Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana कैसे बनती है कविता to develop Hindi language and skills among the students.

CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana कैसे बनती है कविता

प्रश्न 1.
कविता कैसी बनी ?
उत्तर :
कविता के बनने की कहानी बहुत पुरानी है। हम अपनी माता, दादी और नानी से जो लोरियाँ सुनते आए हैं, उन्हीं से कविता का जन्म माना जाता है। इसी प्रकार से खेतों में काम करते समय, मज़दूरी करते हुए अथवा अन्य कोई कार्य करते हुए जब हम अनायास ही कुछ गुनगुनाने लगते हैं तब अपने-आप कविता बन जाती है। घर के मांगलिक अवसर पर महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले गीतों में भी कविता के स्वर मुखरित हो उठते हैं। शब्द के साथ शब्द जोड़ कर तुकबंदी करने से भी कविता बन जाती है। जैसे –

“अक्कड़-बक्कड़ बंबे बो
अस्सी नब्बे पूरे सौ
सौ में लागा धागा
चोर निकलकर भागा।”

CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे बनती है कविता

प्रश्न 2.
कविता – लेखन से संबंधित दो मत क्या हैं ?
उत्तर :
कविता – लेखन से संबंधित दो विभिन्न मत प्रचलित हैं। पहला मत तो यह है कि कविता लिखने की कोई प्रणाली सिखाई या बताई नहीं जा सकती। यह तो मानव की संवेदनाओं से जुड़ी है। इसे चित्रकला, संगीतकला, नृत्यकला आदि की तरह सिखाया नहीं जा सकता। चित्रकला में रंग, कूची, कैनवास आदि होते हैं तो संगीत में स्वर, ताल और वाद्य के कुछ उपकरण होते हैं। इन उपकरणों की सहायता से इन कलाओं को सिखाया जा सकता है, किंतु कविता में किसी बाह्य उपकरणों की सहायता नहीं ली जा सकती। कवि तो अपनी इच्छानुसार मन में उठने वाले शब्दों को जुटाता है और उसे लय में पिरोकर कविता की रचना करता है। इसे किसी को सिखाया नहीं जा सकता।

कविता-लेखन से संबंधित दूसरा मत यह है कि अन्य कलाओं की भाँति कविता – लेखन को भी सिखाया जा सकता है। पश्चिमी देशों और भारत के कुछ विश्वविद्यालयों में भी कहीं-कहीं काव्य-लेखन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। चित्रकला, संगीतकला और नृत्यकला के समान कविता को भी सीखा जा सकता है। किसी भी कविता के विषय में जानना और बार-बार उसे पढ़ने से कवि की संवेदनाओं के काफ़ी निकट पहुँचा जा सकता है। इस मत के मानने वालों का कहना है कि उचित प्रशिक्षण पाकर कविता-लेखन सरलता से किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
कविता-लेखन में शब्दों का क्या महत्व है ?
उत्तर :
शब्द कविता की रीढ़ हैं। कविता लेखन का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण शब्द ही है। विभिन्न शब्दों के उचित मेल से ही कविता लिखी जाती है। अंग्रेज़ी कवि डब्ल्यू० एच० आर्डेन ने भी कहा है-‘प्ले विद द वर्ड्स’ अर्थात कविता लिखने से पूर्व शब्दों से खेलें। धीरे-धीरे शब्दों के मेल से कविता आकार लेने लगती है। जैसे –

‘अगर कहीं मैं तोता होता
तोता होता तो क्या होता ?
तोता होता।’

शब्दों से खेलना, उनसे मेल-जोल बढ़ाना शब्दों के भीतर छिपे अनेक अर्थों को हमारे सामने खोलकर रख देता है। एक ही शब्द में अनेक अर्थ छिपे रहते हैं। एक बार यदि व्यक्ति के पास उचित शब्दावली हो जाए तो कविता लिखना सरल हो जाता है।
कवि अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को शब्दों के माध्यम से ही आकार देता है। कभी-कभी तो कविता में आए किसी एक शब्द पर जोर देने से कविता प्रभावी बन जाती है। कवि शब्दों को अपने अनुसार लय और व्यवस्था में रखकर ही कविता की रचना करता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि शब्दों का कविता-लेखन में विशेष महत्व होता है। बिना शब्दों के कविता की रचना संभव ही नहीं है।

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प्रश्न 4.
कविता में बिंबों की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर :
कविता में बिंबों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब किसी विशेष शब्द को पढ़कर या सुनकर हमारे मन और मस्तिष्क में अचानक ही वैसा चित्र प्रस्तुत हो जाए तो उसे बिंब कहते हैं। हमारी समस्त बाहय संवेदनाएँ मन के स्तर पर बिंब के रूप में बदल जाया करती हैं। बिंब के आधार पर कवि की संवेदनाओं को समझना सरल हो जाता है। कवि जो कुछ कहता है वैसा ही एक चित्र हमारे मस्तिष्क में उभर आता है। उदाहरणस्वरूप सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘संध्या के बाद’ की निम्न पंक्तियाँ दृष्टव्य हैं –

तट पर बगुलों-सी वृद्धाएँ
विधवाएँ जप-ध्यान में मगन,
मंथर धारा में बहता
जिनका अदृश्य गति अंतर – रोदन !

इन पंक्तियों में ‘बगुलों-सी वृद्धाएँ विधवाएँ’ पढ़ते ही हमारे मस्तिष्क में बगुलों का सफ़ेद रंग, उनका आकार और वृद्ध विधवाओं के घुटे हुए सिर के कारण गर्दन का आकार तथा उनके सफ़ेद वस्त्रों का एक चित्र उभर आता है। इस प्रकार बिंबों के माध्यम से कविता को सरलता से समझा जा सकता है।

प्रश्न 5.
कविता की रचना में छंद का क्या महत्व है ?
उत्तर :
छंद कविता का अनिवार्य तत्व है। छंदों का आधार संगीत होने के कारण आदि और मध्यकालीन काव्य पद्यबद्ध ही प्राप्त होता है। आधुनिक युग में भी इसका महत्व सभी स्वीकार करते हैं क्योंकि इसके बिना कविता का वास्तविक रूप स्पष्ट नहीं होता है। आधुनिक काल में स्वच्छंद छंदों की परंपरा है परंतु इसमें भी लय और पाठ्य-सौंदर्य का ध्यान रखा जाता है। छंदों से ही कविता में संगीतात्मकता आती है और संगीत से युक्त होकर काव्य मधुर और मनोहारी बनकर अद्भुत आनंद प्रदान करता है। निराला जी मुक्त छंद के समर्थक थे फिर भी उनकी कविता प्रवाह एवं लय के कारण छंदबद्ध ही प्रतीत होती है। सुमित्रानंदन पंत के अनुसार कविता तथा छंद के बीच घनिष्ठ संबंध है। कविता हमारे प्राणों का संगीत है, तो छंद हत्कंपन। छंद भावोद्रेक तथा भावों को तीव्रता प्रदान करते हैं और इनके प्रयोग से कविता में संगीत-सा चमत्कार उत्पन्न हो जाता है।

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प्रश्न 6.
कविता में परिवेश का चित्रण कैसे करते हैं ?
उत्तर :
कविता में जिस परिवेश, वातावरण एवं संदर्भ का चित्रण करना होता है उसी के अनुरूप भाषा, संरचना, बिंब, छंद आदि का चुनाव किया जाता है। प्राकृतिक परिवेश को चित्रित करने के लिए उसी के अनुरूप भाषा, बिंब आदि ग्रहण किए जाते हैं। जैसे जयशंकर प्रसाद जी ने उषा के आगमन का संदेश इन पंक्तियों में दिया है –

‘बीती विभावरी जाग री
अंबर पनघट में डुबो रही,
तारा घट उषा नागरी।’

इसी प्रकार से नागार्जुन ने अपनी कविता ‘अकाल और उसके बाद में गाँव के वातावरण का चित्रण करते हुए उसी परिवेश की भाषा, बिंब, छंद आदि का प्रयोग किया है। जैसे –

‘कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।’

इस कविता में गाँव के परिवेश को चूल्हा, चक्की, कुतिया, भीत, छिपकलियाँ, चूहे आदि उजागर कर देते हैं। ‘कई दिनों’ के प्रयोग से कवि अकाल की भीषणता को स्वर प्रदान किया है। इससे स्पष्ट है कि जिस परिवेश को सजीवता प्रदान करने के लिए कविता लिखी जा रही है उसी के अनुरूप भाषा, बिंब, छंद आदि का भी चयन किया जाए।

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प्रश्न 7.
कविता के महत्वपूर्ण घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कविता – लेखन में कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। कविता के कुछ महत्वपूर्ण घटक होते हैं। इनके बिना कविता संभव नहीं है। ये घटक निम्नलिखित हैं –

  1. कविता – लेखन के लिए भाषा का पूर्ण ज्ञान होना ज़रूरी है। भाषा के माध्यम से ही कवि अपनी संवेदनाओं और भावनाओं की अभिव्यक्त करता है।
  2. कविता में संकेतों का भी बड़ा महत्व होता है। कविता में प्रत्येक चिह्न का कोई-न-कोई अर्थ होता है। अतः संकेतों का ज्ञान होना भी आवश्यक है।
  3. कविता में आंतरिक लय छंदों के माध्यम से आती है। कविता में पारंपरिक छंद और मुक्त छंद दोनों का प्रयोग होता है। अतः कविता लेखन के लिए छंदों का ज्ञान होना भी आवश्यक है
  4. कविता सदैव समय विशेष की उपज होती है। उसका स्वरूप समय के साथ-साथ बदलता रहता है। अतः कविता – लेखन के लिए किसी समय विशेष में प्रचलित प्रवृत्तियों की पूरी जानकारी होना भी आवश्यक है।
  5. कवि की व्यक्तिगत रचनात्मक प्रतिभा भी कविता – लेखन के लिए होनी आवश्यक होती है।
  6. कम-से-कम शब्दों में अपनी बात कहना एक अच्छे कवि की विशेषता होती है। अतः कविता – लेखन में कवि को कम किंतु चुने हुए शब्दों को सुव्यस्थित ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।

पाठ से संवाद –

प्रश्न 1.
आपने अनेक कविताएँ पढ़ी होंगी। उनमें से आपको कौन-सी कविता सबसे अच्छी लगी? लिखिए। यह भी बताइए कि आपको वह कविता क्यों अच्छी लगी?
उत्तर :
मैंने अनेक कविताएँ पढ़ी हैं। इनमें से मुझे जयशंकर प्रसाद जी की निम्नलिखित कविता सबसे अच्छी लगी है –

“अरुण ! यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
सरस तामरस गर्भ विभा पर नाच रही तरु शिखा मनोहर,
छिटका जीवन – हरियाली पर मंगल कुमकुम सारा।
लघु सुरधनु से पंख पसारे शीतल मलय समीर सहारे,
उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़, निज प्यारा।
बरसाती आँखों के बादल – बनते जहाँ भरे करुणा जल,
लहरें टकरातीं अनंत की – पाकर जहाँ किनारा।
हेम कुंभ ले उषा सवेरे – भरती ढलकाती सुख मेरे,
मंदिर ऊँघते रहते जब जग कर रजनी भर तारा।”

मुझे यह कविता इसलिए अच्छी लगती है क्योंकि इसमें राष्ट्र के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त किया गया है। भारतवर्ष को असीम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश बताया गया है, जहाँ सदा सबका स्वागत होता है। भाषा तत्सम प्रधान है। संपूर्ण कविता में संगीत के गूँजते हुए स्वर सुनाई देते हैं। प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। रूपक, उपमा, अनुप्रास अलंकारों की छटा निराली है।

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प्रश्न 2.
आपके जीवन में अनेक ऐसी घटनाएँ घटी होंगी जिन्होंने आपके मन को छुआ होगा। उस अनुभूति को कविता के रूप में लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर :
जेठ की तपती दोपहरी में एक रिक्शावाले को रिक्शा चलाते देखकर मन में उत्पन्न भावनाओं को कविता के रूप में निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है –

‘वह आता, चिल्लाता
रिक्शावाला।
जीर्णवसन, मलिन तन
धूल- विमर्दित पग नगन
बिखरे केश सिर जलन
बहते स्वेद सिक्त तन
ठठरी-सा गात
औ’ पेट पीठ से चिपकाता
वह आता।
तप्त तवे – सी तपती भू
शेष स्वांस सी चलती लू
मध्यान्ह रवि बरसाता आग
पर
आशा में कुछ कमाने की
वह आता, चिल्लाता
रिक्शावाला।

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प्रश्न 3.
शब्दों का खेल, परिवेश के अनुसार शब्द चयन, लय, तुक, वाक्य संरचना, यति-गति, बिंब, संक्षिप्तता के साथ-साथ विभिन्न
अर्थ स्तर आदि से कविता बनती है। दी गई कविता में इनकी पहचानकर अपने शब्दों में लिखिए-
एक जनता का
दुःख एक।
हवा में उड़ती पताकाएँ
अनेक।
दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।
कंगाल बुद्धि, मजूर घर भर।
एक जनता का -अमरवर, एकता का स्वर।
अन्यथा स्वातंत्र्य इति।
उत्तर :
कवि ने आधुनिक काव्य-शिल्प का प्रयोग करते हुए भाव जगत में गागर में सागर भरने का सफल प्रयोग किया है। शब्द चयन के उचित प्रयोग ने जनता की पीड़ा और व्यथा को ही प्रकट नहीं किया बल्कि उसकी विवशता और विद्रोह को भी वाणी प्रदान की है। कवि ने जनता असहायता को प्रकट किया है। ‘हवा में उड़ती पताकाएँ’ उसके विरोध की प्रतीक हैं। इसमें गतिशील बिंब योजना की गई है। अनेक शब्द का विशेष अर्थ है कि असहायों और पीड़ितों की संख्या बहुत बड़ी है।

‘दैन्य दानव’, ‘क्रूर स्थिति’, ‘कंगाल बुद्धि’ संक्षिप्त होने पर भी अपने भीतर व्यापकता के भावों को समेटे हुए हैं। ‘अन्यथा स्वातंत्र्य इति’ में लाक्षणिकता विद्यमान है जो बोध कराती है कि भूखे – नंगे व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। वह इनसान के लिए तभी महत्वपूर्ण हो सकती है जब उसका पेट भरा हुआ हो। तत्सम शब्दावली की अधिकता है। अतुकांत छंद का प्रयोग होने पर भी भावगत लयात्मकता की सृष्टि हुई है। तुक का स्वाभाविक प्रयोग एक स्थान पर किया गया है।