघल गया। उसने सोचा कि यह पेड़ हमें छाया देते हैं। यह उसे काटे जा रहा है। उसने चोरी किया हुआ सामान वापस उस घर में रखा जहाँ से उसने चोरी की थी। वापस आकर देखा तो सारा पेड़ कट चुका था और वह आदमी वहीं उसे काटकर सो गया था। चोर ने अपनी बंदूक साथ के तालाब में फेंक दी और प्रण लिया कि वह सारे बुरे काम छोड़ देगा और एक अच्छा आदमी बन कर रहेगा। उसने अपने आपको पुलिस के हवाले कर दिया। उसे एक साल की जेल हुई। बाहर आने पर उसने कुछ कमाने के लिए टी-स्टॉल खोल लिया और खुशी-खुशी जीने लगा।

3.
CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे लिखें कहानी 3

राजू और उसकी माँ हर रोज़ की तरह अपना-अपना काम कर रहे थे। उसकी माँ फ़ोन पर बात कर रही थी और वह बाहर खेल रहा था। वह घर पर आया और सीधा रसोई की तरफ़ चल पड़ा। वह बहुत प्यासा था। गैस खुली हुई थी। उसने जैसे ही लाइट का स्विच ऑन किया वैसे ही धमाका हुआ और रसोई में आग लग गई। उसने चिल्लाना शुरू कर दिया – ‘ बचाओ – बचाओ।’ उसकी माँ ने आवाज़ सुनी और वह घबरा गई। वह मदद के लिए आस-पास के घरों में भागी लेकिन कोई मदद करने को तैयार नहीं था। उसने फ़ोन उठाया और 102 पर डॉयल किया। फॉयरब्रिगेड को आने में पंद्रह मिनट लगने थे। उसने आग बुझाने की पूरी कोशिश की लेकिन आग धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। राजू बेहोश हो गया था। अचानक फॉयरब्रिगेड आई और उसने आग बुझा दी। राजू को फ़ौरन अस्पताल पहुँचा दिया गया। थोड़े दिनों में ही वह ठीक हो गया और फिर से खेलने लगा। उसकी माँ ने सीखा कि कभी भी गैस खुली नहीं छोड़नी चाहिए।

CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे लिखें कहानी

प्रश्न 4.
एक कहानी में कई कहानियाँ छिपी होती हैं। किसी कहानी को किसी खास मोड़ पर रोककर नई स्थिति में कहानी को नया मोड़ दिया जा सकता है। नीचे दी गई परिस्थिति पर कहानी लिखने का प्रयास करें –
“सिद्धेश्वरी ने देखा कि उसका बड़ा बेटा रामचंद्र धीरे-धीरे घर की तरफ़ आ रहा है। रामचंद्र माँ को बताता है कि उसे अच्छी नौकरी मिल गई।” आगे की कहानी आप लिखिए।
उत्तर :
सिद्धेश्वरी ने देखा कि उसका बड़ा बेटा रामचंद्र धीर-धीरे घर की तरफ़ आ रहा है। रामचंद्र माँ को बताता है कि उसे अच्छी नौकरी मिल गई। सुनते ही माँ खुशी से झूम उठी और आँगन की ओर दौड़ पड़ी। वहाँ चारपाई पर लेटे हुए अपने पति को जगाकर कहती है – सुनते हो ! अपने राम को अच्छी नौकरी मिल गई है।’
राम के पिता ऊँघते हुए उठ बैठते हैं और राम को अपने पास बैठाकर उससे पूछते हैं – कहाँ नौकरी मिली है ?
राम – मल्होत्रा बुक डिपो में।
पिता – क्या वेतन मिलेगा ?
राम – बीस हज़ार रुपए।
यह सुनते ही राम के पिता और माता उस पर न्योछावर हो उठते हैं। उन्हें लगता है कि अब तो उनके दिन फिर जाएँगे और घर में खुशहाली आ जाएगी। राम के पिता मिठाई लेने बाहर निकल जाते हैं और माँ राम को प्यार से खाना खिलाने लग जाती हैं।