Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers CBSE Class 12 Hindi Elective अपठित बोध अपठित गद्यांश to develop Hindi language and skills among the students.
CBSE Class 12 Hindi Elective अपठित बोध अपठित गद्यांश
निम्नलिखित काव्यांशों पर आधारित प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए –
1. निर्धय स्वागत करो मृत्यु का,
मृत्यु एक है विश्राम-स्थल।
जीव जहा से फिर चलता है,
धारण कर नव जीवन संबल।
मृत्यु एक सरिता है, जिसमें
श्रम से कातर जीव नहाकर
फिर नूतन धारण करता है,
काया रूपी वस्त्र बहाकर।
सच्चा प्रेम वही है जिसकी
तृप्ति आत्म-बलि पर ही निर्भर
त्याग बिना निष्राण प्रेम है,
करो प्रेम पर प्राण निछावर।
1. प्रस्तुत काष्यांश का उचित शीर्षक चुनिए-
(क) निर्भयता
(ख) मृत्यु का स्वागत
(ग) आत्मबलि
(घ) सच्चा प्रेम
उत्तर :
(क) निर्भयता
2. मृत्यु रूपी सरिता में जीव के नहाने के विषय में कथन और कारण की सत्यता परखिए –
कथन : जीव मृत्यु रूपी सरिता में स्नान करता है।
कारण : मनुष्य के जीवन में नवीनता का संचार होता है।
(क) कथन और कारण दोनों सत्य हैं।
(ख) कथन और कारण दोनों असत्त्य हैं।
(ग) कथन सत्य है कारण असत्य है।
(घ) कथन सत्य है कारण असत्य है।
उत्तर :
(क) कथन और कारण दोनों सत्य हैं।
3. कवि ने मृत्यु के प्रति निर्भय बने रहने के लिए क्यों कहा है?
(क) क्योंकि मनुष्य जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।
(ख) क्योंकि मनुष्य मृत्यु के बाद जन्म नहीं लेता।
(ग) क्योंकि मनुष्य मृत्यु के बाद फिर पुरातन रूप में ही रहता है।
(घ) क्योंकि मनुष्य मृत्यु के बाद फिर नया रूप लेकर कार्य करने लगता है।
उत्तर :
(घ) क्योंकि मनुष्य मृत्यु के बाद फिर नया रूप लेकर कार्य करने लगता है।
4. कवि ने मृत्यु को क्या कहा है?
(क) जन्म-मरण स्थल
(ख) विश्राम-स्थल
(ग) मोक्षदायिनी-स्थल
(घ) कर्म-स्थल
उत्तर :
(ख) विश्राम-स्थल
5. मृत्यु रूपी सरिता में नहाकर जीव में क्या परिवर्तन आ जाता है?
(क) जीव शरीर धारण नहीं करता है तथा पुराने शरीर को नहीं त्याग पाता है।
(ख) जीव का विश्राम-स्थल की ओर जाने का प्रयास निष्फल हो जाता है।
(ग) जीव नवीन शरीर धारण करता है तथा पुराने शरीर को त्याग देता है।
(घ) जीव निष्राण हो जाता है तथा पुराने शरीर को त्यागने का प्रयास करता है।
उत्तर :
(ग) जीव नवीन शरीर धारण करता है तथा पुराने शरीर को त्याग देता है।
6. कवि ने मृत्यु की तुलना किससे की है ?
(क) नारी से
(ख) आकृति से
(ग) सरिता से
(घ) नवीनता से
उत्तर :
(ग) सरिता से
7. सच्चे प्रेम की क्या विशेषता बताई गई है?
(क) बलिदान से मुक्त होता है।
(ख) सुख-दुख दोनों देता है।
(ग) पीड़ा देता है।
(घ) आत्म-बलिदान देता है।
उत्तर :
(घ) आत्म-बलिदान देता है।
8. कैसा प्रेम निष्राण होता है?
(क) जिसमें बलिदान की भावना हो।
(ख) जिसमें त्याग न हो।
(ग) जिसमें संयम न हो।
(घ) जिसमें क्ष्कमा न हो।
उत्तर :
(ख) जिसमें त्याग न हो।
2. तू हिमालय नहीं, तू न गंगा-यमुना
तू त्रिवेणी नहीं, तू न रामेश्वर्
तू महाशील की है अमर कल्पना
देशा मेरे लिए तू परम वंदना।
तू पुरातन बहुत, तू नए से नया
तू महाशील की है अमर कल्पना।
देश! मेरे लिए तू महा अर्चना।
शक्ति-बल का समर्थक रहा सर्वदा,
तू परम तत्व का नित विचारक रहा।
मेघ करते नमन, सिंधु धोता चरण,
लहलहाते सहस्त्रों यहाँ खेत-वन।
नर्मदा-ताप्ती, सिंधु, गोदावरी,
हैं कराती युगों से तुझे आचमन।
शांति-संदेश देता रहा विश्व को।
प्रेम-सद्भाव का नित प्रचारक रहा।
सत्य औ’ प्रेम की है परम प्रेरणा
देश! मेरे लिए तू महा अर्चना।
1. कवि देश को किसकी अमर कल्पना कहता है?
(क) महाशील की
(ख) स्वत्व-त्याग की
(ग) स्वार्थपरता की
(घ) प्रत्याशा की
उत्तर :
(क) महाशील की
2. किस कारण से भारत का चरित्र उज्ज्वल बना हुआ है?
(ख) दानवीरता के कारण।
(क) अमिट इतिहास के कारण।
(ग) युद्धनीति की कुशलता के कारण।
(घ) करुणा, प्रेम, दया, शांति जैसे महान आचरण के कारण।
उत्तर :
(घ) करुणा, प्रेम, दया, शांति जैसे महान आचरण के कारण।
3. ‘तू परम तत्व का नित विचारक रहा’ पंक्ति का स्पष्ट भावार्थ होगा-
(क) भारत ने सदा परमाणु तत्व की खोज की है।
(ख) भारत ने सदा सुष्टि के परम तत्व की खोज की है।
(ग) भारत ने सदा ईश्वर की खोज की है।
(घ) भारत ने सृष्टि की रचना की खोज की है।
उत्तर :
(ख) भारत ने सदा सुष्टि के परम तत्व की खोज की है।
4. प्रकृति भारत देश का सत्कार कैसे करती है?
(क) नर्मदा, ताप्ती, सिंधु, गोदावरी नदियाँ भारत को आचमन करवाती हैं।
(ख) सागर भारत के चरण धोता है।
(ग) लाखों लहलहाते खेत व वन हैं तथा मेघ यहाँ वर्षा करते हैं।
(घ) ये सभी विकल्प।
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प।
5. भारत देश पुरातन होते हुए भी नित नूतन कैसे है?
(क) पुरानी संस्कृतियों-परपराओं का सम्मान करने के कारण।
(ख) अधिक आर्थिक विकास होने के कारण।
(ग) लहलहाते खेत व वन होने के कारण।
(घ) वैज्ञानिक व तकनीकी विकास अधिक होने के कारण।
उत्तर :
(घ) वैज्ञानिक व तकनीकी विकास अधिक होने के कारण।
6. ‘शांति-संदेश’ रहा’ काव्य-पंक्तियों का अर्थ बताते हुए इस कथन की पुष्टि में ऐतिहासिक प्रमाण होगा-
(क) भारत सदा विश्व को शांति का पाठ पढ़ाता रहा है।
(ख) सम्राट अशोक व गौतम बुद्ध ने संसार को शांति व धर्म का पाठ पढ़ाया।
(ग) वैज्ञानिकों ने रक्षा सामग्री तैयार करके शांति का पाठ सिखाया।
(घ) विकल्प (क) और (ख) सही हैं।
उत्तर :
(घ) विकल्प (क) और (ख) सही हैं।
7. काव्यांश का उचित शीर्षक होगा –
(क) भारत देश की महिमा
(ख) नवीनता
(ग) अमन शांति
(घ) रामेश्वरम की महिमा
उत्तर :
(क) भारत देश की महिमा
8. कौन-सी नदी भारत का आचमन नहीं करवाती?
(क) नर्मदा
(ख) ताप्ती
(ग) गोदावरी
(घ) नील नदी
उत्तर :
(क) नर्मदा
3. निज रक्षा का अधिकार रहे जन-जन को।
सबकी सुविधा का भार किंतु शासन को।
मैं आर्यों का आदर्श बताने आया
जन सम्मुख धन को तुच्छ जताने आया।
सुख-शांति हेतु मैं क्रांति मचाने आया
विश्वासी का विश्वास बचाने आया।
मैं आया उसके हेतु कि जो तापित है जो विवश,
विकल, बलहीन, दीन शापित हैं।
हो जाएँ अभय वे जिन्हें कि भय भाषित हैं।
मैं आया जिनमें बनी रहे मर्यादा।
बच जाए प्रबल से मिटाना जीवन सादा।
नहीं आया दुख झेलने आया।
मैं मनुष्यत्व का नाटक खेलने आया।
एक अविलंब छोड़ने आया।
गढ़ने आया हूँ नहीं तोड़ने आया।
मैं जहाँ जोड़ने नहीं बाँटने आया।
मैं राज्य भोगने नहीं हूँ भुगाने आया।
हंसों को मुक्ता-मुक्ति चुगाने आया।
भव में नव वैभव व्याप्त कराने आया।
नर को ईश्वरता प्राप्त कराने आया।
संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया।
इस भूतल को नहीं स्वर्ग बनाने आया।
अथवा आकर्षण पुण्य भूमि का ऐसा।
अवतरित हुआ मैं आप उच्च फल जैसा।
1. प्रजा की सुख सुविधाओं का ध्यान किसे रखना चाहिए?
(क) कवि को
(ख) प्रजा को
(ग) शासक को
(घ) इनमें से सभी
उत्तर :
(ग) शासक को
2. किस कारण से कवि क्रांति मचाने की बात कर रहा है?
(क) संदिग्ध समाज हेतु
(ख) सुख-शांति हेतु
(ग) सत्ता हेतु
(घ) हुकूमत हेतु
उत्तर :
(ख) सुख-शांति हेतु
3. पृथ्वी स्वर्ग के समान कब बनती है?
(क) जब राजा और प्रजा मिलकर काम करते हैं।
(ख) जब राजा देवता के समान पूजा जाए।
(ग) जब प्रजा अंधी होकर राजा का अनुसरण करती हो।
(घ) ये सभी विकल्प।
उत्तर :
(क) जब राजा और प्रजा मिलकर काम करते हैं।
4. ‘हंसों को मुक्ता-मुक्ति चुगाने आया’ का भाव है?
(क) हंसों के सामने मोती डालना
(ख) अधिकार न होना
(ग) न्याय करना
(घ) सभी को बराबर अधिकार देना
उत्तर :
(घ) सभी को बराबर अधिकार देना
5. कवि आर्यों के लिए कैसा संवेश लाया है?
(क) नभ को स्वर्ग बनाने
(ख) पृथ्वी को स्वर्ग बनाने
(ग) देवलोक को स्वर्ग बनाने
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(ख) पृथ्वी को स्वर्ग बनाने
6. श्रीराम धरती पर किस उद्देश्य से आए थे?
(क) मानवजाति का कल्याण करने
(ख) स्वर्ग पर आसीन होने
(ग) राज-काज सँभालने
(घ) वनवास भोगने
उत्तर :
(क) मानवजाति का कल्याण करने
7. उपर्युक्त काव्यांश के लिए उचित शीर्षक है –
(क) आयों का देश
(ख) जन-धन
(ग) स्वर्ग की महत्ता
(घ) अवतारवाद
उत्तर :
(क) आयों का देश
8. जन के आगे किसे तुच्छ बताया गया है ?
(क) राज-काज को
(ख) भूतल को
(ग) धन को
(घ) ज्ञान को
उत्तर :
(ग) धन को
4. नवीन कंठ दो कि मैं नवीन गान गा सकूँ,
स्वतंत्र देश की नवीन आरती सजा सकें।
नवीन दृष्टि का नया विधान आज हो रहा,
नवीन आसमान में विहान आज हो रहा,
खुली दसों दिशा खुले कपाट ज्योति-द्वार के –
विमुक्त राष्ट्र सूर्य भासमान आज हो रहा।
युगांत की व्यथा लिए अतीत आज रो रहा,
दिगंत में वसंत का भविष्य बीज बो रहा,
कुलीन जो उसे नहीं गुमान या गरुर है,
समर्थ शक्तिपूर्ण जो किसान या मजूर है।
भविष्य द्वार मुक्त से स्वतंत्र भाव से चलो,
मनुष्य बन मनुष्य से गले मिले चले चलो,
समान भाव के प्रकाशवान सूर्य के तले
समान रूप गंध फूल-फूल-से खिले चले।
1. कविता का उच्चित शीर्षक चुनिए-
(क) राष्ट्र गीत
(ख) सफलता का गीत
(ग) अभियान गीत
(घ) आरती
उत्तर :
(ग) अभियान गीत
2. कवि किससे नवीन कंठ पाने की आकांक्षा करता है?
(क) राष्ट्र के लोगों से
(ख) सफल लोगों से
(ग) गीतकारों से
(घ) भारतमाता से
उत्तर :
(क) राष्ट्र के लोगों से
3. कवि ने कितनी विशाओं का जिक्र किया है?
(क) राष्ट्र के लोगों से
(ख) सफल लोगों से
(ग) गीतकारों से
(घ) भारत-माता से
उत्तर :
(घ) भारत-माता से
4. कवि नई आवाष्प की आवश्यकता किसलिए महसूस कर रहा है?
(क) ताकि वह स्वतंत्र देश के लिए नए गीत गा सके तथा नई आरती सजा सके।
(ख) ताकि वह परतंत्र देश के लिए भड़काने वाले गीत गा सके।
(ग) मज़दूर-किसान की गरीबी दूर हो सके।
(घ) अपनी उन्नति का बखान कर सके।
उत्तर :
(क) ताकि वह स्वतंत्र देश के लिए नए गीत गा सके तथा नई आरती सजा सके।
5. युगांत की व्यथा लिए कौन आज रो रहा है?
(क) भारत का वर्तमान
(ख) भारत का भविष्य
(ग) भारत का अतीत
(घ) भारत का भाग्य
उत्तर :
(घ) भारत का भाग्य
6. ‘नए समाज का हरेक व्यक्ति एक नूर है।’ स्पष्ट आशय होगा-
(क) हर एक भारतीय प्रकाश के गुणों से युक्त है।
(ख) हर एक व्यक्ति के विकास से भारत का समग्र विकास है।
(ग) स्वतंत्र भारत के हर एक व्यक्ति में आज़ादी के आकर्षण की आभा है।
(घ) इनमें से सभी।
उत्तर :
(घ) इनमें से सभी।
7. कवि मनुष्य को क्या परामर्श दे रहा है?
(क) सभी को मैत्रीभाव से आगे बढ़ना है।
(ख) सभी को सूर्य व फूलों के समान समानता का भाव अपनाना है।
(ग) सभी को स्वतंत्र भारत के हर व्यक्ति से प्रतिस्पर्धा करनी है।
(घ) विकल्प (क) तथा (ख)।
उत्तर :
(घ) विकल्प (क) तथा (ख)।
8. कवि किसे समर्थ व शक्तिपूर्ण कह रहा है?
(क) सैनिकों को
(ख) नेतागणों को
(ग) कृषक वर्ग को
(घ) व्यापारीवर्ग को
उत्तर :
(ग) कृषक वर्ग को
5. चले चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो, चले चलो!
प्रचंड सूर्य-ताप से, न तुम जलो, न तुम गलो!
हदयय से तुम निकाल दो अगर हो पस्त-हिम्मती,
नहीं है खेल मात्र ये, ये ज़िदगी है ज़िदगी।
न रक्त है, न स्वेद है, न हर्ष है, न खेद है,
ये जिंद्गी अभेद है, यही तो एक भेद है।
समझ के सब चले चलो, कदम-कदम बढ़े चलो!
पहाड़ से चली नदी, रुकी नहीं कहीं जरा,
गई जिधर, उधर किया ज़मीन को हरा-भरा।
चली समान रूप से, ज़मीन का न ख्याल कर,
मगन रही निनाद में, ज़मीन पर, पहाड़ पर।
उसी तरह चले चलो, उसी तरह बढ़े चलो!
अखंड दीप-से जलो, सदा बहार-से खिलो।
1. कविता का उचित शीर्षक चुनिए –
(क) शौर्य गीत
(ख) नवयुवकों के लिए संबोधन गीत
(ग) अखंड गीत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) नवयुवकों के लिए संबोधन गीत
2. कविता किससे संबोधित है?
(क) श्रमिकों से
(ख) सैनिकों से
(ग) प्रगतिशील नवयुवकों से
(घ) कोई नहीं
उत्तर :
(ग) प्रगतिशील नवयुवकों से
3. कविता में पस्तहिम्मती के विषय में कथन और कारण की सत्यता परखिए-
कथन : हमें पस्तहिम्मती हृदय से निकाल फेंकनी चाहिए।
कारण : पस्तहिम्मती से मनुष्य-सबल बन जाता है।
(क) कथन और कारण दोनों सत्य हैं।
(ख) कथन और कारण दोनों असत्य हैं।
(ग) कथन सत्य है पर कारण असत्य है।
(घ) कथन असत्य पर कारण सत्य है।
उत्तर :
(ग) कथन सत्य है पर कारण असत्य है।
4. कविता में पस्तहिम्मती को क्या ध्यान में रखने को कहा गहा है?
(क) अधिक हिम्मत वाले व्यक्ति के साथ रहना चाहिए।
(ख) साहसी व्यक्ति की बातों का अनुकरण करना चाहिए।
(ग) हिम्मत होने पर भी दुर्बलता का ध्यान नहीं करना चाहिए।
(घ) मन से दुर्बल होने की बात निकाल फेंकनी चाहिए।
उत्तर :
(घ) मन से दुर्बल होने की बात निकाल फेंकनी चाहिए।
5. कविता में प्रगतिशील मनुष्य की तुलना किससे की गई है?
(क) पर्वत से
(ख) नभ से
(ग) नदी से
(घ) धरती से
उत्तर :
(ख) नभ से
6. कविता में प्रगतिशील मनुष्य की तुलना नवी से क्यों की गई है?
(क) क्योंकि मनुष्य नदी की तरह निरंतर चलता रहता है।
(ख) क्योंकि मनुष्य नदी की तरह केवल अपने लिए काम करता है।
(ग) क्योंकि नदी से प्रेरित होकर मनुष्य हाहाकार करता है।
(घ) क्योंकि नदी की तरह प्रगतिशील मनुष्य भी जीवन-पथ पर सदा अग्रसर रहता है।
उत्तर :
(घ) क्योंकि नदी की तरह प्रगतिशील मनुष्य भी जीवन-पथ पर सदा अग्रसर रहता है।
7. कविता में फूल का उल्लेख क्यों हुआ है?
(क) क्योंकि फूल भक्ति का स्रोत है।
(ख) क्योंकि फूल सुगंध फैलाता है।
(ग) क्योंकि फूल की तरह मनुष्य को प्रसन्नता के भाव से खिला होना चाहिए।
(घ) क्योंकि फूल की तरह मनुष्य भी कोमल बना रहता है।
उत्तर :
(ग) क्योंकि फूल की तरह मनुष्य को प्रसन्नता के भाव से खिला होना चाहिए।
8. ये ज्ञिंदगी अभेद है, यही तो एक भेद है। पंक्ति का भाव है –
(क) जिंदगी के रहस्य को समझना आसान है।
(ख) ज़िंदगी का भेदन नहीं किया जा सकता है।
(ग) ज़िंदगी का केवल एक ही भेद होता है।
(घ) जीवन का रहस्य नहीं पाया जा सकता, यह रहस्यमय है।
उत्तर :
(घ) जीवन का रहस्य नहीं पाया जा सकता, यह रहस्यमय है।
6. मन-मोहिनी प्रकृति की जो गोद में बसा है,
सुख स्वर्ग-सा जहाँ है, वह देश कौन-सा है?
जिसका चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है,
जिसका मुकुट हिमालय, वह देश कौन-सा है?
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं,
सींचा हुआ सलोना, वह देश कौन-सा है?
जिसके बड़े रसीले फल-कंद-नाज मेवे,
सब अँगने सजे हैं, वह देश कौन-सा है ?
जिसके सुगंध वाले सुंदर प्रसून प्यारे,
दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन-सा है ?
मैदान-गिरि-वनों में हरियालियाँ लहकरीं,
आनंदमय जहाँ है, वह देश कौन-सा है ?
जिसके अनंत धन से धरती भरी पड़ी है,
संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है ?
पृथ्वी निवासियों को जिसने प्रथम जगाया,
शिक्षित किया सुधारा, वह देश कौन-सा है ?
छोड़ा स्वराज्य तृणवत आदेश से पिता के,
वह राम था जहाँ पर, वह देश कौन-सा है ?
नि:स्वार्थ शुद्ध प्रेमी भाई भले जहाँ थे,
लक्ष्मण-भरत सरीखे, वह देश कौन-सा है ?
निष्पक्ष न्यायकारी जन जो पढ़े-लिखे हैं,
वे सब बता सकेंगे, वह देश कौन-सा है?
चालीस कोटि भाई सेवक सपूत जिसके,
भारत सिवाय दूजा, वह देश कौन-सा है?
प्रश्न :
1. कविता का उचित शीर्षक है –
(क) प्यारा भारत देश
(ख) स्वराज्य
(ग) सुर्गंधित प्रसून
(घ) संसार का शिरोमणि
उत्तर :
(क) प्यारा भारत देश
2. भारत का मुकुट किसे कहा गया है?
(क) स्वर्ग को
(ख) हिमालय को
(ग) नम को
(घ) रलेश को
उत्तर :
(ख) हिमालय को
3. ‘सलोना’ विशेषण किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) फून के लिए
(ख) आँगन के लिए
(ग) भारत के लिए
(घ) हिमालय के लिए
उत्तर :
(ग) भारत के लिए
4. ‘सुगंध वाले सुंवर प्रसून त्यारे’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(क) यमक
(ख) अनुप्रास
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर :
(ख) अनुप्रास
5. भारत देश को दुनिया ने कौन-सी पदवी प्रदान की है?
(क) संसार का वीर
(ख) संसार का शिरोमणि
(ग) फूलों का मालिक
(घ) स्वर्ग
उत्तर :
(ख) संसार का शिरोमणि
6. पिता के आदेश से किसने स्वराज्य छोड़ दिया था?
(क) महाराज शिवि
(ख) हरिश्चंद्र
(ग) राजा दशरथ
(घ) राजा श्रीराम
उत्तर :
(घ) राजा श्रीराम
7. भारत ने दुनिया वालों के लिए कौन-सा प्रथम काम किया था?
(क) जगाया था
(ख) आदेश का पालन करवाया था।
(ग) विश्व-प्रेम का पाठ पढ़ाया था।
(घ) विकास का मार्ग सुझाया थ।।
उत्तर :
(ग) विश्व-प्रेम का पाठ पढ़ाया था।
8. भारत की प्राकृतिक रचना पर गर्व करने का क्या कारण है ?
(क) यहाँ की समद्धि अपार है।
(ख) रत्नेश चरण परवारता है।
(ग) नदियों का अमृत जैसा जग है।
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प
7. जग में सचर-अचर जितने हैं, सारे कर्म निरत हैं।
धुन है एक-न-एक सभी को, सबके निश्चित व्रत हैं।
जीवन-भर आतप सह वसुधा पर छाया करता है।
तुच्छ पत्र की भी स्वकर्म में कैसी तत्परता है ॥
रवि जग में शोभा सरसाता, सोम सुध बरसाता।
सब हैं लगे कर्म में, कोई निष्क्रिय दृष्टि न आता।
है उद्देश्य नितांत तुच्छ तृण के भी लघु जीवन का।
उसी पूर्ति में वह करता है अंत कर्ममय तन का।
तुम मनुष्य हो, अमित बुद्धि-बल-बिलसित जन्म तुम्हारा।
क्या उद्देश्य-रहित हो जग में, तुमने कभी विचारा ?
बुरा न मानो, एक बार सोचो तुम अपने मन में।
क्या कर्तव्य समाप्त कर लिया तुमने निज जीवन में ?
जिस पर गिरकर उदर-दरी से तुमने जन्म लिया है।
जिसका खाकर अन्न, सुधा-सम नीर, समीर पिया है।
वह स्नेह की मूर्ति दयामयि माता तुल्य मही है।
उसके प्रति कर्तव्य तुम्हारा क्या कुछ शेष नहीं है?
केवल अपने लिए सोचते, मौज़् भरे गाते हो।
पीते, खाते, सोते, जगते, हैंसते, सुख पाते हो।
जग से दूर स्वार्थ-साधन ही सतत तुम्हारा यश है।
सोचो, तुम्हीं, कौन अग-जग में तुम-सा स्वार्थ विवश है ?
यह संसार मनुष्य के लिए एक परीक्षा-स्थल है।
दुःख है, प्रश्न कठोर देखकर होती बुद्धि विकल है।
किंतु स्वात्म बल-विज्ञ सत्पुरुष ठीक पहुँच अटकल से।
हल करते हैं प्रश्न सहज में अविरल मेधा-बल से॥
पैदा कर जिस देश-जाति ने तुमको पाला-पोसा।
किए हुए है वह निज-हित का तुमसे बड़ा भरोसा।
उससे होना उऋण प्रथम है सत्कर्तव्य तुम्हारा।
फिर दे सकते हो वसुधा को शेष स्वजीवन सारा।।
1. कविता का उचित शीर्षक चुनिए –
(क) परीक्षा स्थल
(ख) सीधापन
(ग) बसुधा
(घ) सत्कर्तव्य
उत्तर :
(घ) सत्कर्तव्य
2. काव्यांश में किसकी स्वकर्म में तत्परता बताई गई है?
(क) मानव की
(ख) पशु की
(ग) कीट की
(घ) तुच्छ पत्र की
उत्तर :
(घ) तुच्छ पत्र की
3. संसार में सोम-सुधा की बरसात कौन करता है?
(क) मानव
(ख) अदृश्य शक्ति
(ग) रवि
(घ) देश
उत्तर :
(ग) रवि
4. कबि ने संसार को क्या बताया है?
(क) जन्म-स्थल
(ख) कर्म-स्थल
(ग) प्रणय-स्थल
(घ) परीक्षा-स्थल
उत्तर :
(घ) परीक्षा-स्थल
5. मनुष्य संसार की परीक्षा में किस प्रकार उत्तीर्ण हो सकता है?
(क) आत्म-शक्ति पहचानकर
(ख) बुद्धि बल का प्रयोग कर
(ग) प्रश्नों के उत्तर खोजकर
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प
6. पृथ्वी को माता क्यों कहा गया है?
(क) क्योंकि माँ के समान पालन-पोषण करती है।
(ख) क्योंकि अन्न, जल व वायु प्रदान करती है।
(ग) क्योंकि असमान सच से पालन करती है।
(घ) विकल्प (क) व (ख) सही है।
उत्तर :
(ग) क्योंकि असमान सच से पालन करती है।
7. मनुष्य अपने वेश के ॠण से उऋ्रण कैसे हो सकता है?
(क) देश की सेवा करके और कृतज्ञार रहकर
(ख) देश में व्यापार करके
(ग) देश में जन्म लेकर
(घ) देश में सम्मान पाकर
उत्तर :
(क) देश की सेवा करके और कृतज्ञार रहकर
8. काव्यांश का उचित उद्वेश्य है-
(क). जीवन की अटकलों का सामना करना
(ख) देश का ऋण चुकाकर कृतज्ञता का भाव रखना
(ग) अपने लिए, जीवन जीने का भाव रखना
(घ) देश के लिए कृतः्न होना
उत्तर :
(ग) अपने लिए, जीवन जीने का भाव रखना
8. चिड़िया को लाख समझाओ,
कि पिंजड़े के बाहर,
धरती बहुत बड़ी है, निर्मम है,
वहाँ हवा में उन्हें, अपने जिस्म
की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,
पर पानी के लिए भटकना है,
यहाँ कटोरी में भरा जल गटकना है।
बाहर दाने का टोटा है,
यहाँ चुग्गा मोटा है।
बाहर बहेलिए का डर है,
यहाँ निर्द्वंद्व कंठ-स्वर है।
फिर भी चिड़िया
मुक्ति का गाना गाएगी,
मारे जाने की आशंका से भरे होने पर भी,
पिंजड़े से जितना अंग निकल सकेगा, निकालेगी,
हरसूँ ज्जोर लगाएगी
और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।
1. प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक सुनिए-
(क) चिड़िया की समझ
(ख) मुक्ति की आकांक्षा
(ग) निर्मम संसार
(घ) चिड़िया और बहेलिया
उत्तर :
(ख) मुक्ति की आकांक्षा
2. चिथड़े की बाहर की दुनिया के विषय में कथन और कारण की सत्यता परखिए-
कथन : चिथड़े की बाहर की दुनिया को निर्मम कहा गया है।
कारण : चिड़िया को दाने-पानी के लिए भटकना पड़ता है।
(क) कथन और कारण दोनों असत्य हैं।
(ख) कथन और कारण दोनों सत्य हैं।
(ग) कथन सत्य पर कारण असत्य है।
(घ) कथन असत्य है पर कारण सत्य है।
उत्तर :
(ख) कथन और कारण दोनों सत्य हैं।
3. पिंजड़े में बंद चिड़िया को कौन-सी सुविधा प्राप्त नहीं है?
(क) कटोरी में जल पीने की
(ख) समय पर दाना चुगने की
(ग) निश्चिंत भाव से चहचहाने की
(घ) कहीं पर उड़कर आनंद लेने की
उत्तर :
(घ) कहीं पर उड़कर आनंद लेने की
4. काव्यांश में रचनाकार का उद्वेश्य क्या है?
(क) गुलामी में प्राप्त सुख-सुविधाओं का परित्याग
(ख) आज़ादी के लिए दुखों का परित्याग
(ग) चिड़िया की भाँति बंधन में संतुष्ट रहना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) गुलामी में प्राप्त सुख-सुविधाओं का परित्याग
5. बाहरी दुनिया में असुविधाएँ होने पर चिड़िया पिंजड़े के सुख क्यों त्यागना चाहती है?
(क) उसे पिंजरा पसंद नहीं है।
(ख) उसे पिंजड़े का रखवाला पसंद नहीं है।
(ग) उसे गुलामी में साँस लेना पसंद नहीं है।
(घ) ये सभी विकल्प।
उत्तर :
(ख) उसे पिंजड़े का रखवाला पसंद नहीं है।
6. धरती के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया गया है?
(क) प्रबल
(ख) पावन
(ग) वात्सल्य
(घ) निर्मम
उत्तर :
(घ) निर्मम
7. चिड़िया के लिए काम आने वाले किन जल-स्रोतों की चर्चा की गई है?
(क) सागर
(ख) नदी
(ग) झरना
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प
8. जो चिड़ियों का शिकार करता है-
(क) बहेलिया
(ख) छलिया
(ग) लकड़हारा
(घ) वन रक्षक
उत्तर :
(क) बहेलिया
बोड़ परीका में पूछे गए अपठित काव्यांश –
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
1. फूल से बोली कली ‘क्यों व्यस्त मुरझाने में है,
फ़ायदा क्या गंध औ’ मकरंद बिखराने में है ?
तूने अपनी उम्र क्यों वातावरण में घोल दी,
मनमोहक मकरंद की पंखुड़ियाँ क्यों खोल दीं।
तू स्वयं को बाँटता है जिस घड़ी से है खिला,
किंतु इस उपकार के बदले में तुझको क्या मिला ?
मुझे देखो मेरी सब खुशबू मुझी में बंद है,
मेरी सुंदरता है अक्षय, अनछुआ मकरंद है।
फूल उस नादान की वाचालता पर चुप रहा,
फिर स्वयं को देखकर भोली कली से ये कहा –
ज़िद्गी सिद्धांत की सीमाओं में बँटती है नहीं,
ये वो पूँजी है जो व्यय से बढ़ती है, घटती नहीं।
चार दिन की ज्ञिंद्गी खुद को जिए तो क्या जिए ?
बात तो तब है कि जब मर जाएँ औरों के लिए,
प्यार के व्यापार का क्रम अन्यथा होता नहीं,
वह कभी पाता नहीं है जो कभी खोता नहीं।
1. कविता में कौन किससे बात कर रहा है?
(क) डाल तना से
(ख) फूल कली से
(ग) कली पंखुड़ी से
(घ) मकरंद पत्ती से
उत्तर :
(ख) फूल कली से
2. फूल का कौन-सा व्यर्थ बताया गया है?
(क) हँसना
(ख) खिलना
(ग) हिलना
(घ) मकरंद बिखेरना
उत्तर :
(घ) मकरंद बिखेरना
3. ‘तू’ स्वयं को बाँटता है? में ‘ ‘तू’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) फूल
(ख) पेड़
(ग) पंखुड़ी
(घ) तना
उत्तर :
(क) फूल
4. फूल ने कली को क्या कहा है?
(क) अनछुआ
(ख) गँवार
(ग) बुद्धू
(घ) भोली-नादान
उत्तर :
(घ) भोली-नादान
5. कविता की पंक्ति पूरी कीजिए- …………… की ज्ञिंदगी खुद को जिए तो क्या जिए।
(क) दो दिन
(ख) तीन दिन
(ग) चार दिन
(घ) पाँच दिन
उत्तर :
(ग) चार दिन
6. काव्यांश के रचनाकार का क्या उद्देश्य है?
(क) क्षण-भंगुर जीवन को दूसरों के लिए जीना
(ख) स्वार्थी व्यक्ति को जीवन की सार्थकता बताना
(ग) फूल की सुगंध की सराहना करना
(घ) दीर्घ जीवन स्वयं के लिए जीना
उत्तर :
(क) क्षण-भंगुर जीवन को दूसरों के लिए जीना
7. ‘नावान’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) परिंदा
(ख) वृक्ष
(ग) कल्नी
(घ) बौर
उत्तर :
(ग) कल्नी
8. काव्यांश का उचित शीर्षक है-
(क) क्षण-भंगुर जीवन
(ख) नादान की वाचालता
(ग) प्यार का व्यापार
(घ) सिद्धांत की सीमाएँ
उत्तर :
(क) क्षण-भंगुर जीवन
2. जो नहीं हो सके पूर्ण काम, मैं उनको करता हूँ प्रणाम !
कुछ कुछित ओ, कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट जिनके अभिमंत्रित तीर हुए
रण की समाप्ति के पहले ही जो वीर रिक्त-तूणीर हुए,
……… उनको प्रणाम !
जो छोटी-सी नैया लेकर उतरे करने को उदधि पार,
मन की मन ही में रही, स्वयं हो गए उसी में निराकार,
…….. उनको प्रणाम !
कृतकृत्य नहीं जो हो पाए प्रत्युत फाँसी पर गए झूल
……….उनको प्रणाम।
कुछ ही दिन बीते है, फिर भी वह दुनिया जिनको गई भूल।
1. कवि किन्हे प्रणाम कर रहा है? …. उनको प्रणाम !
(क) ऐतिहासिक बादशाहों को
(ख) अनाम शहीदों को
(ग) अभिर्मत्रित तीरों को
(घ) आधुनिक युवाओं को
उत्तर :
(ख) अनाम शहीदों को
2. कवि वीर योव्धाओं को क्यों प्रणाम कर रहा है?
(क) क्योंकि युद्ध समाप्त होने से पहले योद्धाओं के तीर समाप्त हो गए थे।
(ख) क्योंकि युद्ध शुरु होने से पहले योद्धाओं के तीर प्राप्त हो गए थे।
(ग) क्योंकि योद्धा महारथी थे।
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं।
उत्तर :
(ख) क्योंकि युद्ध शुरु होने से पहले योद्धाओं के तीर प्राप्त हो गए थे।
3. आशय स्पष्ट कीजिए –
‘मन की मन ही में रही, स्वयं हो गए उसी में निराकार’ –
(क) बिना लक्ष्य-प्राप्ति के फॉसी पर झूल गए।
(ख) बात को मन में दबाकर क्राति में शामिल हो गए।
(ग) बात को भूलाकर युद्ध-स्थल में पहुँच गए।
(घ) बिना लक्य प्राप्ति के देश के काम आए।
उत्तर :
(क) बिना लक्ष्य-प्राप्ति के फॉसी पर झूल गए।
4. कृत्तकृत्य का तात्पर्य है –
(क) जो काम करने आए थे, उसे कर गए।
(ख) जो काम करने आए थे, उसे नहीं कर पाए।
(ग) जो काम शेष थे, उन्हें करके शांत बैठ गए।
(घ) ये सभी विकल्प।
उत्तर :
(ख) जो काम करने आए थे, उसे नहीं कर पाए।
5. कवि के अनुसार दुनिया वाले क्या भूल गए?
(क) शहीदों के बलिदान को
(ख) अचूक तीरों को
(ग) उद्धि की विशालता को
(घ) फॉसी की विभीषिका को
उत्तर :
(क) शहीदों के बलिदान को
6. ‘रिक्त तुणीर हुए’ का क्या भाव है?
(क) रक्त रंजित हो गए।
(ख) रक्तहीन हो गए।
(ग) तीरों से रहित हो गए।
(घ) ये सभी विकल्प।
उत्तर :
(ग) तीरों से रहित हो गए।
7. ‘उदधि’ का समानार्थक शक्द है –
(क) व्योम
(ख) सागर
(ग) विशाल
(घ) बादल
उत्तर :
(ख) सागर
8. काव्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) कुंठित मन
(ख) रिक्त तुणीर
(ग) शहीदों का बलिदान
(घ) छोटी नैया
उत्तर :
(ग) शहीदों का बलिदान
3. मैने हँसना सीखा है
मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना।
में अब तक जान न पाई
कैसी होती है पीड़ा?
हैंस-हैस जीवन में कैसे
करती है चिंता क्रीड़ा?
जग है असार सुनती हूँ
मुझको सुख-सार दिखाता।
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता।
कहते हैं होती जाती
खाली जीवन की प्याली।
पर मैं उसमें पाती है
प्रतिपल मदिरा मतवाली।
उत्साह, उमंग निरंतर
रहते मेरे जीवन में।
उल्लास विजय का हैसता
मेरे मतवाले मन में।
आशा आलोकित करती
मेरे जीवन के प्रतिक्षण।
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित
मेरी असफलता के घन।
सुख भरे सुनहले बादल
रहते हैं मुझको बादल घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस हैं
जीवन के साथी मेरे।।
1. ‘बरसा करता पल-पल पर मेरे जीवन में सोना।’ कवयित्री का ‘सोना’ से अभिप्राय है-
(क) स्वर्ण
(ख) कंचन
(ग) आनंद
(घ) आराम
उत्तर :
(ग) आनंद
2. असफलता के बादलों को कवयित्री ने किससे घेरकर रखा है?
(क) असफलता के बादलों को सोने की छड़ी से घेरकर रखा है।
(ख) कवयित्री सफलता में भी असफलता की आशा से भरी रहती है।
(ग) कवयित्री ने असफलता के बादलों को सोने के सूत्र से घेरकर रखा है।
(घ) बादल के बरसने पर निकलने वाली बूँदों से क्योंकि इनसे नव-सुजन होता है।
उत्तर :
(ग) कवयित्री ने असफलता के बादलों को सोने के सूत्र से घेरकर रखा है।
3. कवयित्री द्वारा विश्वास, प्रेम और साहस को अपना जीवनसाथी बनाकर रखना यह निष्कर्ष निकालता है कि-
(क) अनुकूल परिस्थितियाँ, सदैव वश में नहीं रह सकतीं।
(ख) विपरीत परिस्थितियों में भी आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।
(ग) जीवन में हितकारी साथी सदैव साथ होने चाहिए।
(घ) प्रेम, विश्वास व साहस की डोर सदैव लंबी होती है।
उत्तर :
(ख) विपरीत परिस्थितियों में भी आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।
4. ‘मुझको सुख-सार दिखाता’ कबयित्री को यह अनुभूति कब होती है? और क्यों? समझाइए –
(क) जब लोग संसार को साहित्यविहीन बताते हैं क्योंकि अब लोगों की साहित्य के प्रति रुचि पूर्ववत नहीं रही।
(ख) लोगों द्वारा प्रयोजनहीनता दर्शाए जाने पर क्योंकि संसार सुख से भरा हुआ है।
(ग) जब कवयित्री विशाल सागर को फैले हुए देखती है और प्रसन्न होती है।
(घ) कवयित्री के अनुसार जीवन में केवल खुशियाँ ही हैं क्योंकि उन्होंने कमी पीड़ा को नहीं देखा।
उत्तर :
(ख) लोगों द्वारा प्रयोजनहीनता दर्शाए जाने पर क्योंकि संसार सुख से भरा हुआ है।
5. कबयित्री असफलताओं को किस रूप में स्वीकार करती हैं?
(क) प्रसन्नता के साथ ग्रहण करती हैं।
(ख) वेदनामयी अवस्था में ग्रहण करती हैं।
(ग) तिरस्कृत कर देती हैं।
(घ) हताश होकर स्वीकार करती हैं।
उत्तर :
(क) प्रसन्नता के साथ ग्रहण करती हैं।
6. आयुनिक जीवन में भी मनुष्य के सामने अनेक समस्याएँ आती है। इस कविता के माध्यम से समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है? कविता में निहित संवेश द्वारा स्पष्ट कीजिए।
(क) मनुष्य हताश होकर सहायतार्थ समस्याओं का हल करने का प्रयास अथक भाव से करे।
(ख) मनुष्य हताश न हो और समस्याओं का हल करने का प्रयास अथक भाव से करे।
(ग) निरंतर प्रयासरत रहकर परस्परावलंब से जीवन पथ पर गतिमान रहे।
(घ) सुख और दुख जीवन में आते जाते रहते हैं।
उत्तर :
(ख) मनुष्य हताश न हो और समस्याओं का हल करने का प्रयास अथक भाव से करे।
7. उत्साह, उमंग निरंतर
रहते मेरे जीवन में।
पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है –
(क) रूपक
(ख) अनुप्रास
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर :
(ख) अनुप्रास
8. कविता के लिए उपयुक्त शीर्षक है –
(क) सुख और दुख
(ख) मेरा जीवन
(ग) मेरा सुख
(घ) परपीड़ा
उत्तर :
(ख) मेरा जीवन
4. एक फ़ाइल ने दूसरी फ़ाइल से कहा बहन लगता है
साहब हमें छोड़कर जा रहे हैं
इसीलिए तो सारा काम जल्दी-जल्दी निपटा रहे हैं।
मैं बार-बार सामने जाती हूँ
रोती हूँ, गिड़गिड़ाती हूँ
करती हूँ विनती हर बार
साहब जी! इधर भी देख लो एक बार।
पर साहब हैं कि
कभी मुझे नीचे पटक देते हैं। कभी पीछे सरका देते हैं
और कभी-कभी तो
फ़ाइलों के ढेर तले
दबा देते हैं
अधिकारी बार-बार अंदर झाँक जाता है
डरते-डरते पूछ जाता है
साहब कहाँ गए हैं?
हस्ताक्षर हो गए…?
दूसरी फ़ाइल ने उसे
प्यार से समझाया
जीवन का नया फ़लसफ़ा सिखाया
बहन! हम यूँ ही रोते हैं
बेकार गिड़गिड़ाते हैं, लोग आते हैं, जाते हैं
हस्ताक्षर कहाँ रुकते हैं
हो ही जाते हैं।
पर कुछ बातें ऐसी होती हैं जो दिखाई नहीं देतीं
और कुछ आवाज़ें सुनाई नहीं देतीं
जैसे फूल खिलते हैं
और अपनी महक छोड़ जाते हैं। वैसे ही कुछ लोग कागज़ पर
नहीं
दिलों पर हस्ताक्षर छोड़ जाते हैं।
1. साहब जल्यी-जल्ची काम क्यों निपटा रहे हैं क्योंकि –
(क) कदाचित उनका स्थानांतरण हो गया है।
(ख) आज का काम कल पर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
(ग) कार्यालय की प्रगति की चिंता करते हैं।
(घ) बड़े साहब कल निरीक्षण करने वाले हैं।
उत्तर :
(क) कदाचित उनका स्थानांतरण हो गया है।
2. फ़ाइल क्यों रोती और गिझगिडाती है?
(क) साहब की स्वार्थपरता के कारण
(ख) अपना कार्य पूर्ण न होने की पीड़ा के कारण
(ग) अकेलेपन की असहनीय पीड़ा के कारण
(घ) फ़ाइल का स्वभाव रोना ओर गिड़गिड़ाना ही है
उत्तर :
(ख) अपना कार्य पूर्ण न होने की पीड़ा के कारण
3. जीवन के फ्रलसफ़े के अनुसार किसी भी परिस्थिति में –
(क) हार नहीं माननी चाहिए।
(ख) विलाप नही करना चाहिए।
(ग) हार से सबक सीखना चाहिए।
(घ) जीत-हार सभी कुछ अंतिम हैं।
उत्तर :
(ख) विलाप नही करना चाहिए।
4. कविता के अनुसार जो कार्य दिखाई-सुनाइ नहीं बेते है –
(क) वे अस्पष्टता के कारण बेमानी होते हैं।
(ख) वह यह शिष्षा देते हैं कि हमें एकाग्रचित्त होकर सुनना-देखना चाहिए।
(ग) वे लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं।
(घ) वे केवल सिद्ध लोगों को ही प्रभावित करते हैं।
उत्तर :
(ग) वे लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं।
5. ढूसरी फ़ाइल ने पछली फ़ाइल को क्या समझाया?
(क) कार्य कैसा भी हो समयानुसार हो ही जाता है।
(ख) यदि कार्य उचित हो तभी उसकी पूर्णता संभव है।
(ग) कार्यकर्ता का फल है इसलिए पश्चाताप व्यर्थ है।
(घ) सकारात्मक रहकर ही कार्य को पूर्णता तक पहुँचाना संभव है।
उत्तर :
(क) कार्य कैसा भी हो समयानुसार हो ही जाता है।
6. कविता का संदेश क्या है?
(क) लोग जल्दी कार्य करने वाले अधिकारी से प्रभावित होते हैं।
(ख) परोपकारी कायाँ से लोग प्रभावित होते हैं।
(ग) कार्यालयों में फ़ाइलों के रूप में कार्य लंबित रहता है।
(घ) कार्यालयों में अधिकारी साहब को ढूँढ़ते रहते हैं।
उत्तर :
(क) लोग जल्दी कार्य करने वाले अधिकारी से प्रभावित होते हैं।
7. किनमें व्यंग्य का भाव छिपा हुआ है?
(क) साहब हमें छोड़कर जा रहे हैं।
(ख) और अपनी महक छोड़ जाते हैं।
(ग) हस्ताक्षर कहाँ रुकते हैं, हो ही जाते हैं।
(घ) दिलों पर हस्ताक्षर छोड़ जाते हैं।
उत्तर :
(ग) हस्ताक्षर कहाँ रुकते हैं, हो ही जाते हैं।
8. उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा?
(क) हुदय स्पर्श
(ख) जीवन सार
(ग) जीवन-दर्शान
(घ) भाग्य व कर्म
उत्तर :
(ख) जीवन सार
5. उसकी सारी शरिसयत
नखों और दाँतों की वसीयत है
दूसरों के लिए
वह एक शानदार छलाँग है
अँधेरी रातों का
जागरण है नींद के खिलाफ़
नीली गुर्राहट है
अपनी आसानी के लिए तुम उसे कुत्ता कह सकते हो
उस लपलपाती हुई जीभ और हिलती हुई दुम के बीच
भूख का पालतूपन
हरकत कर रहा है
उसे तुम्हारी शराफ़त से कोई वास्ता
नही है उसकी नजर
न कल पर भी
न आज पर है
सारी बहसों से अलग
वह हड्डी के एक टुकड़े और
कौर भर
(सीझे हुए) अनाज पर है
साल में सिर्फ़ एक बार
अपने खून से ज़हर मोहरा तलाशती हुई
मादा को बाहर निकालने के लिए
वह तुम्हारी जंज़ीरों से
शिकायत करता है
अन्यथा, पूरा का पूरा वर्ष उसके लिए घास है
उसकी सही जगह तुम्हारे पैरों के पास है
मगर तुम्हारे जूतों में
उसकी कोई दिलचस्पी नहीं
उसकी नज्ञर
जूतों की बनावट नहीं देखती
और न उसका दाम देखती है
वहाँ वह सिर्फ़ बित्ता-भर
मरा हुआ चाम देखती है
और तुम्हारे पैरों से बाहर आने तक
उसका इंतज्ञार करती है
(पूरी आत्मीयता से)
उसके दाँतों और जीभ के बीच
लालच की तमीज्ञ जो है तुम्हें
जायकेदार हड्डी के टुकड़े की तरह
प्यार करती है
और वहाँ, हद दर्ज की लचक है
लोच है
नरमी है
मगर मत भूलो कि इन सबसे बड़ी चीज़
वह बेशर्मी है
जो अंत में
तुम्हें भी उसी रास्ते पर लाती है
जहाँ भूख-
उस वहसी को
पालतू बनाती है।
1. किसी वहसी को पालतू कैसे बनाया जा सकता है?
(क) भूखा रखकर
(ख) प्यार करके
(ग) भूख और लालच शांत कर
(घ) अपना बनाकर
उत्तर :
(क) भूखा रखकर
2. ‘उसकी सही जगह तुम्हारे पैरों के पास है’- में पपैरों के पास’ का अर्थ है-
(क) अधीन रहना
(ख) नीचे पड़ा रहना
(ग) स्वाभिमान नहीं होना
(घ) दूसरे की कृपा पर आश्रित
उत्तर :
(क) अधीन रहना
3. ‘नख’ और ‘दाँत’ यहाँ किसके प्रतीक हैं?
(क) भयानकता
(ख) कुरूपता
(ग) हिसा
(घ) असभ्यता
उत्तर :
(क) भयानकता
4. वहसी को पालतू बनाने से क्या अभिप्राय है?
(क) लालच को दूर करना
(ख) जंगली को शहरी बनाना
(ग) हिंसक को अहिंसक बनाना
(घ) जंगली को पालतू बनाना
उत्तर :
(घ) जंगली को पालतू बनाना
5. आज के मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या क्या है जिसके कारण वह अपने स्वाभिमान से समझौता करने पर विवश रहता है?
(क) लपलपाती जीभ
(ख) जागरण
(ग) भोजन की समस्या
(घ) आगे बढ़ने की इच्छा
उत्तर :
(घ) आगे बढ़ने की इच्छा
6. उसकी विलचस्पी जूतों में क्यों नहीं है?
(क) जूता उसके पास है।
(ख) जूता उसके पसंद का नहीं है।
(ग) जूते वाले से स्नेह होने से।
(घ) जूतों से उसकी समस्या का हल नहीं।
उत्तर :
(घ) जूतों से उसकी समस्या का हल नहीं।
7. कविता में प्रयुक्त ‘जीभ’ से किस प्रकार की ध्वनि आती है?
(क) स्वाद
(ख) लालच
(ग) चापलूसी
(घ) जायके की खोज
उत्तर :
(घ) जायके की खोज
8. ‘पूरा का पूरा वर्ष उसके लिए घास है’-पंक्ति का भाव है-
(क) नुकसान की बात
(ख) मुनाफ़े की बात
(ग) हरियाली की बात
(घ) मज्जे की बात
उत्तर :
(क) नुकसान की बात
6. सूरज का कोई भी घोड़ा
लोक के पक्ष में नहीं है
सातवाँ घोड़ा भी नहीं
घोड़साल के घोड़े
जुते हैं रथ में
निकाल दी गई है
जिनकी रीढ़ की हड्डियाँ
भूल चुके हैं –
हिनहिनाना
रथ में जुते घोड़े
अपंग सारथी
हाँक रहे है-घोड़ों को
मद में
बिना देखे
कि कौन जा रहें है-
कुचले
रथ के पहिए तले
अँगूठे के कद् के
सहस्त्रों बौने दरबारी
लगे हैं-
सूरज के यशोगान में
देव संत गंधर्व अप्सरा
यक्ष नाग और राक्षस भी
रत हैं-
चाटुकार्य में
– गंधर्व गा रहे हैं
– अप्सराएँ नृत्य कर रही हैं
– निशाचर बनकर अनुचर
– चलते हैं/रथ के पीछे-पीछे
– नाग सजाते हैं रथ को
– यक्ष करते हैं रक्षा और
– संतों के साथ जुड़े हैं स्तुति में
हिम-ताप-वर्षा
ॠतुओं के कालचक्र पर
नियंत्रण है –
सारथी का
सृष्टि के सारे संसाधनों पर कक्ज्ञा है –
सूर्य रथ में लगे लोगों का
वे ही हैं-
बीर-भोग्या वसुंधरा
सप्ताह के सातों दिन
सातों घोड़ों के नाम हैं
जो बनकर इंद्रधनुष
लुभाते हैं-
धरती के लोगों को
स्वर्ग का राजमार्ग है –
यह इंद्रधनुष
लेकिन यह राजपथ
नहीं है सुलभ
जन साधारण के लिए
वंचित जन
सदियों से भोग रहे हैं
रैरव नरक
पर नहीं करते हैं प्रतिरोध
क्योंकि धर्मशास्त्रों में बताया गया है –
“ये सब तुम्हारे पूर्वजन्मों का फल है।”
1. ‘सूरज का कोई भी घोड़ा
लोक के पक्ष में नहीं है’
– पंक्ति में सूरज किसे कहा गया है?
(क) सूर्य को
(ख) सत्ता पक्ष को
(ग) गरमी को
(घ) प्रकाश को
उत्तर :
(क) सूर्य को
2. ‘घोड़साल के घोड़े
जुते हैं रथ में’
– पंक्ति में घोड़साल से आप क्या समझते हैं?
(क) देश
(ख) आम आदमी
(ग) घोड़े बाँधने की जगह
(घ) एक जगह का नाम
उत्तर :
(ग) घोड़े बाँधने की जगह
3. ‘अपंग सारथी
हाँक रहे हैं-घोड़ों को’
-पंक्ति का आशय है-
(क) रथ चलाने वाला दिव्यांग है।
(ख) घोड़े हाँकने वाला अनाड़ी है।
(ग) अयोग्य के हाथ में बागडोर है।
(घ) देश की जनता नासमझ है।
उत्तर :
(ग) अयोग्य के हाथ में बागडोर है।
4. ‘निशाचर बनकर अनुघर’ पंक्ति में अनुचर का क्या अर्थ है?
(क) राक्षस जैसा
(ख) पीछे चलने वाला
(ग) आगे चलने वाला
(घ) रात में चलने वाला
उत्तर :
(ख) पीछे चलने वाला
5. संसार के सारे साथनों पर कैसे लोगों का नियंत्रण है?
(क) शक्तिशाली लोगों का
(ख) बुद्धिमान लोगों का
(ग) कौशल-संपन्न लोगों का
(घ) सत्ता में साझीदार लोगों का
उत्तर :
(घ) सत्ता में साझीदार लोगों का
6. ‘इंद्रधनुष’ से आप क्या समझते हैं ?
(क) आकर्षण
(ख) सात रंग
(ग) सप्ताह के सात दिन
(घ) वास्तविकता से परे
उत्तर :
(ग) सप्ताह के सात दिन
7. ‘राजपथ’ को आप किस संदर्भ में समझते हैं ?
(क) राजाओं का रास्ता
(ख) सुंदर रास्ते
(ग) आकर्षक वस्तु
(घ) सहज सरल जीवन
उत्तर :
(क) राजाओं का रास्ता
8. शोषण का प्रतिरोध क्यों नहीं किया जाता?
(क) शोषण को अपना भाग्य मानने के कारण
(ख) शक्तिहीन होने के कारण
(ग) धर्म में विश्वास होने के कारण
(घ) पूर्व जन्म में विश्वास होने के कारण
उत्तर :
(घ) पूर्व जन्म में विश्वास होने के कारण