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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Core Term 2 Set 2 with Solutions

निर्धारित समय : 2 घंटे
अधिकतम अंक : 40

निर्देश :

  • निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
  • इस प्रश्न पत्र में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
  • इस प्रश्न पत्र में कुल 07 प्रश्न पूछे गए हैं। आपको 07 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  • प्रश्नों में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।

कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन [20 अंक]

प्रश्न 1.
निम्नलिखित दिए गए तीन शीर्षकों में से किसी एक शीर्षक का चयन कर लगभग 200 शब्दों का एक रचनात्मक लेख लिखिए। (5 × 1 = 5)

  • आधुनिक जीवन शैली का हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • हमारी बस पर अचानक डाकुओं का हमला
  • जीवन में घटी हास्यास्पद घटना

उत्तरः
आधुनिक जीवन शैली का हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव:
हमारी जीवन-शैली कितनी बुरी तरह असंतुलित हो रही है, इस बात का हमें अनुमान भी नहीं है। इस जीवन-शैली की हमें कितनी बड़ी कीमत चुकानी होगी, यह समझने में हमें सदियाँ लगेंगी। मनुष्य जीवन हमारे पास प्रकृति की एक अमूल्य धरोहर और उपहार है, इसलिए हमें सुसभ्य ढंग से जीने की कला को सीखना चाहिए, किंतु आज मनुष्य आधुनिक जीवन-शैली को अपनाकर जीवन जीने की कला को भूलता जा रहा है।

आज हम आधुनिक जीवन-शैली में इस तरह खोते जा रहे हैं कि हमें हमारी संस्कृति की भी कोई परवाह नहीं है। नई जीवन-शैली ने मनुष्य को आलसी और कमजोर बना दिया है। आज के नए युवा आधुनिक जीवन-शैली अपनाने के लिए हर प्रकार का दिखावा करने में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आधुनिक जीवन-शैली ने हमारे स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। बदलती जीवन-शैली में लोग आलसी होते जा रहे हैं।

आज के युवा किताबें पढ़ने के स्थान पर मोबाइल में गेम खेलकर, फिल्में देखकर, गाना सुनकर अपना समय व्यतीत करते हैं। इससे न केवल वे अपना समय ही खोते हैं अपितु अपनी आँखों व कानों पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं। पहले मनुष्य अपना अधिक-से-अधिक समय ज्ञान प्राप्त करने में लगाता था, इसके बाद जो समय बचता था वह उसमें खेला-कूदा करता था, जिससे हमारा शरीर भी स्वस्थ रहता था और दिमाग भी तंदुरुस्त रहता था, किंतु आज ऐसा नहीं है। आधुनिक जीवन-शैली व्यक्ति को पूर्ण रूप से तंदुरुस्त रहने नहीं देती। आज लोग शराब पीने में गर्व महसूस करते हैं, उन्हें लगता है कि यह बहुत गर्व की बात है. किंत वे यह नहीं जानते कि शराबी का कोई सम्मान नहीं होता। कई युवा तो अपना पूरा दिन सोने में ही व्यतीत कर देते हैं, जिसके कारण उनके शरीर का विकास नहीं हो पाता और उनके शरीर में तरह-तरह की बीमारियाँ लग जाती हैं। कुछ युवा टीवी देखने में समय व्यतीत करते हैं, जिससे उनकी आँखें खराब हो जाती हैं और वे पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं।

अंतत: यही कहा जा सकता है कि आधुनिक जीवन-शैली मनुष्य के स्वास्थ्य पर पूर्ण रूप से प्रभाव डाल रही है। यदि हमने अपनी आधुनिक जीवन-शैली को नहीं बदला, तो भविष्य में हमें बहुत चिंताजनक स्थिति से गुजरना पड़ सकता है। हमें सही समय पर सोने, सही समय पर खेल-कूद करने की आवश्यकता है। तभी हम अपना स्वास्थ्य ठीक रखकर अपने सुंदर भविष्य की कल्पना कर सकते हैं।

हमारी बस पर अचानक डाकुओं का हमला:
यात्राएँ मनोरंजन प्रदान करने का सबसे अच्छा साधन होती हैं। इनके द्वारा व्यक्ति तन और मन से तरोताजा महसूस करता है। पिछले महीने, मैं और मेरा मित्र सुमित आगरा शहर घूमने गए थे। हमने बस द्वारा यात्रा करने का निर्णय किया। सुबह 8 : 00 बजे हम आई.एस.बी.टी. कश्मीरी गेट से आगरा जाने वाली बस में बैठ गए। आगरा पहुँचकर हमने कई ऐतिहासिक इमारतों के दर्शन किए और उसके बाद हम ताजमहल देखने गए। वहाँ की सुंदरता ने हमारा मन मोह लिया। अपनी आगरा यात्रा के अनुभव के साथ हम घर वापस आने के लिए बस में बैठ गए। रात अधिक हो गई थी और हमारी बस जंगलों के रास्ते से होती हुई गुजर रही थी। बस में अधिकतर यात्री सोए हुए थे। उस समय मेरी भी आँख लग गई थी। अचानक से डाकुओं ने हमारी बस पर हमला कर दिया। पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया लेकिन जब ड्राइवर द्वारा शोर मचाने की आवाज हुई तब लगा कि कुछ तो गड़बड़ है। मैंने अपने मित्र को जगाया तथा घटना से परिचित करवाया।

डाकुओं ने ड्राइवर से बंदूक की नोंक पर बस रुकवा ली तथा बस में लूटपाट करने लगे। महिलाओं तथा बच्चों के रोने और चिल्लाने की आवाज सुनकर हम भयभीत हो गए। इससे पहले कि हम कुछ कर पाते, वे डाकू हमारे पास वाली सीट पर आ गए। ड्राइवर ने सूझ-बूझ से काम लेते हुए पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस शीघ्र ही वहाँ आ गई और डाकुओं को चारों ओर से घेरकर उन्हें समर्पण करने की चेतावनी दी। डाकुओं ने एक बच्चे को गोद में उठा लिया तथा उसे जान से मार डालने की धमकी दी, इसलिए पुलिस ने थोड़ी सावधानी बरती। ड्राइवर ने पुलिस को संकेत देते हुए उन डाकुओं को गुमराह किया जिससे पुलिस उस बच्चे को बचाने और डाकुओं को पकड़ने में सफल हो गई। जब पुलिस द्वारा डाकुओं को पकड़ लिया गया, तब जाकर यात्रियों की जान में जान आई। इस प्रकार यह यात्रा हमारे लिए भय से भरी यात्रा हो गई।

जीवन में घटी हास्यास्पद घटना:
बालपन मानव जीवन का श्रेष्ठतम काल है। इस दौरान अनेक घटनाएँ घटती हैं, जो सहसा ही हृदय को खुशी का आभास देती हैं तथा उस घटना के स्मरण मात्र से ही चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। ऐसी ही एक घटना मुझे भी याद आती है जिस समय मैं पाँचवीं कक्षा में था। एक बार विद्यालय के वार्षिकोत्सव की तैयारी चल रही थी, जिसमें हमारी कक्षा की छात्राओं ने भी भाग लिया। वे नत्य का कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए तैयार हो रही थी, तभी पता चला कि उनके 70 ग्रुप की एक सदस्य की तबियत अचानक खराब हो गई, जिस 101 कारण वह प्रस्तुति नहीं दे सकती थी। अब सभी को चिंता होने लगी कि इतनी जल्दी दूसरी छात्रा को कैसे नृत्य प्रस्तुत करने के लिए लाया जाए। उनमें शामिल मेरी मित्र ने समाधान खोजते हुए कहा कि हमारी कक्षा का ‘मोहित’ बहुत अच्छा नृत्य करता है। अत: उसे इस कार्यक्रम के लिए तैयार किया जा सकता है। तभी मुझे बुलाया गया और सभी के आग्रह करने पर मैं नृत्य करने के लिए तैयार हो गया।

मुझे महिलाओं की पोशाक (साड़ी) पहनाकर और मेकअप करके तैयार किया गया। जैसे ही स्टेज पर हमारे कार्यक्रम की प्रस्तुति आरंभ हुई, मेरी साड़ी पैरों में अटककर खुल गई। यह देख सभी छात्र-छात्राएँ मुझ पर जोर-जोर से हँसने लगे, उन्हें हँसता देखकर मेरी हँसी छूट गई। अध्यापिका ने तुरंत पर्दा गिरा दिया। उस समय मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं घबरा गया कि अब मुझे अध्यापिका से बहुत डाँट पड़ेगी लेकिन उन्होंने मुझे बड़े प्यार से समझाया कि ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। इसमें परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। बस आगे से ध्यान रखना कि ऐसी घटना होने पर घबराना नहीं बस धैर्य से काम लेना। आज भी जब मैं इस घटना को याद करता हूँ तो मेरे चेहरे पर हँसी आ जाती है।

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प्रश्न 2.
पेट्रोल और डीजल की कीमत में अचानक बढ़ोतरी होने पर चिंता व्यक्त करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए। (5 × 1 = 5)
अथवा
डेंगू के बढ़ते मामले को ध्यान में रखते हुए अपनी कॉलोनी की सुरक्षा के लिए कीटनाशक दवाओं की माँग करते हुए नगर-निगम के अधिकारियों को पत्र लिखिए।
उत्तरः
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
नई दिल्ली।
दिनांक 9 नवम्बर, 20XX .
विषय पेट्रोल और डीजल की कीमत में अचानक बढ़ोत्तरी के संबंध में।

महोदय,
मेरा नाम अभिषेक विक्रम है। मैं मोहन नगर, दिल्ली का निवासी हूँ। मैं आपके पत्र का नियमित पाठक हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं सरकार का ध्यान पेट्रोल और डीजल की कीमत में अचानक आई बढ़ोतरी की ओर आकर्षित करवाना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आप अपने प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में मेरे इस पत्र को अवश्य स्थान देंगे।

महोदय पिछले दिनों पेट्रोल और डीजल के दाम अचानक बढ़ गए। आए दिन इनके दाम बढ़ते रहते हैं जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। इनके बढ़ते दाम आम जनता और उद्योग जगत के साथ-साथ सरकार के लिए भी संकट का कारण बन सकते हैं। सौ रुपये के पार पहुँचे पेट्रोल और डीजल के दामों ने जनता के बीच सरकार के प्रति आक्रोश पैदा कर दिया है। सरकार को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था, जब यह स्पष्ट होने लगा था कि पेट्रोल के दाम उच्चतम स्तर को पार कर सकते हैं।

यदि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो महँगाई इस तरह सिर उठा सकती है कि उसे नियंत्रित करना कठिन हो जाएगा। अत: इस दिशा में सरकार को शीघ्र उपाय खोजना होगा।
धन्यवाद।
भवदीय
अभिषेक विक्रम
मोहन नगर,
दिल्ली।

अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 9 नवम्बर, 20XX
सेवा में,
मुख्य अधिकारी,
नगर निगम,
दिल्ली।
विषय डेंगू से सुरक्षा के लिए कॉलोनी में कीटनाशक दवाओं के छिड़काव हेतु पत्र। महोदय, सविनय निवेदन यह है कि मैं भलस्वा, दिल्ली का निवासी हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं आपको सूचित करना चाहता हूँ कि हमारे क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है जिससे क्षेत्र के निवासियों को अत्यंत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डेंगू के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। डेंगू के प्रकोप के कारण मोहल्ले के दो बुजुर्ग तथा एक बच्चे की मृत्यु हो गई। अन्य लोगों में भी डेंगू के लक्षण दिखाई दिए हैं। नगर निगम के सफाई कर्मचारी ठीक से नालियों की सफाई नहीं करते हैं तथा कूड़ा भी इधर-उधर पड़ा रहता है, जिससे मच्छरों के पनपने की आशंका बढ़ गई है। यदि ऐसा ही रहा तो स्थिति अत्यंत गंभीर हो सकती है। अतः मेरा तथा समस्त क्षेत्रवासियों का आपसे निवेदन है कि हमारे क्षेत्र की साफ-सफाई करवाएँ। साथ ही कीटनाशक दवाओं का भी छिड़काव करें, ताकि हमारा देश डेंगू मुक्त हो सके। उचित कदम की प्रतीक्षा में।

धन्यवाद।
भवदीय
समस्त क्षेत्रवासी
भलस्वा, दिल्ली।

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प्रश्न 3.
(i) ‘कथावस्तु की जीवंतता कहानी की महत्त्वपूर्ण और बुनियादी शर्त है।’ स्पष्ट कीजिए। (3 × 1 = 3)
अथवा
‘नाटक लेखन में कथानक तथा चरित्र का विशेष योगदान होता है।’ इस कथन के संदर्भ में इनके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
कथा का सार रूप ‘कथावस्तु’ कहलाता है। कथावस्तु कहानी का केंद्रीय बिंदु होता है। कहानीकार किसी घटना, स्वानुभव अथवा परानुभव से प्रेरणा लेकर किसी कहानी की रचना करता है। कल्पना के सहारे भी कहानीकार कहानी की रचना कर सकता है। कथावस्तु के लिए अनिवार्य शर्त है कि वह कोरी कल्पना न होकर सजीव व प्रासंगिक हो। अत: कहानीकार के लिए आवश्यक है कि वह ऐसी सजीव कथावस्तु का निर्माण करे, जो उसके उद्देश्य को पूर्ण करने में सहयोगी हो। कहानी में कथावस्तु की जीवंतता बनाए रखना, कहानीकार के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौती होती है। इसके लिए आवश्यक है कि कहानी का शीर्षक उपयक्त तथा आकर्षक हो।

कहानी की कथावस्तु सजीव एवं रोचक होनी चाहिए और उसमें किसी भी घटना या प्रसंग का अनावश्यक विस्तार न किया जाए। कहानीकार के लिए आवश्यक है कि वह ऐसी विषय-वस्तु का चयन करे, जो रोचक होने के साथ-साथ प्रासंगिक हो। उसका कर्तव्य है कि कथानक के उचित विकास हेतु विभिन्न घटनाओं व परिस्थितियों के चित्रण में परस्पर संबंध एवं क्रमबद्धता बनाए रखे।

अथवा

कथ्य या कथानक: नाटक के लिए उसका कथ्य जरूरी होता है। नाटक में किसी कहानी के रूप को किसी शिल्प या संरचना के अंदर पिरोना होता है। इसके लिए नाटककार को शिल्प या संरचना की पूरी समझ, जानकारी व अनुभव होना चाहिए। इसके लिए पहले घटनाओं, स्थितियों या दृश्यों का चुनाव कर उन्हें क्रम में रखें ताकि कथा का विकास शून्य से शिखर की ओर हो।

चरित्र: नाटक को सशक्त बनाने में चरित्र का विशेष योगदान होता है। अत: नाटक लिखते समय यह अत्यंत आवश्यक है कि नाटक के पात्र व उसके चरित्र सपाट और सतही न होकर क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं को व्यक्त करने वाले हों।

(ii) कहानी और नाटक की समानताएँ बताइए। (2 × 1 = 2)
अथवा
प्राचीनकाल में मौखिक कहानियाँ क्यों लोकप्रिय हुई थीं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
कहानी और नाटक में बहुत-सी समानताएँ हैं। इन दोनों में एक कहानी होती है, पात्र होते हैं, परिवेश होता है, कहानी का क्रमिक विकास होता है, संवाद होते हैं, द्वंद्व होता है, चरम उत्कर्ष होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि नाटक और कहानी की आत्मा के कुछ मूल तत्त्व एक ही हैं। कहानी और नाटक दोनों ही मनुष्यों का मनोरंजन करते हैं।

अथवा

मौखिक कहानी की परंपरा बहुत पुरानी है। प्राचीनकाल में मौखिक कहानियों की लोकप्रियता इसलिए थी, क्योंकि यह संचार का बड़ा माध्यम थी। इस कारण धर्म प्रचारकों ने भी अपने सिद्धांत और विचार लोगों तक पहुँचाने के लिए कहानी का सहारा लिया था। शिक्षा देने के लिए भी कहानी विधा का प्रयोग किया गया, जैसे- ‘पंचतंत्र की कहानियाँ’ लिखी गई, जो विश्व प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 4.
(i) ‘बड़े शहरों में जीवन की चुनौतियाँ’ विषय पर आलेख लिखिए। (3 × 1 = 3)
अथवा
फ़ीचर से आप क्या समझते हैं? फ़ीचर व समाचार लेखन में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
बड़े शहरों में जीवन की चुनौतियाँ: वर्तमान समय में बड़े शहरों में निवास करना आसान नहीं है। अत्यधिक जनसंख्या के कारण शहरों में आवास की समस्या सबसे विकट है। यहाँ साधारण घर पाने के लिए भी अत्यधिक मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है और यदि रहने के लिए आधुनिक सुविधायुक्त आवास लेना हो तो यह रकम कई गुना बढ़ जाती है। बड़े शहरों में शिक्षा तथा चिकित्सा सुविधाएँ अत्यंत महँगी हैं। पब्लिक स्कूलों में एक बच्चे को पढ़ाने के लिए छह-सात हज़ार रुपये प्रति महीने खर्च होते हैं। सरकारी अस्पतालों में रोगियों की भीड़ लगी रहती है। निजी चिकित्सालयों में चिकित्सा के लिए हज़ारों रुपये प्रतिदिन व्यय करने पड़ते हैं। वस्तुत: निम्न, मध्यवर्ग तथा निर्धन वर्ग के लोगों के लिए बड़े शहरों में रहना अत्यंत कठिन है। शहरों में अराजक तत्त्वों की भी भरमार होती है। नित्य ही बलात्कार, लूटपाट आदि घटनाएँ होती रहती हैं। महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण नहीं है। शहरों में यातायात की समस्या भी विकराल रूप धारण कर चुकी है। वाहनों की संख्या इतनी अधिक है कि ट्रैफ़िक जाम की समस्या का समाधान संभव ही नहीं है। शहरों में दिखावा या आडंबर बहुत बढ़ चुका है। यहाँ अधिकांश व्यक्ति अधिकाधिक धन कमाने के लिए उचित-अनुचित सभी रास्तों को अपनाते हैं। वस्तुत: बड़े शहरों में जीवन बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण हो चुका है।

अथवा

फीचर एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन होता है, जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देना, शिक्षित करना तथा प्रमुखतः मनोरंजन करना होता है। विशेषत: फ़ीचर किसी वस्तु, घटना, स्थान या व्यक्ति विशेष की विशेषताओं को उल्लेखित करने वाला एक विशिष्ट लेख होता है।
फ़ीचर व समाचार लेखन में अंतर इस प्रकार होता है

समाचार लेखन फ़ीचर लेखन
समाचारों में पाठकों को तात्कालिक घटना, समस्या की सूचना या जानकारी या घटना पर आधारित दी जाती है। फ़ीचर किसी एक सामयिक विषय या घटना पर आधारित होता है। दी जाती है। इसमें प्रायः तात्कालिक घटना क्रम का उल्लेख नहीं होता।
समाचार लिखते समय पत्रकार के अपने विचार या निजी राय उल्लेखित नहीं होती है। फ़ीचर में लेखक अपने विचार, निजी राय या भावनाएँ उल्लेखित कर सकता है।
समाचार लेखन में उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग किया जाता है। फ़ीचर में कथात्मक शैली (सीधा पिरामिड) का प्रयोग किया जाता है।
समाचारों की लेखन शैली अर्थात् भाषा सरल, सहज तथा सपाट अर्थात् सीधे तथ्यों से संबंधित होती है। फ़ीचर लेखन की भाषा सरल होने के साथ-साथ रूपात्मक, आकर्षक तथा हृदयस्पर्शी होती है।
समाचारों में शब्दों की एक निश्चित सीमा होती है। फ़ीचर सामान्यतः समाचारों से बड़े होते हैं। इनकी कोई अधिकतम शब्द-सीमा नहीं होती।

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(ii) समाचार लेखन का आशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि पाठक वर्ग समाचार-पत्र को किस प्रकार प्रभावित करता है? (2 × 1 = 2)
अथवा
समाचार लेखन के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
‘समाचार लेखन’ समाचारों को लिखकर प्रस्तुत करने का ढंग है। यह एक विशिष्ट कला है। समाचार सूचनात्मक तथा तथ्यात्मक होते हैं। चूँकि इसका सीधा संबंध जनमत से है, इसलिए इनकी प्रस्तुति का ढंग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक समाचार-पत्र का अपना एक विशिष्ट पाठक-वर्ग होता है। उस समाचार-पत्र में उसी पाठक वर्ग की रूचि के ही समाचार छापे जाते हैं। समाचार-पत्र पढ़ने वालों में मध्यम वर्ग के लोग अधिक होते हैं, इसलिए अधिकांश समाचार उन्हीं से संबंधित होते हैं।

अथवा

समाचार सामान्यत: दो प्रकार से लिखे जाते हैं
(a) विलोम स्तूपी पद्धति इस पद्धति में समाचार लिखते हुए उसका चरमोत्कर्ष प्रारंभ में दे दिया जाता है तथा घटनाक्रम की व्याख्या करते हुए अंत किया जाता है। समाचार लेखन की इस पद्धति को ‘उल्टा पिरामिड’ शैली भी कहा जाता है। सुविधा की दृष्टि से इसके अंतर्गत समाचारों को तीन भागों इंट्रो या मुखड़ा, बॉडी या कलेवर तथा समापन में विभाजित किया जाता है।

(b) ऊर्ध्वस्तूपी पद्धति प्राय: समाचार विलोमस्तूपी पद्धति के अनुसार ही लिखे जाते हैं, ऊर्ध्वस्तूपी पद्धति में कम महत्त्वपूर्ण से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण के क्रम में तथ्यों का संकेत किया जाता है। चूंकि पाठक घटना के बारे में शीघ्र जानकारी प्राप्त करना चाहता है, इसलिए वह पूरे विवरण को पढ़ने में रुचि नहीं लेता है।

पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 तथा अनुपूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 (20 अंक)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(i) ‘उषा’ कविता में कवि ने ग्रामीण उपमानों का प्रयोग कर गाँव की सुबह को गतिशील चित्र के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया है। स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तरः
उषा’ कविता में कवि शमशेर बहादुर सिंह ने ग्रामीण उपमानों का प्रयोग कर गाँव की सुबह को गतिशील शब्द चित्र के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया है। कविता में नीले रंग के प्रात:कालीन आकाश को ‘राख से लीपा हुआ चौका’ कहा गया है। ग्रामीण परिवेश में ही गृहिणी भोजन बनाने के बाद चौके (चूल्हे) को राख से लीपती है, जो प्रायः काफ़ी समय तक गीला ही रहता है। दूसरा बिंब काले सिल का है। काला सिल अर्थात् पत्थर के काले टुकड़े पर केसर पीसने का काम भी गाँव की महिलाएँ ही करती हैं। तीसरा बिंब काले स्लेट पर लाल खड़िया चाक मलने की क्रिया नन्हें ग्रामीण बालकों द्वारा होती है। इस बिंबात्मक चेतना में गतिशील शब्द चित्र भी मौजूद है। यहाँ सवेरे अपने-अपने कार्यों में लगे ग्रामीण वर्ग तथा जनजीवन की गतिशीलता को स्पष्ट करने वाले प्रतिमान हैं। यहाँ स्थिरता का नामोनिशान नहीं है। गतिशीलता इस अर्थ में भी है कि तीनों शब्द चित्र स्थिर न होकर किसी-न-किसी क्रिया के अभी-अभी समाप्त होने के सूचक हैं।

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(ii) “तुलसी का युग अनेक आर्थिक विषमताओं से घिरा था” ‘कवितावली’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तरः
गोस्वामी तुलसीदास भक्त कवि थे। उन्होंने अपने युग की आर्थिक विषमता को करीब से देखा ही नहीं, बल्कि उसका अनुभव भी किया है। उस समय अकाल के कारण बेरोज़गारी और भुखमरी फैली थी। लोगों के पास काम नहीं था। लोग संतान तक को बेचने के लिए विवश थे। चारों ओर लाचारी और विवशता ही दिखाई पड़ती थी। पेट की आग समुद्र की आग से भी अधिक भयंकर थी, जिसके लिए लोग ऊँचे-नीचे कर्म कर रहे थे और धंधे में भी धर्म-अधर्म का ख्याल नहीं रख रहे थे। इस प्रकार स्पष्ट है कि तुलसी का युग अनेक आर्थिक विषमताओं से घिरा था।

(iii) फिराक की रुबाईयों में किस प्रकार के चित्रों का वर्णन किया गया है? अपने शब्दों में लिखिए।। (3)
उत्तरः
फिराक की रुबाईयों में घरेलू जीवन के अत्यंत सुंदर चित्रों का वर्णन किया गया है। जैसे-माँ अपने प्यारे शिशु को लेकर आँगन में खड़ी है, वह उसे झुलाती है तथा हँसाती है। इस चित्र में बच्चे के नहलाने के दृश्य का भी सजीव चित्रांकन हुआ है। इसी प्रकार दीवाली व रक्षाबंधन जैसे पर्व को जिस प्रकार अभिव्यक्त किया गया है, वह आम आदमी से जुड़ा हुआ है। बच्चे का किसी वस्तु के लिए ज़िद करना और माँ द्वारा उसे बहलाना जैसे दृश्य आम परिवारों में भी दिखाई देते हैं।

प्रश्न 6.
‘निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (3 × 3 = 9)
(i) लुट्टन सिंह राजदरबार का शाही पहलवान कैसे बना? उसे राज पहलवान के पद से क्यों हटा दिया गया? ‘पहलवान की ढोलक पाठ के आधार पर बताइए। (3)
उत्तरः
लुट्टन सिंह सुडौल शरीर वाला एक देहाती पहलवान था। उसने एक बार श्यामनगर के राजा की आज्ञा लेकर पंजाब के पहलवान चाँद सिंह को ढोलक की ताल का अनुसरण कर चित कर दिया। अत: राजा साहब ने खुश होकर उसे अपने दरबार में शामिल किया और उस दिन से राजा साहब के देहांत तक वह राजदरबार का शाही-पहलवान बना रहा। श्यामनगर के राजा की मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र ने विलायत से आकर राजपाट सँभाला। उनके पुत्र को पहलवानी में कोई भी रुचि नहीं थी, अत: पंद्रह वर्ष की लंबी अवधि की पहलवानी के पश्चात् . उन्होंने राज-पहलवान को पद से हटा दिया।

(ii) सफ़िया के मन में क्या द्वन्द्व चल रहा था? अंत में उसने क्या निर्णय लिया? ‘नमक’ कहानी के आधार पर लिखिए। (3)
उत्तरः
नमक की पुड़िया को सफ़िया चोरी से छिपाकर हिंदुस्तान ले जाए या कस्टम वालों को कहकर, उन्हें दिखाकर ले जाए, यही द्वंद्व उनके मन में चल रहा था। पहले वह नमक की पुड़िया अपने दोस्त के द्वारा उपहारस्वरूप दी गई कीनुओं की टोकरी में रख देती है, क्योंकि उसने सोचा था कि इस पर किसी की निगाह नहीं जाएगी। जब हिंदुस्तान जाने के लिए कस्टम अधिकारी द्वारा उसके सामान की जाँच की जाने लगी, तब अंत में उसने अचानक फैसला किया कि वह किसी भी कारण से मुहब्बत का यह उपहार चोरी से नहीं ले जाएगी और वह कस्टम अधिकारी को सही जानकारी देगी और सफ़िया ने ऐसा ही किया।

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(iii) भारतीय समाज में जाति प्रथा के कारण क्या स्थिति उत्पन्न हुई? वर्तमान समय में इसमें क्या बदलाव आया है? स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तरः
जाति-प्रथा के अनुसार, व्यक्ति अपना व्यवसाय अपनी इच्छा के अनुसार नहीं चुन सकता। उसे वही कार्य करना पड़ता है, जो उसे जाति के आधार पर मिला है। भले ही वह व्यवसाय उसके लिए अनुपयुक्त हो या फिर उसके भूखे मरने की नौबत ही क्यों न आ जाए। इस प्रकार व्यवसाय-परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा के कारण भारतीय समाज में बेरोज़गारी व भुखमरी की स्थिति बनी। वर्तमान समय में इस स्थिति में परिवर्तन आया है। सरकार द्वारा पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। इस प्रकार वे भी अन्य वर्गों की भाँति समानता का अधिकार पा चुके हैं। वे अपनी कार्य-कुशलता एवं दक्षता के आधार पर व्यवसाय का चुनाव स्वयं कर सकते हैं।

(iv) ‘नमक’ कहानी का मूल संदेश अपने शब्दों में लिखिए। (3)
उत्तरः
‘नमक’ कहानी की मूल संवेदना लोगों के दिलों में बसी हुई है। राजनैतिक तथा सत्ता लोलुपता ने मानचित्र पर एक लकीर खींचकर देश को दो भागों में तो बाँट दिया है, परंतु अंतर्मन का विभाजन नहीं हो पाया। राजनैतिक यथार्थ ने देश की पहचान बदल दी है, परंतु यह उनका हार्दिक यथार्थ नहीं बन पाया। जनता के दिल न आज तक बँटे हैं और न ही बँटेंगे। मानचित्र पर खींची गई लकीर लोगों के दिलों को नहीं बाँट सकती, यही नमक कहानी का मूल संदेश है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 + 2 = 5)
(i) सिंधु सभ्यता समृद्ध होने पर भी आडंबर से कोसो दूर थी। कैसे? ‘अतीत के दबे पाँव’ पाठ के आधार पर लिखिए। (3 × 1 = 3)
अथवा
‘ऐन एक संवेदनशील एवं अंतर्मुखी लड़की थी।’ इस कथन के आधार पर ऐन की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
सिंधु सभ्यता साधन संपन्न थी, फिर भी इसमें आडंबर या बनावटीपन लेशमात्र भी नहीं था। यह सभ्यता हर प्रकार के साधनों से भरी पड़ी थी। वहाँ व्यापारिक व्यवस्थाओं की जानकारी मिलती तो है, लेकिन सब कुछ आवश्यकताओं से जुड़ा हुआ नहीं है। भव्यता के आडंबर का प्रदर्शन कहीं नहीं दिखाई देता। निर्माण शैली हर प्रकार से विस्तृत होने के बाद भी लोग दिखावे से बहुत दूर थे। सभ्यता का निर्माण व्यवस्थित तरीके से किया गया। जो वस्तु जिस रूप में सुंदर लगती थी, उसका निर्माण उसी ढंग से किया गया था। पुरातात्विक तथ्यों से पता चलता है कि सिंधु सभ्यता अत्यंत विशाल तथा समृद्ध होने पर आडंबर से कोसों दूर थी।

अथवा

ऐन की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(a) ऐन एक संवेदनशील एवं अंतर्मुखी लड़की थी। एक जगह वह कहती है कि “मैं सचमुच उतनी घमंडी नही हूँ, जितना लोग मुझे समझते हैं।” इसी प्रकार दूसरी जगह वह कहती है कि “काश! कोई होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता, पर अफसोस कि अब तक कोई नहीं मिला। इसलिए तलाश जारी रहेगी।” इन्हीं सब बातों से पता चलता है कि वह अत्यधिक संवेदनशील एवं अंतर्मुखी लड़की है।

(b ऐन एक साधारण परिवार की चिंतन एवं मननशीलस्वभाव की लड़की है। वह अज्ञातवास की परेशानियों से जूझते हुए भी अपनी पढ़ाई सामान्य रूप से करती है। वह गुप्त वास के दौरान भी ‘स्टडी’ (पढ़ाई) की बात करती थी। यह बात उसकी पढ़ाई के प्रति सजगता को दर्शाती है।

(c) स्त्री जीवन ऐन के लिए अतुलनीय है। वह चाहती है कि स्त्रियों के विरोधी और उन्हें सम्मान नहीं देने वाले मूल्यों एवं मनुष्यों की निंदा की जाए। ऐन के ऐसे गुणों की प्रशंसा प्रत्येक मानव को करनी चाहिए।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Core Term 2 Set 2 with Solutions

(ii) ‘अतीत के दबे पाँव’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा स्वतः अनुशासित सभ्यता थी। (2 × 1 = 2)
अथवा
‘डायरी के पन्ने’ पाठ में ऐन को सैनिक गर्व का अनुभव करते हुए कब प्रतीत हुए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
जब सिंधु सभ्यता की खुदाई हुई, तब वहाँ मिट्टी के बर्तन, सिक्के, मूर्तियाँ, पत्थर और मिट्टी के उपकरण मिले थे। इन चीज़ों का मिलना यह बताता है कि वे लोग इन चीज़ों को प्रयोग में लाते थे। सड़कों, नालियों तथा गलियों को साफ़-सुथरा रखना उनकी समझदारी को दर्शाता है। इससे यह प्रमाणित होता है कि सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा स्वत: अनुशासित सभ्यता थी। सिंधु सभ्यता को अनुशासित सभ्यता इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि इस सभ्यता के अवशेषों में कोई आक्रमक शस्त्रों की प्राप्ति नहीं हुई है।

अथवा

ऐन ने रेडियो पर युद्ध का सारा हाल सुना था। उसने जैसा सुना, वही अपनी डायरी में वर्णित कर दिया। घायल सैनिकों ने अपने देश के लिए गोलियाँ खाई थीं या बर्फ पर चलते-चलते अपने पैरों से हाथ धो बैठे थे, इस तरह के अपने त्याग को लेकर वे गर्व का अनुभव कर रहे थे। ऐन ने महसूस किया कि जिस सैनिक को जितने ज़्यादा घाव थे, वह उतना ही गर्व का अनुभव कर रहा था। इस प्रकार रेडियो पर सुने वार्तालाप और पुरुष मानसिकता को समझकर ऐन को ऐसा लगा कि युद्ध में घायल सैनिक गर्व का अनुभव करते हैं।