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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Core Term 2 Set 5 with Solutions

निर्धारित समय : 2 घंटे
अधिकतम अंक : 40

निर्देश :

  • निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
  • इस प्रश्न पत्र में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
  • इस प्रश्न पत्र में कुल 07 प्रश्न पूछे गए हैं। आपको 07 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  • प्रश्नों में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।

कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन [20 अंक]

प्रश्न 1.
निम्नलिखित दिए गए तीन शीर्षकों में से किसी एक शीर्षक का चयन कर लगभग 200 शब्दों का एक रचनात्मक लेख लिखिए। (5 × 1 = 5)

  • स्वप्न में की गई दूसरे ग्रह की यात्रा का वर्णन
  • किसी विद्यालय के अध्यापक होने का अनुभव
  • इंटरनेट वर्तमान युग की माँग ही नहीं, आवश्यकता भी बन गया है

उत्तरः

स्वप्न में की गई दूसरे ग्रह की यात्रा का वर्णन

एक दिन कक्षा में अध्यापक ने दूसरे ग्रह के विषय में चर्चा की। उन्होंने इस विषय में सभी छात्रों के विचार जाने और अपने विचार भी प्रस्तुत किए। यह सब मुझे बहुत ही अच्छा लगा। विद्यालय से लौटते समय भी यही बातें मेरे मन में चल रही थीं। विद्यालय से लौटने के बाद मुझे नींद आ गई और मेरा मन पंख लगाकर स्वप्न लोक में घूमने लगा। स्वप्न में मैंने देखा कि मैं और मेरा मित्र मंगल ग्रह की यात्रा पर गए हैं। हम विमान में बैठकर अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहे हैं। विमान से बाहर हमें अंधकार दिखाई दिया। कुछ समय बाद हमें भूख लगी, तो हमने कंप्यूटर में लगा बटन दबाया, जिससे हमें कैप्सूल मिला। हमने दो कैप्सूल पानी के साथ खा लिए और हमारी भूख शांत हो गई। अब हमारा विमान मंगल ग्रह के धरातल पर उतरा। हमने अंतरिक्ष के सूट और हेलमेट पहने हुए थे। शीघ्र ही हम मंगल ग्रह के वातावरण के अनुकूल ढल गए। हमने आस-पास के क्षेत्र का भ्रमण किया।

अचानक ही हमें एक विशाल आकृति दिखाई दी। उसका चेहरा सपाट और बहुत ही खराब-सा था। वह बहुत ही लंबे कद का था। पहले तो हम भयभीत हो गए, किंतु बाद में हमें उससे प्राप्त होने वाले संकेतों से वह सही प्रवृत्ति का इंसान लगा। उसने हमें अपना घर दिखाया। उसका घर बहुत छोटा और उजाड़ था। उसके घर में अन्य सदस्य भी थे, जो उससे भी लंबे व पतले थे।

हमने मंगल पर अनेक छोटी-छोटी पहाड़ियाँ देखीं जिन पर पहले कभी न देखी हुई सुंदर झाड़ियाँ व लताएँ उगी हुईं थीं। अब समय हो गया था कि हम वापस अपने विमान से पृथ्वी की ओर चलें। उसी समय मेरी नींद खुल गई और मैंने स्वयं को अपने घर में पाया। अगले दिन मैंने यह स्वप्न अपने मित्र को बताया। जिसे सुनकर वह भी रोमांचित हो गया। इस प्रकार मेरी यह काल्पनिक यात्रा मेरे जीवन की सभी यात्राओं में से सबसे अधिक सुखद रही। मैंने यह निश्चय किया है कि मंगल ग्रह की तरह पृथ्वी को भी साफ-स्वच्छ बनाने का प्रयास करूंगा।

किसी विद्यालय का अध्यापक होने का अनुभव

विद्यालय एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक संस्था है, जहाँ शिक्षा प्राप्त करके विद्यार्थी अफ़सर, लिपिक, प्रशासनिक अधिकारी, नेता, मंत्री, राज्यपाल या राष्ट्रपति आदि भी बन सकता है। विद्यार्थियों के जीवन निर्माण के लिए एक अच्छे अध्यापक की आवश्यकता होती है। उन्हें व्यवस्थित तथा उत्तम वातावरण देना प्रधानाचार्य का दायित्व होता है। विद्यार्थी अपने जीवन में कल्पना करता है आकाश में उड़ने की, जल पर चलने की, देश की रक्षा या समाज के विकास की। उसी क्रम में मेरी भी कल्पना थी, विद्यालय का प्रधानाचार्य बनने की। जब मैं प्रधानाचार्य बनूँगा, तब सबसे पहले भवनों की सफ़ाई का निरीक्षण करके दिशा-निर्देश जारी करूँगा तथा स्वयं निरीक्षण करूँगा। पुस्तकालय को समृद्धशाली बनाऊँगा। मैं विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का हर संभव प्रयास करूंगा। अनेक विषयों में वाद-विवाद, संगीत, चित्रकला आदि की

प्रतियोगिताएँ कराऊँगा तथा प्रत्येक कक्षा को शैक्षिक भ्रमण पर ले जाऊँगा। मैं शारीरिक शिक्षा के अध्यापक से मिलकर एक परामर्श समिति बनाऊँगा तथा तद्नुरूप खेलकूद व व्यायाम आदि की व्यवस्था कराऊँगा। विद्यालय में खाली पड़ी ज़मीन पर पुष्प वाटिका लगवाऊँगा। खेल के मैदान पर दूब लगवाकर उसे सुंदर बनवाऊँगा। विद्यार्थियों में विनय, नियम पालन, संयम, समयनिष्ठा तथा कर्तव्यनिष्ठा आदि सद्गुणों के विकास के लिए सदैव प्रयत्नशील रहूँगा। मैं स्वयं अनुकरणीय आचरण करते हुए अध्यापकों एवं विद्यार्थियों के बीच प्रस्तुत रहूँगा। कर्मचारियों तथा अध्यापकों को अच्छे कार्य हेतु पारितोषिक प्रदान करते हुए विद्यार्थियों को भी पुरस्कार प्रदान करूँगा। इस प्रकार प्रधानाध्यापक बनकर मैं अपने सभी कर्तव्यों का भली-भाँति निर्वाह करूँगा।

इंटरनेट वर्तमान युग की माँग ही नहीं, आवश्यकता भी बन गया है

विज्ञान के कारण पहले कंप्यूटर का जन्म हुआ और फिर कंप्यूटर से इंटरनेट का। इंटरनेट न केवल मानव के लिए अति उपयोगी सिद्ध हुआ है, बल्कि संचार में गति एवं विविधता के माध्यम से इसने दुनिया को पूर्णरूप से बदलकर रख दिया है। इंटरनेट ने भौगोलिक सीमाओं को समेट दिया है। भारत में इंटरनेट सेवा की शुरुआत बीएसएनएल ने वर्ष 1995 में की थी। अब एयरटेल, जियो, वोडाफोन जैसी दूरसंचार कंपनियाँ भी इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराती हैं। आज विश्व के कल 6.8 अरब से अधिक लोगों में से लगभग 2 अरब लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं। पूरे विश्व में इंटरनेट से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। कंप्यूटर नेटवर्क का आविष्कार सूचनाओं को साझा करने के उद्देश्य से किया गया था। पहले इसके माध्यम से किसी भी प्रकार की सचना को साझा करना संभव नहीं था. किंत अब सूचना प्रौद्योगिकी के युग में दस्तावेजों एवं ध्वनि के साथ-साथ वीडियो का आदान-प्रदान करना भी संभव हो गया है।

विदेश जाने के लिए हवाई जहाज का टिकट बुक कराना हो, किसी पर्यटन स्थल पर स्थित होटल का कोई कमरा बुक कराना हो, किसी किताब का ऑर्डर देना हो, अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए विज्ञापन देना हो, अपने मित्रों से ऑनलाइन चैटिंग करनी हो, डॉक्टरों से स्वास्थ्य संबंधी सलाह लेनी हो या वकीलों से कानूनी सलाह लेनी हो, इंटरनेट पर ये सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा का प्रचलन भी बढ़ा है। इसके द्वारा शिक्षक घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से देश के किसी कोने में बैठे विद्यार्थियों को पढ़ा सकते हैं। इससे शिक्षक और विद्यार्थी उपयुक्त समय का चुनाव कर इंटरनेट के द्वारा एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। वर्तमान समय में इंटरनेट शिक्षा की माँग बढ़ती जा रही है। इंटरनेट के कई लाभ हैं, तो इसकी कई हानियाँ भी हैं। इसके माध्यम से अश्लील सामग्री तक की पहँच आसान हो गई है। कई लोग इंटरनेट का दुरुपयोग अश्लील साइटों को देखने और सूचनाओं को चुराने में करते हैं। अत: इंटरनेट का प्रयोग करते समय आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Core Term 2 Set 4 with Solutions

प्रश्न 2.
मोटर साइकिल चोरी होने की सूचना देने तथा उसे वापस दिलाने का आग्रह करते हुए संबंधित थाना प्रभारी को पत्र लिखिए। (5 × 1 = 5)
अथवा
अपने क्षेत्र में छोटे बच्चों का विद्यालय खोलने की माँग करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री को पत्र लिखिए।
उत्तरः
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 18 मार्च, 20XX
सेवा में,
थाना प्रभारी,
द्वारका,
नई दिल्ली।

विषय मोटर साइकिल चोरी होने की सूचना देने संबंधी।
महोदय,
निवेदन यह है कि कल शाम को मैं द्वारका ओवरब्रिज के पास की एक दुकान पर पुस्तकें खरीदने के लिए गया था। उस समय दुकान पर काफ़ी भीड थी। मैं अपनी मोटर साइकिल में ताला लगाकर दुकान में निश्चितता के साथ पुस्तकें खरीदने में व्यस्त हो गया। लगभग एक घंटे बाद पुस्तकें खरीदकर जब मैं वापस लौटा, तो मेरी मोटर साइकिल नियत स्थान पर नहीं थी। मैं चकित रह गया। मैंने इधर-उधर काफ़ी खोजबीन की, लेकिन कुछ पता ही नहीं चला। कल देर रात तक मुझे मोटर साइकिल ढूँढ़ने में ही काफ़ी समय लग गया। अतः यह रिपोर्ट मैं कल रात को दर्ज़ न करा सका।

मेरी मोटर साइकिल का नंबर DL3CP-78XX है तथा वह काले रंग की ‘रॉयल इन्फील्ड-क्लासिक’ मोटर साइकिल है। मेरे पास मोटर साइकिल के कागज़ात, बिल व इन्शयोरेंस भी मौजूद हैं। मुझे अपनी मोटर साइकिल खो जाने का अत्यंत दुःख है। अत: यदि आप खोज करवाकर मेरी मोटर साइकिल वापस दिलाने का प्रयास करेंगे, तो आपकी बहुत कृपा होगी।
सधन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.

अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 11 मार्च, 20XX
सेवा में,
माननीय शिक्षा मंत्री,
बिहार सरकार,
पटना।

विषय बाल विद्यालय खोलने का अनुरोध करने संबंधी।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान हमारे क्षेत्र पटेल नगर में बाल विद्यालय की कमी की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में कोई बाल विद्यालय नहीं है, इसलिए छोटे बच्चों को प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने जाने के लिए लगभग दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। छोटे-छोटे बालक-बालिकाओं का अकेले इतनी दूर जाना संभव नहीं है। अत: उन्हें ले जाने एवं वापस लाने के लिए प्रतिदिन प्रत्येक बच्चे के अभिभावक को विद्यालय जाना पड़ता है। इतनी दूर पैदल आने-जाने में सभी को, विशेषकर महिलाओं को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही बच्चे भी काफ़ी थक जाते हैं और अपनी पढ़ाई पर समुचित ध्यान नहीं दे पाते। कई बार ग्रीष्म ऋतु एवं वर्षा ऋतु में तो उन्हें विवश होकर छुट्टी भी करनी पड़ती है।

शिक्षा के प्रबंधन की दृष्टि से यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे छोटे बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अत: आपसे अनुरोध है कि शीघ्र ही इस क्षेत्र में एक प्राथमिक विद्यालय खोलने के लिए उचित कदम उठाएँ, ताकि अधिक-से-अधिक बच्चे इससे लाभान्वित हो सकें। आशा है, आप इस विषय में शीघ्र ही कार्यवाही करके हमें अनुगृहीत करेंगे।
सधन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Core Term 2 Set 4 with Solutions

प्रश्न 3.
(i) दृश्य के क्या-क्या कार्य हैं? (3 × 1 = 3)
अथवा
कहानी में द्वंद्व के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
कहानी या नाटक में प्रत्येक दृश्य एक बिंदु से प्रारंभ होता है जो कथानुसार अपनी आवश्यकताएँ पूरी करता है और उसका अंत ऐसा होता है जो उसे अगले दृश्य से जोड़ता है। दृश्य कई काम एक साथ करता है। एक ओर तो वह कथानक को आगे बढ़ाता है तथा दूसरी ओर पात्रों और परिवेश को संवाद के माध्यम से स्थापित करता है। इसके साथ-साथ दृश्य अगले दृश्य के लिए भूमिका भी तैयार करता है, इसलिए दृश्य का पूरा विवरण तैयार किया जाना चाहिए।

अथवा

कहानी में द्वंद्व के तत्त्व का होना आवश्यक है। द्वंद्व कथानक को आगे बढ़ाता है तथा कहानी में रोचकता बनाए रखता है। द्वंद्व दो विरोधी तत्त्वों का टकराव या किसी की खोज में आने वाली बाधाओं या अंतद्वंद्व के कारण पैदा होता है। कहानी की यह शर्त है कि वह नाटकीय ढंग से अपने उद्देश्य को पूर्ण करते हुए समाप्त हो जाए, यह द्वंद्व के कारण ही पूर्ण होता है। कहानीकार अपने कथानक में द्वंद्व के बिंदुओं को जितना स्पष्ट रखेगा कहानी भी उतनी ही सफलता से आगे बढ़ेगी। अतः स्पष्ट है कि कहानी में द्वंद्व का अत्यधिक महत्त्व है।

(ii) नाटक किसे कहते हैं? भारतीय परंपरा में नाटक को क्या संज्ञा दी गई है? (2 × 1 = 2)
अथवा
‘कहानी लेखन का इतिहास विषय पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तरः
नाटक साहित्य की वह सर्वोत्तम विधा है, जिसे पढ़ने सुनने के साथ-साथ देखा भी जा सकता है। नाटक शब्द की उत्पत्ति ‘नट्’ धातु से मानी जाती है। ‘नट्’ शब्द का अर्थ अभिनय है, जो अभिनेता से जुड़ा हुआ है। इसे ‘रूपक’ भी कहा जाता है। भारतीय परंपरा में नाटक को दृश्यकाव्य की संज्ञा दी गई है।

अथवा

कहानी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव इतिहास, क्योंकि कहानी मानव स्वभाव और प्रकृति का हिस्सा है। धीरे-धीरे कहानी कहने की आदिम कला का विकास होने लगा। आरंभ में कथावाचक कहानी सुनाते थे, जिनका विषय किसी घटना, युद्ध, प्रेम और प्रतिशोध आदि हुआ करता था। सच्ची घटनाओं पर कहानी सुनाते-सुनाते उनमें कल्पना का समावेश होने लगा। कथावाचक सुनने वालों की आवश्यकतानुसार अपनी कल्पना के माध्यम से नायक के गुणों का बखान करने लगा।

प्रश्न 4.
(i) ‘विज्ञापनों की लुभावनी दुनिया’ पर एक आलेख लिखिए। (3 × 1 = 3)
अथवा
फीचर को किस प्रकार लिखा जाता है? इसका लेखन करते समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?
उत्तरः
विज्ञापनों की लुभावनी दुनिया आज विज्ञापनों का बोलबाला है। हर बिजनेसमैन अपने उत्पाद को विज्ञापनों के लुभावने आवरण में पैक कर ऊँचे दामों पर बेचने की कला में माहिर हो चला है। जिधर देखो विभिन्न उत्पादों का प्रचार-प्रसार करते रंग-बिरंगे विज्ञापन दिखाई पड़ते हैं। अख़बार, टी.वी., रेडियो, पत्रिकाएँ, दीवार, गलियाँ, बाज़ार सब विज्ञापनों से भरे पड़े हैं। विज्ञापनों को नित्य आकर्षक बनाने के लिए होड़ लगी रहती है। बड़े-बड़े कलाकार भी अच्छे धन और प्रचार के लालच में घरेलू प्रयोग की वस्तुओं के विज्ञापन करते दिखाई पड़ते हैं। गोरा बनाने वाली क्रीमों, बाल घने, लंबे और मज़बूत करने के लिए शैम्पू , बर्तन-कपड़े जल्दी धोने-चमकाने के लिए विभिन्न सर्फ-साबुन आदि के अनेक विज्ञापन हैं और उन्हें इतना लुभावना बनाकर प्रस्तुत किया जाता है कि ग्राहक असमंजस में पड़ जाता है कि क्या खरीदे और क्या न खरीदे? परंतु जब वह विज्ञापनों में दिखाए गए उत्पाद को खरीद कर लाता है, तो कई बार परिणाम उसकी अपेक्षा के नितांत विपरीत होता है। दर्शकों और उपभोक्ताओं को सावधान रहने की आवश्यकता है। वे इन लुभावने विज्ञापनों के मायाजाल में न फंसें। जिन वस्तुओं का वह प्रयोग कर रहे हैं, उनकी गुणवत्ता के विषय में अच्छे से जाँच कर लें तथा स्वयं भी और अपने परिवार को भी इस भ्रमजाल से निकालें।

अथवा

फीचर लिखने का कोई एक निश्चित तरीका नहीं होता। आप इसे किसी भी तरह से लिख सकते हैं, परंतु इसका लेखन करते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। फ़ीचर लिखते समय उसमें विषय से संबंधित पात्रों का होना आवश्यक होता है। फ़ीचर के महत्त्वपूर्ण तथ्यों या पहलुओं को पात्रों के माध्यम से ही उजागर करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही फ़ीचर को सूचनात्मक व मनोरंजक भी होना चाहिए, जिससे पाठक को उसे पढ़ते समय उसकी उत्सुकता बनी रहे और साथ ही उसके ज्ञान में भी वृद्धि हो। फ़ीचर को किसी बैठक की कार्यवाही के विवरण की तरह नहीं लिखा जाना चाहिए। वस्तुतः फ़ीचर तथ्यों, सूचनाओं, विचारों आदि का कथात्मक विवरण होता है। अत: फ़ीचर की एक निश्चित थीम का होना आवश्यक होता है, जिसमें प्रासंगिक सूचनाओं, तथ्यों और विचारों का एक सामूहिक उल्लेख किया जाता है। प्रत्येक फ़ीचर का एक प्रारंभ, मध्य तथा अंत होता है। अत: फ़ीचर लिखते समय यह महत्त्वपूर्ण होता है कि उसका प्रारंभ सरस, रोचक व आकर्षक हो, इस तरह उसका मध्य व अंत भी पठनीय व रोचक बना रहता है।

(ii) बीट-रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोटिंग में क्या अंतर है? (2 × 1 = 2)
अथवा
समाचार के परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? किसी घटना को समाचार का रूप प्रदान करने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तरः
बीट-रिपोर्टिंग व विशेषीकृत रिपोर्टिंग में मुख्य अंतर यह है कि अपनी बीट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता को उस क्षेत्र के बारे में जानकारी और रुचि होना पर्याप्त होता है। बीट रिपोर्टर को सामान्यतया अपनी बीट से जुड़ी सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं। विशेषीकृत रिपोर्टिंग का तात्पर्य है कि संवाददाता सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं का सूक्ष्मता से विश्लेषण करें तथा पाठकों के समक्ष उनका अर्थ स्पष्ट करने का प्रयास करें। बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता कहा जाता है, जबकि विशेषीकृत रिपोर्टिंग को विशेष संवाददाता कहा जाता है।

अथवा

समाचार के परिप्रेक्ष्य से तात्पर्य समाज, व्यक्ति, देश और विभिन्न प्रकार के संदर्भो से है, जिसका संबंध समकालीन काल में उसके महत्त्व से होता है। लोग सामान्यतः अनेक कार्यों को मिल-जुलकर करते हैं। सुख-दुःख की घड़ी में वे एक साथ होते हैं। मेलों और उत्सवों में वे साथ होते हैं। दुर्घटनाओं और विपदाओं के समय में भी वे साथ होते हैं। इन सब घटनाओं को हम समाचार के परिप्रेक्ष्य में देख सकते हैं। देश की संपूर्ण विविधताओं और चिंताओं के बावजूद किसी घटना का अपना एक समाचारीय महत्त्व होता है, जिसे अनेक कारक प्रभावित करते हैं। किसी घटना को एक समाचार का रूप प्रदान करने के लिए इसका समय पर समाचार कक्ष में पहुँचना आवश्यक होता है। सामान्यतः हम कह सकते हैं कि समाचार का समयानुकूल होना समाचार का परिप्रेक्ष्य है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Core Term 2 Set 4 with Solutions

पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 तथा अनुपूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 [20 अंक]

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(i) “तुलसीदास जी सामाजिक यथार्थ एवं जातिगत ताने-बाने से अच्छी तरह परिचित थे” कवितावली के आधार पर इस । कथन की पुष्टि कीजिए। (3)
उत्तरः
तुलसीदास जी सामाजिक यथार्थ एवं जातिगत ताने-बाने से अच्छी तरह परिचित थे। उन्होंने इस जाति व्यवस्था को लगभग पूरी तरह नकार दिया। उन्हें कोई राजपूत कहे या जुलाहा, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। जातिप्रथा का सबसे मजबूत रूप विवाह के रूप में दिखता है, जहाँ अपनी जाति से बाहर निकलना एक तरह से सामाजिक ‘निषेध’ माना जाता है। तुलसीदास जी जातीय भेदभाव को नकारने के बावजूद उसका दबाव महसूस करते हैं। यही कारण है कि वे कहते हैं कि किसी की बेटी के साथ अपने बेटे का विवाह करके किसी की जाति को बिगाड़ना नहीं चाहते हैं। जो जिस रूप में है, वह उसी रूप में खुश रहे, संतुष्ट रहे, लेकिन वे स्वयं के लिए शोषक जाति व्यवस्था से बाहर होने की घोषणा करते हैं।

(ii) कवि ने प्रेम की सफलता के लिए किस पर महत्त्व दिया है? फ़िराक की गजलों के आधार पर समझाकर लिखिए। (3)
उत्तरः
कवि ने प्रेम की सफलता के लिए समर्पण पर महत्त्व दिया है। फिराक गोरखपुरी की गज़ल प्रेम की विभिन्न प्रवृत्तियों को सामने लाती है। कवि मानता है कि सौंदर्य और प्रेम में जो जितना डूबता है, वह उतना ही पाता है। यहाँ खोना और पाना एक सिक्के के दो पहलू हैं। शायर प्रेम को एक ऐसी प्रक्रिया मानता है, जिसमें प्रेमिका की याद को हर पल अपने हृदय से लगाए रखने को महत्त्व दिया जाता है। प्रेम में वह दुनिया के हर रंज़ो-गम को बर्दाश्त करने की क्षमता रखता है।

(iii) ‘उषा’ कविता में कवि ने ‘सिल’ और ‘स्लेट’ के द्वारा क्या स्पष्ट किया है? अपने शब्दों में लिखिए। (3)
उत्तरः
‘उषा’ कविता में कवि ने काली ‘सिल’ तथा काले ‘स्लेट’ के माध्यम से कवि रात्रि की समाप्ति के साथ जाते हुए अंधकार को प्रतीक रूप में रखता है। उषा के आगमन के समय आकाश का दृश्य ऐसा होता है, मानो काली सिल को किसी ने लाल केसर से धो दिया हो या काले स्लेट पर किसी नन्हें बालक ने लाल खड़िया या चाक मल दिया हो। इस प्रकार कवि ‘सिल’ और ‘स्लेट’ के माध्यम से अंधकार की कालिगा तथा प्रात:काल की लालिमा को सादृश्य के साथ सामने रखता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (3 × 3 = 9)
(i) “हमारे समाज में वर्ण तथा आश्रम व्यवस्था संचालित की जाती थी।” ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ पाठ के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तरः
प्राचीनकाल से ही हमारे समाज में वर्ण तथा आश्रम व्यवस्था संचालित की जाती थी। इसका आधार श्रम विभाजन ही था। समाज में ब्राह्मण पठन-पाठन के लिए, क्षत्रिय राजपाट तथा सैन्य व्यवस्था के लिए और वैश्य वाणिज्य व्यवसाय के लिए थे। तीनों वर्णों तथा समस्त समाज हेतु सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए शूद्र थे। इच्छा और रुचि से उस समय व्यवसाय बदले भी जा सकते थे। इसका उदाहरण है विश्वामित्र का राजा से ऋषि होना। यह एक स्वस्थ श्रम विभाजन व्यवस्था थी, लेकिन समय के साथ-साथ इस व्यवस्था को कठोर एवं रूढ़िग्रस्त बना दिया गया।

(ii) ‘पहलवान की ढोलक’ पाठ के आधार पर बताइए कि लुट्टन सिंह को राज पहलवान की पदवी से हटा दिए जाने पर गाँव वालों ने क्या किया? अपने शब्दों में लिखिए। (3)
उत्तरः
लुट्टन सिंह को राज-पहलवान की पदवी से हटा दिए जाने पर गाँव वालों ने लुट्टन पहलवान व उसके दोनों बेटों के लिए एक झोंपड़ी बना दी और उनके खाने-पीने का भी प्रबंध किया। पहलवान भी गाँव के नौजवान बच्चों को अपने पुत्रों के साथ कुश्ती के दाँव पेंच सिखाने लगा, परंतु बेचारे गरीब किसान के बच्चे क्या खाकर कुश्ती सीखते। धीरे-धीरे पहलवान का स्कूल खाली हो गया और अब केवल उसके दोनों पुत्र ही स्कूल में शेष रह गए। जो दिनभर की मज़दूरी से वे कमाकर लाते, उससे ही तीनों मिलकर खाते। इस प्रकार गाँव वाले इस प्रयास में सफल नहीं हुए।

(iii) ‘नमक’ कहानी भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दोनों तरफ से विस्थापित लोगों के दिलों को टटोलती कहानी है। स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तरः
‘नमक’ कहानी भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सीमा के दोनों तरफ़ के विस्थापित लोगों के दिलों को टटोलती कहानी है। लोगों का धार्मिक आधार पर बँटवारा तो कर दिया गया, पर लोगों के मन की भावनाएँ पृथक् न हो पाईं। जनता का लगाव मूल स्थान से बना ही रहता है। पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी तथा भारतीय कस्टम अधिकारी क्रमश: दिल्ली तथा ढाका को आज भी अपना वतन मानते हैं। सिख बीबी एवं सफ़िया, सफ़िया एवं कस्टम अधिकारी के व्यवहार में जो स्नेह तथा सम्मान है उससे स्पष्ट होता है कि जनता भेदभाव को नहीं मानना चाहती। ढाका हो, दिल्ली हो या फिर लाहौर सब नाम अलग हो सकते हैं, परन्तु वहाँ के रहने वालों के दिलों को नहीं बाँटा जा सकता है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Core Term 2 Set 4 with Solutions

(iv) डॉ. आंबेडकर का आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता और भातृत्व पर आधारित है। समझाइए। (3)
उत्तरः
डॉ. आंबेडकर का आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता और भ्रातृता अर्थात् भाईचारे पर आधारित है। उनके अनुसार, ऐसे समाज में सभी के लिए एक जैसा मापदंड तथा उनकी रुचि के अनुसार कार्यों की उपलब्धता होनी चाहिए। सभी व्यक्तियों को समान अवसर एवं समान व्यवहार उपलब्ध होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यता के अनुसार व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता होगी। उनके आदर्श समाज में जातीय भेदभाव का तो नामोनिशान ही नहीं है। इस समाज में करनी पर बल दिया गया है, कथनी पर नहीं। आदर्श समाज में बहुविध हितों की धारणा होनी चाहिए एवं उसमें गतिशीलता का समावेश होना चाहिए।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3+ 2 = 5)
(i) ‘अतीत के दबे पाँव’ पाठ के आधार पर बताइए कि सिंधु सभ्यता विभिन्न प्रकार के साधनों से परिपूर्ण थी। (3×1=3)
अथवा
ऐन फ्रेंक की डायरी किस रूप में विशेष महत्त्व रखती है और क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
अजायबघर में रखे सिंधु सभ्यता के पुरातत्त्व के अवशेषों से सिद्ध होता है कि सिंधु सभ्यता विभिन्न प्रकार के साधनों से परिपूर्ण थी। अजायबघर में रखी चीज़ों में प्रमुख थीं—काला पड़ गया गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, चाक पर बने विशाल मृद्भांड, उन पर काले भूरे चित्र, चौपड़ की गोटियाँ, दीये, माप-तौल के पत्थर, ताँबे का आईना, मिट्टी की बैलगाड़ी और दूसरे खिलौने, दो पाट वाली चक्की, कंघी, मिट्टी के कंगन, रंग-बिरंगे मनकों वाले हार और पत्थर के औजार। इस प्रकार यह सभ्यता विभिन्न साधनों से भरी थी लेकिन साथ ही, वहाँ औज़ार देखने को तो मिलते हैं, पर हथियार नहीं। हड़प्पा से लेकर हरियाणा तक समूची सिंधु सभ्यता में हथियार उस तरह कहीं नहीं मिले हैं जैसे किसी राजतंत्र में होते हैं। इससे पता चलता है कि वहाँ अनुशासन ज़रूर था, परंतु ताकत के बल पर नहीं। इसी कारण सिंधु घाटी की सभ्यता को दूसरी सभ्यताओं से अलग माना जाता है, जिसमें किसी प्रकार का कोई प्रभुत्व नहीं था, बल्कि एकता व समृद्धि से परिपूर्ण सभ्यता थी।

 

अथवा

ऐन फ्रैंक की डायरी लेखन की गहराई और नाज़ी दमन के दस्तावेज़ के रूप में अपना विशेष महत्त्व रखती है, क्योंकि यह डायरी इतिहास के एक सबसे आतंकप्रद और दर्दनाक अध्याय के साक्षात् अनुभव का व्याख्यान करती है। यहाँ उस भयावह दौर को किसी इतिहासकार की निगाह से नहीं, सीधे भोक्ता की निगाह से देखते हैं। इस डायरी में भय, आतंक, भूख, प्यास, मानवीय संवेदनाएँ, प्रेम, घृणा, बढ़ती उम्र की तकलीफें, हवाई हमले के डर, पकड़े जाने का लगातार डर, तेरह साल की उम्र के सपने, कल्पनाएँ, बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, मानसिक और शारीरिक आवश्यकताएँ, हँसी-मज़ाक, युद्ध की पीड़ा; अकेलापन सभी कुछ है। यह डायरी यहूदियों पर ढाए गए जुल्मों का एक जीवंत दस्तावेज़ है। यही कारण है कि यह पुस्तक पिछले 50 वर्षों में विश्व में सबसे अधिक पढ़ी गई पुस्तकों में से एक है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Core Term 2 Set 4 with Solutions

(ii) मुअनजो-दड़ो में मिले घरों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (2 × 1 = 2)
अथवा
मानव-जाति की निरंतरता को बनाए रखने के लिए महिलाओं को क्या सहना पड़ता है? समझाइए।
उत्तरः
मुअनजो-दड़ो के घर बड़े हैं और घरों में मंजिलें भी हैं। ऊपर की मंजिलों पर बड़े कमरे हैं। संभवत: वहाँ घर के मालिक ही रहते होंगे। घर की निचली मंजिलों के कमरे बहुत छोटे हैं। ऊपर बने कमरों जैसी सुख-सुविधाएँ इन कमरों में हो ही नहीं सकती थीं। इन कमरों के आधार पर ग्रेगरी पोसेल का अनुमान है कि निचली मंजिलों के कमरों में नौकर-चाकर रहते होंगे, परंतु सभी घर एक ही कतार में बने हुए हैं।

अथवा

मानव जाति की निरंतरता को बनाए रखने के लिए महिलाओं को अनेक कष्ट सहन करने पड़ते हैं। उन्हें बच्चों को जन्म देते समय प्रसव वेदना सहनी पड़ती है तथा शिशुओं का अत्यंत कठिनाई से पालन-पोषण करना पड़ता है। महिलाएँ ही शिशुओं और बालकों की देखभाल करती हैं। उन्हें घर का काम करने के साथ-साथ बच्चों का पालन-पोषण भी करना पड़ता है।