Refer to the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 16 गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात to develop Hindi language and comprehension skills among the students.
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 16 गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात
Class 12 Hindi Chapter 16 Question Answer Antra गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात
प्रश्न 1.
लेखक सेवाग्राम कब और क्यों गया था ?
उत्तर :
लेखक सन 1938 के आसपास सेवाग्राम अपने भाई बलराज के पास गया था। वह कुछ दिन अपने भाई के साथ बिताना चाहता था। सेवाग्राम में जाने का एक कारण यह था कि वह गांधी जी को पास से देखना और बात करना चाह रहा था।
प्रश्न 2.
लेखक का गांधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा ?
उत्तर :
गांधी जी सुबह सात बजे घूमने निकलते थे। वे लेखक के भाई बलराज के घर के सामने से गुज़ते थे। लेखक उन्हें देखने और मिलने के लिए उत्सुक था। वह सुबह जल्दी उठकर घर के सामने खड़ा हो गया। सात बजे गांधी जी आश्रम से निकले। उन्हें देखकर लेखक प्रसन्न हो गया। लेखक का भाई अब तक सो रहा था। लेखक ने उसे जगाया। लेखक को अकेले उनके पास जाने से संकोच हो रहा था, इसलिए वह जिद्द करके अपने भाई को अपने साथ ले गया। बलराज ने उसका परिचय गांधी जी से करवाया। लेखक गांधी जी से बात करना चाहता था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि बात कैसे शुरू करें। लेखक ने गांधी जी को रावलपिंडी आने की याद दिलाई। इस तरह उसका गांधी जी से वार्तालाप शुरू हुआ। लेखक गांधी जी से मिलकर बहुत उत्साहित और प्रसन्न हुआ था।
प्रश्न 3.
लेखक ने सेवाग्राम में किन-किन लोगों के आने का ज़िक्र किया है ?
उत्तर :
लेखक लगभग तीन सप्ताह तक सेवाग्राम में रहा। वह सुबह गांधी जी के साथ घूमने और शाम प्रार्थना सभा में जाता था। वहाँ उसे जाने-माने देशभक्त पृथ्वी सिंह आज़ाद, मीरा बेन, खान अब्दुल गफ़्फार खान, राजेंद्र बाबू आदि देखने को मिले। पृथ्वी सिंह आज़ाद से लेखक को उनके अंग्रेज़ों की गिरफ्त से भाग निकलने का किस्सा भी सुनने को मिला।
प्रश्न 4.
रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार किस प्रकार का था ?
उत्तर :
रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण तथा विनम्र था। रोगी बालक ने अधिक मात्रा में ईख पी ली थी, इसलिए उसके पेट में दर्द शुरू हो गया था। बालक दर्द से चिल्लाते हुए गांधी जी को बुलाने की ज़िद्द कर रहा था। गांधी जी आए। उन्होंने आते ही बालक के फूले हुए पेट पर हाथ फेरा और उसे सहारा देकर बैठाया। गांधी जी ने उस बालक को मुँह में हाथ डालकर उल्टी करने के लिए कहा। लड़के के उल्टी करने तक गांधी जी उसकी पीठ सहलाते रहे। उल्टी करते ही उसका पेट हल्का हो गया। बालक को आराम करने के लिए कहकर गांधी जी वहाँ से हँसते हुए निकल गए। गांधी जी के मन में उस बालक के प्रति कोई क्षोभ नहीं था। उनके चेहरे पर बालक के प्रति प्यार झलक रहा था।
प्रश्न 5.
कश्मीर के लोगों ने नेहरू जी का स्वागत किस प्रकार किया ?
उत्तर :
नेहरू जी का कश्मीर के लोगों ने कश्मीर पहुँचने पर भव्य स्वागत किया। शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में कश्मीर को शानदार ढंग से सजाया गया था। झेलम नदी पर, शहर के एक किनारे से लेकर दूसरे किनारे तक, सातवें पुल से अमीराक दल तक नावों में उनकी शोभा यात्रा देखने की मिली थी। नदी के दोनों ओर हज़ारों कश्मीरी निवासियों ने पूरे उत्साह के साथ उनका स्वागत किया था। वह दृश्य बहुत अद्भुत था।
प्रश्न 6.
अखबार वाली घटना से नेहरू जी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता स्पष्ट होती है ?
उत्तर :
नेहरू जी को कश्मीर में लेखक के फुफेरे भाई के बँगले में ठहराया गया था। लेखक और उसके फुफेरे भाई को नेहरू जी की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया था। लेखक नेहरू जी के साथ कई दिन रहा, परंतु उसका नेहरू जी से कोई वार्तालाप नहीं हुआ। एक दिन लेखक अखबार पढ़ रहा था। नेहरू जी अपने कमरे से नीचे हॉल में आए। अखबार लेखक के हाथ में देखकर नेहरू जी एक कोने में चुपचाप खड़े हो गए।
लेखक ने सोचा कि नेहरू जी के माँगने पर वह अख़बार को नेहरू जी को देगां; इससे उसका नेहरू जी से वार्तालाप हो जाएगा। कुछ देर नेहरू जी चुपचाप खड़े रहे। फिर उन्होंने लेखक से विनम्रता से कहा कि यदि उसने अखबार पढ़ लिया हो तो उन्हें दे दें। यह सुनकर लेखक शर्मिदा हुआ था। नेहरू जी के इस प्रकार के व्यवहार से पता चलता है कि उनके व्यक्तित्व में विनम्रता का गुण था। उनमें बड़ा आदमी होने का लेशमात्र भी अभिमान नहीं था।
प्रश्न 7.
फ़िलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया बहुत सहानुभूतिपूर्ण एवं समर्थन-भरा क्यों था ?
उत्तर :
फ़िलिस्तीन के प्रति भारत का व्यवहार बहुत सहानुभूतिपूर्ण एवं समर्थन भरा था। भारत की विदेश नीति गुटनिरपेक्षता की रही है। भारत उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवादी शक्तियों के अन्यायपूर्ण रवैये का विरोधी है। भारत किसी भी देश को गुलाम नहीं देखना चाहता था। इसीलिए भारत के देशवासियों ने फ़िलिस्तीन आंदोलन के प्रति सहानुभूति और समर्थन दिया।
प्रश्न 8.
अराफ़ात के आतिथ्य प्रेम से संबंधित किन्हीं दो घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
लेखक को ‘लोटस’ पत्रिका के तत्कालीन संपादक ने सदरमुकाम में भोज के लिए आमंत्रित किया था। लेखक और उसकी पत्नी जब वहाँ पहुँचे, वहाँ उनका स्वागत यास्सेर अराफ़ात ने किया। यास्सेर अराफ़ात लेखक और उनकी पत्नी को चाय की मेज़ तक ले गए। वहाँ उनके पास बैठकर वार्तालाप करने लगे। अराफ़ात ने स्वयं लेखक और उसकी पत्नी को फल छील कर खिलाए। शहद की चाय बनाकर पिलाई और उसकी उपयोगिता के विषय में बताया। एक लेखक को गुसलखाना जाने की आवश्यकता अनुभव हुई। उन्होंने स्वयं ही जहाँ गुसलखाना होना चाहिए उसका अनुमान लगाया। वहाँ चले गए। जब गुसलखाने में से लेखक बाहर निकले, उस समय यास्सेर अराफ़ात तौलिया हाथ में लिए बाहर खड़े थे।
प्रश्न 9.
अराफ़ात ने ऐसा क्यों बोला कि ‘वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता हैं। उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए।’ इस कथन के आधार पर गांधी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
लेखक और उसकी पत्नी यास्सेर अराफ़ात के मेहमान थे। यास्सेर अराफ़ात ट्यूनिस में रहकर फ़िलिस्तीन की अस्थायी सरकार के रूप में कार्य कर रहे थे। लेखक ने जब बातचीत के मध्य गांधी जी और देश के अन्य नेताओं का ज़क्र किया तो अराफ़ात ने कहा कि वे केवल आपके ही नेता नहीं हैं, वे हमारे लिए भी आदरणीय नेता हैं। गांधी जी भारत के ही नहीं अपितु पूरे संसार के नेता हैं। गांधी जी के व्यक्तित्व, विचारों और नीतियों से पूरा संसार प्रभावित था।
गांधी जी दिखने में जितने सरल और साधारण लगते थे उनके विचार और नीतियाँ उतनी प्रभावशाली थीं। उनका अहिंसात्मक व्यवहार दूसरों को अपना अत्याचारी व्यवहार छोड़ने के लिए मजबूर कर देता था। अहिंसा और सत्य के प्रयोग से उन्होंने सदियों से गुलाम भारत को परतंत्रता की जंज़ीरों से मुक्त करवाया। संसार में यह एकमात्र उदाहरण है कि गांधी जी के सत्याग्रह के समक्ष अंग्रेज़ों को झुकना पड़ा। गांधी जी के इस अस्त्र से पूरा संसार प्रभावित हुआ था। इसीलिए गांधी जी भारत में ही नहीं, अपितु सारे विश्व में पूज्यनीय हैं।
भावा-शिल्प –
प्रश्न 1.
पाठ से क्रिया-विशेषण छाँटिए और उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
- आसपास – चोर आसपास छिपा हुआ है।
- दूर – मेरा विद्यालय हमारे घर से पाँच मील दूर है।
- सामने – राम के घर के सामने सरकारी अस्पताल है।
- कैसे – देखो, वह आदमी कैसे खा रहा है ?
- आगे – बच्चे तेज़ दौड़ते हुए वृद्ध व्यक्ति से आगे निकल गए।
- कल – पिता जी कल दिल्ली जाएँगे।
- सहसा – दादा जी सहसा कमरे में आ गए।
- कितना – सुनीता कितना बोलती है !
- कभी – वह कभी स्कूल नहीं गया।
- थोड़ा – थकान के कारण वह थोड़ा ही चल सका।
- पीछे – बीमारी के कारण वह तेज़ चल नहीं सका, इसलिए पीछे रह गया।
- वहाँ – मैं वहाँ रहता हूँ।
- ज्यादा – मैने ज़्यादा केले खाए।
- इधर – वह इधर रहता है।
- यहाँ – मैं यहाँ रहता हूँ।
- धीरे-धीरे – वृद्ध व्यक्ति धीरे-धीरे चलता है।
प्रश्न 2.
‘मैं सेवाग्राम में लगभग तीन सप्ताह तक रहा। अकसर ही प्रातः उस टोली के साथ हो लेता। शाम की प्रार्थना-सभा में जा पहुँचता, जहाँ सभी आश्रमवासी तथा कस्तूरबा एक ओर की पालथी मारे और दोनों हाथ गोद में रखे बैठी होतीं और बिलकुल मेरी माँ जैसी लगतीं।’ गद्यांश में क्रिया पर ध्यान दीजिए।
उत्तर :
क्रिया के सभी रूप भूतकालिक हैं पर उनके भेद भिन्न-भिन्न हैं।
- रहा – सामान्य भूत
- जा पहुँचता – पूर्ण भूत
- बैठी होती – पूर्ण भूत
- हो लेता – पूर्ण भूत
- मारे – पूर्ण भूत
- लगती – पूर्ण भूत
प्रश्न 3.
नेहरू जी द्वारा सुनाई गई कहानी को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
नेहरू जी ने फ्रांस के विख्यात लेखक अनातोले फ्रांस की एक कहानी सुनाई। यह कहानी धर्म में आस्था, भक्ति तथा समर्पण की है। पेरिस शहर में एक गरीब बाज़ीगर अपनी कला के करतब दिखाकर अपना पेट पालता था। उसने अपनी पूरी जवानी बाज़ीगरी के करतब दिखाने में लगा दी। अब वह वृद्ध हो गया था। उससे अधिक काम नहीं होता था। एक बार क्रिसमस के दिन पेरिस के बड़े गिरजाघर में लोग सज-धज कर जा रहे थे। सभी के पास माता मरियम को श्रद्धांजलि देने के लिए उपहार तथा फूलों के गुच्छे थे।
वह गरीब बाज़ीगर गिरजे के बाहर निराश खड़ा था। उसके पास माता मरियम के लिए कोई उपहार नहीं था और न ही उसके कपड़े अच्छे थे। अचानक उसके मन में आया कि जब सभी लोग गिरजे से चले जाएँगे तो वह अपनी कला के करतब माता मरियम की मूर्ति के आगे प्रस्तुत करेगा। जब गिरजा खाली हो गया; बाज़ीगर अंदर गया। वह अपने कपड़े उतारकर करतब दिखाने लगा। वह बड़ी तन्मयता से करतब दिखा रहा था।
करतब करते समय वह हाँफने लगा था। उसके हाँफेने की आवाज़ बड़े पादरी के कानों तक पहुँची। पादरी ने सोचा, कोई जानवर गिरजे में घुस आया है। पादरी उस जानवर को निकालने के लिए जैसे ही गिरजे के हॉल में गया, वहाँ उन्होंने बाज़ीगर को माता मरियम की मूर्ति के समक्ष सिर के बल खड़े देखा। इस स्थिति में बाज़ीगर को देखकर पादरी को बहुत क्रोध आया। पादरी क्रोध में बाज़ीगर को मारने के लिए आगे बढ़ा। उसी समय माता मरियम की मूर्ति अपने स्थान से हिली और धीर-धीरे आगे बढ़ती हुई बाज़ीगर के पास पहुँची। माता मरियम बाजीगर के माथे का पसीना पोंछकर उसे सहलाने लगी।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
भीष्म साहनी की अन्य रचनाएँ ‘तमस’ तथा ‘मेरा भाई बलराज’ पढ़िए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 2.
गांधी तथा नेहरू जी से संबंधित अन्य संस्मरण भी पढ़िए और उन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 3.
यास्सेर अराफ़ात के आतिथ्य से क्या प्रेरणा मिलती है और अपने अतिथि का सत्कार आप किस प्रकार करना चाहेंगे ?
उत्तर :
यास्सेर अराफ़ात के आतिथ्य से यह प्रेरणा मिलती है कि अतिथि छोटा या बड़ा नहीं होता। अतिथि जिसके घर आता है, वह भी छोटा या बड़ा नहीं होता। आने वाले अतिथि का स्वागत हर प्रकार के भेदभाव को मिटाकर करना चाहिए। हम अपने अतिथि का स्वागत विनम्रता, सरलता और प्रसन्नचित्त हृदय से करेंगे। इससे आने वाला अतिथि हमें हमेशा याद रखें और अपने साथ अच्छी यादें लेकर जाएँ।
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प्रश्न 1.
लेखक द्वारा लिखित गांधी जी के प्रसंग से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर :
लेखक गांधी जी से पहली बार सेवाग्राम में मिला था। वह सेवाग्राम में अपने भाई बलराज से मिलने गया था। लेखक गांधी जी को पास से देखने और वार्तालाप करने के लिए बहुत उत्पुक था। वह वहाँ तीन सप्ताह रहा। वहाँ उसे गांधी जी को पास से जाना और समझा था। गांधी जी बहुत सरल, विनम्र तथा सेवाभावी थे। उन्हें दुखियों की सेवा करने में बहुत सुख मिलता था।
खोखे में रहने वाले लड़के ने ज्यादा ईख पी ली थी जिससे उसका पेट फूल गया था। गांधी जी ने वहाँ उसके पास आकर पहले पेट पर हाथ फेरा, फिर उसे सहारा देकर उल्टी करवाई और उसकी पीठ सहलाई। ऐसा करने में गांधी जी को लेशमात्र का भी क्षोभ नहीं था। उनके इस प्रसंग से हमें शिक्षा मिलती है कि दुखियों की सेवा विनम्र भाव से करनी चाहिए। दूसरों के दुखों से कभी क्रोधित नहीं होना चाहिए। पर-सेवा में ही परम सुख मिलता है।
प्रश्न 2.
लेखक को पहली दृष्टि में गांधी जी कैसे लगे थे?
उत्तर :
लेखक सेवाग्राम अपने भाई बलराज से मिलने गया था। वहाँ रहते हुए वह गांधी जी से मिलना चाहता था। उसके भाई ने बताया कि गांधी जी प्रात: सात बजे घर के सामने से सैर के लिए निकलते हैं उस समय वह गांधी जी से मिल सकता है। लेखक सुबह जल्दी उठकर घर के बाहर खड़ा होकर गांधी जी का इंतज़ार करने लगा। गांधी जी पूरे सात बजे आश्रम से निकले। लेखक को गांधी जी वैसे ही लगे, जैसे उसने पत्रिकाओं में देख रखे थे। उसे गांधी जी को प्रत्यक्ष देखकर ऐसा लगा, जैसे वह उनसे पहले ही परिचित हों।
प्रश्न 3.
लेखक ने गांधी जी से बात किस प्रकार आरंभ की ?
उत्तर :
लेखक गांधी जी से वार्तालाप करना चाह रहा था परंतु उसे संकोच हो रहा था। वह गांधी जी के साथ चलते हुए कभी उन्हें देखता और कभी ज़मीन की ओर देखने लगता। अचानक लेखक को याद आया कि गांधी जी एक बार रावलपिंडी आए थे। लेखक ने गांधी जी को रावलपिंडी आने की बात याद दिलाते हुए वार्तालाप आरंभ किया।
प्रश्न 4.
जापानी ‘भिक्षु’ गांधी जी के आश्रम में क्या करता था ?
उत्तर :
लेखक ने सेवाग्राम में गांधी जी के आश्रम में एक जापानी भिक्षु को देखा। उसका पहनावा बौद्ध भिक्षुओं जैसा था। वह भिक्षु प्रतिदिन गांधी जी के आश्रम की परिक्रमा करता था। आश्रम लगभग एक मील के क्षेत्र में फैला हुआ था। प्रार्थना करते समय वह अपना गाँग बजाता था। उस गाँग की आवाज़ पूरा दिन आश्रम के किसी-न-किसी कोने से आती रहती थी। वह भिक्षु अपनी परिक्रमा प्रार्थना के समय समाप्त करता था। प्रार्थना स्थल पर पहुँचकर गांधी जी को आदरभाव से प्रणाम करता और एक तरफ़ बैठ जाता था।
प्रश्न 5.
खोखे के अंदर लड़का क्यों चिल्ला रहा था ?
उत्तर :
खोखे के अंदर पंद्रह साल का लड़का था। वह दर्द से चिल्ला रहा था। दर्द से चिल्लाते हुए वह गांधी जी को पुकार रहा था। उसने अधिक मात्रा में ईख पी ली थी जिससे उसका पेट फूल गया था और उसे दर्द हो रहा था।
प्रश्न 6.
गांधी जी प्रातःकाल किससे मिलने जाते थे ?
उत्तर :
गांधी जी प्रात: जब घूमने जाते थे, उस समय कच्ची सड़क पर बनी कुटिया में जाते थे। उस कुटिया में तपेदिक का रोगी था। गांधी जी प्रतिदिन उसके पास जाकर उसके स्वास्थ्य की पूछताछ करते थे। गांधी जी उसका इलाज अपनी देख-रेख में करवा रहे थे, इसलिए गांधी जी ने प्रतिदिन उस रोगी के पास जाने का नियम बना रखा था।
प्रश्न 7.
पाठ में वर्णित नेहरू जी का प्रसंग क्या संदेश देता है?
उत्तर :
नेहरू जी जब काश्मीर गए, उस समय उन्हें लेखक के फुफेरे भाई के बंगले में ठहराया गया था। लेखक को उसके फुफेरे भाई ने अपनी सहायता के लिए बुला रखा था। लेखक को नेहरू जी के साथ रहते हुए कई दिन बीत गए थे, परंतु अभी उसका नेहरू जी से कोई वार्तालाप नहीं हुआ था। जिस दिन नेहरू जी ने पहलगाम जाना था उस दिन लेखक ने वार्तालाप की इच्छा से अखबार को अपने पास रखा।
उसने नेहरू जी को ऐसा दिखाया जैसे वह उनके वहाँ आने से अंज़ान है। नेहरू जी भी उसे अखबार पढ़ता देखकर चुपचाप एक कोने में अखबार मिलने की प्रतीक्षा में खड़े रहे। जब कुछ देर तक लेखक ने उन्हें अखबार नहीं दिया तो उन्होंने धीरे से उससे पढ़ने के लिए अखबार माँगा। नेहरू जी के इस प्रसंग से हमें शिक्षा मिलती है कि बड़ा आदमी विनम्र होता है। वह किसी अन्य को छोटा नहीं समझता। उसकी दृष्टि में सभी व्यक्ति समान होते हैं। हमें भी दूसरों की आवश्यकताओं को समझते हुए अपनी आवश्यकता पर नियंत्रण रखना चाहिए।
प्रश्न 8.
बाज़ीगर ने माता मरियम को अपनी श्रद्धांजलि किस प्रकार दी ? माता मरियम से उसे क्या उपहार मिला ?
उत्तर :
बाज्जीगर बहुत गरीब था। क्रिसमस के दिन पेरिस के निवासी पेरिस के बड़े गिरजे में नए-नए कपड़े पहनकर माता मरियम को श्रद्धांजलि देने के लिए फूलों के गुच्छे और उपहार लेकर गए। बाज़ीगर निराश हालत में गिरजे के बाहर खड़ा रहा। उसके पास न अच्छे कपड़े थे और न ही कोई उपहार था। वह माता मरियम को श्रद्धांजलि देना चाह रहा था। अचानक उसे एक विचार आया कि वह अपनी कला के माध्यम से माता मरियम को श्रद्धांजलि दे सकता है।
जब सब लोग गिरजे से चले जाते हैं, उस समय वह गिरजे में जाता है। वह अपने कपड़े उतार कर माता मरियम की मूर्ति के समक्ष तरह-तरह के करतब दिखाने लगता है। वृद्ध होने के कारण करतब दिखाते समय वह हाँफने लगता है। उसके हाँफने की आवाज़ सुनकर पादरी को लगता है कि कोई जानवर गिरजे में घुस आया है। पादरी जब जानवर को निकालने के लिए हाल में जाते हैं, उस समय बाजीगर सिर के बल खड़ा मिलता है।
उसे इस स्थिति में खड़ा देख पादरी को क्रोध आ जाता है। वे उसे मारने के लिए दौड़ते हैं, तभी अचानक माता मरियम की मूर्ति अपने स्थान से हिलती है। मूर्ति धीरे-धीरे नीचे आने लगती है। बाज़ीगर के पास आकर माता मरियम उसका पसीना पोंछती है और उसके सिर पर ममता भरा हाथ फेरती है। बाज्तीगर की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर माता मरियम उसके सिर ममता भरा हाथ रखती है। उसे माता मरियम के प्रत्यक्ष दर्शन होते है।
प्रश्न 9.
लेखक और उसकी पत्नी को किसने आमंत्रित किया था ?
उत्तर :
लेखक अफ्रो-एशियाई लेखक संघ में कार्यकारी महामंत्री थे। ट्यूनीसिया की राजधानी ट्यूनिस में अफ्रो-एशियाई लेखक संघ का सम्मेलन होने वाला था। लेखक कार्यकारी महामंत्री होने के कारण अपनी पत्नी के साथ पहले ही ट्यूनिस पहुँच गए थे। एक दिन ‘लोटस’ पत्रिका के संपादक उन्हें सदरमुकाम में आमंत्रित करने आए थे। वे लोग बारह बजे सदरमुकाम पहुँचे। वहाँ पहुँचकर पता चला कि वे लोग यास्सेर अराफ़ात के मेहमान थे।
प्रश्न 10.
यास्सेर अराफ़ात का आतिथ्य कैसा था ? वर्णन कीजिए।
अथवा
यास्सेर अराफ़ात के आतिध्य-प्रेम पर सोदाहरण टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
लेखक और उसकी पत्नी के सदरमुकाम पहुँचने पर यास्सेर अराफ़ात ने अपने अधिकारियों के साथ स्वयं उनका स्वागत किया। यास्सेर अराफ़ात ने अंदर हॉल में पहुँचकर वहाँ बैठे लेखक और अधिकारियों से परिचय करवाया। लेखक और उसकी पत्नी को चाय की मेज़ पर यास्सेर अराफ़ात ले गए। वे उन दोनों के साथ बैठकर वार्तालाप करने लगे। वार्तालाप के मध्य वे उन लोगों को फल छील-छीलकर खिलाते रहे।
उन्होंने उन्हें शहद की चाय बनाकर पिलाई और साथ में शहद की चाय की उपयोगिता के विषय में भी बताया। भोजन से पहले लेखक गुसलखाने में गए थे। जब वे गुसलखाने से बाहर आए, उस समय यास्सेर अराफ़ात उनके लिए तौलिया लिए खड़े थे। यास्सेर अराफ़ात ने अपने आतिथ्य से एक अच्छे मेज़बान होने का फर्ज़ निभाया।
प्रश्न 11.
गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात’ भीष्म साहनी द्वारा रचित उनकी आत्मकथा आज के अतीत का एक अंश है। यह एक संस्मरण है। इसमें लेखक ने किशोरावस्था से प्रौढ़ावस्था तक के निजी अनुभवों को स्मृति के आधार पर अंकित किया है। सेवाग्राम में गांधी जी का – सान्निध्य, काश्मीर में जवाहरलाल नेहरू का साथ तथा फिलिस्तीन में यास्सेर अराफ़ात के साथ व्यतीत किए गए चंद क्षणों को उन्होंने प्रभावशाली शब्द-चित्रों के माध्यम से चित्रित किया है। इसमें लेखक के व्यक्तित्व के साथ-साथ राष्ट्रीयता, देशप्रेम और अंतर्राष्ट्रीय मैत्री जैसे मुद्दे भी वर्णित हैं।
प्रश्न 12.
काश्मीर यात्रा के समय पंडित नेहरू के स्वागत का क्या दृश्य था ?
उत्तर :
काश्मीर यात्रा के समय पंडित नेहरू का भव्य स्वागत किया गया। उनकी शोभा-यात्रा शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में झेलम नदी पर शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तथा सातवें पुल से अमीराक दल तक नावों में देखने को मिली। नदी के दोनों तरफ़ हज़ारों कश्मीरी अदम्य उत्साह के साथ उनका स्वागत कर रहे थे।
प्रश्न 13.
अफ्रो-एशियाई लेखक संघ का सम्मेलन कहाँ हुआ ? उसमें भारतीय प्रतिनिधि मंडल से कौन शामिल हुए ?
उत्तर :
अफ्रो-एशियाई लेखक संघ का सम्मेलन ट्यूनीसिया की राजधानी ट्यूनिस में हुआ। इसमें भारतीय प्रतिनिधि मंडल में सर्वश्री कमलेश्वर, जोगिंदर पाल, बाबूराव, अब्दुल बिसमिल्लाह आदि थे।
प्रश्न 14.
सेवाग्राम में कौन-कौन से देशभक्त आए थे ?
उत्तर :
सेवाग्राम में पृथ्वी सिंह आज़ाद, मीरा बेन, खान अब्दुल गफ़्फार खान तथा राजेंद्र बाबू जैसे देशभक्त आए थे।
प्रश्न 15.
पृथ्वीसिंह आज़ाद कौन थे ? वे अंग्रेज़ों के चंगुल से भागने में कैसे सफल हुए ?
उत्तर :
पृथ्वीसिंह आज़ाद एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने हथकड़ियों सहित चलती रेलगाड़ी से छलाँग लगा दी थी। वे अनेक वर्षों तक गुमनाम रहकर एक जगह अध्यापन कार्य करते रहे। इस प्रकार वे अंग्रेज़ों के चंगुल से भागने और बचने में सफल हुए।