CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2019 Outside Delhi
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2019 Outside Delhi Set – I
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस श्वश्न-पत्र में चार खंड हैं – क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के श्रश्नों के उक्कर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव श्वत्येक खंड के उक्कार मश: दीजिए।
खण्ड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दार्शनिक अरस्तू ने कहा है-“प्रत्येक व्यक्ति को उचित समय पर, उचित व्यक्ति से, उचित मात्रा में, उचित उद्देश्य के लिए, उचित ढंग से व्यवहार करना चाहिए।” वास्तव में प्रत्येक प्राणी का संबंध एक-एक क्षण से रहता है, किन्तु व्यक्ति उसका महत्त्व नहीं समझता। अधिकतर व्यक्ति सोचते हैं कि कोई अच्छा समय आएगा तो काम करेंगे। इस, दुविधा और उधेड़बुन में वे जीवन के अनेक अमूल्य क्षणों को खो देते हैं। किसी व्यक्ति को बिना हाथ-पाँव हिलाए संसार की बहुत बड़ी सम्पत्ति छप्पर फाड़कर कभी नहीं मिलती। समय उन्हीं के रथ के घोड़ों को हाँकता है, जो भाग्य के भरोसे बैठना पौरुष का अपमान समझते हैं। जो व्यक्ति श्रम और समय का पारखी होता है, लक्ष्मी भी उसी का वरण करती है। समय की कीमत न पहचानने वाले समय बीत जाने पर सिर धुनते रह जाते हैं। समय निरंतर गतिमान है। इसलिए हमें समय का मूल्य समझना चाहिए। साथ ही समयानुसार काम भी करना चाहिए। सफल जीवन की यही कुंजी है।
(क) जीवन के अमूल्य क्षणों को किस प्रकार के व्यक्ति खो देते हैं? [2]
(ख) भाग्य के भरोसे बैठना पौरुष का अपमान क्यों कहा गया है? [2]
(ग) दार्शनिक अरस्तू के कथन का आशय लिखिए। [2]
(घ) लक्ष्मी किसे प्राप्त होती है? [1]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए। [1]
उत्तर:
(क) जो व्यक्ति यह सोचते हैं कि जब अच्छा समय आएगा तब काम करेंगे, ऐसे अकर्मण्य आलसी लोग जीवन के अमूल्य क्षणों को खो देते हैं।
(ख) भाग्य के भरोसे बैठना पुरुष का अपमान इसलिए है कि बिना हाथ पाँव हिलाये दुनिया में कुछ भी प्राप्त करना असंभव है।
(ग) दार्शनिक अरस्तू ने कहा है-हर एक व्यक्ति के लिए उचित समय पर उचित मात्रा का ज्ञान होना आवश्यक है। तभी हम उचित व्यक्ति से उचित समय पर उचित व्यवहार कर सकते हैं।
(घ) जो व्यक्ति श्रम और समय का पारखी होता है उसी को लक्ष्मी प्राप्त होती है।
(ङ) समय की कीमत
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बहुत घुटन है बंद घरों में, खुली हवा तो आने दो,
संशय की खिड़कियाँ खोल, किरनों को मुस्काने दो।
ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं,
चमक-दमक, आपा-धापी है, पर जीवन का नाम नहीं
लौट न जाए सूर्य द्वार से, नया संदेशा लाने दो।
हर माँ अपना राम जोहती, कटता क्यों वनवास नहीं
मेहनत की सीता भी भूखी, रुकता क्यों उपवास नहीं।
बाबा की सूनी आँखों में चुभता तिमिर भागने दो।
हर उदास राखी गुहारती, भाई का वह प्यार कहाँ ?
डरे-डरे रिश्ते भी कहते, अपनों का संसार कहाँ ?
गुमसुम गलियों को मिलने दो, खुशबू तो बिखराने दो।
(क) ‘ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। [2]
(ख) सूर्य द्वार से ही क्यों लौट जाएगा? [2]
(ग) आज रिश्तों के डरे-डरे होने का कारण आप क्या मानते हैं? [1]
(घ) ‘तिमिर’ शब्द का अर्थ लिखिए। [1]
(ङ) कवि ने क्या संदेश दिया है? [1]
अथवा
मेरा माँझी मुझसे कहता रहता था
बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना।
पर जो बार-बार बाधा बन के आएँ,
उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना।
जानबूझ कर जो मेरे पथ में आती हैं,
भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें
मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ,
उतनी ही मिलती हैं, ये ग्रीवा ताने।
रख अपनी पतवार, कुदाली को लेकर
तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ।
राह बनाकर नाव चढ़ाए जाता हूँ,
जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं
भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।
(क) राह में आने वाली बाधाओं के साथ कवि कैसा व्यवहार करता है? [2]
(ख) कवि ने हमें क्या प्रेरणा दी है? स्पष्ट कीजिए। [2]
(ग) कवि ने अपना माँझी किसे कहा है? [1]
(घ) “उन्नत भाल’ का क्या आशय है? [1]
(ङ) जीवन की नैया का चतुर खिवैया’ किसे कहा गया है? [1]
उत्तर:
(क) कवि कह रहा है कि शहरों में गगनचुंबी इमारतें खड़ी हैं लेकिन आपस में प्रेम, स्नेह, सौहार्द की भावना नहीं है। ऊंची इमारतें हैं लेकिन आंगन बिना प्रेम और स्नेह के सूने हैं।
(ख) जीवन की चमक-दमक और आपाधापी देखकर कवि को लगता है कि सूर्य कह द्वार से ही न लौट जाए।
(ग) आज रिश्तों में प्यार और अपनापन नहीं रह गया है, यही, कारण कवि को रिश्तों के डरे-डरे होने का लगता है।
(घ) अंधकार।
(ङ) कवि ने संदेश दिया है कि आज हम ऊंचे-ऊंचे भवनों में रहकर प्यार, प्रेम, स्नेह और अपनापन खो बैठे हैं।
अथवा
(क) कवि बाधाओं का सिर कुचलकर आगे बढ़ जाता है।
(ख) कवि बाधाओं से न घबराने की प्रेरणा दे रहा है। कवि कहता है कि जितना ही हम बाधाओं से दूर भागते हैं ये हमारा पीछा करती हैं इसलिए निडर होकर हमें बाधाओं का सामना करना चाहिए।
(ग) स्वयं को।
(घ) बड़ी से बड़ी विघ्र बाधाएँ।
(ङ) कवि स्वयं को जीवन की नैया का चतुर खिवैया कहता
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किन्हीं तीन का निर्देशानुसार उत्तर लिखिए : [1 × 3 = 3]
(क) मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु के साथ ही फ़ादर के शब्दों से झरती शांति भी याद आ रही है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) रात हुई और आकाश में तारों के असंख्य दीप जल उठे। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) माँ ने कहा कि शाम को जल्दी घर आ जाना। (रेखांकित उपवाक्य का भेद लिखिए)
(घ) पान वाले के लिए यह मजेदार बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए चकित कर देने वाली। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर:
(क) मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु याद आ रही है। और साथ ही फादर के शब्दों से झरती शांति भी याद आ रही है।
(ख) रात होने पर आकाश में तारों के असंख्य दीप जल उठे।
(ग) माँ ने शाम को जल्दी घर आने के लिए कहा।
(घ) पान वाले के लिए जो बात मजेदार थी वह हालदार साहब के लिए चकित कर देने वाली थी।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किन्ही चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए : [1 x 4 = 4]
(क) हालदार साहब ने पान खाया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) दादा जी प्रतिदिन पार्क में टहलते हैं। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) गाँधी जी द्वारा विश्व को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) पान कहीं आगे खा लेंगे। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ङ) खिलाड़ी दौड़ नहीं सका। (भाववाच्य में बदलिए)
उत्तर:
(क) हालदार साहब के द्वारा पान खाया गया।
(ख) दादा जी से प्रतिदिन पार्क में टहला जाता है।
(ग) गांधी जी ने विश्व को सत्य और अहिंसा का सन्देश दिया।
(घ) पान कहीं आगे से खा लेंगे।
(ङ) खिलाड़ी से दौड़ा नहीं गया।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए : [1 × 4 = 4]
(क) सुरभि विद्यालय से अभी-अभी आई है।
(ख) उसने मेरी बातें ध्यानपूर्वक सुनी।
(ग) शाबाश! तुमने बहुत अच्छा काम किया।
(घ) वहाँ दस छात्र बैठे हैं।
(ङ) परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती।
उत्तर:
(क) संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, अपादान कारक।
(ख) रीतिवाचक, क्रियाविशेषण, अव्यय।
(ग) सर्वनाम, मध्यमपुरुष वाचक, एकवचन।
(घ) विशेषण, निश्चित संख्यावाचक।
(ङ) सम्बन्धबोधक अव्यय|
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिएः [1 × 4 = 4]
(क) ‘भयानक रस’ का एक उदाहरण लिखिए।
(ख) निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में रस पहचान कर लिखिएः
तनकर भाला यूँ बोल उठा
राणा ! मुझको विश्राम न दे।
मुझको वैरी से हृदय-क्षोभ
तू तनिक मुझे आराम न दे।
(ग) “जुगुप्सा’ किस रस का स्थायी भाव है?
(घ) ‘शांत’ रस का स्थायी भाव क्या है?
(ङ) किस रस को ‘रसराज’ भी कहा जाता है?
उत्तर:
(क) एक और अजगरहि लर्वी एक और मृगराय। विकल बटोही बीच ही परयो मूर्छा खाए।
(ख) वीर रस।
(ग) वीभत्स रस।
(घ) निर्वेद
(ङ) श्रृंगार।
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः
पिता के ठीक विपरीत थीं हमारी बेपढ़ी-लिखी माँ। धरती से कुछ ज्यादा ही धैर्य और सहनशक्ति थी शायद उनमें । पिता जी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य और बच्चों की हर उचित-अनुचित फरमाइश और जिद को अपना फर्ज समझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करती थीं वे। उन्होंने जिंदगी भर अपने लिए कुछ माँगा नहीं, चाहा नहीं केवल दिया ही दिया। हम भाई-बहिनों का सारा लगाव (शायद सहानुभूति से उपजा) माँ के साथ था लेकिन निहायत असहाय मजबूरी में लिपटा उनका यह त्याग कभी मेरा आदर्श नहीं बन सका न उनको त्याग, न उनकी सहिष्णुता
(क) माँ की उपमा धरनती से क्यों की गई है? [2]
(ख) लेखिका को माँ का कौन-सा रूप अच्छा नहीं लगता था? क्यों? [2]
(ग) लेखिका और उसके भाई-बहिनों की सहानुभूति किसके साथ थी?
उत्तर:
(क) लेखिका मन्नू भंडारी की माँ के अंदर धरती से भी अधिक धैर्य और सहनशक्ति थी। पिताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य समझती थी और बच्चों की हर अनुचित फरमाइश और जिद को अपना फर्ज समझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करती थी। इसलिए उनकी उपमा धरती से की गयी है।
(ख) लेखिका को अपनी माँ का निहायत मजबूरी में लिप्त त्याग हौर सहनशक्ति वाला रूप अच्छा नहीं लगता था। क्योंकि लेखिका स्वच्छंद विचारों की और आजाद ख्यालों की थी। हर व्यक्ति को अपने जीवन को अपने तरीके से जीने की कला में वह विश्वास रखती थी।
(ग) लेखिका और भाई बहनों की सहानुभूति अपनी माँ के साथ थी।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : [2 × 4 = 8]
(क) बालगोबिन भगत के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ लिखिए।
(ख) मन्नू भंड़ारी और उनके पिता के बीच मतभेद के दो कारण लिखिए।
(ग) कैप्टन कौन था ? वह मूर्ति के चश्मे को बार-बार क्यों बदल दिया करता था ?
(घ) फादर बुल्के को हिन्दी के बारे में क्या चिंता थी?
(ङ) खीरा काटने में नवाब साहब की विशेषज्ञता का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
(क) बालगोबिन भगत गृहस्थ होकर भी साधु का प्रतिनिधित्व करते थे। सामाजिक रूढ़वादिता में विश्वास नहीं रखते थे। वे कबीर को अपना साहब मानते थे और जो कुछ भी खेत में उपजता उसको सबसे पहले कबीर के मठ में रख देते थे।
(ख) मन्नू भंडारी के पिता चाहते थे कि वह घर में होने वाले राजनीतिक पार्टियों के लोगों के विचार सुने जाने और समझे कि देश में क्या कुछ हो रहा है, यही पिताजी के द्वारा दी गयी आजादी की सीमा थी, लेकिन मन्नू की आजादी की सीमा चारदीवारी से बाहर निकल कर आजादी के आंदोलन में भाग लेना था। इसी कारण अपने पिता के साथ मन्नू की वैचारिक टकराहट थी। क्योंकि दोनों के विचारों में विपरीत सोच थी। दूसरा मन्नू स्वच्छद ख्यालों वाली थी और पिता शक्की स्वभाव के थे।
(ग) कैप्टन चश्मे बेचने वाला दुबला पतला मरियल सा आदमी था। वह इतना बड़ा देशभक्त था कि रोज अपनी फेरी में से नया चश्मा नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति पर लगा दिया करता था। उसकी देशभक्ति का मजाक उड़ाने के लिए लोग उसे कैप्टन कहकर पुकारते थे।
(घ) फादर बुल्के की चिंता हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की थी। हिंदी वालों के द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर उन्हें बहुत दु:ख होता था। हर मंच से वे अपनी यह तकलीफ बयान करते।
(ङ) नवाब साहब ने पहले खीरों को धोया पोंछा सुखाया और फिर तौलिये से साफ किया। तत्पश्रात खीरों को फांकों में काटा और नमक लगाकर लाल मिर्च की सुर्खा बुरक दी। इतने इत्मीनान से खीरों को सूंघकर बिना खाये ही रसास्वादन करके खिड़की से बाहर फेंक दिया।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
लखन कहा हँसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।।
का छति लाभु जून धनु तोरें । देखा राम नयन के भोरें ।।
छुअत टूट रघुपतिहू न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू ।।
बोले चितै परसु की ओरा। रे सठ सुनेहि सुभाउ न मोरा ।।।
बालकु बोलि बधौं नहि तोही। केवल मुनि जड़ जानहि मोहि।
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्हीं। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा । परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
(क) परशुराम के क्रुद्ध होने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? [2]
(ख) प्रस्तुत काव्यांश के आधार पर लिखिए कि परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा। [2]
(ग) परशुराम के बारे में कौन-सी बात विश्व प्रसिद्ध थी? [1]
उत्तर:
(क) परशुराम के क्रुद्ध होने पर लक्ष्मण ने कहा हे मुनि हमारी समझ में तो सारे धनुष एक समान होते हैं। श्रीरामचंद्र ने तो इसे नए के धोखे में हुआ था और छूते ही टूट गया। श्रीराम चंद्र जी का इसमें कोई दोष नहीं है। आप तो व्यर्थ में ही इतना क्रोध कर रहे हैं।
(ख) परशुराम अपनी प्रशंसा करते हुए सभा में बोले- मैं बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हूँ, सारा संसार मुझे क्षत्रिय कुल के विनाशक के रूप में जानता है। अपनी भुजाओं के बल से मैंने धरती को जीत लिया था और अनेक बार ब्राह्मणों को दान में दे दिया था।
(ग) परशुराम अत्यंत क्रोधी और पितृभक्त थे। पूरा संसार उन्हें क्षत्रिय कुल द्रोही के रूप में जानता था।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : [2 x 4 = 8]
(क) सूरदास’ के पद के आधार पर लिखिए कि गोपियों ने किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं।
(ख) ‘उत्साह’ कविता में कवि बादल को गरजने के लिए क्यों कहता है? बादल से कवि की अन्य अपेक्षाएँ क्या हैं?
(ग) “छाया मत छूना’ कविता में ‘छाया’ शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में हुआ है? स्पष्ट करते हुए बताइए कि कविता क्या संदेश देती है।
(घ) ‘फसल’ कविता में ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? अपने शब्दों में लिखिए।
(ङ) ‘संगतकार’ किन-किन रूपों में मुख्य गायक की सहायता करता है? कविता के आधार पर उसकी विशेष भूमिका को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) गोपियों ने उद्धव से कहा हे उद्धव तुम तो कमल के पत्ते के समान हो जो जल में रहकर भी जल के प्रभाव में नहीं आता, तुम तेल के समान और कृष्ण जल के समान हैं जो तेल पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाता। गोपियाँ स्वयं को चींटी और कृष्ण को गुड़ के समान बताती हैं। गोपियाँ कहती हैं जिस प्रकार हारिल पक्षी अपनी लकड़ी को पंजों में दबाकर रहता है ठीक उसी प्रकार हमने कृष्ण को मजबूती से पकड़ रखा है।
(ख) कवि निराला जी एक क्रांतिकारी कवि हैं। वे क्रांति के द्वारा परिवर्तन लाने की बात कहते हैं। कवि का मानना है कि किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए कोमलता नहीं कठोरता की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि बादलों को बरसने के स्थान पर गरजने का आह्वान कर रहे हैं।
(ग) छाया मत चूना कविता में छाया शब्द का प्रयोग अतीत की स्मृतियों के रूप में किया गया है। कवि अतीत को छाया के रूप में चित्रित कर रहा है। कविता यह सन्देश देती है कि यदि वर्तमान में हम अपने अतीत को याद करते हैं तो हमारा वर्तमान भी दु:खी हो जाता है। अतः हमे अतीत को भूलकर आने वाले भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए।
(घ) फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि परिश्रमी किसानों को सलाम करना चाहता है। किसान तपती गर्मी, कड़कड़ाती तथा हाड़ कॅपकपाती ठण्ड तथा मूसलाधार वर्षा में भी दिन-रात परिश्रम करते हुए खून-पसीना एक करके फसल उगाने में लगा रहता है। उन्हीं के हाथों के स्पर्श के कारण फसलें खेतों में लहलहाती फलती-फूलती दिखाई देती हैं। कवि किसानों के प्रति अपनी आभार व्यक्त करना चाहती है।
(ङ) संगतकार मुख्य गायक को हमेशा बुलंदी पर पहुँचाने में मदद करता है। वह हमेशा मुख्य गायक के सुर में सुर मिलाकर उसको बुलँदी पर पहुँचाने में मुख्य भूमिका निभाता है। जिस प्रकार क्रिकेट के मैदान में सभी खिलाड़ी अपना प्रदर्शन करते हैं लेकिन श्रेय कैप्टन को जाता है। ठीक उसी प्रकार मुख्य गायक की सफलता के पीछे संगतकार का हाथ होता है।
प्रश्न 11.
‘माता का अंचल’ नामक पाठ में लेखक ने तत्कालीन समाज के पारिवारिक परिवेश का जो चित्रण किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए। [5]
अथवा
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता यहाँ तक की भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करता है ? आप इस बारे में क्या सोचते हैं।
उत्तर:
माता का अंचल ग्रामीण संस्कृति पर आधारित लेखक के बचपन का संस्मरण है उस समय के सामाजिक परिवेश में बच्चों का बचपन बहुत ही स्वच्छंद और आनंदमय था। लेखक भोलानाथ ने उस समय का वर्णन किया है कि उनका अधिक समय पिता के साथ ही बीतता था माता से सिर्फ दूध पीने का नाता था। सारा दिन भोलानाथ अपने मित्रों के साथ खेल तमाशों में व्यस्त रहता। पिता भी उसकी हर गतिविधि में शामिल रहते। परन्तु जब संकट आया तो भोलानाथ माँ की शरण में जा छुपता क्योंकि हर बच्चे को लगता है कि संकट के समय माँ का अंचल ही उसके लिए सबसे सुरक्षित और महफूज जगह है।
अथवा
रानी एलिजाबेथ भारत दौरे पर आ रही थी तो यह कहानी उसी समय की है। रानी के आने की खबर सुनकर शाही तंत्र में हड़कंप मच गया की जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर नाक गायब है। अब रानी आएगी और मूर्ति को देखेगी तो क्या सोचेगी। तुरंत ही मूर्तिकार को बुलाया गया और मूर्ति पर नाक लगाने का आदेश दे दिया गया। मूर्तिकार पूरे हिन्दुस्तान की सैर करके आया, हर पहाड़ पर गया परन्तु जॉर्ज पंचम की लाट जितनी नाप की नाक कहीं नहीं मिली। इस बात से यह सिद्ध होता है कि हमारी गुलामी की मानसिकता अभी तक गयी नहीं। अंग्रेजों और विदेशियों को खुश रखने के लिए हमारे शाही तंत्र के लोग अपने और अपनी जनता की नाक भी काटने से भी पीछे नहीं हटते।
खण्ड ‘घ’
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किन्हीं एक विषय पर दिए गए
संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए : [10]
(क) महानगरों में महिलाओं की सुरक्षा
- जीवन शैली
- कामकाजी महिलाओं की समस्या
- सुरक्षा में कमियों के कारण व सुझाव
(ख) मित्र की परख संकट में ।
- भले दिनों के मित्र
- बुरे दिनों के मित्र
- मित्र की परख
(ग) मेरी कल्पना का विद्यालय
- विद्यालय में क्या है अनावश्यक
- क्या-क्या है आवश्यक
- विद्यालय और परिवेश
उत्तर:
(क) महानगरों में महिलाओं की सुरक्षा
हम सभी जानते हैं कि हमारा देश हिंदुस्तान पूरे विश्व में अपनी अलग रीति रिवाज तथा संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। भारत में प्राचीन काल से ही यह परंपरा रही है कि यहाँ महिलाओं को समाज में विशिष्ट आदर एवं सम्मान दिया जाता है। भारत वह देश है जहाँ महिलाओं की सुरक्षा और इज्जत का खास ख्याल रखा जाता है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है। अगर हम इक्कीसर्वी सदी की बात करें तो महिलाएं हर कार्यक्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला काम कर रही हैं चाहे वो राजनीति, बैंक, विद्यालय, खेल, पुलिस, रक्षा क्षेत्र, खुद का कारोबार हो या आसमान में उड़ने की अभिलाषा हो।
हम यह तो नहीं कह सकते कि हमारे देश में महिला सुरक्षा को लेकर कोई मुद्दा नहीं है परन्तु हम कुछ सकारात्मक बिंदुओं को अनदेखा भी नहीं कर सकते।
एक महिला को अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से जिंदगी जीये। वह जब चाहे तब अपनी मर्जी से कहीं भी कभी भी जा सकती है। लेकिन एक सवाल उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
आज ऐसा जमाना है जब जगह-जगह इंसान की शक्ल में भेड़िये घूम रहे हैं। वह भेड़िया आपके साथ में बैठा ऑफिस का कर्मचारी हो सकता है, आपका बॉस हो सकता है, आपके साथ बस या मेट्रो में बैठा यात्री हो सकता है, आपका अपना कोई रिश्तेदार हो सकता है या फिर स्वयं आपका कोई अच्छा और विश्वासपात्र मित्र भी।
किस वक्त कौन सा भेड़िया हमला बोल दे, इसकी क्या गारंटी है। स्वयं एक महिला होने के नाते मुझे यह बात कहते हुए बहुत दु:ख होता है कि हमारा समाज सुरक्षित नहीं है। केवल समाज ही क्यों…. आज तो घर में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। दिल्ली महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से देश का सबसे असुरक्षित शहर है एक नए सर्वेक्षण के अनुसार छुट्टियों में घूमने-फिरने या काम के लिए बाहर निकलने के लिहाज से दिल्ली को सबसे असुरक्षित महानगर माना गया है।
मुंबई को महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से (34 प्रतिशत) सबसे सुरक्षित बताया गया जबकि 12 प्रतिशत मतों के साथ अहमदाबाद एवं बैंगलुरु दूसरे स्थान पर हैं।
(ख) मित्र की परख संकट में
मित्र जीवन के लिए परमावश्यक है। बिना मित्र के हम मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। सच्चा मित्र अर्थात जो विपत्ति में हमारा साथ दे ऐसा मित्र बहुत मुश्किल से मिल पाता है। सच्चा मित्र जीवन के लिए औषधि के समान है। सच्चा मित्र मुसीबत में सबसे पहले काम आता है। वह कठिनाई के दिनों में भी साथ नहीं छोड़ता है। रहीम दास जी ने कहा है,
”रहिमन विपदा हू भली जो थोड़े दिन होइ,
जगत में जानि पड़ते सब कोई।”
हित अनहित या वे कहते हैं कि थोड़े दिनों का कष्ट अच्छा है। क्योंकि उस समय हम अपने असली मित्र को पहचान सकते है।
ऐसा देखा जाता है कि सुख के समय जब व्यक्ति के पास धन, समाज में मनि, अच्छी नौकरी, सकुशल परिवार होता है तो उसके अनेक मित्र होते हैं। पर जैसे ही उसके पास नि का अभाव होता है या उसके बुरे दिन होते हैं, सभी मित्र जो सिर्फ नाम के मित्र थे उसे छोड़ देते हैं। जैसे जब तक तालाब में पानी रहता है अनेक मेढ़क उसके पास मँडराते रहते हैं और पानी सूखने पर तालाब को छोड़कर वो अन्य किसी जगह चले जाते हैं।
एक अच्छा मित्र सही सलाह देता है और हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकता है। वह सुख-दु:ख का साथी होता है। सिर्फ सुख में साथ देने वाले व्यक्ति, असली मित्र नहीं होते हैं। सच्चा मित्र दु:ख में सहायता करता है। हम उस पर भरोसा कर सकते हैं। इसलिए मुसीबत में ही मित्र की परख होती है।
सच्चे मित्र आपके साथ बेवजह नाटकपन या बनावटीपन नहीं दिखाते अगर आपका मित्र आपकी व्यक्तिगत गोपनीय बातें दूसरे लोगों से साझा करता है, तो सच मानिए वह आपका सच्चा मित्र नहीं है उसे तुरंत छोड़ देने में ही आपकी भलाई है।
एक अच्छा दोस्त भावनात्मक रूप से बुद्धिमान होता है, वह आपको इसलिए नहीं ठुकरीता, क्योंकि लोग आपको अच्छा नहीं मानते या आपके बारे में आपके मित्रों को गलत राय देते हैं, बुरे समय में जब कोई आपके साथ नहीं होता, तब भी सच्चा मित्र आपका साथ नहीं छोड़ता। जीवन में एक अच्छे दोस्त का होना बहुत जरूरी है। एक ऐसा दोस्त जो हर मुश्किल में आपका साथ दे एक अच्छा दोस्त हमारे जीवन का अहम हिस्सा होता है। जिसकी जरूरत हमें उम्र के हर पड़ाव में होती है। दोस्ती का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। मित्र राजदार भी होते हैं और सुख-दुख के साथी भी। अत: सच्चा मित्र जीवन के लिए परमावश्यक है।
(ग) मेरी कल्पना का विद्यालय
घर के बाद विद्यालय हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहाँ लोग बहुत कुछ सीखते हैं और पढ़ते हैं। इसे ज्ञान का मंदिर कहा जाता है। अपने विद्यालय या पाठशाला में हम सब जीवन का सबसे अधिक समय व्यतीत करते हैं। जिसमें हम कई विषयों में शिक्षा प्राप्त करते हैं।
स्कूल में हमारे अध्यापक गण अपना ज्ञान हमें प्रदान कर सफलता प्राप्त करने का रास्ता दिखाते हैं। विद्यालय का उदेश्य होता है कि विद्यार्थियों को उत्तम शिक्षा मिले। मेरी कल्पना का विद्यालय ऐसा होना चाहिए कि जहाँ शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ, विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास हो। विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद, रहन-सहन, विज्ञान, कला के क्षेत्र में भी ज्ञान प्रदान किया जाये। सभी विषय के उच्च शिक्षित एवं जानकार शिक्षक विद्यालय में तैनात हो। विद्यालय में उपयुक्त पुस्तकालय हो जो इंटरनेट के माध्यम से विश्व से जुड़ी हो। परंपरागत शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलोजी का भी भरपूर उपयोग हो। विद्यालय में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी सुविधाओं का उपयोग करते हुये, चुनिन्दा जानकर शिक्षकों के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया। जा सके। विद्याथियों के लिए आवश्यक सभी सुविधाएँ जैसे पुस्तकालय, इंटरनेट, कम्प्यूटर, प्रॉजेक्ट, आदि उपलब्ध हो मेधावी विद्यार्थी के साथ-साथ कमजोर विद्यार्थी पर भी शिक्षकों का पूरा ध्यान हो। अगर विद्यार्थी किसी कारणवश विद्यालय आने में असमर्थ हो तो वह इंटरनेट के माध्यम से भी अपने घर पर भी विद्यालय की कक्षा में मानसिक रूप से उपस्थित रह सके। इस प्रकार मेरी कल्पना का विद्यालय आज के युग से कदम से कदम मिलाकर चलाने वाला होना चाहिए।
मेरी कल्पना के विद्यालय में सर्वधर्म समभाव होना चाहिए। अमीर-गरीब का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हर विद्यार्थी स्वच्छंद रूप से बेहिचक प्रसन्नतापूर्वक शिक्षा ग्रहण कर सके।
मेरी कल्पना के विद्यालय में एक बहुत ही सुंदर पुस्तकालय होना बेहद आवश्यक है। जहाँ हर विषय और ज्ञान की पुस्तकों की भरमार हो जहाँ विद्यार्थी खुश होकर स्वाध्याय कर सके। हमारा विद्यालय हमारा विद्या का मंदिर होता है। जिस तरह से भक्त लोगों के लिए मंदिर और पूजा स्थल पवित्र स्थान होता है उसी तरह से एक विद्यार्थी के लिए उसका विद्यालय एक पवित्र स्थल होता है। इस पवित्र मंदिर के भगवान हैं हमारे गुरुजन जो हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर हमारे मन में ज्ञान रूपी प्रकाश को फैला देते हैं। अतः मेरी कल्पना का विद्यालय ज्ञान विज्ञान का और स्वस्थ स्वच्छ वातावरण का तथा शांति एकता सौहार्द्र और प्रेम का पवित्र मंदिर होना चाहिए जो छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल और उन्नत दिशा में आगे बढ़ाए।
प्रश्न 13.
आपके क्षेत्र में डेंगू फैल रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए। [5]
अथवा
अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर धन्यवाद दीजिए कि आड़े वक्त में उसने किस तरह आपका साथ दिया था।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
च, छ, ज, आगरा।
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी।
त थ द, आगरा।
महोदय
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं च छ ज क्षेत्र का निवासी हूँ इस पत्र के द्वारा आपको ध्यान अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य समस्यों की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में डेंगू प्रबल रूप से फैलता ही जा रही है जिस कारण अस्पतालों में , भी मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त कमी है। उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ और डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों की मृत्यु हो रही है।
अतः आप से निवेदन है कि हमारे क्षेत्र के अस्पताल में उचित । चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए और दवाएँ उपलब्ध करवाई जाए जिससे डेंगू से पीड़ित मरीजों की जान बचाई जो सके।
यदि आपने मेरी समस्या पर अमल किया तो मैं और मेरे क्षेत्र के निवासी आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद!
भवदीय,
अ ब स
दिनांक 30 – 03 -20XX
अथवा
परीक्षा भवन,
त थ द, आगरा।
दिनांक 30 – 03 -20XX
प्रिय मित्र,
मधुर स्मृति
मैं यहाँ पर कुशल मंगल हूँ तथा तुम्हारी कुशलता की कामना ईश्वर से करता हूँ।
पत्र लिखने का कारण यह कि मैं तुम्हें तुम्हारी दयालुता और सहयोग भावना के लिए तहेदिल से धन्यवाद प्रकट करना चाहता हूँ।
मित्र जब मुझे पैसे की सख्त आवश्यकता थी और मैं लाचार था तब आड़े वक्त में तुमने मुझे पैसे देकर मेरी समस्या को दूर किया। मैं शुक्रगुजार हूँ कि तुम्हारा किस प्रकार कर्ज चुकाऊँ।
ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम्हारे जैसा मित्र सबको मिले। मैं तुम्हारी दयालुता को कभी भुला नहीं पाऊंगा घर में अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम देना और छोटे भाई बहन को प्यार।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
च छ ज
प्रश्न 14.
आपके शहर में एक नया वाटर पार्क खुला है, जिसमें पानी के खेल, रोमांचक झूलों, मनोरंजक खेलों और खान-पान की व्यवस्था है। इसके लिए एक विज्ञापन का आलेख लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। [5]
अथवा
आपके पिताजी अपनी पुरानी कार बेचना चाहते हैं। इसके लिए पूरा विवरण देते हुए एक विज्ञापन का आलेख लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर:
खुशखबरी! खुशखबरी ! | खुशखबरी!
आपके शहर में पहली बार
मसलती की बहार
आइए आइए ! वाटर पार्क का आनंद लीजिए।
पानी के रोमांचक खेल आनंददायक झूले
मनोरंजक खेलों के संग खान-पान के रंग
अपने शहर में वाटर पार्क का असीमित आनंद लीजिए।
जिंदगी को सुकून दीजिए।
आइए टिकट पर 10 प्रतिशत की छूट
ऑफर सीमित समय के लिए
क्रिस्थल वाटर पार्क
नियर रोहिणी वेस्ट
मैट्रो स्टेशन
9871543098
अथवा
सेल! सेल! सेल!
पुरानी कार के दाम पर एकदम नई कार
खुशियों का खजाना अपार
एक वर्ष पुरानी स्विफ्ट मारुति कार सफेद रंग
एकदम चमचमाती हुई नवीनता के संग
कीमत 200000/ मात्र
जल्दी आओ जल्दी पाओ
सुनहरा मौका हाथ से छूटने न पाए
आइए सस्ते दाम में कार अपने नाम कीजिए।
मोहित शर्मा
76/2
चांदनी चौक
नई दिल्ली
7876144356.
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2019 Outside Delhi Set – II
समय :3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
Note : Except for the following questions, all the remaining questions have been asked in previous set.
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : [2 × 4 = 8]
(क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि क्यों कहा है?
(ख) मन्नू भंडारी का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए।
(ग) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?
(घ) बालगोबिन भगत सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?
(ङ) लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा।
उत्तर:
(क) जिस प्रकार यज्ञ की पवित्र अग्नि अपने चारों ओर के वातावरण को शुद्ध पवित्र करके महका देती है और लम्बे समय तक वह पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है, ठीक उसी प्रकार फादर बुल्के भी अपने स्नेह और ममता की छाँव से सबको सराबोर कर देते थे।
(ख) मन्नू भंडारी के पिता चाहते थे कि वह घर में होने वाले राजनीतिक पार्टियों के लोगों के विचार सुने जाने और समझे कि देश में क्या कुछ हो रहा है, यही पिताजी के द्वारा दी गयी आजादी की सीमा थी, लेकिन मन्नू की आजादी की सीमा चारदीवारी से बाहर निकल कर आजादी के आंदोलन में भाग लेना था। इसी कारण अपने पिता के साथ मन्नू की। वैचारिक टकराहट थी। क्योंकि दोनों के विचारों में विपरीत सोच थी।
(ग) बच्चों द्वारा नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाया जाना यह उम्मीद जगाता है कि हमारी भावी पीढ़ी में देशभक्ति की भावना प्रबल है। इस देश के नवनिर्माण में न केवल युवा बल्कि बच्चा-बच्चा भी अपना योगदान देने में तत्पर है। बड़े व्यक्तियों से कहीं अधिक बड़े देशभक्त हमारे नौनिहाल हैं हमारा देश सुरक्षित हाथों में है।
(घ) बालगोबिन भगत का मानना था कि ऐसे व्यक्तियों को अधिक प्यार और स्नेह की आवश्यकता होती है। जो लोग मानसिक रूप से सुस्त और बोदा होते हैं माता पिता के उनके प्रति कर्तव्य और भी बढ़ जाते हैं। वे प्रेम और ममता के अधिकारी सामान्य लोगों से ज्यादा होते हैं। यदि ऐसे बच्चों को तिरस्कार उपेक्षित किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
(ङ) लेखक नयी कहानी की रचना करना चाहते थे, उन्होंने सोचा कि मुफ्फलिस की ट्रेन में सेकण्ड क्लास का डिब्बा बिल्कुल खाली होगा जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकान्त में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे। जिस कारण उन्होंने एकांत की दृष्टि से सेकण्ड क्लास का टिकट खरीदा।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं चीर प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : [2 x 4 = 8]
(क) संगतकार की मनुष्यता किसे कहा गया है? वह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है?
(ख) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर बसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए।
(ग) परशुराम ने अपनी किन विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया?
(घ) आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? तर्क दीजिए।
(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को ‘दंतुरित मुस्कान’ क्यों कहा है? कवि के मन पर उस मुस्कान का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
(क) संगतकार की मनुष्यता यह है कि वह हमेशा स्वयं को मुख्य गायक के पीछे ही रखता है वह अपनी मनुष्यता बनाए रखने के लिए कभी भी मुख्य गायक को अकेलेपन का अहसास नहीं होने देता। वह हमेशा मुख्य गायक को ऊँचाई पर रखता है। जब मुख्य गायक का स्वर कभी अनहद में भटक जाता है तो संगतकार उन सुरों को सँभालने का कार्य करता है और मुख्य गायक को हताश नहीं होने देता। इस प्रकारे वह अपनी मनुष्यता को बनाकर रखता है।
(ख) कवि निराला फागुन और बसंत की शोभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि चारों ओर प्रकृति में अद्भुत सौंदर्य बिखरा हुआ है। बसंत का मादक सौंदर्य आँखों में समा नहीं पा रहा है। पेड़ों पर नए पल्लव दल लाल और हरे रंग के आ गए हैं। प्रकृति के गले में रंग बिरंगे पुष्पों की माला सजी हुई है। चारों ओर खुशहाल वातावरण है। बसंत की शोभा मंत्रमुग्ध करने वाली है। जिसको आँखें स्वीकार नहीं कर पा रही हैं।
(ग) परशुराम बोले हे लक्ष्मण सहस्रबाहु की हजार भुजाओं को काटने वाली मेरी इस कुल्हाड़ी की ओर देखो। यह गर्भ के शिशुओं को भी नहीं छोड़ती। यह बड़ी क्रूर है पल भर में मैं तुम्हें काल का निवाला बना दूंगा। मैं बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हूँ, मैंने अपनी भुजाओं के बल से धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था और अनेक बार इस धरती को जीतकर ब्राह्मणों को दान में दे दिया था।
(घ) हमारी दृष्टि में कन्या के साथ दाने की बात करना उचित नहीं है। दान तो किसी वस्तु का किया जाता है। कन्या कोई दान की वस्तु नहीं है लेकिन दान से तात्पर्य है कि अपनी कोई प्रिय वस्तु किसी दूसरे के हाथों में सौंप देना। ठीक उसी प्रकार माँ भी अपनी पुत्री को विवाह के समय सदा के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देती है जो उसकी अमूल्य पूँजी होती है। अतः कन्या के विवाह को दान का नाम दिया गया है।
(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान कहा है अर्थात् शिशु के नए दांतों की मुस्कान। शिशु की दंतुरित मुस्कान कवि के लिए मृतक में भी जान डाल देने वाली है कवि के मन पर शिशु की मुस्कान का यह प्रभाव पड़ता है कि उसे लगता है कि कमल का फूल तालाब को छोड़कर स्वयं उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया है। कवि अत्यंत प्रफुल्लित और आश्चर्यचकित है।
प्रश्न 13.
गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं। इससे आप चिंतित हैं। इन अपराधों की रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए। [5]
अथवा
आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
क, ख, ग
नई दिल्ली। 1100XX
सेवा में,
थानाध्यक्ष,
च, छ, ज
नई दिल्ली।
विषय- बढ़ते अपराधों की शिकायत हेतु थानाध्यक्ष को पत्र।
महोदय,
सविनय नम्र निवेदन इस प्रकार है कि हमारे क्षेत्र में कुछ दिनों से अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। आए दिन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, छेड़छाड़ और चेन झपटमारी की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। लड़कियों का घर से बाहर निकलना दूभर हो रहा है। चोरी डकैती की घटनाएँ भी दिन प्रतिदिन बढ़ने के कारण हमारे क्षेत्र के निवासी अत्यंत परेशान हैं।
अतः आपसे आग्रह है कि हमारे क्षेत्र में पुलिस गश्त बढ़ा दी जाए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ उचित कदम उठाएँ जिससे कि सभी क्षेत्र के निवासी सुरक्षित जीवन जी सकें। यदि आपने हमारी समस्या की ओर ध्यान दिया तो हम सभी क्षेत्र के निवासी आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद! भवदीय,
प, फ, ब.
दिनांक-22.03.20XX
अथवा
परीक्षा भवन,
क, ख, ग
नई दिल्ली।
1100XX
दिनांक 22.03.20XX
प्रिय मित्र,
मधुर स्मृति। मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ तथा तुम्हारी कुशलता की कामनाएँ ईश्वर से करता हूँ। पत्र लिखने का कारण यह है कि मैं तुम्हारे प्रति अपनी असीम कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूँ। मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि तुमने मुझे शिमला आने का आमंत्रण दिया और मैं वहां पहुँच भी गया। जिस प्रकार तुमने मुझे शिमला की सैर कराई और मैंने प्राकृतिक सौंदर्य क आनंद लिया उस आनंद को मैं कभी भूल नहीं सकता। पर्वतीय सौंदर्य में एक अजीब सी शांति और सुख है। काश मैं भी तुम्हारे साथ हमेशा उस स्वर्गिक सौंदर्य का आनंद ले पाता।
मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ कि तुमने मुझे शिमला के दर्शनीय स्थलों की सैर कराई तथा पहाड़ों की खूबसूरती के नजारे दिखाए। अगले वर्ष ग्रीष्मावकाश में मैं फिर से पर्वतीय सौंदर्य का आनंद लेना चाहूँगा। घर में अपने माता पिताजी को मेरा प्रणाम देना और छोटी बहन को स्नेह।
तुम्हारा अभिन्न मित्र।
त थ द
CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2019 Outside Delhi Set – III
समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
Note : Except for the following questions, all the remaining questions have been asked in previous set.
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : [2 × 4= 8]
(क) दो उदाहरण दीजिए जिनसे आपको लग हो कि बालगोबिन भगत सामाजिक रूढ़ियों से न बँध कर प्रगतिशील विचारों का परिचय देते हैं।
(ख) नवाब साहब ने खीरा खाने की पूरी तैयारी की और उसके बाद उसे बिना खाए फेंक दिया। इस नवाबी व्यवहार पर टिप्पणी कीजिए।
(ग) फादर कामिल बुल्के के हिन्दी के प्रति लगाव के दो उदाहरण पाठ के आधार पर दीजिए।
(घ) मन्नू भण्डारी के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का प्रभाव किस रूप में पड़ा?
(ङ) कैसे कह सकते हैं कि “काशी संस्कृति की प्रयोगशाला” है? ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
(क) जब बालगोबिन भगत के बेटे की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपनी पतोहू को दूसरा विवाह करने के लिए कहा। उनके विचार से पति की मृत्यु के बाद एक स्त्री के लिए अकेले जीवन बिताना बहुत ही दुखपूर्ण और चुनौती भरा कार्य है। उनका यह व्यवहार सामाजिक रूढ़ियों से न बंधकर ऊपर उठाता है।
भगत गृहस्थ होकर भी एक साधु की परिभाषा पर खरे उतरते थे खेतीबाड़ी करते थे और जो भी खेत में अन्न उपजता उसको सबसे पहले कबीर के मठ में ले जाते और जो भी प्रसाद रूप में मिलता उसी से गुजर बसर
करते।
(ख) नवाब साहब अपनी नवाबी का दिखावा कर रहे थे। उन्होंने खीरे को पहले धोया, सुखाया, छीला और फिर फॉकों में काटकर सँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया इससे उनके दिखावटी पूर्ण जीवन का पता चलता है।
कि वे खीरे को अपदार्थ और तुच्छ समझते हैं।
(ग) फादर कामिल बुल्के हिंदी वालों के द्वारा हिन्दी भाषा की उपेक्षा से बहुत दुखी होते थे। हर मंच से वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने की बात करते और हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कार्य करते। (घ), मन्नू भंडारी पर उनके पिता और हिन्दी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव पड़ा। पिता की तरह वह भी देशभक्त और आजादी के आंदोलन में भागीदारी देने वाली देशभक्त थीं। पिता की तरह ही शक्की स्वभाव और तमाम गुण मन्नू में समाहित थे।
शीला अग्रवाल ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने को कार्य किया। मन्नू को चुनिंदा उच्च साहित्यकारों की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। साथ ही घर की चारदीवारी से बाहर निकालकर उनको आंदोलन के
लिए प्रेरित किया।
(ङ) काशी संस्कृति की पाठशाला है क्योंकि काशी में संगीत की एक अद्भुत परंपरा रही है। बड़े-बड़े रसिक कण्ठे महाराज ने भी यहीं सबको संस्कृति का पाठ पढ़ाया। काशी में बाबा विश्वनाथ हैं, संकटमोचक हनुमान का मंदिर है। काशी में गंगा जमुनी संस्कृति है। इसको शास्त्रों में आनंद कानन के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं चीर प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : [2 × 4 = 8]
(क) ‘उत्साह’ कविता में कवि बादल से क्या अनुरोध करता है?
(ख) भाव स्पष्ट कीजिए :
“छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के
फूल बाँस था कि बबूल?”
(ग) “छाया मत छूना मन’ में ‘छाया’ किसका प्रतीक है? उसे छूने को मना क्यों किया गया है?
(घ) ‘कन्यादान’ कविता का संदेश संक्षेप में लिखिए।
(ङ) मॅजे हुए प्रतिष्ठित संगीतकार को भी अच्छे संगतकार की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
(क) उत्साह कविता में कवि बादल से अनुरोध करता है। कि हे बादलो तुम गगन को चारों ओर से घेर लो, घोर अंधकार कर लो और क्रांति करो। अनंत दिशा से आकर घरघोर गर्जना करके बरसों और तपती हुई धरा को शीतल कर दो। क्रांति के द्वारा परिवर्तन ले आओ।
(ख) कवि अपने शिशु की दंतुरित मुस्कान को देखकर कहता है कि तुम्हारे नए दाँतों के मुस्कान में एक आकर्षण है। जैसे ही मैंने तुम्हें छुआ ऐसे लगा कि शेफालिका के सफेद फूल झड़ रहे हैं। तुम्हारी मुस्कान देखकर बांस और बबूल में भी शेफालिका के जैसे फूल खिलने लगेंगे।
(ग) छाया मत छूना अतीत की स्मृतियों की प्रतीक है। कवि अतीत को याद करने से मना करता है क्योंकि अतीत को याद करके वर्तमान का दुःख दुगुना हो जाता है। हम आज के सुख को भी खो देते हैं। अतः हमें अतीत को भूल जाना चाहिए और वर्तमान में जीना चाहिए और आने वाले समय को सुखी बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।
(घ) कन्यादान कविता का सन्देश यह है कि हमारे समाज में स्त्रियों के लिए कुछ प्रतिमान स्थापित कर दिए जाते हैं। समाज उनको कमजोर समझता है और अत्याचार करता है। अपने संचित अनुभव के आधार पर माँ कन्यादान के समय अपनी बेटी को शिक्षित कर रही है। ताकि समाज में वह एक उच्च सुखी जीवन जी सके और समाज की मानसिकता से वह परिचित हो सके। विवाह पश्चात् लड़की परिवार की केन्द्र बिन्दु होती है। अतः लड़की को उसके कर्तव्यों से परिचित करा रही
(ङ) जब कभी मँजा हुआ संगीतकार अपने सुरों के जंगल में भटक जाता है अनहद में चला जाता है तब संगतकार ही उसके सुरों को सँभालने का कार्य करता है। संगीतकार ही मुख्य संगीतकार या गायक का अस्तित्व बचाता है और स्वयं हमेशा मुख्य गायक के पीछे रहता
प्रश्न 11.
‘माता का अंचल’ पाठ की दो बातों का उल्लेख कीजिए जो आपको अच्छी लगी हों। इनसे आपको क्या प्रेरणा मिली? [4]
अथवा
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘माता का अंचल’ पाठ ग्रामीण संस्कृति के बच्चों के बचपन की एक जीवंत झलक है। इस पाठ में बच्चों के स्वच्छंद बचपन का वर्णन है कि किस प्रकार वे अपने हमजोलियों के बीच मिट्टी में ही बिना खेल खिलौनों के अपना जीवन बिताते हैं। पिताजी का भोलेनाथ के हर खेल में शामिल होना हर खेल पर अपनी बच्चों सी टिप्पणी देना बहुत अच्छा लगा। जब चूहे के बिल में से सांप निकल आया और दशहत में आकर संकट के समय भोलेनाथ का माँ के आँचल में जाकर छुप जाना बहुत अच्छा लगा। इस पाठ में गुदगुदाने वाले प्रसंग भी अनेक हैं। पिता का इस प्रकार बच्चा बन जाना बहुत सुखद अनुभव है जो सभी पाठकों को गुदगुदा देता है।
अथवा
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ एक सटीक व्यंग्य है हमारे शाही तंत्र की गुलामी की मानसिकता पर जब रानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत दौरे पर आ रही थी तो बड़े-बड़े हुक्कामों ने दिल्ली का काया पलट कर दिया। वे भूल चुके हैं कि इसी महारानी के देश ने ही उन्हें कभी गुलाम बनाया था। इस निबंध में सरकारी कार्यप्रणाली पर भी व्यंग्य है। नाजनीनों की तरह दिल्ली को सजाया संवारा गया । जॉर्ज पंचम की मूर्ति से गायब नाक के लिए मूर्तिकार को नाक लगाने का आदेश दे दिया गया। मूर्तिकार हिंदुस्तान के कोने कोने में गया किन्तु मूर्ति की नाप की नाक ढूँढने में असफल रहा।
अंत में जिंदा नाक लगाकर कार्य पूरा किया गया। यह एक जीता जागता उदाहरण है हमारे शाही तंत्र की मानसिकता पर कि किस प्रकार अपनी नाक बचाने के लिए जनता की नाक तक काट देते हैं।
प्रश्न 13.
‘पड़ोस में आग लगने की दुर्घटना की खबर तुरंत दिए जाने पर भी दमकल अधिकारी और पुलिस देर से पहुँचे जिससे आग ने भीषण रूप ले लिया। इसके बारे में विवरण सहित एक शिकायती पत्र अपने जिला अधिकारी को लिखिए। [5]
अथवा
पढ़ाई छोड़कर घर बैठे छोटे भाई को समझाते हुए पत्र लिखिए कि पढ़ना क्यों आवश्यक है। पत्र ऐसा हो कि उसमें नई उमंग का संचार हो सके।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
क, ख, ग, आगरा।
सेवा में,
जिलाधिकारी,
अ, ब, स
आगरा
दिनांक 25 मार्च 20XX
विषय – दमकल अधिकारी और पुलिस की लापरवाही की शिकायत हेतु पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं च. छ. ज. क्षेत्र का निवासी इस पत्र के माध्यम से आपको दमकल विभाग और पुलिस की लापरवाही की शिकायत करना चाहता हूँ। कल मेरे पड़ोसी के यहाँ अचानक आग लग गयी, जिस कारण पड़ौसियों का घर पूरी तरह से जल कर स्वाहा हो गया।
आग लगने की घटना की जानकारी तुरंत दमकल विभाग को दी गयी परन्तु कई घण्टे तक भी दमकल की कोई गाड़ी नहीं आयी और न ही पुलिस ने आकर घटना की जानकारी ली। इतनी देर में आग की लपटें दूसरे पड़ौसियों के घर तक आकर भी फैल गयी।
दमकल विभाग के कर्मचारी समय पर आते तो इतने बड़े नुकसान को बचाया जा सकता था। आपसे अनुरोध है कि दमकल विभाग और पुलिसकर्मियों के प्रति सख्त कार्यवाही करें जो सूचना देने के बाद भी घटनास्थल पर नहीं आए।
सधन्यवाद।
भवदीय
प. फ. ब.
अथवा
परीक्षा भवन
क, ख, ग
आगरा
दिनांक 22.20.20XX
प्रिय अनुज,
शुभाशीष। इस पत्र के द्वारा मैं तुम्हें पढ़ाई का महत्व समझाना चाहता हूँ मुझे मालूम हुआ है कि तुम पढ़ाई छोड़कर घर पर बैठे हो और विद्यालय भी नहीं जा रहे हो। यदि तुम विद्यालय नहीं जाओगे तो घर पर बैठकर तुम्हारा अर्जित ज्ञान भी धूमिल हो जाएगा और खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बिना पढ़ाई के जीवन व्यर्थ है तुम अपना भविष्य बिना पढ़ाई के कैसे बना सकते हो। यदि तुम पढ़ोगे तो आगे चलकर अपने पैरों पर खड़े हो सकते हो और आत्मसम्मान आत्मविश्वास प्राप्त करोगे और जो चाहो जीवन में हासिल कर पाओगे।
आशा है कि तुम मेरी बात समझ गए होंगे और कल से नियमित रूप से विद्यालय जाओगे तथा परिश्रम करोगे। घर में माता पिताजी को मेरा दंडवत् प्रणाम देना और छोटी बहन को प्यार।
तुम्हारा अग्रज,
च.छ.ज.